अर्ध स्वर की संख्या कितनी है? - ardh svar kee sankhya kitanee hai?

ardh swar in hindi: आज के इस लेख में हम लोग समझेंगे कि अर्ध स्वर किसे कहते हैं, अर्द्ध स्वर की संख्या कितनी होती है और अर्ध स्वर के उदाहरण इत्यादि।

चलिए एक प्रश्न के साथ शुरुआत करते हैं ।

क्या आप बता सकते कि –  गयी और गई में से कौन-सा सही है? 

नीचे कमेंट करके जरूर बताइए ।

अर्ध स्वर प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं ।

अर्ध स्वर को समझने से पहले आपको स्वर और व्यंजन के बारे में जानना जरूरी है।  इसके बारे में हम पिछले पोस्ट में विस्तार से पढ़ चुके हैं। यदि आप स्वर और व्यंजन नहीं नहीं जानते हैं तो पहले आपको स्वर तथा व्यंजन के बारे में पढ़ना चाहिए ।

चलिए थोड़ा सा स्वर और व्यंजन को समझ लेते हैं जिससे हमें अर्धस्वर को समझने में आसानी होगी ।

स्वर–  वे वर्ण,  जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ग की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाते हैं। हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 11 मानी जाती है ।

चलिए व्यंजन को समझते हैं ।

व्यंजन- स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं। मुख्य रूप से व्यंजनों की संख्या 33 होती है।  उच्चारण की दृष्टि से व्यंजनों के तीन भेद होते हैं  स्पर्श व्यंजन,  अंतस्थ व्यंजन  एवं उष्म व्यंजन। 

अर्ध स्वर की संख्या कितनी है? - ardh svar kee sankhya kitanee hai?

 आज हम लोग अंतस्थ व्यंजन को ही समझने वाले हैं ।

अर्ध स्वर किसे कहते हैं | अर्द्ध स्वर क्या है

अर्ध स्वर के उच्चारण में जीह्वा स्वरों के उच्चारण की तुलना में अधिक ऊपर की ओर उठती है किंतु इतनी ऊपर तक नहीं पहुंच पाती कि वायु मार्ग अवरुद्ध कर सकें। इस तरह इनमें स्वर और व्यंजन के बीच की स्थिति बनती है। हिंदी वर्णमाला में और व्यंजनों को इसी कारण अर्ध स्वर कहा जाता है।

जैसे – जाएंगे को जायेंगे भी लिख सकते हैं।

ऊपर दिए गए उदाहरण में स्वर () के बदले हम लोग व्यंजन (यें) का प्रयोग भी कर सकते हैं क्योंकि दोनों का उच्चारण एक समान है।

चलिए कुछ और उदाहरण के साथ समझते हैं। 

जैसे-

  • गई – गयी
  • गए – गये
  • जाओ – जावो
  • जाऊंगा – जवूंगा

इस प्रकार हम लोगों य तथा व दोनो अर्धस्वर को स्वरों के स्थान पर प्रयोग कर सकते हैं। इसीलिए इन्हे अर्द्ध स्वर या अर्द्ध व्यंजन कहते हैं।

यदि शुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को चयन करने को कहा जाए तो हमें स्वर वर्ण वाले शब्द को चुनना चाहिए क्योंकी भाषाविदों के द्वारा स्वर वाले शब्दों को मान्यता दी जाती है।

उपर पूछे गये प्रश्न की बात करे तो गयी और गई मे उच्चारण और लेखन की दृष्टि से सही तो दोनो हैं लेकिन जब दोनो में से किसी एक को चुनने की बात की जाए तो भाषाविदों ने स्वर वाले शब्द को मान्यता दी है। इसलिये दोनो में से गई को चुना जायेगा।

यहां पर हम लोग समझ चुके हैं कि अर्ध स्वर किसे कहते हैं? आइए समझते हैं कि इन्हें और अर्द्ध व्यंजन क्यों कहा जाता है?

सबसे पहले यह समझते हैं कि अंतस्थ व्यंजन क्या होता है ?

अन्तस्थ व्यंजन क्या होता है

अंतस्थ व्यंजन – कुछ व्यंजनों के उच्चारण के समय जीह्वा, तालू, दांत और ओष्ठ निकट तो आते हैं किंतु इनमें कहीं भी स्पर्श नहीं होता। इन व्यंजनको अंतस्थ व्यंजनकहते हैं। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय स्वर और व्यंजन के उच्चारण के मध्य की स्थिति रहती है।

यही कारण है कि कुछ विद्वान इस वर्ग के सभी व्यंजनों को अर्ध स्वर भी कहते हैं । इस वर्ग में य, र, ल, व ये चार व्यंजन आते हैं।

कुछ समय पहले तक य र ल व को अर्द्ध स्वर माना जाता था किंतु आधुनिक भाषा शास्त्रियों का मानना है कि ल और व में व्यंजनों के गुण अधिक है। अतः अर्द्ध स्वर य और व ही माने जाते हैं।  यह दोनों अर्द्ध स्वर के रूप में अन्य भाषाओं में भी मान्य हैं।

