अरस्तु के अनुसार शिक्षा की परिभाषा - arastu ke anusaar shiksha kee paribhaasha

शिक्षा की परिभाषाएं definitions of education Shiksha Ki Paribhashayen

अरस्तु के अनुसार शिक्षा की परिभाषा - arastu ke anusaar shiksha kee paribhaasha
शिक्षा की परिभाषाएं definitions of education Shiksha Ki Paribhashayen

विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई शिक्षा की परिभाषाएं निम्न प्रकार हैं :-

  • कौटिल्य के अनुसार शिक्षा की परिभाषा "शिक्षा मानव को एक सुयोग्य नागरिक बनाना सिखाती है तथा उसका व्यक्तिगत विकास करती है।"
  • हेंडरसन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, " यदि शिक्षा केवल सामाजिक विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित करती है तो वह केवल अतीत की पुनरावृत्ति करती है। शिक्षा केवल बच्चों की अभिवृद्धि और विकास की प्रक्रिया अर्थात एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक वातावरण के रूप में सामाजिक विरासत को उत्तम और बुद्धिमान पुरुषों एवं स्त्रियों के विकास के लिए प्रयोग किया जा सके। यह शिक्षा की वही प्रक्रिया है जिसका समर्थन दार्शनिकों और शिक्षा सुधारकों ने किया है। यही शिक्षा की सत्य धारणा है।"
  • वॉशिंग के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा चैतन्य रूप में एक नियंत्रित प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन किए जाते हैं तथा व्यक्ति के द्वारा समाज में।"

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  • प्रिंसटन रिव्यू के अनुसार शिक्षा की परिभाषा," शिक्षा सीखना नहीं है बल्कि मस्तिष्क की शक्तियों का अभ्यास तथा विकास है और यह ज्ञान के केंद्र एवं जीवन के संघर्षों के माध्यम से प्राप्त होती है।"
  • सुकरात के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा का तात्पर्य संसार के उन सर्वमान्य विचारों को प्रकट करने से जो व्यक्ति विशेष के मस्तिष्क में निहित है।"
  • प्लेटो के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा से मेरा तात्पर्य उस प्रशिक्षण से है जो अच्छी आदतों द्वारा बच्चों में अच्छी नैतिकता का विकास करे।
  • अरस्तु के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा व्यक्ति की शक्ति का और विशेष रूप से मानसिक शक्ति का विकास करती है जिससे वह परम सत्य शिव और सुंदर के चिंतन का आनंद उठा सके।"
  • जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा व्यक्ति की उम्र योग्यताओं के विकास का नाम है जो उसे उसके वातावरण पर नियंत्रण रखना सिखाती है और उसकी संभावनाओं को पूर्ण करती है।"
  • अरविंद घोष के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मानव में पूर्ण रूप से शारीरिक बौद्धिक एवं आध्यात्मिक बल की सर्वांगीण उन्नति से है।"
  • स्पेंसर के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा में आदतें, स्मरण, आदर्श, स्वरूप, शारीरिक तथा मानसिक कौशल, बौद्धिकता और रुचि नैतिक विचार और ज्ञान ही नहीं विधियां भी सम्मिलित हैं।"
  • गांधीजी के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के सर्वांगीण विकास शरीर मस्तिष्क और आत्मा से है।"
  • टी रेमंट के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा उस विकास का नाम है जो शैशवावस्था से प्रोणावस्था तक होता ही रहता है अर्थात शिक्षा वह क्रम है जिससे मानव अपने को आवश्यकतानुसार बहुत एक सामाजिक तथा आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना लेता है।"
  • टी पी नन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास है जिससे कि वह अपने उच्चतम योग्यता के अनुसार मानव जीवन को मौलिक योगदान दे सके।"
  • रूसो के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा अंदर से होने वाला विकास है बाहर से एक साथ होने वाली वृद्धि नहीं यह प्राकृतिक मूल प्रवृत्तियों के क्रियाशील होने से विकसित होती है वाह्य शक्तियों की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप नहीं ।"
  • प्लेटो के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा का कार्य मनुष्य के शरीर एवं आत्मा को पूर्णता प्रदान करना है जिसके योग्य वह है।"
  • जॉन मिल्टन के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "मैं पूर्ण तथा उदार शिक्षा उसको कहता हूं जो व्यक्ति को शांति तथा युद्ध दोनों समय में व्यक्तिगत और सामाजिक कार्यों को न्यायोचित ढंग से दक्षता और उदारता के साथ करना सिखाती है।"
  • टैगोर के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "सर्वोच्च शिक्षा हुआ है जो हमें केवल सूचना ही नहीं देती अपितु हमारे जीवन और संपूर्ण सृष्टि में तारतम्य स्थापित करती है।"
  • पेस्टालौजी के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "मानव शक्तियों का प्राकृतिक निरंतर तथा प्रगतिशील विकास ही शिक्षा है।"
  • फ्रोबेल के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा में बालक की अंता शक्तियों को बाहर लाया जाता है।"

