1. कहते हैं कि क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था जिसके चलते ही 8 अगस्त 1942 को मुम्बई अधिवेशन में प्रस्ताव रखा गया और 9 अगस्त 1942 को आंदोलन प्रारंभ हुआ। Show 2. अमूमन 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है, परतु ये आंदोलन 8 अगस्त 1942 से आरंभ हुआ था। दरअसल, 8 अगस्त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया. इसके बाद से ही ये आंदोलन व्यापक स्तर पर आरंभ किया हुआ। 3. यह भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। इस मौके पर महात्मा गाधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को 'करो या मरो' का नारा दिया था। 4. महात्मा गांधी ने आंदोलन में अनुशासन बनाए रखने को कहा था परंतु जैसे ही इस आंदोलन की शुरूआत हुई, 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया था। यही नहीं अंग्रेजों ने गांधी जी को अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया। 5. महात्मा गांधी को नजरबंद किया जाने के समाचार ने देशभर में हड़ताल और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों शुरु हो गई। कहते हैं कि इस आंदोलन में करीब 940 लोग मारे गए थे और 1630 घायल हुए थे जबकि 60229 लोगों ने गिरफ्तारी दी थी। 6. आंदोलन के दौरान पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। 7. ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन के प्रति काफी सख्त रुख अपनाया फिर भी इस विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार को सालभर से ज्यादा समय लग गया। 8. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया था। सभी धर्म औ जाति के लोग एक साथ अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो गए थे। 9. 1943 में ही 10 फरवरी को महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास शुरू किया था। उपवास के 13वें दिन गांधी जी हालत बेहद खराब होने लगी थी। अंग्रेजों द्वारा देश को स्वतंत्र किए जाने के संकेत के चलते गांधीजी ने आंदोलन को बंद कर दिया और अंग्रेजों ने कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग 100,000 राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया। 10. 'भारत छोड़ो आंदोलन' भारत का सबसे तीव्र और विशाल आंदोलन था जिसमें सभी लोगों की भागिदारी थी। इसी के चलते अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा परंतु उन्होंने 1942 से 1947 के बीच हिन्दू मुस्लिम के बीच फूट डाल दी थी जिसके चलते भारत का विभाजन भी हुआ। 08 अगस्त 1942 के दिन महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी. जो देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया. हर गांव से लेकर हर शहर तक बड़ी बड़ी रैलियां निकलने लगीं. आज इस आंदोलन की शुरुआत को 80 साल पूरे हो गए. इसने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था. इसका तत्कालीन ब्रिटिश सरकार पर बहुत ज्यादा असर हुआ. उसने गांधीजी समेत सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया लेकिन इसके बाद भी इस आंदोलन को खत्म करने में पूरी ब्रिटिश सरकार को एक साल से ज्यादा का समय लग गया. यह भारत की आजादी में सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन था. दूसरे विश्व युद्ध में उलझे इंग्लैंड को भारत में ऐसे आंदोलन की उम्मीद नहीं थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसमें तकरीबन 900 से ज्यादा लोग मारे गए जबकि 60 हजार से ज्यादा गिरफ्तार किए गए. इस आंदोलन से जुड़ी 10 खास बातें जो इस पूरे मूवमेंट के बारे में बताती हैं. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पूरे देश में बड़ी बड़ी रैलियां निकलती थीं. लोगों ने कालेज और नौकरियां छोड़ दीं. देश पूरी तरह से अंग्रेज शासन के खिलाफ हो गया. (फाइल फोटो)1. महात्मा गांधी ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान या अगस्त क्रांति मैदान में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था. उनके साथ तत्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेता मौजूद थे. 2. मुंबई में हुई रैली के दौरान ही महात्मा गांधी ने अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया था. 3. इस रैली के बाद ब्रिटिश सरकार ने कई बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम आजाद, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया था. 4. आंदोलन छेड़ने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस पर जमकर कहर ढहाया. नेताओं को बिना ट्रायल गिरफ्तार किया गया और देशभर में कांग्रेस के ऑफिसों पर छापे पड़े. उनके फंड सीज़ कर दिए गए. 5. आंदोलन का पहला भाग काफी शांतिपूर्ण रहा. लोगों ने शांति के साथ प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया. ऐसा प्रदर्शन महात्मा गांधी के रिहा होने तक चला. 6. आंदोलन का दूसरा हिस्सा अचानक से हिंसक हो गया. ब्रिटिश सरकार के छापेमारी से प्रदर्शनकारी हिसंक हो गए. उन्होंने पोस्ट ऑफिस, सरकारी बिल्डिंग और रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू किया. 7. इस आंदोलन के दौरान वायसराय काउंसिल ऑफ मुस्लिम्स, कम्युनिस्ट पार्टी और अमेरिकी समर्थकों ने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया. 8. सभी प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद AICC (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) के सेशन को अरुणा आसफ अली ने चलाया. पुलिस और सरकार की कई चेतावनियों के बाद भी मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हुए. 9. अरुणा आसफ अली ने इस भारी भीड़ के सामने पहली बार भारत का झंडा फहराया. जो आंदोलन के लिए एक प्रतीक साबित हुआ. 10. आंदोलन के आखिरी फेज़ यानि सितंबर 1942 में प्रदर्शनकारियों ने मिलकर मध्य प्रदेश और मुंबई में सरकारी स्थानों पर जमकर बमबाजी की. Tags: Amrit Mahotsav, Freedom fighters, Freedom Movement, Freedom Struggle, Freedom Struggle Movement, Independence भारत छोड़ो आंदोलन कब और क्यों हुआ?यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण क्या है?भारत छोड़ो आंदोलन के कारण:
आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था। द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त समर्थन करने की मंशा को भारतीय राष्ट्रीय काँन्ग्रेस द्वारा सही से न समझा जाना।
भारत छोड़ो आंदोलन का दूसरा नाम क्या है?Solution : भारत छोड़ो आंदोलन को 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था।
भारत छोड़ो आंदोलन का क्या महत्व है?Solution : भारत छोड़ो आंदोलन की विशेषता यह थी कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अन्य सभी प्रमुख नेता जेलों मे बंद थे। अतः इसे समाजवादियों तथा नौजवानों के नेतृत्व ने सफलतापूर्वक चलाया जिसने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब जाग गया है। अब इसे स्वतंत्र होने से नही रोका जा सकता।
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