संविधान क्या है Show ऐसा लेख पत्र या दस्तावेज जो सरकार की रुपरेखा व प्रमुख कृत्यों का निर्धारण करता है, इसे देश की सर्वोत्तम आधारभूत विधि कहा जा सकता है। यह वही दस्तावेज है, जो राज्य के समस्त अंगोँ (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) को शक्तियाँ प्रदान करता है। इन तीनो को संविधान की मर्यादाओं मेँ रहकर अपने कर्तव्योँ का निर्वहन करना होता है। इसे आसानी से बदला नहीँ जा सकता है।
संविधान की परिभाषा
[table id=45 /] संविधान का उद्देश्य
संविधान का प्रयोग
संविधान निर्माण की क्रमिक मांग
कैबिनेट मिशन योजना
संविधान निर्माण प्रक्रिया के विभिन्न चरण एवं तथ्य
संविधान सभा की विभिन्न समितियां
[table id=46 /] संविधान की प्रकृति और स्वरुप
भारतीय संविधान के स्रोत विदेशी स्रोत
भारतीय स्रोत
देसी रियासतें
भारतीय संविधान के एकात्मक एवं संघात्मक लक्षण
डॉ बी. आर. अंबेडकर: प्रारुप समिति के अध्यक्ष डॉ बी. एन. राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारुप पर विचार करने के लिए संविधान सभा ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता मेँ एक प्रारुप समिति का गठन किया जिसके सदस्य इस प्रकार थे – [table id=47 /] प्रारुप समिति से पहले बनने पर उसमें 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थीं। दूसरे प्रारुप मेँ परिवर्तन करके 315 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं, तीसरे प्रारुप मेँ 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियां थी, जिसे तेयार करने मेँ 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिन का समय लगा, 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपनी मंजूरी दे दी। संविधान सभा की प्रमुख महिलाएं कादंबरी गांगुली – भारत की पहली महिला ग्रेजुएट, कोलकाता विश्वविद्यालय या कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित करने वाली पहली महिला। [table id=48 /] संविधान की अनुसूचियां
पहली अनुसूची
दूसरी अनुसूची
तीसरी अनुसूची
संविधान, विभिन्न संवैधानिक पदों को भिन्न-भिन्न कृत्योँ का दायित्व सौंपता है, अतः उन्हें भिन्न प्रारुपोँ मेँ शपथ लेने होती है। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति को संविधान के परिरक्षण (Preserve), संरक्षण (Conserve) और प्रतिरक्षण (Defend) का उत्तरदायित्व है, जबकि संघ के मंत्रियोँ को संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा तथा भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखने की शपथ लेनी होती है। कुछ संवैधानिक अधिकारियों जैसे – राष्ट्रपति, राज्यपाल, तथा संघ एवं राज्य के मंत्रियोँ के पास राज्य के बारे मेँ गोपनीय जानकारियां होती हैं और उन्हें पद की शपथ के साथ-साथ गोपनीयता की भी शपथ लेनी होती है। संविधान एक वरीयता क्रम सृजित करता है। इस तरह यह राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए शपथ का प्रारुप मुख्य संविधान मेँ शामिल करता है, जबकि अन्य पदों के लिए यह अनुसूची मेँ दिया हुआ है। चौथी अनुसूची
पांचवी अनुसूची
छठीं अनुसूची
सातवीँ अनुसूची
[table id=49 /] आठवीं अनुसूची इसमें भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख किया गया है। [table id=50 /] नवीं अनुसूची इस अनुसूची के अंतर्गत आने वाले अनुच्छेदों एवं कानूनों न्यायिक समीक्षा के दायरे से अलग रखा गया है। इस अनुसूची मेँ मुख्यतः भू-सुधार एवं अधिग्रहण संबंधी कानून को रखा गया है। दसवीँ अनुसूची इसमेँ दल बदल से संबंधित प्रावधानोँ का उल्लेख है। ग्यारहवीं अनुसूची इस अनुसूची के आधार पर पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। बारहवीं अनुसूची इस अनुसूची के आधार पर शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं का उल्लेख कर संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। भारतीय संविधान निर्माण की प्रक्रिया क्या है?भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। संविधान के प्रारूप पर 114 दिनों तक चर्चा हुई। 26 नवम्बर 1949 को संविधान अंगीकृत हुआ और संविधान के कुछ अनुच्छेद उसी दिन से लागू कर दिए गए जबकि संपूर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
भारत की संविधान सभा का निर्माण कैसे किया गया था?संविधान सभा का गठन छह दिसंबर 1946 को हुआ था। इसके तहत संविधान निर्माण की समिति बनी, जिसे ड्राफ्ट कमेटी भी कहा जाता है। उसके जिम्मे संविधान के तब तक तैयार संविधान के प्रारूप पर बहस करके उसे 389 सदस्यीय संविधान सभा में प्रस्तुत करना था, जो उसे अंतिम रूप देगी।
भारतीय संविधान का निर्माण कौन है?संविधान सभा के पास भारत के संविधान को तैयार करने की जिम्मेदारी थी। इसने दिसंबर 1946 से नवंबर 1949 तक कार्य किया। संविधान सभा में विभिन्न विषयों के लिए 8 प्रमुख समितियां और 15 लघु समितियां थीं।
भारत का संविधान का निर्माण कब और कैसे हुआ?भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ. बताया जाता है कि संविधान के निर्माण पर कुल 64 लाख रुपये का खर्च आया था और संविधान के बनने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था.
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