बॉडी लैंग्वेज के बारे में क्या सच है? - bodee laingvej ke baare mein kya sach hai?

बॉडी लैंग्वेज अपने आप में एक भाषा है। यह भाषा क्या है, इसे कैसे पढ़ा जा सकता है, बता रहे हैं सौरभ सुमन

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हमारे आस-पास कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, जबकि कुछ लोग इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं। हमारे दिमाग में चलता बहुत कुछ है, लेकिन अपनी हर बात को शब्दों में बयां नहीं कर पाते। कभी-कभी हमारी बॉडी लैंग्वेज काफी कुछ बयां कर देती हैं। यह बात हर कोई आसानी से नहीं समझ पाता है। सामने वाले इंसान के भीतर चल रहे विचार, सोच और इरादों की परख कुछ ही लोगों को होती है। ऐसे लोग इंसान की मानसिकता को समझने में ज्यादा गलतियां नहीं करते। कह सकते हैं, इन्हें किताबों की तरह इंसानों को पढ़ना बखूबी आता है।

क्या है बॉडी लैंग्वेज

बॉडी लैंग्वेज यानी हाव-भाव एक तरह की शारीरिक भाषा है, जिसमें शब्द तो नहीं होते, लेकिन बिना कुछ कहे अपनी बात कह जाते हैं। बॉडी लैंग्वेज एक तरह से इंसान के व्यक्तित्व का आईना होती है। जैसे किताब के हर पन्ने में अलग-अलग बातें होती हैं, उसी तरह हाव-भाव के पीछे भी अलग-अलग अर्थ छिपे होते हैं। शरीर की भाषा किसी के रवैये और उसकी मन की स्थिति के अनुरूप हो सकती है। मसलन, आक्रामकता, मनोयोग, ऊब, मनोरंजन और सुख सहित अन्य कई भाव दे सकती है। खास बात है कि मनुष्य अंजाने में शरीर के माध्यम से संकेत भेजता भी है और समझता भी है। 

शरीर की मुद्रा

शरीर की अलग-अलग अवस्था इंसान के चरित्र और व्यक्तित्व की सबसे बड़ा संकेत है। संतुलित और सीधी अवस्था आत्मविश्वास और खुद से आश्वस्त होने का संकेत है। इसी तरह बैठने की अवस्था भी बॉडी लैंग्वेज का मूलभूत हिस्सा है। बैठने के दौरान आगे की ओर झुक कर बैठना आपके मित्रवत होने का संकेत है। अगर कोई अपना सिर उठाते समय मुस्कुराता है तो वह शख्स स्वभाव से चंचल मन हो सकता है या फिर मजाकिया हो सकता है। सिर नीचे झुकाता हुआ शख्स कुछ छिपा रहा होता है।

चेहरे का भाव

अधिकांश लोगों के लिए बॉडी लैंग्वेज चेहरा का अध्ययन करना है। चेहरे पर का भाव भी अपनी नाराजगी, खुशी, जलन, चिंता और चंचलता को सामने ला देता है। हर दिन ऐसे कई मौके होते हैं, जब लोग अपनी प्रतिक्रिया अपने चेहरे पर बने प्रतिबिम्ब से दे देते हैं। अगर कुछ पसंद नहीं आ रहा हो तो नाक सिकोड़ते हैं। बच्चे नाराज हों तो मुंह फुला लेते हैं। 

आंखों से बात

निश्चित रूप से आंख अभाषिक रूप सब कुछ कह देने वाला बड़ा माध्यम है। चाहे कम हो या ज्यादा, किसी भी इंसान को समझने के लिए बिना जाने या समझे उसकी आंखों में झांकते हैं। मानव में यह स्वभाव जन्म से ही होता है। आंख के द्वारा न सिर्फ इंसान के मूड को पढ़ा जा सकता है, बल्कि उसके अन्दर क्या चल रहा है, उसे भी अच्छी तरह से समझा जा सकता है।

