कम्प्यूटर के प्रमुख तकनीकी कार्य चार प्रकार के होते हैं- Show
कम्प्यूटर की इकाइयाँ कम्प्यूटर की चार मुख्य इकाईयाँ होती हैं-
डाटा को कंप्यूटर में इनपुट यूनिट के द्वारा प्रविष्ट किया जाता है, सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा आवश्यकतानुसार एक्सटर्नल मेमोरी यूनिट के सहयोग से डेटा को व्यवस्थित तथा संसाधित किया जाता है और अंत में आउटपुट यूनिट द्वारा उन्हें डेटा या इनफार्मेशन के रूप में निर्गमित किया जाता है। सी०पी०यू० को कम्प्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है। सी०पी०यू० को माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) भी कहा जाता है। माइक्रो प्रोसेसर का आविष्कार रॉबर्ट नोयस (Robert Noyce) एवं गार्डन मूर (Gordon Moore) ने 1971 ई. में किया। कम्प्यूटर के भाग कम्प्यूटर के दो भाग होते हैं- मूल भाग (Basic Part) एवं वैकल्पिक भाग (Optional Part) मूल भाग कंप्यूटर यूनिट या मेन कंप्यूटर Computer Unit or Main Computer पर्सनल कम्प्यूटर की सभी क्रियाओं को सिस्टम यूनिट ही नियंत्रित करता है और लागू करता है। इस यूनिट के पिछले भाग में लगे केबुल के जरिए (Key-Board), मॉनिटर (Monitor), माउस (Mouse), प्रिन्टर (Printer) आदि का संबंध स्थापित किया जाता है। हार्ड डिस्क (Hard Disc) तथा फ्लापी डिस्क (Floppy Disc) भी इसी यूनिट के अंदर होते हैं। यह दो रूपों में आता है- डेस्क टॉप टाइप (Desk Top Type) और टावर टाइप (Tower Type)। मॉनीटर Monitor एक कम्प्यूटर का मॉनीटर टेलीविजन की तरह ही होता है। मॉनीटर के पर्दे पर जो चित्र दिखाई देते हैं वे छोटे-छोटे बिन्दुओं से बने होते हैं जिन्हें पिक्सेल (Pixels) कहते हैं। हार्ड डिस्क व फ्लापी डिस्क ड्राइव Hard Disc & Floppy Disc Drive सूचना स्टोर करने के लिए कम्प्यूटरों में डिस्क (Discor Disk) इस्तेमाल होते हैं। डिस्क दो प्रकार की होती है-हार्ड डिस्क तथा फ्लापी डिस्क। हार्ड डिस्क कम्प्यूटर की स्थायी डिस्क होती है जबकि फ्लापी डिस्क का प्रयोग तब किया जाता है जब एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर डेटा का स्थानांतरित करना हो। हार्ड डिस्क फ्लापी डिस्क की तुलना में आकार में बड़ी तथा गति में तीव्र होती है। कम्प्यूटर के सामने के भाग में एक खाँचा होता है जिसमें फ्लापी डिस्क लगाया जाता है जिसे फ्लापी डिस्क ड्राइव कहते हैं। वैकल्पिक भाग माउस Mouse माउस हाथ में पकड़ा जाने वाला एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा की बोर्ड का इस्तेमाल किये बिना कम्प्यूटर का नियंत्रण किया जाता है। प्रिन्टर Printer प्रिन्टर एक ऐसा साधन है जो किसी भी डाक्यूमेंट को अपने कम्प्यूटर पर प्रिन्ट करता है। प्रिन्टर कई प्रकार के होते हैं- डाट मैट्रिक्स प्रिन्टर (Dot Matrix Printer), लाइन लाइन प्रिंटर (Line Printer), इंकजेट प्रिन्टर (Inkjet Printer), लेसर प्रिंटर (Laser Printer)I लेसर प्रिन्टर कम्प्यूटर की प्रिंटिंग तकनीक में सर्वोत्तम होते हैं लेकिन इनकी कीमत भी सबसे अधिक होती है। लेजर प्रिन्टर एक फोटो-कॉपियर मशीन की तरह ही होता है अंतर सिर्फ इतना है कि एक फोटो-कॉपियर मशीन की तरह लिखित डाक्यूमेन्ट पर फोटोग्राफ करने के बजाय यह आकृति बनाने में लेजर बीम (laser bearn) का प्रयोग करता है। ये बेहतर किस्म के प्रिन्टआउट निकालते हैं। साथ-ही-साथ गति भी सबसे अधिक होती है, लगभग 13,000 पंक्तियाँ प्रति मिनट। स्कैनर Scanner स्कैनर एक ऐसा साधन है जो एक फोटोग्राफ के प्रतिबिम्ब या जानकारी को सीधा ही कम्प्यूटर में संचित कर सकता है। यह एक फोटोग्राफी मशीन की तरह कार्य करता है अन्तर सिर्फ यह है कि एक पेपर पर कापी बनाने की जगह यह कम्प्यूटर में फोटोकापी बनाता है। कंप्यूटर पद्धतियाँ Computer Systems कम्प्यूटर दो पद्धतियों से कार्य करता है- 1. हार्डवेयर व 2. सॉफ्टवेयर।
