Best Assault Rifle In The World: दुनिया में जब से बंदूकों को अविष्कार हुआ है तब से ज्यादातर युद्धों में इसका ही इस्तेमाल किया गया है. आज हम दुनिया की सबसे खतरनाक बंदूकों के बारे में बात करेंगे. जिनका जंग के मैदान में बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया जाता है और बहतरीन शूटिंग रेंज वाली ये बंदूकें मेटल जैसी चीज को भी चीर सकती हैं. Show
Updated:Sep 24, 2022, 12:09 PM IST AS50 राइफल को दुनिया की सबसे बेस्ट स्नाइपर में गिना जाता है. इसका इस्तेमाल पहली बार 2007 में किया गया था. इस गन को ब्रिटेन की एक्योरेसी इंटरनेशनल नाम की कंपनी ने डिजाइन किया है. इस गन की इफेक्टिव रेंज 1.5 किलोमीटर तक है और ये 1.6 सेकेंड में 5 राउंड फायर करती है. एकबार जब इसकी गोली दुश्मन की तरफ बढ़ती है तो उसे संभलने का मौका तक नहीं देती है. ट्रेकिंग पॉइंट राइफल (Tracking Point Rifles)ट्रेकिंग पॉइंट राइफल (Tracking Point Rifles) को आर्मी का भविष्य कहा जा रहा है. इस खतरनाक राइफल को अमेरिका की ट्रेकिंग पॉइंट नाम की कंपनी ने बनाया है. इसका पहली बार इस्तेमाल 2011 में किया गया था. ये राइफल टारगेट पर निशाना लगाने में यूजर की मदद करती है. इस बंदूक की गोली दुश्मन के पलक गिराने से पहले उसके सीने के आर-पार हो जाती है. 416 असॉल्ट राइफल (416 Assault Rifle)416 असॉल्ट राइफल को जर्मनी के हेक्लर एंड कोच (Heckler and Koch) नाम की कंपनी ने डिजाइन किया है लेकिन साल 2011 के दौरान ये तब चर्चा में आया जब ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था. आप ये बात जानकर हैरान हो जाएंगे कि ये एक मिनट में 900 राउंड फायर कर सकती है. AK 100 Series को दुनिया की बेस्ट राइफल्स में गिना जाता है. इस खतरनाक राइफल्स को बनाने का क्रेडिट रूस के कलाश्निकोव (Kalashnikov) नाम की कंपनी को जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन AK Series के राइफल्स का इस्तेमाल दुनिया में 100 से भी ज्यादा देशों के द्वारा किया जाता है. इस खतरनाक बंदूक को 80 से 90 के दशक में बनाया गया लेकिन इसका पहली बार इस्तेमाल 1993 में किया गया था. इस राइफल को डेवलप करने का क्रेडिट अमेरिका की कोल्ट नाम की कंपनी को जाता है. ये अपने हल्के वेट और शार्ट वेरिएंट की वजह से ज्यादा फेमस हुईं और अमेरिकन आर्मी ने इसे बड़ी संख्या में सेना में शामिल किया था. इसकी खासियत ये है कि ये एक बार में 30 राउंड फायर करती है. लाइट वेट होने की वजह से इसे संभालना भी आसान होता है. सेना के पास इस समय अलग-अलग तरह की राइफल्स हैं जिन्हें इजरायल से लेकर रूस और अमेरिका जैसे देशों की मदद से हासिल किया गया है. आज ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) कई राइफल्स का सफलतापूर्वक निर्माण कर रहा है.