बॉडी लैंग्वेज के संकेत

तरोताजा होने के साथ सीधा खड़ा रहना-आत्म विश्वास
हिप्स पर हाथ रख कर खड़ा रहना-तैयार व आक्रामक
पैर पर पैर चढ़ा कर बैठना- उचाट दिखना
पैर फैलाकर बैठना- आराम की मुद्रा
छाती पर बांह पर बांह फंसाना-बचाव की मुद्रा
पॉकेट में हाथ डालकर चलना-उदासी
गाल पर हाथ रखना- चिंता व सोचना
नाक को थोड़ा-थोड़ा छूना और रगड़ना - अस्वीकृति, शंका
आंख रगड़ना- शंका व अविश्वास
दोनों हाथों पर गाल टिकाना और नीचे देखना - उचाट दिखना

जरा गौर करें

अनुमान है कि इंसान चेहरे पर 2,50,000 हाव-भाव उत्पन्न कर सकता है।
झूठ बोलने वाला इंसान नजरें मिलाकर बात नहीं कर सकता।
कभी भी तेजी से बोलने वाले सेल्समैन पर भरोसा न करें।
परखी गयी बॉडी लैंग्वेज हमेशा सही नहीं होती, इसलिए प्रतिक्रिया देने से पहले सोच समझ लें।
किसी को सिर्फ उसकी बॉडी लैंग्वेज से जज करना सही नहीं है।

अक्सर हम जो कहते हैं, यानी बात करते हैं, लोग उसका सिर्फ 50 प्रतिशत ही सुनते हैं। या यूं कहें कि उतना ही सुनते हैं, जितना उन्हें सुनना होता है। यूसीएलए के प्रोफेसर एलबर्ट मेहराबियान के अनुसार, ‘किसी की बात को समझने में 55 प्रतिशत सहायता उसकी बाॅडी लैंग्वेज यानी शारीरिक प्रतिक्रयाएं करती हैं।’ शायद इसीलिए शारीरिक भाषा या प्रतिक्रया को जानने-समझने का इतना लंबा-चौड़ा इतिहास रहा है। 

शारीरिक भाषा में पहली एकेडमिक इन्वेस्टीगेशन किसी और ने नहीं बल्कि चार्ल्स डार्विन ने लिखी थी। उनकी ‘द एक्सप्रेशन ऑफ द इमोशंस इन मैन एंड एनिमल्स’ किताब 1872 में प्रकाशित हुई थी। 

संकेत जो बताते हैं कि आपकी बॉडी मांग रही है मदद

पिछली कई सदियों में विज्ञान ने शरीर की भाषा के बहुत सारे सामाजिक अर्थों को समझने के लिए, कई सारे कदम उठाए, कई शोध किए। जिनके परिणामस्वरूप हमने इस दिशा में काफी प्रगति भी की। उनमें से यहां बताए जा रहे यह 17 निष्कर्ष जिन्हें मनोविज्ञान टुडे, कुछ शोध पत्रिकाओं और कुछ बेहद खास किताबों से लिया गया है, सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। 

Table of Contents

बॉडी लैंग्वेज के बारे में क्या सच है? - bodee laingvej ke baare mein kya sach hai?

  • कंधे उचकाना यानी ‘न जाने क्या चल रहा है बताने का एक यूनिवर्सल चिह्न
  • खुली हथेलियां, प्राचीन काल से ही ईमानदारी का बेहतरीन प्रदर्शन मानी जाती रही हैं
  • बंद हथेली के साथ पॉइंटेड उंगली, प्रभुत्व प्रदर्शित करने का प्रयास दर्शाती है
  • झूठी मुस्कान को समझने के लिए आंखों के चारों ओर बनने वाले घेरे या लाइनों को समझना
  • चढ़ी या उठी हुई भौंहें अक्सर असुविधा का संकेत देती हैं
  • बात करते समय आवाज के उतार-चढ़ाव से व्यक्ति की रुचि का पता चलता है
  • अगर वे आपकी बॉडी लैंग्वेज को मिरर कर रहे हैं, तो समझ लीजिए, बातचीत सही दिशा में है
  • आंखों में देखकर बात करना रुचि दर्शाता है, लेकिन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों
  • यदि वह आंखों में देर तक देखें- तो आप समझ जाना कि वो झूठ बोल रहे हैं
  • एक व्यापक मुद्रा व्यक्ति की शक्ति और उपलब्धि की भावना का संकेत देती है
  • पैर क्रॉस करके बैठना, बातचीत में बुरा संकेत
  • संकेतों की अधिकता फीलिंग्स का असली कनेक्शन दिखाती है
  • यदि वे आपके साथ हंस रहे हैं, तो वे शायद आप में हैं
  • जकड़ा हुआ जबड़ा, कसी हुई गर्दन या पीछे की ओर तनी हुई भौंह, तनाव को दर्शाती हैं
  • अहंकारी शारीरिक मुद्राएं यानी नेतृत्व का प्रदर्शन
  • पैर हिलाना यानी मन का अस्थिर होना
  • क्रॉस्ड हाथ Crossed Arm हमारे रक्षात्मक रवैये को दर्शाता है