कम्प्यूटर की भाषाएँ कम्प्यूटर की भाषा की निम्न तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-
(i) फॉरट्रान (FORTRAN): यह अंग्रेजी के शब्दों फॉर्मूला ट्रान्सलेशन (Formula Translation) का संक्षिप्त रूप है। कम्प्यूटर की इस भाषा का विकास IBM के सौजन्य से जे० डब्ल्यू बेकस ने 1957 ई० में किया था। इस भाषा का विकास गणितीय सूत्रों को आसानी से और कम समय में हल करने के लिए किया गया था। वैज्ञानिक कार्यों के लिए इस भाषा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। (ii) कोबोल (COBOL): कोबोल वास्तव में कॉमन विजिनेस ओरियेन्टेड लैंग्वेज (Common Business Oriented Language) of संक्षिप्त रूप है। इस भाषा का विकास व्यावसायिक हितों के लिए किया गया। इस भाषा के संक्रिया के लिए लिखे गए वाक्यों के समूह को पैराग्राफ कहते हैं। सभी पैराग्राफ मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं और सेक्शनों से मिलकर डिवीजन बनता है। (iii) बेसिक (BASIC): यह अंग्रेजी के शब्दों बिगनर्स ऑल पर्पस सिम्बलिक इंस्ट्रक्शन कोड (Beginners All Purpose symbolic Instruction Code) का संक्षिप्त रूप है। इस भाषा में प्रोग्राम में निहित आदेश के किसी निश्चित भाग को निष्पादित किया जा सकता है, जबकि इससे पहले की भाषाओं में पूरे प्रोग्राम को कम्प्यूटर में डालना होता था और प्रोग्राम के ठीक होने पर आगे के कार्य निष्पादित होते थे। (iv) अल्गॉल (ALGOL): यह अंग्रेजी के अल्गोरिथमिक लैंग्वेज (Algorithmic Language) का संक्षिप्त रूप है। इसका निर्माण जटिल बीजगणितीय गणनाओं में प्रयोग हेतु बनाया गया था। (v) पास्कल (PASCAL) – यह अल्गोल का परिवर्द्धित रूप है। इसमें सभी चरों को परिभाषित किया गया है, जिसके कारण यह अल्गोल एवं बेसिक से भिन्न है। इसका नामकरण फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के नाम पर किया गया है। (vi) कोमाल (COMAL): यह Common Algorithmic Language का संक्षिप्त रूप है। इस भाषा का प्रयोग माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए किया जाता है। (vii) लोगो (LOGO): इस भाषा का प्रयोग छोटी उम्र के बच्चों को ग्राफिक रेखानुकृतियों की शिक्षा देने के लिए किया जाता है। (viii) प्रोलॉग (PROLOG): यह अंग्रेजी शब्द प्रोग्रामिंग इन लॉजिक का संक्षिप्त रूप है। इस भाषा का विकास 1973 ई० में फ्रांस में किया गया था। इसका विकास कृत्रिम बुद्धि के कार्यों के लिए किया गया है, जो तार्किक प्रोग्रामिंग में सक्षम है। (ix) फोर्थ (FORTH) : इस भाषा का आविष्कार चार्ल्स मूरे ने किया था। इसका उपयोग कम्प्यूटर के सभी प्रकार के कार्यों में होता है। इन सभी उच्च स्तरीय भाषाओं में एक समानता है कि लगभग सभी में अंग्रेजी के वणाँ (A, B, C, D, … आदि) एवं इण्डो-अरेबिक अंकों (0, 1, 2, 3, … आदि) का प्रयोग किया जाता है। नोट: PILOT, C, C++, LISP, UNIX, LINUX, ADA, PL-1 एवं SNOBOL कुछ अन्य उच्च स्तरीय भाषाएँ है।
