वस्तुनिष्ठ Show प्रश्न 1. 2. सत्याग्रह निम्नलिखित में से क्या था ? 3. चौरी-चौरा कांड किस वर्ष हुआ 4. कुछ घटनाएँ नीचे दी गई हैं। उचित कालक्रमानुसार क्रम का चयन कीजिए 5. किस घटना से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत हुई 6. पूना पैक्ट किन दो
नेताओं के मध्य हुआ? 7. निम्नलिखित में से किसने ‘वन्देमातरम्’ लिखा? 8. निम्न में से किसने आन्दोलन से प्रेरित होकर भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए: 2. ………. आंदोलन जनवरी, 1921 में प्रारंभ हुआ। 3. फरवरी माह, 1992 ई. में ………. कांड हुआ। 4.
………. को गांधी-इरविन समझौता हुआ। 5. ………. ने भारत माता की छवि को चित्रित किया। अति लयूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्म 15. प्रश्न 16.1 प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11.
प्रश्न 12. प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19.
प्रश्न 20. प्रश्न 21.
प्रश्न 22,
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2) प्रश्न 1.
प्रश्न 2. 2. फसल खराब हो जाने एवं प्लेग की महामारी के कारण गुजरात के खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की स्थिति में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाये। – जी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने 1917 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। 3. अहमदाबाद के सूती कपड़ा मिलों के मजदूर अपनी कठोर सेवा शतों से परेशान थे। गाँधीजी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने सन् 1918 ई. में अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह का आयोजन किया। प्रश्न 3. इस आशय की खबर फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक कठोर सन्धि थोपी जायेगी। इस प्रकार से खलीफा को अपमानित किये जाने से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया। मोहम्मद अली व शौकत अली इसके प्रमुख नेता थे। गाँधीजी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाँधीजी ने दूसरे अन्य नेताओं को खिलाफत आन्दोलन का समर्थन करने एवं स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू करने का आह्वान किया। राष्ट्रीय आन्दोलन में खिलाफत आन्दोलन का बहुत अधिक महत्त्व था। इस आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की तथा हिन्दू व मुसलमानों में एकता स्थापित की। मुसलमानों ने भी असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रश्न 4. असहयोग का विचार आन्दोलन कैसे बन सकता था? गाँधी जी का सुझाव था कि यह आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। सर्वप्रथम लोगों को सरकार द्वारा दी गई उपाधियाँ लौटा देनी चाहिए तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए, यदि ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर दमन का रास्ता अपनाती है तो व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन खत्म कर दिया जाए। प्रश्न 5. जवाहरलाल नेहरू ने अनेक गाँवों का दौरा कर किसानों को असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित करने का प्रयास किया। 1921 में जब असहयोग आन्दोलन फैला तो तालुकदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे। आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में फैले आन्दोलन का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू कर रहे थे। उन्होंने लोगों को खादी पहनने एवं शराब छोड़ने को प्रेरित किया। प्रश्न 6.