1. कंधे उचकाना यानी ‘न जाने क्या चल रहा है!’ बताने का एक यूनिवर्सल चिह्न 

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‘द डेफिनेटिव बुक ऑफ बाॅडी लैंग्वेज’ के लेखक- बारबरा पीज और एलेन पीज के अनुसार, ‘यह कंधे उचकाना तो आजकल हर कोई करता है।’ एक्चुअली कंधे उचकाना या उचकाकर कुछ बोलने का तरीका इस युनिवर्सल इशारे का अच्छा उदाहरण है, जिसका उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि, ‘वह नहीं जानता कि आप क्या कह रहे हैं?’ कम शब्दों में कहें, तो जो कुछ भी चल रहा है, उससे अनभिज्ञता जाहिर करने का यह सबसे आम या प्रयोग में लाया जाने वाला तरीका है। ‘व्हाटसएप’ की कंधे उचकाती वो लड़की की इमोजी तो याद ही होगी आपको? बस वैसा ही कुछ। 

पीज आगे बताते हैं, ‘हाथों को खुले रखना, इससे ये पता लगता है कि हाथों में कुछ भी छिपा नहीं है, उठे हुए कंधे, जिससे गले पर होने वाले अटैक को रोका जा सके और चढ़ी हुई भौहें। बॉडी की इस स्थिति को एक विनम्र ग्रीटिंग माना जाता है।’ 

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2. खुली हथेलियां, प्राचीन काल से ही ईमानदारी का बेहतरीन प्रदर्शन मानी जाती रही हैं

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आपने कभी ध्यान दिया है कि, जब कोई अदालत में सच्चाई बताने की कसम खाता है, तो वे एक हाथ धार्मिक किताब पर रखते हैं, और दूसरा हाथ हवा में उठाते हैं, हथेली को सामने रखते हुए, जो भी वो बोल रहे होते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि खुली हथेली को ‘सत्य, निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण’ से जोड़ा जाता है। उसका प्रतीक माना जाता है। इस बात का जिक्र पीज ने अपनी किताब में भी किया है। 

इसे इस तरह से आसानी से समझा जा सकता है, कि एक कुत्ता अपनी दुम हिलाकर अपने मालिक के प्रति अपना प्रेम जाहिर करता है। जिससे सामने वाले को यह भी पता चल जाता है कि वह काटेगा नहीं, उसी प्रकार मनुष्य अपनी हथेलियों को सामने रखकर या दिखाकर यह बताने की कोशिश करते हैं, कि वह निहत्थे हैं, और आपको उनसे कोई खतरा नहीं है। 

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3. बंद हथेली के साथ पॉइंटेड उंगली, प्रभुत्व प्रदर्शित करने का प्रयास दर्शाती है

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यदि कोई अपनी हथेली बंद करके, तर्जनी को सामने वाले को पॉइंट करके इशारा कर रहा है, या कुछ कह रहा है। तो यह स्थिति उसके प्रभुत्व प्रदर्शन का प्रतीक मानी जाती है। हो सकता है, उस समय वह सामने वाले पर हावी होने की कोशिश न कर रहा हो, बस अपनी बात को पूरे ‘वजन’ के साथ रखने की कोशिश भर कर रहा हो। लेकिन फिर भी यहां पर डाॅमिनेंस Dominance प्रदर्शन की बात मानी जाएगी। 

4. झूठी मुस्कान को समझने के लिए आंखों के चारों ओर बनने वाले घेरे या लाइनों को समझना

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मुस्कुराना। वो भी किसी के कहने पर!! ... कितना मुश्किल होता है न? तभी तो फैमिली फोटो में मुस्कुराते चेहरे इतने नकली लगते हैं! सही कहा न? 