कम्प्यूटर वायरस कम्प्यूटर वायरस (virus) एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक कोड है, जिसका उपयोग कम्प्यूटर में समाहित सूचनाओं को समाप्त करने के लिए होता है। इसे कम्प्यूटर प्रोग्राम में, किसी टेलीफोन लाइन से दुर्भावनावश प्रेषित किया जाता है। इस कोड से गलत सूचनाएँ मिल सकती हैं, एकत्रित जानकारी नष्ट हो सकती है तथा यदि कोई कम्प्यूटर किसी नेटवर्क से जुड़ा है, तो इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े होने के कारण यह वायरस सम्पूर्ण नेटवर्क को प्रभावित कर सकता है। फ्लॉपियों के आदान-प्रदान से भी वायरस के फैलने का डर रहता है। ये महीनों, सालों तक बिना पहचाने गए ही कम्प्यूटर में पड़े रह सकते हैं और उसे क्षति पहुँचा सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा-व्यवस्था विकसित की गयी है। कुछ मुख्य कम्प्यूटर वायरस हैं- माइकेलएंजलो, डार्क एवेंजर, किलो, फिलिप, मैकमग, स्कोर्स, कैस्केड, जेरुसलम, डेटा क्राइम, कोलंबस क्राइम, इन्टरनेट वायरस, पैचकॉम, पैच EXE, कॉम-EXE, मरिजुआना, मेलिसा, अन्ना कोर्निकोवा, माई डूम, प्वाइजन आईवी, सी ब्रेन, ब्लडी, चेज मुंगू एवं देसी। नोट: (i) माइकल एंजेलो वायरस सवप्रथम 6 मार्च 1993 को देखा गया। जिस दिन इसकी पाया गया उस दिन इटली के प्रसिद्ध चित्रकार माइकल एंजेलो की पुण्य तिथि थी। अतः इस वायरस का नाम माइकल एंजेलो वायरस रखा गया। (ii) भारत में पाया गया प्रथम कम्प्यूटर वायरस सी ब्रेन है जो मद्रास (चेन्नई) में 1988 में प्रकट हुआ था। (iii) भारत में बेंगलुरु की एक कम्पनी वायरस विरोधी प्रोग्रामों में विशेष दक्षता रखती है। कम्प्यूटर नेटवर्किंग कम्प्यूटर नेटवर्किंग (Computer Networking) का प्रयोग कम्प्यूटर क्षेत्र में अभी अपेक्षाकृत नया है लेकिन अधिक उपयोगी होने के कारण कम समय में ही यह तकनीक काफी प्रचलित हो गई है। कम्प्यूटर तथा दूरसंचार तकनीकों के मिलन से इस विधि का जन्म हुआ है। कम्प्यूटर नेटवकिग कई कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने की तकनीक है। कम्प्यूटर नेटवर्किंग से सभी कम्प्यूटरों की क्षमता का सामूहिक उपयोग किया जाता है। नेटवर्किंग (संयोजन) दो प्रकार से की जाती है – Local Area Networking (LAN) तथा Wide Area Networking (WAN)। LAN के द्वारा एक ही बिल्डिग में रखे सभी कम्प्यूटरों को जोड़ा जाता है जैसे विश्वविद्यालय परिसर, कार्यालय आदि। WAN के द्वारा एक बड़े क्षेत्र में रखे सभी कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ा जाता है, जैसे शहर के सभी कार्यालयों के बीच। भारत में INDONET नामक बड़े कम्प्यूटर नेटवर्क की स्थापना की जा रही है, जिसका उद्देश्य भारत के मुख्य शहरों को कम्प्यूटरों के जरिए जोड़ना है। कंप्यूटर के चार मुख्य कार्य क्या है?कंप्यूटर के मुख्य भाग कंप्यूटर सिस्टम के दो मुख्य भाग होते हैं - हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर । हार्डवेयर में कंप्यूटरों के वे समस्त पार्ट्स शामिल हैं, जो दिखाई देते हैं अथवा जिन्हें हम स्पर्श कर सकते हैं, जैसे- माउस, कुँजीपटल, इलैक्ट्रॉनिक और इलैक्ट्रिक सर्किट, मॉनिटर इत्यादि ।
कंप्यूटर के 5 मूल कार्य कौन कौन से हैं?कंप्यूटर पांच बुनियादी कार्य करता है जो इनपुट, प्रोसेस, आउटपुट, स्टोरेज और कंट्रोल हैं।
कंप्यूटर के 4 मुख्य प्रकार क्या हैं?उपयोग तथा आकर के आधार पर यह कंप्यूटर चार प्रकार के होते है जिसे Micro, Mini, Mainframe तथा Super Computer कहते है।
कंप्यूटर का मूल कार्य क्या है?कम्प्यूटर की इकाइयाँ
डाटा को कंप्यूटर में इनपुट यूनिट के द्वारा प्रविष्ट किया जाता है, सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा आवश्यकतानुसार एक्सटर्नल मेमोरी यूनिट के सहयोग से डेटा को व्यवस्थित तथा संसाधित किया जाता है और अंत में आउटपुट यूनिट द्वारा उन्हें डेटा या इनफार्मेशन के रूप में निर्गमित किया जाता है।
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