प्रश्न
7. 6 अप्रैल, 1930 ई. को गाँधीजी दांडी पहुँचे तथा समुद्री पानी को उबालकर नमक बनाकर उन्होंने नमक कानून को तोड़ा। यहीं से सविनय आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना-गाँधीजी द्वारा प्रारम्भ सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना में निम्नलिखित बातें सम्मिलित थीं
प्रश्न 8. उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अतः राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उसकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए एवं संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 1. 2. कीमतों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वस्तुओं की कीमतें लगभग दो गुनी हो चुकी थीं। बढ़ती हुई कीमतों के कारण आम जनता की कठिनाइयाँ बढ़ गयीं और उनका जीवन निर्वाह करना भी कठिन हो रहा था। 3. सैनिकों की बलपूर्वक भर्ती-प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को अधिक से अधिक सैनिकों की आवश्यकता थी। अतः गाँवों में भारतीय युवाओं को सेना में बलपूर्वक भर्ती किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया। 4. दुर्भिक्ष और महामारी का प्रकोप-वर्ष 1918-1920 व 1920-1921 में देश में खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गई। उसी समय देशभर में फ्लू की महामारी फैल गयी। दुर्भिक्ष व महामारी के कारण 120-130 लाख भारतीय मौत के मुँह में समा गए। 5. जनता की आकांक्षाएँ पूरी न होना-भारतीय जनता को यह आशा थी कि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् उसके कष्टों एवं कठिनाइयों का अन्त हो जायेगा परन्तु उनकी आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुई। इस कारण भी भारतीयों में घोर असन्तोष फैला हुआ था। प्रश्न 2. सत्याग्रह का अर्थ यह था कि यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है, तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का भारत में राष्ट्रवाद 45 सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। सत्याग्रह के लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्रु को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाए सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है। गाँधीजी का विश्वास था कि अहिंसा का यही मार्ग सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है। गाँधीजी के अहिंसावादी गुणों के कारण उनके साथ विद्यार्थी, शिक्षक, वकील, किसान, उद्योगपति, श्रमिक व सभी जाति, धर्मों के लोग जुड़ गये और उनके आन्दोलन ने जन आन्दोलन का रूप ले लिया। प्रश्न 3. गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध-गाँधीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये। दुकानों को बन्द कर दिया गया। ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति-गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई। अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किया गया। पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दीं। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए भी एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धाधुन्ध गोलाबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये व हजारों की संख्या में घायल हो गये। प्रश्न 4. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जबरन सेना में भर्ती करने के कारण बहुत अधिक रोष व्याप्त था। सन् 191819 एवं 1920-21 में देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गयी थी, जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव उत्पन्न हो गया था। दुर्भिक्ष एवं फ्लू की महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। लोगों को ऐसी उम्मीद थी कि विश्वयुद्ध की समाप्ति से उनकी मुसीबत कम होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 2. गाँधीजी की दक्षिण अफ्रीका से वापसी एवं सत्याग्रह: 3. रॉलेट एक्ट: 4. जलियाँवाला बाग की घटना: आन्दोलन वापस लेने के कारण निम्नलिखित थे: 2. फरवरी: 3. आन्दोलन यापन लेने का: प्रश्न 5. पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म हो और दमनकारी ज़मींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। बहुत सारे स्थानों पर ज़मींदारों को नाई-धोबी की सुविधाओं से भी वंचित करने के लिए पंचायतों ने नाई-धोबी कार्य बन्द करने का फैसला लिया। भारत में राष्ट्रवाद (47) जून, 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गाँवों का दौरा किया, गाँव वालों से बातचीत की और उनकी व्यथा समझने का प्रयास किया। अक्टूबर तक जवाहर लाल नेहरू, बाबा रामचन्द्र तथा कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन कर लिया गया। महीने भर में इस पूरे इलाके के गाँवों में संगठन की 300 से ज्यादा शाखाएँ बन चुकी थीं। अगले साल जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो कांग्रेस ने अवध के किसान संघर्ष को इस आन्दोलन में शामिल करने का प्रयास किया लेकिन किसानों के आन्दोलन में ऐसे स्वरूप विकसित हो चुके थे जिनसे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नहीं था। प्रश्न 6. इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य न होने के कारण 1928 ई. में इस कमीशन के भारत पहुँचने पर उसका स्वागत साइमन कमीशन वापस जाओ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। इस तरह यह कमीशन भारतीय लोगों एवं नेताओं की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। 