दरअसल, चहकती या चटकीली मुस्कान के पीछे का जो रहस्य होता है, वो हमारी आंखों में छुपा होता है। जब हम खुशी से मुस्कुरा रहे होते हैं, तो हमारी आंखे भी हंसती हैं। खिलखिलाती हंसी के पीछे की सच्चाई अक्सर किसी को बताने की जरूरत नहीं पड़ती। तभी तो जो हमें करीब से, अच्छे से जानते हैं, वे पूछ बैठते हैं, सच-सच बता क्या बात है? तू हंस रही है! पर तेरी आँखें उदास हैं। 

ये तब होता है, जब हम फेक स्माइल यानी झूठी हंसी ओढ़ते हैं। अगर कोई सिर्फ खुश दिखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन है नहीं! तो उसकी बाॅडी लैंग्वेज, आंखो आदि से इसे समझ पाना कोई राॅकेट साइंस नहीं। बस, आपका अवचेतन मन जागृत होना चाहिए। 

5. चढ़ी या उठी हुई भौंहें अक्सर असुविधा का संकेत देती हैं

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जिस तरह ‘रियल मुस्कुराहट’ का पता हमारी आंखोें में छिपा होता है, ठीक उसी तरह, आपकी या आपके मन की बेचैनी का पता आपकी चढ़ी हुई या तनी हुई भौंहे दे देती हैं। युनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेटस के प्रोफेसर, सुसान क्रूस व्हिटबाॅर्न के अनुसार, ‘चिंता, आश्चर्य या डर की स्थिति में लोगों की भौंहों का आकार बदल जाता है। मसलन वो चढ़ी हुई, तनी हुई या सिकुड़ी हुई होती हैं।’ इसलिए अगली बार जब आपके नए हेयर कट या आउटफिट की तारीफ आंखे चमकाते हुए, लेकिन भौंहे चढ़ाकर करें, तो आप ऐसे काॅम्प्लिमेंट को गंभीरता से न लीजिएगा। 

6. बात करते समय आवाज के उतार-चढ़ाव से व्यक्ति की रुचि का पता चलता है

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पता नहीं, आप इस बात को जानती हैं या नहीं? लेकिन हमारी आवाज का उतार-चढ़ाव, बोलने का तरीका या बोलते समय बातों पर दिया जाने वाला जोर, बातचीत में हमारी रुचि को प्रदर्शित करता है। किस बात को हम रुचि लेकर सुन रहे हैं, और किस बात को ऐसे ही बस करने के लिए! यह सब हमारे टोन या तरीके से पता चलता है। 

7. अगर वे आपकी बॉडी लैंग्वेज को मिरर कर रहे हैं, तो समझ लीजिए, बातचीत सही दिशा में है

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दो लोगों में जब बातचीत हो रही होती है। तो कभी आप भी दूर रहकर बस नोटिस कीजिए। बातचीत के दौरान प्रयोग किए जाने वाले जेस्चर, तरीके, हाथों या मुंह के मूवमेंट हर चीज से आपको बातचीत का नेगेटिव या पॉजिटिव पहलू, सब समझ आएगा। चाहे फिर आप उस बारे में कुछ जानती हों या नहीं। 

कहने का अर्थ है- कि जब दो लोग आपस में बात कर रहे होते हैं, तो उनकी मुद्राएं और चाल एक दूसरे का दर्पण होती हैं। यदि हमारी सहेली पैर क्राॅस करके बैठती है, तो हम भी बैठ जाते हैं। सकारात्मक मनोवैज्ञानिक बारबरा फ्रेडरिकन कहती हैं, ‘जब दो लोग एक दूसरे से कनेक्शन फील करते हैं, या उनमें किसी भी तरह का सकारात्मक जुड़ाव होता है, तब ऐसा होता है। तब हम एक दूसरे को मिरर करते हैं।’

8. आंखों में देखकर बात करना रुचि दर्शाता है, लेकिन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों 