भारतीय सेना को दुनिया की सबसे टॉप 5 सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल किया जाता है. अमेरिका और चीन के बाद इंडियन आर्मी का नंबर आता है. भारतीय सेना यूं तो कई तरह के हथियारों से लैस है. तमाम तरह के हथियारों के बीच ही सेना की ताकत है उसके पास मौजूद बंदूकें. आज हम आपको सेना की उन 10 बंदूकों के बारे में बताते हैं जिन्हें सबसे खतरनाक माना जाता है. इंसास राइफलइंसास वो राइफल है जिसका प्रयोग सेना के साथ ही साथ दूसरे सशस्त्र बल भी करते हैं. इस राइफल को एके-47 की तर्ज पर बनाया गया है. INSAS यानी इंडियन स्मॉल आर्म सिस्टम और इसे भारत में ही तैयार किया जाता है. इस राइफल का उत्पादन सन् 1994 में पहली बार हुआ था. पहली झलक सन् 1998 में गणतंत्र दिवस की परेड में मिली और सन् 1999 कारगिल वॉर में इसका जमकर प्रयोग हुआ. इस राइफल को ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड की तिरुचिरापल्ली स्थित फैक्ट्री और कानपुर स्थित स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री के अलावा ईशपुर स्थित हथियार डिपो में तैयार किया जाता है. साल 2019 में इसे सर्विस से हटा दिया गया था लेकिन आज भी इसे एक स्टैंडर्ड इनफेंट्री हथियार माना जाता है. 4.15 किलोग्राम और 37.8 इंच की लंबाई वाली इस राइफल के कई वर्जन सेनाओं के लिए मौजूद हैं. पिस्टल ऑटो 9MM 1Aइस हथियार को सेना में जमकर प्रयोग किया जाता है. जम्मू कश्मीर में कोई एनकाउंटर हो या फिर नॉर्थ ईस्ट में कोई ऑपरेशन, ये सेना का अहम हथियार है. इस पिस्टल को सेना जमकर प्रयोग करती है. यह एक सेमी ऑटोमेटिक और सेल्फ लोडिंग पिस्टल है जिसमें 9×19mm की बुलेट का प्रयोग होता है. एक बार में ये पिस्टल 13 राउंड बुलेट फायर कर सकती है. AK-203एके-सीरीज की यह अबतक की सबसे एडवांस्ड राइफल है. AK-47 सबसे बेसिक मॉडल है. इसके बाद AK- 74, 56, 100 और 200 सीरीज आ चुकी है. AK-203 राइफल को पूरी तरह से लोड कर दिए जाने के बाद इसका वजन 4 किलोग्राम के आसपास हो जाएगा. AK-203 राइफल में ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक दोनों तरह के वैरियंट मौजूद होंगे. हाइटेक AK-203 राइफल से एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकती हैं. यह राइफल 400 मीटर दूरी पर स्थित दुश्मन पर भी निशाना साध सकती है. इस राइफल को भारत और रूस मिलकर तैयार कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश के अमेठी में इसका निर्माण होगा. विध्वंसक, एंटी मैटेरियल राइफल (ARM)विध्वंसकए एंटी मैटेरियल (ARM) एक स्वदेशी गन है. इसका निर्माण ऑर्डिनेस फैक्टरी तिरुचिरापल्ली में किया जाता है. यह 1800 मीटर की रेज तक कवर करती है.इस राइफल का वजन 25 KGऔर लम्बाई 1.7 मीटर है. इसे अमेरिकी सेना का ARM राइफल की तर्ज पर निर्मित किया गया है. इसे साल 2005 से तैयार किया जा रहा है. ड्रेग्नोव SVD 59 स्नाइपर राइफल (DSR)इस स्नाइपर राइफल का प्रयोग पहली बार शीत युद्ध के दौरान किया गया था. इस राइफल में 7.62 × 54 MM का कारतूस प्रयोग किया जाता है. इसमें 10-राउंड की मैगजीन लगती है. यह 800-900 मीटर के दायरे में दुश्मनों को निशाना बनाती है. सेना का मॉर्डनाइजेशन करने के मकसद से इसे शामिल किया गया था. इस राइफल को सोवियत संघ के हथियार डिजाइन करने वाले येवेग्ने ड्रागुनोव ने सन् 1950 के दशक में डिजाइन किया था. ये एक गैस ऑपरेटेड शॉर्ट स्ट्रोक पिस्टन राइफल है. आईएमआई गैलिल 7.62 स्नाइपर राइफलये राइफल इजरायली कंपनी IMI की तरफ से बनाई जाती है. इस गन में 7.62×51 mm कारतूस का प्रयोग किया जाता है. राइफल में 20 राउंड की मैगजीन लगती है. यह टैक्टिल सपोर्ट कैटेगरी की राइफल मानी जाती है. भारतीय सेना के अलावा 25 से ज्यादा देशों की सेनाएं इसका प्रयोग कर रही हैं. इंडियन