प्रणोदित दोलन अवमंदित दोलन एवं स्वतंत्र दोलन क्या है प्रत्येक के लिये अवकल समीकरण लिखिये एवं उसका हल लिखिये? - pranodit dolan avamandit dolan evan svatantr dolan kya hai pratyek ke liye avakal sameekaran likhiye evan usaka hal likhiye?

  • मुक्त दोलन
    • मुक्त दोलन के उदाहरण
  • अवमंदित दोलन
    • अवमंदित दोलन के उदाहरण
  • प्रणोदित दोलन
    • प्रणोदित दोलन के उदाहरण

मुक्त दोलन

किसी पिंड पर उत्पन्न वह दोलन जिन पर बाह्य बल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्हें मुक्त दोलन (free oscillations in Hindi) कहते हैं। मुक्त दोलनों का आयाम समय के साथ नियत रहता है। अर्थात वस्तु की ऊर्जा में कोई हानि नहीं होती है। व्यवहार में मुक्त कंपन संभव नहीं है मुक्त दोलन की आवृत्ति को स्वभाविक आवृत्ति कहते हैं।

मुक्त दोलन

मुक्त दोलन के उदाहरण

  1. जब किसी गोलक को रस्सी से बांधकर, निर्वात में उसकी साम्य स्थिति से विस्थापित करके छोड़ देते हैं तो वह गोलक अपनी स्वभाविक आवृत्ति से दोलन करने लगता है। ओर यह दोलन अनंत काल तक होते ही रहेंगे।
  2. इसी प्रकार जब निर्वात स्वरित्र द्विभुज को किसी वस्तु से मारकर कंपित किया जाता है तो स्वरित्र द्विभुज में अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से कंपन उत्पन्न हो जाते हैं।
  3. परमाणु के भीतर भी इसी प्रकार कंपन होते हैं।

वास्तव में प्रत्येक वस्तु पर जो कंपन करती है कोई न कोई उस पर अवमंदक बल विद्यमान रहता है। जिसके कारण उस वस्तु में होने वाले कंपनों में कमी आती रहती है और अंत में उस वस्तु में कंपन रुक जाते हैं।

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अवमंदित दोलन

जब कोई वस्तु वायु तथा अन्य माध्यम में कंपन करती है तो वस्तु पर उसकी गति के विरुद्ध कोई अवरोधी बल (जैसे घर्षण) आरोपित हो जाता है। अतः वस्तु की ऊर्जा का कुछ भाग इस अपराधी बल के विरुद्ध खर्च हो जाता है जिस कारण वस्तु की ऊर्जा में लगातार धीरे-धीरे कमी होती रहती है। अर्थात वस्तु के दोलनो का आयाम धीरे-धीरे कम होता रहता है। और अंत में आयाम शून्य हो जाता है। अर्थात वस्तु कंपन करना बंद कर देती है। अतः वस्तु के इन दोलनो को अवमंदित दोलन (damped oscillation in Hindi) कहते हैं। इसमें वस्तु के दोलनो की आवृत्ति भी घट जाती है।

अवमंदित दोलन

अवमंदित दोलन के उदाहरण

  1. स्वरित्र द्विभुज को जब रबड़ से मारकर कंपित किया जाता है तो स्वरित्र द्विभुज में दोलन उत्पन्न हो जाते हैं। लेकिन वायु द्वारा उस पर एक अवरोध बल लगता है। जिसके कारण स्वरित्र में कुछ समय बाद दोलन बंद हो जाते हैं।
  2. सरल लोलक के दोलन
  3. हारमोनियम की रीड के कंपन
  4. अन्य वाद्य यंत्रों में डोरी के कंपन

प्रणोदित दोलन

जब किसी वस्तु पर ऐसा बाह्य आवर्त बल आरोपित किया जाता है जिसकी आवृति वस्तु की स्वभाविक आवृत्ति से भिन्न हो, तो वस्तु प्रारंभ में अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से दोलन करती है लेकिन बाह्य आवर्त बल वस्तु को अपनी आवृत्ति से दोलन करने का प्रयत्न करता है। जिस कारण वस्तु के दोलनो का आयाम काफी बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है और अंत में वस्तु बाह्य आवर्त बल की आवृत्ति से ही दोलन करने लगती है। वस्तु के इन दोलनो को प्रणोदित दोलन (forced oscillation in Hindi) कहते हैं।

प्रणोदित दोलन के उदाहरण

  1. जब स्वरित्र द्विभुज को कंपित किया जाता है तो उसके दस्ते (किनारे) को हाथ से पकड़ लेते हैं तो ध्वनि बहुत ही कम सुनाई देती है। लेकिन जैसे ही स्वरित्र द्विभुज को किसी टेबल पर रख दिया जाता है तो ध्वनि का तेज सुनाई देना।
  2. प्रत्येक वाद्य यंत्र जिसमें तार लगे होते हैं तो उस यंत्र में एक खोखला बॉक्स लगा होता है। इससे ध्वनि तीव्र को किया जाता है। जब तार को हिलाया जाता है तो उससे दोलन उत्पन्न हो जाते हैं यह दोलन, खोखले बॉक्स के भीतर की वायु में प्रणोदित दोलन उत्पन्न कर देते हैं जिससे यंत्र से ध्वनि सुनाई देती है।

प्रणोदित दोलन से क्या तात्पर्य है?

प्रणोदित दोलन (forced oscillations) : जब किसी पिण्ड या कण पर कोई बाह्य आवर्ती बल आरोपित हो तो इस बल के कारण वह पिण्ड या कण अपनी वास्तविक या स्वभाविक दोलन से अलग आवृत्ति के दोलन उत्पन्न करता है , पिण्ड के इन दोलनों को प्रणोदित दोलन कहते है।

अवमंदित दोलन से क्या तात्पर्य है?

(१) अति-अवमन्दित (overdamped)- ऐसे तंत्र बिना किसी दोलन के ही अपनी स्थिर-स्थिति में पहुंचते हैं। (२) क्रान्तिक अवमन्दित (criticaly damped) - ऐसे तंत्र न्यूनतम समय में (शीघ्रातिशीघ्र) बिना किसी दोलन के अपनी नयी स्थिति में पहुंचते हैं।

मुक्त दोलन से आप क्या समझते है?

दोलन (oscillation) एक लगातार दोहराता हुआ बदलाव होता है, जो किसी केन्द्रीय मानक स्थिति से बदलकर किसी दिशा में जाता है लेकिन सदैव लौटकर केन्द्रीय स्थिति में आता रहता है।

सरल आवर्त गति में विस्थापन और वेग आलेख की कला में कितना अंतर होता है?

t = 0 पर कला का परिमाण होता है जिसे कला नियतांक (अथवा कला - कोण ) कहते हैं। यदि आयाम ज्ञात हो तो t = 0 पर के विस्थापन मान से ज्ञात किया जा सकता है। दो सरल आवर्त गतियों के A तथा ∞ समान लेकिन कला-कोण ) विभिन्न हो सकते हैं, जैसा कि चित्र 14.7 (b) में दर्शाया गया है।