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हो सकता है, यह आपने भी कई बार महसूस किया हो, कि जब कोई व्यक्ति सीधे हमारी आंखों में देखकर बात करता है, तो कुछ देर के लिए हम असहज महसूस करने लगते हैं। दरअसल- जब हम किसी की आंखों में देखते हैं, तो शरीर में एक उत्तेजनापूर्ण स्थिति पैदा होती है। इसी से हम असहजता महसूस करते हैं। हालांकि इस उत्तेजना की व्याख्या कैसे की जाए? यह पूरी तरह उस बातचीत में लिप्त लोगों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कहना है क्लेयरमोंट मैककेना कॉलेज के मनोवैज्ञानिक रोनाल्ड ई रिगियो का। वह आगे कहते हैं, ‘किसी अजनबी द्वारा घूरे जाने पर जहां ऐसा आई कॉन्टैक्ट डर या भय का माहौल बनाता है, और हमें सचेत होने के संकेत देता हैं। वहीं, एक संभावित यौन साथी को टकटकी लगाकर देखने से जो उत्तेजना शरीर में पैदा होती है, उसकी व्याख्या प्यार के सकारात्मक रूप में की जा सकती है।’

9. यदि वह आंखों में देर तक देखें- तो आप समझ जाना कि वो झूठ बोल रहे हैं

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कभी-कभी बड़ी देर तक टकटकी लगाए जब कोई आपको देखता ही जाए, तो हर बार यह प्यार का इजहार ही है। ऐसा समझने की गलती न करें। क्योंकि- कुछ लोंगों को इस जेस्चर का इस्तेमाल करके झूठ बोलने में महारत हासिल होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उन्हें यह पता होता है, कि उनकी यह टकटकी या बिना पलकें झपकाए देखने का अंदाज आपको असहज करता है। आप विचलित महसूस करती हैं। इसलिए अगली बार ऐसे चमकदार आंखों वाले किसी से भी धोखा खाने से पहले, बाॅडी लैंग्वेज को समझने करने का प्रयास जरूर करें। याद रखें- ऐसे लोग बेहद स्थिर होकर देखते हैं, बिना पलक झपकाए। 

10. एक व्यापक मुद्रा व्यक्ति की शक्ति और उपलब्धि की भावना का संकेत देती है

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व्यक्त खुद को कैसे संभालता या प्रेजेंट यानी प्रस्तुत करता है! यह इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण होता है, कि वह कैसा महसूस कर रहा है। हार्वर्ड के प्रोफेसर एमी कडडी के अनुसार, व्यक्ति की व्यापक मुद्रा और सहज अप्रोच उसके बढ़े हुए टेस्टोस्टेरोन और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यदि वे आराम से रिलैक्स होकर बैठते हैं, तो वह आत्मविश्वास से लबरेज, शक्तिशाली और नियंत्रित महसूस कर रहे होते हैं। इसी तरह अनुसंधान बताते हैं, कि जो लोग जन्म से देख नहीं सकते उनकी भी बाॅडी लैंग्वेज होती है। यदि वे कोई फिजिकल प्रतियोगिता जीतते हैं, तो हवा में वी यानी विक्टरी के शेप में अपने हाथ उठाकर खुशी का इजहार करते हैं। 

इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति परेशान या तनावग्रस्त होता है, तो अपनी आहों को अपने बाॅडी के चारों ओर लपेट लेता है। इस मुद्रा यानी तनाव के दौरान शरीर में कार्टिसोल हार्मोन बढ़ जाता है। 

11. पैर क्रॉस करके बैठना, बातचीत में बुरा संकेत

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अक्सर हमने देखा होगा, बचपन में हमारे बड़े हमें पैर क्राॅस करके बैठने को मना करते थे। उसका कारण ही यही था, कि इसे एक ‘निगेटिव साइन ऑफ बाॅडी लैंग्वेज’ माना जाता है। वैसे भी, आपने मार्क किया होगा, कि हमारे सामने भी जब कोई कुर्सी पर, पीछे की ओर टेक लेकर पैरों को क्राॅस करे आराम से बैठता है, तो उसे देखकर ही समझ आ जाता है, कि यहां बातचीत का आगे बढ़ पाना मुश्किल है। 