य ध्वनि

इस ध्वनि के उच्चारण के लिए पहले तो जैसी ध्वनि के लिए तैयार होती है और फिर एक प्रकार के जैसी। जीव का मध्य भाग उठकर तालु के बहुत पास पहुंच जाती है। यह सघोष, वृत्ताकार, तालव्य ध्वनि है।

उदाहरण-  यम,  वयस्क,   सुरम्य आदि।

व ध्वनि

इस ध्वनी के उच्चारण में दांतो की ऊपरी पंक्ति निचले ओठ के संपर्क में आती है। श्वास वायु निकलने के लिए बहुत पतला मार्ग रह जाता है अतः उच्चारण में घर्षण बहुत कम और स्वास वायु की गति अत्यंत मंद हो जाती है।

यह दन्त्योष्ठ, सघोष, अल्पप्राण ध्वनि होती है।

उदाहरण-  वित्त, नवीन, अवश्य आदि।

र ध्वनि

इस ध्वनि के उच्चारण में जीभ तालू से लुढ़ककर स्पर्श करती है। इसलिये इसे लुंठित व्यंजन कहते हैं।यह वत्सर्य, सघोष और अल्पप्राण होनी है। हिंदी वर्णमाला में केवल को लुंठित व्यंजन माना गया है ।

ल ध्वनि

जीभ की नोक वर्त्स्य को छूकर मार्ग बंद कर देती है किंतु श्वास वायु जीभ के एक या दोनों पार्श्वों में से निकल जाती है तो इस प्रकार की ध्वनि को पार्श्विक कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में केवल को पार्श्विक व्यंजन कहते हैं।

यह सघोष, वर्त्स्य, अल्पप्राण, पार्श्विक ध्वनि है ।

उदाहरण-   ललक, लाल,  तत्काल आदि।

इस प्रकार हम लोगों ने ‘अर्द्ध स्वर किसे कहते हैं’ के बारे में विस्तार से समझा। चलिए यहां पर और अर्द्ध स्वर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को समझते हैं ।

अर्ध स्वर से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर [FAQ]


अर्ध स्वर की संख्या कितनी है ?

हिंदी भाषा में अर्द्ध स्वरों की संख्या दो होती है- य तथा व । पहले य, र, ल, व को अर्ध स्वर माना जाता था परंतु आधुनिक भाषाविदों ने केवल य और व को ही अर्ध स्वर की मान्यता दी है।

य र ल व को अंतस्थ व्यंजन क्यों कहते हैं?

य र ल व का उच्चारण स्वर्ण व व्यंजनों के बीच स्थित होता है, इसलिए इन्हें अंतस्थ व्यंजन कहा जाता है ।

अर्ध स्वर कौन कौन से होते हैं?

य तथा व  हिंदी के स्वर के अंतर्गत आते हैं।

उम्मीद करता हूं कि आपको अर्ध स्वर पर लिखा हुआ यह विस्तृत लेख अच्छे से समझ आया होगा जिसमें हम लोग ने सीखा की अर्ध स्वर किसे कहते हैं तथा अर्ध स्वर की संख्या कितनी होती है और अर्ध स्वर के उदाहरण  इत्यादि। इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं जिससे वे भी हिंदी व्याकरण तथा उससे जुड़ी  जानकारियां अच्छे से सीख पाए ।

यदि आपको कोई भी टॉपिक समझ में नहीं आया हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

अर्ध स्वर कितने होते हैं?

अर्ध स्वर की संख्या कितनी है ? हिंदी भाषा में अर्द्ध स्वरों की संख्या दो होती है- य तथा व । पहले य, र, ल, व को अर्ध स्वर माना जाता था परंतु आधुनिक भाषाविदों ने केवल य और व को ही अर्ध स्वर की मान्यता दी है।

संस्कृत में अर्ध स्वर कितने हैं?

इनकी संख्या ५२ है। उच्चारण एवं प्रयोग के आधार पर इन्हें स्वर एवं व्यंजन के रूप में जाना जाता है।

हिंदी में दीर्घ स्वरों की संख्या कितनी होती है?

ये चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं। दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर के उदाहरण है।

लुंठित व्यंजन कौन कौन से हैं?

लुण्ठित व्यंजन (trill consonant) ऐसा व्यंजन वर्ण होता है जिसमें मुँह के एक सक्रीय उच्चारण स्थान और किसी अन्य स्थिर उच्चारण स्थान के बीच कंपकंपी या थरथराहट कर के व्यंजन की ध्वनि पैदा की जाती है। हिन्दी में इसका सबसे बड़ा उदाहरण "र" की ध्वनि है जिसमें जिह्वा का सबसे आगे का भाग कंपकंपाया या थरथराया जाता है।