आर्मी में इसका सबसे ज्यादा प्रयोग होता है. माउजर SP 66 स्नाइपर राइफलमाउजर एसपी 66 स्नाइपर राइफल जर्मनी में निर्मित गन है. बोल्ट-एक्शन स्नाइपर राइफल है. यह एसपी 66 का मॉडल आम नागरिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली गन की तरह है. यह हंटिंग राइफल से मिलता-जुलता है. यह 800 मीटर तक मार सकती है. इसका प्रयोग भारतीय सेना और स्पेशल आर्म्ड फोर्सेज करती हैं. SAF कार्बाइन 2 A 1 सब मशीन गनइसे साइलेंस गन के तौर पर माना जाता है. इस गन की फायरिंग के दौरान इसकी आवाज कम होती है. इसके बैरल में साइलेंसर लगा होता है. इस गन का निर्माण कानपुर की ऑर्डिनेस फैक्टरी में किया जाता है. यह वजन में काफी हल्की होती है और इसकी विशेषताओं में ऑटोमैटिक फायरिंग सबसे ऊपर है. यह राइफल एक मिनट में 150 राउंड की फायरिंग कर सकती है. इस राइफल को ज्यादातर आतंकी हमलों का मुकाबला करने के लिए किया जाता है. NSV हैवी मशीन गनइस राइफल को भी रूस में तैयार किया गया है. भारत में इस राइफल का निर्माण तिरुचिरापल्ली स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कारखाने में किया जाता है. इस गन का प्रयोग हेलीकॉप्टर और फाइटर जेट को गिराने के लिए एंटी-एयरक्राफ्ट गन के तौर पर होता है. इसमें 12.7×108 एमएम के कारतूस का प्रयोग होता है. यह अपने दुश्मनों को करीब से निशाना बनाती है. इसकी खासियत है कि यह राइफल जमीन से 1500 मीटर ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट को भी निशाना बना सकती है. यह राइफल 700-800 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग कर सकती है. यह भी पढ़ें-कैसे कारगिल की जंग के बाद वाजपेयी ने विपक्ष का गुस्सा झेलकर भी किया था इजरायली पीएम का स्वागत सबसे पावरफुल बंदूक कौन सी है?Most Powerful Rifles: दुनिया की सबसे खतरनाक बंदूकें, पलक झपकते ही चीर देती हैं दुश्मन का सीना. 1/5. AS50 राइफल AS50 राइफल को दुनिया की सबसे बेस्ट स्नाइपर में गिना जाता है. ... . 2/5. ट्रेकिंग पॉइंट राइफल (Tracking Point Rifles) ... . 3/5. 416 असॉल्ट राइफल (416 Assault Rifle) ... . 4/5. AK-103 राइफल ... . 5/5. M4 कार्बाइन (M4 Carbine). भारत की सबसे अच्छी बंदूक कौन सी है?आज हम आपको सेना की उन 10 बंदूकों के बारे में बताते हैं जिन्हें सबसे खतरनाक माना जाता है.. इंसास राइफल ... . पिस्टल ऑटो 9MM 1A. ... . AK-203. ... . विध्वंसक, एंटी मैटेरियल राइफल (ARM) ... . ड्रेग्नोव SVD 59 स्नाइपर राइफल (DSR) ... . आईएमआई गैलिल 7.62 स्नाइपर राइफल ... . माउजर SP 66 स्नाइपर राइफल ... . SAF कार्बाइन 2 A 1 सब मशीन गन. दुनिया की सबसे महंगी गन कौन सी है?इस पिस्तौल की कीमत 6 मिलियन डॉलर (43 करोड़ रुपये से ज्यादा) लगाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों को भी इस पिस्तौल की इतनी बड़ी कीमत लगने का अंदाजा नहीं था। इस पिस्तौल की बोली उनके अनुमान से लगभग दोगुनी लगी है। ऑक्शन हाउस के मुताबिक यह दुनिया की सबसे कीमती पिस्तौल है।
315 कट्टा की कीमत कितनी है?-एक हजार रुपए कीमत में 12 बोर का कट्टा व 1500 रुपए में 315 बोर का कट्टा तथा तीन से पांच हजार रुपए कीमत में कंट्रीमेड पिस्टल व रिवाल्वर उपलब्ध होती हैं।
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