मनोवैज्ञानिक रूप से भी, क्राॅस किए गए पैरों का संकेत एक व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से बंद होने से लगाया जाता है। जिसका अर्थ है- कि उनके साथ किसी तरह की बातचीत, सलाह या मोल-भाव होने की संभावना न के बराबर ही है। 

12. संकेतों की अधिकता फीलिंग्स का असली कनेक्शन दिखाती है

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किसी के भी प्रति आकर्षण किसी एक सिग्नल से ही संप्रेषित नहीं होता। यानी यह कोई रातों-रात हो जाने वाली प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि यह एक सीक्वेंस के तहत काम करता है। यानी एक के बाद एक किए गए जेस्चर से हमें यह समझ आता है कि हम आकर्षित हो रहे हैं। 

न्यूरोसाइकोलाॅजिस्ट मार्शा ल्यूकस इसे किसी फीमेल फिल्मी कैरेक्टर के एक अच्छे उदाहरण से समझाती हैं, ‘उसने आंखें मिलाई, फिर वह नीचे देखने लगी। फिर उसने हौले से नजरें उठाकर, आंखों के कोनेें से फिर मुझे छेड़ा, फिर वह अपने बालों को छेड़ते हुए, हौले से मुस्कुरा देती है।’ हुआ न यह एक पूरा संदेश। यानी संकेतों का पूरा जखीरा। उम्मीद करती हूं, आपको मेरी बात समझ आई होगी?

13. यदि वे आपके साथ हंस रहे हैं, तो वे शायद आप में हैं

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यदि कोई आपके मजाक या ह्यूमर पर हंसता है, आपके वन-लाइनर्स उसे समझ में आते हैं। वह उन पर रिस्पॉन्ड भी करता है। तो हो सकता है, वह आप में रुचि रखते हों! 

विकासवादी मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हास्य मानव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह किसी रिश्ते के बनने या बनने की इच्छा रखने को इंगित करता है। कहने का अर्थ है- हमें किसी का साथ कितना पसंद है या नहीं, इसका अंदाजा, हम इसी बात से तो लगाते हैं, कि जब हम उसके साथ को कुछ तर्कों से जस्टिफाई Justify करने की कोशिश करते हैं। जैसे- मैं उसके साथ होती हूं, तो खुश रहती हूं या उसके साथ मैं कितना हंसती हूं या रिलैक्स फील करती हूं। 

14. जकड़ा हुआ जबड़ा, कसी हुई गर्दन या पीछे की ओर तनी हुई भौंह, तनाव को दर्शाती हैं

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ये सभी मस्तिष्क में लिम्बिक प्रणाली से जुड़ी ‘लिम्बिक प्रतिक्रियाएं’ हैं। यानी हमारे असहज होने का लक्षण। एफबीआई के पूर्व कार्यकारी एजेंट जो नवारो कहते हैं, ‘भावनाओं और खतरों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया के साथ-साथ हमारे अस्तित्व को सुनिश्चित करना लिम्बिक सिस्टम की जिम्मेदारी होती हैं।’ और जब ऐसा नहीं होता, तब हम अपने हाथ मलते हैं वो भी गुस्से में। अपने जबड़े भींचते हैं गुस्से में। चलिए बताती हूं कैसे-  सभी को पता है, कोविड का क्या सीन चल रहा है भारत में? वर्क फा्रॅम होम भी है। हर इंसान अपने में दुखी है। ऐसे में फरमान आता है, कल से आॅफिस आकर काम करना है या अगले महीने से आधी सैलरी ही मिलेगी। तो उस समय गुस्से का जो आलम होता है, जबड़े भिंच जाते हैं, भौंहे तन जाती हैं। बस उसी को असुविधा या असहज होना कहते हैं। 

नवारो कहते हैं, मनुष्य लाखों वर्षों से इस तरह से असुविधा का प्रदर्शन करता आ रहा है। 

15. अहंकारी शारीरिक मुद्राएं यानी नेतृत्व का प्रदर्शन

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अब चाहे यह गुण आप में जन्मजात हो या आपने बाद में सीखे हों, लेकिन ऐसे कई संकेत या व्यवहार के तरीके हैं, जिनका उपयोग लोग तब करते हैं, जब उन्हें लगता है कि वे एक नेेता या लीडर हैं या कम से कम आपको यह बताने-समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे हैं। 

