बॉडी में CO2 बढ़ने से क्या होता है - bodee mein cho2 badhane se kya hota hai

बॉडी में CO2 बढ़ने से क्या होता है - bodee mein cho2 badhane se kya hota hai

आज के समय में बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों को कई गंभीर बीमारियों का शिकार बना रहा है। बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़े, हार्ट और शरीर की श्वसन प्रणाली पर बुरा असर देखने को मिल रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से न सिर्फ आप बीमारियों के शिकार हो रहे हैं बल्कि कई बार लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा हो सकता है। सामान्य रूप से सांस लेते समय हवा में मौजूद ऑक्सीजन को हम अंदर लेते हैं और शरीर के अंदर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकालते हैं। प्रदूषित हवा में सांस लेने से आपके शरीर में सांस के जरिए कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिक मात्रा पहुंचती है और इसकी वजह से शुरुआत में आपको सांस लेने में तकलीफ, सिर में दर्द और भारीपन, बेहोशी और घबराहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए शरीर में ऑक्सीजन के साथ-साथ कार्बन डाई ऑक्साइड की भी संतुलित मात्रा बनी रहनी चाहिए। लेकिन जब शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है तो इसकी वजह से आपके हार्ट, फेफड़े और शरीर के अंदरूनी अंगों को बहुत नुकसान होता है। शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने की समस्या को मेडिकल की भाषा में हाइपरकेपनिया (Hypercapnia in Hindi) कहा जाता है। आइये जानते हैं शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर होने वाली समस्याएं और इसके लक्षण व इलाज के बारे में। 

क्या है हाइपरकेपनिया की समस्या? (What is Hypercapnia in Hindi)

हाइपरकेपनिया उस स्थिति को कहते हैं जिसमें आपके खून में कार्बन हाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। यह समस्या अक्सर हाइपोवेंटिलेशन या सांस द्वारा अधिक मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड को अंदर लेने के कारण होती है। इसकी वजह से आपके फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है और इसकी वजह से कई अन्य गंभीर समस्याएं होने लगती हैं। केएमसी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. संदीप के मुताबिक कुछ लोगों में फेफड़ों में खराबी और सांस से जुड़ी समस्या होने के कारण भी हाइपरकेपनिया की स्थिति हो सकती है। शुरुआत में शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर हल्के लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है वैसे ही आपके लक्षण भी गंभीर होने लगते हैं।

बॉडी में CO2 बढ़ने से क्या होता है - bodee mein cho2 badhane se kya hota hai

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शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के कारण (Hypercapnia Causes in Hindi)

शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने की समस्या जिसे हाइपरकेपनिया के नाम से जाना जाता है, कई कारणों से हो सकती है। आमतौर पर यह समस्या सांस के जरिए अधिक मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड को अंदर की तरफ लेने से होती है लेकिन इसके अलावा कई अन्य कारण भी हैं जो इसके लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। हाइपरकेपनिया या शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के पीछे ये कारण प्रमुखता से जिम्मेदार माने जाते हैं।

  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के कारण हाइपरकेपनिया की समस्या।
  • क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के कारण शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ना।
  • स्लीप एप्निया या नींद से जुड़ी अन्य बीमारियों के कारण।
  • प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से।
  • तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के कारण।
  • ब्रेनस्टेम स्ट्रोक की वजह से।
  • कुछ दवाओं के ओवरडोज के कारण हाइपरकेपनिया की समस्या।

हाइपरकेपनिया के लक्षण (Hypercapnia Symptoms in Hindi)

शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर आपको कई समस्याएं हो सकती हैं। इसकी वजह से आपको सिर में भारीपन, चक्कर आना, अत्यधिक थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं। समस्या गंभीर होने पर ये समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। हाइपरकेपनिया की समस्या होने पर दिखाई देने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।

  • सिर में दर्द और भारीपन।
  • चक्कर आना।
  • अत्यधिक थकान महसूस होना।
  • दिमाग केंद्रित न होना।
  • सांस लेने में तकलीफ।
  • उलझन और बेचैनी महसूस होना
  • अनियमित दिल की धड़कन।
  • स्ट्रोक की समस्या।

हाइपरकेपनिया की वजह से होने वाली समस्याएं (Hypercapnia Complications in Hindi)

हाइपरकेपनिया या शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर आपको कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। अगर लंबे समय तक इस समस्या का इलाज नहीं किया जाता है तो यह आपके फेफड़ों और हार्ट पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर आपके फेफड़ों तक उचित मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है। जब कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा आपके ब्लड में बढ़ जाती है तो इससे ब्लड का pH मान भी असंतुलित हो जाता है। हाइपरकेपनिया की समस्या कुछ दवाओं के ओवरडोज के कारण भी हो सकती है। मरीजों में ज्यादा दिनों तक इस समस्या के बने रहने के कारण उन्हें लंग फेलियर का भी खतरा बना रहता है। इसकी वजह से आपके दिल की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है और आपको ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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हाइपरकेपनिया का इलाज और बचाव (Hypercapnia Treatment And Prevention in Hindi)

शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढना या हाइपरकेपनिया की समस्या का इलाज करने से पहले डॉक्टर इसके कारणों के बारे में जानकारी लेते हैं। इसके लिए आपको कई तरह की जांच का सुझाव दिया जाता है। कारणों का पता चलने पर डॉक्टर उसे दूर करने के लिए इलाज करते हैं। मैकेनिकल वेंटिलेशन और ऑक्सीजन सपोर्ट के माध्यम से मरीजों का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा मरीजों को कुछ दिनों तक दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है। गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी और सर्जरी का भी सहारा लिया जाता है। जिन मरीजों के फेफड़ों को इसकी वजह से अधिक नुकसान होता है उन्हें सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

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शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से रोकने के लिए आपको अपनी जीवनशैली और खानपान में सुधार करना चाहिए। इस समस्या से बचने के लिए धूम्रपान से दूरी बनानी चाहिए। इसके अलावा वजन को संतुलित रखने से आपको हाइपरकेपनिया का खतरा कम होता है। हवा में मौजूद प्रदूषित कणों को सांस के माध्यम से फेफड़ों तक जाने से रोकने के लिए आपको फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।

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शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से क्या होता है?

ऐसे में हम सांस के जरिये अधिक मात्रा में सीओ2 लेने लगते हैं। जिससे हमारे रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में हमारे दिमाग तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन भी कम हो जाती है। जिसके चलते हमें नींद आने लगती है।

Co2 की अधिकता के लिए क्या जिम्मेदार है?

कार्बन डाई ऑक्साइड को सबसे प्रमुख मानव जनित ग्रीनहाउस गैस माना जाता है और उसे पिछले कुछ दशकों से धरती के तापमान को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जीवाश्म ईंधन मसलन कोयला, तेल और गैस के जलने से मुख्यतौर पर कार्बन का उत्सर्जन होता है.

Co2 कौन सा गैस है?

कार्बन डाइ ऑक्साइड (अंग्रेजी:carbon dioxide; रासायनिक सूत्र CO2), एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है।

कार्बन डाइऑक्साइड को कम कैसे करें?

वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे ही कार्बन बढ़ते हैं, पेड़ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते हैं जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा कम होती है. वे इस बात पर जोर देते हैं कि नए वृक्षारोपण की तुलना में पुराने पेड़ ज्यादा प्रभावी होते हैं.