बच्चे की छठी की रात क्यों मनाई जाती है? - bachche kee chhathee kee raat kyon manaee jaatee hai?

बच्चे की छठी पूजन विधि – बच्चे की छठी कब होती – हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के छठे दिन रात्रि के समय एक विशेष प्रकार की पूजा का आयोजन परिवार वाले करते हैं. इस पूजा को छठी पूजा के नाम से जाना जाता हैं. छठी की पूजा बच्चे की मंगल कामना के लिए की जाती हैं. यह पूजा षष्ठीदेवी के नाम से की जाती हैं.

बच्चे की छठी की रात क्यों मनाई जाती है? - bachche kee chhathee kee raat kyon manaee jaatee hai?

ऐसा माना जाता है की षष्ठीदेवी बच्चों की अधिष्ठात्री देवी हैं. जो बच्चों को दीर्धायु प्रदान करती है. तथा उनकी रक्षा करती हैं. इसी कारण बच्चे की छठी पूजा की जाती हैं. लेकिन आज हम इस आर्टिकल में बच्चे की छठी पूजन विधि के बारे में आपको बताने वाले हैं. इसलिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बच्चे की छठी पूजन विधि तथा बच्चे की छठी कब होती है इसके बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते है.

  • बच्चे की छठी पूजन विधि
  • बच्चे की छठी कब होती है
  • छठी की रात क्यों मनाई जाती है
  • बच्चे के जन्म के बाद संस्कार
  • निष्कर्ष

बच्चे की छठी पूजन विधि

बच्चे की संपूर्ण छठी पूजन विधि हमने नीचे बताई हैं.

  • बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी पूजन किया जाता हैं. इस दिन बच्चे की माँ को सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने हैं.
  • छठी पूजन के दिन “छठी” रखनी होती हैं. यह छठी गोबर से बच्चे की बुआ के हाथ रखी जाती हैं.
  • अगर छठी के दिन गोबर न मिले तो आप रोली से भी छठी रख सकते हैं.
  • इसके पश्चात बच्चे के कमरे के मुख्य द्वार के बहार दोनों तरफ स्वस्तिक बनाए जाते हैं.
  • इसके बाद स्वस्तिक पर बुआ के हाथो से मखाने रखे जाते हैं.
  • इस कार्य के लिए बुआ को शगुन के तौर पर रूपये या कपडे आदि दिए जाते हैं.
  • इसके पश्चात बच्चे की माँ अपने हाथों में सभी रंग की चुडिया पहनती हैं.
  • इसके बाद बच्चे की माँ बच्चे को अपने गोद में लेकर चावल, बताशे, रोली आदि से छठी पूजन करती हैं.
  • पूजा संपूर्ण हो जाने के बाद बच्चे और माँ के हाथो में मीठा रखकर बच्चे और माँ को उठाया जाता हैं.
  • यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बाद बच्चे की माँ का मुंह मीठा कराया जाता हैं.
  • इतना करने पर संपूर्ण पूजन विधि हो जाती हैं.
  • इसके बाद रात्रि को बच्चे को गोद में लेकर रात्रि जागरण किया जाता हैं. और सोहर गाया जाता हैं. रात्रि जागरण कम से कम सुबह चार बजे तक करना जरुरी होता हैं.

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बच्चे की छठी कब होती है

बच्चे की छठी बच्चे के जन्म के छठे दिन की जाती हैं.

बच्चे की छठी की रात क्यों मनाई जाती है? - bachche kee chhathee kee raat kyon manaee jaatee hai?

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छठी की रात क्यों मनाई जाती है

छठी के दिन छठी पूजन विधि की जाती हैं. इसके पश्चात रात्रि जागरण किया जाता हैं. छठी की रात बच्चे की मंगल कामना के लिए मनाई जाती हैं. छठी की पूजा तथा रात्रि जागरण करने से बच्चे को दीर्धायु की प्राप्ति होती हैं. तथा बच्चे को देवी माता से रक्षण मिलता हैं.

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बच्चे के जन्म के बाद संस्कार

बच्चे के जन्म के बाद के कुछ संस्कार हमने नीचे बताए हैं.

  • बच्चे के जन्म के बाद तीन से पांच वर्ष के अंदर बच्चे का मुंडन संस्कार किया जाता हैं. जिसमें बच्चे के केश को काटकर बच्चे का मुंडन किया जाता हैं. ऐसा करने पर बच्चे को नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता हैं. तथा बच्चे के शरीर तथा आत्मा की शुद्धि होती हैं.
  • मुंडन के साथ साथ कान छेदन संस्कार भी कर सकते हैं. इससे सारी बुराई का नाश होता हैं.
  • बच्चे के जन्म के बाद माँ के हाथ से शहद चटा ने की परंपरा होती हैं. ऐसा माना जाता है की ऐसा करने पर बच्चा मीठा बोलता हैं.

बच्चे की छठी की रात क्यों मनाई जाती है? - bachche kee chhathee kee raat kyon manaee jaatee hai?

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बच्चे की छठी पूजन विधि तथा बच्चे की छठी कब होती है इसके बारे में बताया हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह बच्चे की छठी पूजन विधि – बच्चे की छठी कब होती आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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बच्चे की छठी में क्या क्या होता है?

छठी पूजने के लिये “छठीबच्चे की बुआ गोबर से रखती है। गोबर उपलब्ध न होने की स्थिति में रोली से भी रख सकती है। छठी यानि स्वास्तिक जच्चा के कमरे के दरवाजे के दोनो तरफ बनाये जाते है। फिर उन पर मखाने लगाये जाते हैं, छठी रखाई बुआ को शगुन का नेग दिया जाता है।

बच्चे की छठी कब करनी चाहिए?

बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी पूजन किया जाता हैं.

छठी की रात क्या होती है?

हैलोवीन या Hollowe'en एक त्यौहार है, जो 31 अक्टूबर की रात को मनाया जाता है।