ऐसे लोग अक्सर तन कर खड़े होते हैं, उद्वेश्यपूर्ण तरीके से चलते हैं, उनके हाथ अक्सर ढीले और हथेलिया खुली हुई होती हैं। जो ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क करने का संकेत प्रदर्शित करती है। 

16. पैर हिलाना यानी मन का अस्थिर होना

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मैसाचुसेटस के प्रोफेसर सुसान व्हिटबाॅर्न के अनुसार, ‘पैर हमारे शरीर का सबसे बड़ा क्षेत्र होते हैं, और जब वे मूव करते हैं या कहें हम उन्हें जल्दी-जल्दी हिलाते हैं, तो उनकी अनदेखी करना नामुमकिन सा होता है।’ अस्थिर या हिलता हुआ पैर अशांत मन, चिंता, तनाव या जलन इनमें से किसी भी बात का संकेत दे सकता है। 

17. क्रॉस्ड हाथ Crossed Arm हमारे रक्षात्मक रवैये को दर्शाता है

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वैसे तो बॉडी लैंग्वेज के संकेतों को समझना आसान है। लेकिन संदर्भ के बारे में पता होना भी जरूरी है। एक तरफ जहां क्रॉस हाथ हमारे बंद रवैये को दर्शाते हैं। वहीं ठंड के मौसम में हम अक्सर सर्दी के अहसास को कम करने के लिए भी ऐसा करते हैं। 

इसलिए बाॅडी लैंग्वेज के आधार पर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले वातावरण और परिस्थिति का आकलन जरूर करें। 

हम उम्मीद करते हैं कि ये जानकारी आपके काम आएगी। ऐसी ही स्टोरीज के लिए पढ़ते रहिये iDiva हिंदी।

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बॉडी लैंग्वेज से क्या पता चलता है?

बॉडी लैंग्वेज एक तरह से इंसान के व्यक्तित्व का आईना होती है। जैसे किताब के हर पन्ने में अलग-अलग बातें होती हैं, उसी तरह हाव-भाव के पीछे भी अलग-अलग अर्थ छिपे होते हैं। शरीर की भाषा किसी के रवैये और उसकी मन की स्थिति के अनुरूप हो सकती है। मसलन, आक्रामकता, मनोयोग, ऊब, मनोरंजन और सुख सहित अन्य कई भाव दे सकती है।

लोगों की बॉडी लैंग्वेज कैसे पढ़ें?

लोगों की बॉडी लेंग्वेज के द्वारा दिए जा रहे संकेतों को समझ पाना एक बेहद रोमांचक कला है। कुछ ज़रा सी भागीदारी दिखाकर, आप किसी की भी बॉडी लेंग्वेज को सटीकता से और आसानी से पढ़ सकते हैं, बस ज़रा से अभ्यास के ज़रिए यह आपके व्यवहार का एक और हिस्सा बन सकती है।

बॉडी लैंग्वेज में सुधार कैसे करें?

बॉडी लैंग्वेज किसे कहते हैं?.
क्या होती है बॉडी लैंग्वेज (Body Language In Hindi Meaning).
#1. आई कॉन्टेक्ट.
#2. विनम्रता के साथ मिलना.
#3. दूरी बनाए रखें.
#4. झुकना नहीं चाहिए.
#5. स्माइली फेस.
#6. सकारात्मक रहना सीखें.
कुछ और बातों का भी रखें विशेष ख्याल (Body Language Examples In Hindi).

लड़कियों की बॉडी लैंग्वेज कैसे समझें?

माना जाता है कि लड़कियों की उंगलियां कई बातों की ओर इशारा करती हैं। इसलिए लड़की की उंगली पर ध्यान रखकर आप उसकी बॉडी लैंग्वेज को बेहद आसानी से पहचान सकते हैं। जैसे यदि वह गिलास पर उंगली फेर रही है या उसके साथ खेल रही है तो वह रोमांटिक मूड में है, यदि वह अपने गहनों पर हाथ फेर रही है तो उसे आपकी जरूरत है।