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अरस्तू का शिक्षा दर्शन , शिक्षा का उद्देश्य - Aristotle's philosophy of education, the aim of education

अरस्तू ने मानव जीवन में राजनीति के महत्व को स्वीकार किया था। उनके अनुसार शिक्षा और नैतिकता राजनीति के ही अंग है। अरस्तू ने राज्य को शिक्षा के लिए उत्तरदायी ठहराया है। अरस्तू की दृष्टि में समाज और राज्य पृथक् न होकर एक ही है। उनके अनुसार शिक्षा एक कला है। इस कला का संबंध व्यावहारिक एवं सामाजिक जीवन से है।

शिक्षा का उद्देश्य (Aim of Education)

अरस्तू के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य आनंद की प्राप्ति है और इसी आनंद को प्राप्त करने के लिए ही सभी व्यक्ति प्रयत्न करते हैं। अरस्तू ने मन के बौद्धिक व क्रियात्मक पक्षों में भेद को देखा। उन्होंने मन का विश्लेषण किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सद्गुण का संबंध मन के बौद्धिक पक्ष से इतना नहीं है

जितना कि संकल्प (क्रियात्मक) शक्ति से है। संकल्प मनोदशा के रूप में न होकर क्रियात्मक होता है, अतः अच्छाई भी किया से संबंधित है। शिक्षा द्वारा अच्छाई का विकास करना है ताकि व्यक्ति मुखी हो सके। अरस्तू का मानना है कि राज्य का कर्तव्य है कि वह ऐसी शिक्षा की व्यवस्था करे जिससे नागरिकों को अच्छाई का अभ्यास करने का अवसर प्राप्त हो सके। 

पाठ्यक्रम (Curriculum):

अरस्तू ने पाठ्यक्रम का निर्धारण करते समय सर्वप्रथम उस समय के प्रचलित पाठ्यक्रम का विश्लेषण किया। उन्होंने देखा कि उस समय का पाठ्यक्रम बड़ा अनिश्चित था। उस समय के पाठ्यक्रम को चार भागों में बाँटा जा सकता था (1) पढ़ना (2) लिखना (3) व्यायाम (4) संगीत तथा चित्रकला। अरस्तू ने इन सभी विषयों को अच्छा बताया। पर उन्होंने इन विषयों के उद्देश्य तथा इनके क्षेत्र को स्पष्ट किया। उनके अनुसार पढ़ने-लिखने की शिक्षा व्यावहारिक उपयोगिता के आधार पर होनी चाहिए। दैनिक जीवन में पढ़ने-लिखने की आवश्यकता है, अतः लिखना पढ़ना जरूरी है। कसरत को उन्होंने शरीर के लिए ही आवश्यक बताया है। उन्होंने कहा कि व्यायाम आत्मा की उन्नति के लिए भी होना चाहिए। संगीत की शिक्षा केवल गाने-बजाने के लिए नहीं है बल्कि संगीत से संवेगों का परिष्कार एवं विकास किया जाना चाहिए। चित्रकला को भी उन्होंने आत्मा के उन्नयन के लिए आवश्यक बताया है।


अरस्तु के अनुसार शिक्षा की परिभाषा क्या है?

अरस्तु के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, "शिक्षा व्यक्ति की शक्ति का और विशेष रूप से मानसिक शक्ति का विकास करती है जिससे वह परम सत्य शिव और सुंदर के चिंतन का आनंद उठा सके।"

प्लेटो के अनुसार शिक्षा क्या है?

प्लेटो शिक्षा को सारी बुराइयों को जड़ से समाप्त करने का प्रभावशाली साधन मानता है। शिक्षा आत्मा के उन्नयन के लिए आवश्यक है। शिक्षा व्यक्ति में सामाजिकता की भावना का विकास कर उसे समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाती है। यह नैतिकता पर आधारित जीवन को जीने की कला सिखाती है।

शिक्षा की परिभाषा क्या है?

शिक्षा ज्ञान, उचित आचरण, तकनीकी दक्षता, विद्या आदि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कहते हैं। शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है।

शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है।