Show मुक्त दोलनकिसी पिंड पर उत्पन्न वह दोलन जिन पर बाह्य बल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्हें मुक्त दोलन (free oscillations in Hindi) कहते हैं। मुक्त दोलनों का आयाम समय के साथ नियत रहता है। अर्थात वस्तु की ऊर्जा में कोई हानि नहीं होती है। व्यवहार में मुक्त कंपन संभव नहीं है मुक्त दोलन की आवृत्ति को स्वभाविक आवृत्ति कहते हैं। मुक्त दोलन के उदाहरण
वास्तव में प्रत्येक वस्तु पर जो कंपन करती है कोई न कोई उस पर अवमंदक बल विद्यमान रहता है। जिसके कारण उस वस्तु में होने वाले कंपनों में कमी आती रहती है और अंत में उस वस्तु में कंपन रुक जाते हैं। पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi अवमंदित दोलनजब कोई वस्तु वायु तथा अन्य माध्यम में कंपन करती है तो वस्तु पर उसकी गति के विरुद्ध कोई अवरोधी बल (जैसे घर्षण) आरोपित हो जाता है। अतः वस्तु की ऊर्जा का कुछ भाग इस अपराधी बल के विरुद्ध खर्च हो जाता है जिस कारण वस्तु की ऊर्जा में लगातार धीरे-धीरे कमी होती रहती है। अर्थात वस्तु के दोलनो का आयाम धीरे-धीरे कम होता रहता है। और अंत में आयाम शून्य हो जाता है। अर्थात वस्तु कंपन करना बंद कर देती है। अतः वस्तु के इन दोलनो को अवमंदित दोलन (damped oscillation in Hindi) कहते हैं। इसमें वस्तु के दोलनो की आवृत्ति भी घट जाती है। अवमंदित दोलन के उदाहरण
प्रणोदित दोलनजब किसी वस्तु पर ऐसा बाह्य आवर्त बल आरोपित किया जाता है जिसकी आवृति वस्तु की स्वभाविक आवृत्ति से भिन्न हो, तो वस्तु प्रारंभ में अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से दोलन करती है लेकिन बाह्य आवर्त बल वस्तु को अपनी आवृत्ति से दोलन करने का प्रयत्न करता है। जिस कारण वस्तु के दोलनो का आयाम काफी बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है और अंत में वस्तु बाह्य आवर्त बल की आवृत्ति से ही दोलन करने लगती है। वस्तु के इन दोलनो को प्रणोदित दोलन (forced oscillation in Hindi) कहते हैं। प्रणोदित दोलन के उदाहरण
प्रणोदित दोलन से क्या तात्पर्य है?प्रणोदित दोलन (forced oscillations) : जब किसी पिण्ड या कण पर कोई बाह्य आवर्ती बल आरोपित हो तो इस बल के कारण वह पिण्ड या कण अपनी वास्तविक या स्वभाविक दोलन से अलग आवृत्ति के दोलन उत्पन्न करता है , पिण्ड के इन दोलनों को प्रणोदित दोलन कहते है।
अवमंदित दोलन से क्या तात्पर्य है?(१) अति-अवमन्दित (overdamped)- ऐसे तंत्र बिना किसी दोलन के ही अपनी स्थिर-स्थिति में पहुंचते हैं। (२) क्रान्तिक अवमन्दित (criticaly damped) - ऐसे तंत्र न्यूनतम समय में (शीघ्रातिशीघ्र) बिना किसी दोलन के अपनी नयी स्थिति में पहुंचते हैं।
मुक्त दोलन से आप क्या समझते है?दोलन (oscillation) एक लगातार दोहराता हुआ बदलाव होता है, जो किसी केन्द्रीय मानक स्थिति से बदलकर किसी दिशा में जाता है लेकिन सदैव लौटकर केन्द्रीय स्थिति में आता रहता है।
सरल आवर्त गति में विस्थापन और वेग आलेख की कला में कितना अंतर होता है?t = 0 पर कला का परिमाण होता है जिसे कला नियतांक (अथवा कला - कोण ) कहते हैं। यदि आयाम ज्ञात हो तो t = 0 पर के विस्थापन मान से ज्ञात किया जा सकता है। दो सरल आवर्त गतियों के A तथा ∞ समान लेकिन कला-कोण ) विभिन्न हो सकते हैं, जैसा कि चित्र 14.7 (b) में दर्शाया गया है।
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