2. पूर्ण स्वराज की माँग: उस दिन लोग पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे। परन्तु इस उत्सव की ओर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया। अत: महात्मा गाँधी को स्वतन्त्रता के इस अमूर्त विचार को दैनिक जीवन के ठोस मुद्दे से जोड़ने के लिए कोई और रास्ता ढूँढ़ना था। 3. गाँधीजी की 11 माँगें: लॉर्ड इरविन ने गाँधीजी की शर्ते मानने से इन्कार कर दिया फलस्वरूप गाँधीजी ने अपने विश्वासपात्र 78 स्वयंसेवकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से दांडी तक यात्रा की। गाँधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत थी। 4. आर्थिक कारण: प्रश्न 7. 2. चिह्न एवं प्रतीक: इस तिरंगे झण्डे में ब्रिटिश भारत के आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल तथा हिन्दुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता हुआ एक अर्धचन्द्र दर्शाया गया था। 1921 ई. तक गाँधीजी ने भी स्वराज का एक झण्डा तैयार कर लिया था, यह भी तिरंगा था, इसमें सफेद, हरा व लाल रंग था। इस झण्डे के मध्य में गाँधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलम्बन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था। 3. लोक कथाएँ एवं गीत: बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लोक कथा गीतों, बाल गीतों एवं मिथकों का संग्रह करने का प्रयास किया। उन्होंने लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। मद्रास में नटेसा शास्त्री ने ‘द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इण्डिया’ के नाम से तमिल लोक कथाओं का विशाल संग्रह चार खण्डों में प्रकाशित किया। उनका मत था कि लोक कथाएँ राष्ट्रीय साहित्य होती हैं। यह लोगों के वास्तविक विचारों एवं विशिष्टताओं की सबसे विश्वसनीय अभिव्यक्ति हैं। 4. इतिहास की पुनर्व्याख्या: उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अत: राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उनकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। स्रोत पर आधारित प्रश्न दिए गए स्रोत को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के ज़रिए उन्हें वे अधिकार मिल सकते हैं जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिल पाते हैं इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया। आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज़्यादा नाटकीय रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था। उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया। जब बहिष्कार आंदोलन फैला और लोग आयातित कपड़े को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. मानचित्र कार्य 1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
अंकित कीजिए- 2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए- 3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए- 4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिएअंकित कीजिए- 5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को 6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में
निम्नलिखित को अंकित कीजिए- 7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए- 8. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए 9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए 10. भारत के रेखा मानचित्र में भारत के राष्ट्रवाद से जड़े अंकित कीजिए किन्हीं दो स्थलों को दर्शाइए। 11. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को 12. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए 13. दिए गए भारत के रेखा मानत्रित मानचित्र मेंनिम्नलिखित को अंकित कीजिए
1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
8. दिए गए भारत के रेखा मानचिन्न में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
10. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
JAC Class 10 Social Science Important Questionsअसहयोग आंदोलन शुरू करने का मुख्य कारण क्या था?अंग्रेजों के अत्याचार के राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन शुरू किया था। अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित अन्यायपूर्ण कानूनों और कार्यों के विरोध में देशव्यापी अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना बंद कर दिया था।
2 असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था?में पंजाब और तुर्की के साथ हुए अन्यायों का प्रतिकार और स्वराज्य की प्राप्ति के उद्देश्य से असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हुआ जिसके कारण निम्नलिखित हैं- (i)खिलाफत का मुद्दा | (ii)पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंततः (iii)स्वराज की प्राप्ति करना ।
असहयोग आंदोलन का कारण और परिणाम क्या है?असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम (asahyog andolan ke karyakram) –
(1) स्वदेशी उद्योगों, शिक्षा संस्थानों, अदालतों की स्थापना करना! (2) ब्रिटिश उपाधियों, वस्तुओं, स्कूलों, अदालतों, काउंसिल आदि का बहिष्कार करना! (3) हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना! (4) चरखा एवं कताई-बुनाई का प्रचार करना!
असहयोग आंदोलन की असफलता के क्या कारण थे?असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारण गाँधी जी का एकमात्र प्रभाव - असहयोग आन्दोलन की विफलता का मूल कारण यह था कि इस आन्दोलन का प्रस्ताव पारित होने का आधार कांग्रेस के नेताओं की सर्वसम्मति न होकर केवल गाँधी जी का प्रभाव मात्र था। प्रस्ताव पर मतभेद के फलस्वरूप कांग्रेस के अनेक नेता अन्त तक इस आन्दोलन से अलग ही रहे।
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