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आहार नली निकाली, पेट से बनाई खाने की ट्यूबसुधा हॉस्पिटल में एक मरीज की आहार नली की कैंसर की गांठ का जटिल ऑपरेशन किया गया। कैंसर सर्जन डॉ. कौशल गौतम ने पत्रकारों को बताया कि झालावाड़ जिले के झिकरिया निवासी राय सिंह (35) को करीब डेढ़ माह से खाना निगलने में दिक्कत थी। पेशे से ड्राइवर राय सिंह ने कोटा में सर्जन को दिखाया तो उन्होंने हमारे पास रैफर किया। जांच से पता चला कि मरीज की आहार नली के मध्य भाग में कैंसर की गांठ है। इसे मेडिकल साइंस में इसोफेगस कहते हैं। मरीज भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का पात्र था, ऐसे में उसका योजना में पंजीयन कर निशुल्क ऑपरेशन का प्लान किया। मिनिमम इंवेसिव टेक्निक से की गई सर्जरी में दूरबीन से आहार नली को निकाला गया और अमाशय की ट्यूब को गले में जोड़ा गया। दूरबीन से ऑपरेशन करने से छोटा छेद करना पड़ा, जबकि ओपन सर्जरी में पूरी छाती खोलनी पड़ती और कई सारे टांके लगाने पड़ते। ऐसी सर्जरी में आहार नली को निकालने के दौरान आसपास खून की नसों, हार्ट, सांस नली व फेफड़ों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग के डॉ. विजय गोयल ने वन लंग वेंटिलेशन दिया, इससे मरीज में कॉम्पलिकेशन की आशंका रहती है। मेडिकलराय सिंह की आहार नली में थी कैंसर की गांठ, खाने में हो रही थी दिक्कतमरीज राय सिंह के साथ डॉक्टर। बच्चे की गर्दन की हड्डी का ऑपरेशन किया : भारत विकास परिषद अस्पताल में न्यूरो सर्जन डाॅ. राहुल सतीजा ने गर्दन की हड्डी की जन्मजात बीमारी का सफल ऑपरेशन किया। उन्होंने बताया कि झालावाड़ जिले के ही चांदीपुर निवासी रामलखन (14) की गर्दन की एटलस व एक्सिस हड्डी में जन्मजात खराबी थी, इससे उसके दोनों हाथ व पैरों में कमजोरी बढ़ती जा रही थी। करीब 10 घंटे चली सर्जरी में मरीज की हड्डियों को ठीक कर दिया गया। मरीज भामाशाह में था, ऐसे में उसका पूरा इलाज कैश लेस किया गया। फिलहाल मरीज भर्ती है।
आहार नली के कैंसर का बिना चीर-फाड़ ऑपरेशनअंबेडकर अस्पताल स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में अब आहार नली के कैंसर का ऑपरेशन हाइटेक लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ ऑपरेशन किया जा रहा है। अब तक दो मरीजों का इस तकनीक से सफल ऑपरेशन कर मरीजों को जीवनदान दिया गया है। कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता का दावा है कि इस तकनीक से राजधानी के किसी भी अस्पताल में ऑपरेशन नहीं किया गया है। बड़े शहरों में इस ऑपरेशन पर चार से पांच लाख रुपए खर्च होता है, लेकिन अंबेडकर में स्मार्ट कार्ड से इलाज हो गया। दुर्ग की रंजना सिंह व आरंग की रामेश्वरी को खाने-पीने में परेशानी हो रही थी। मरीजों को लगता था कि बड़ी एसिडिटी के कारण ऐसा हो रहा है। लेकिन एंडोस्कोपी से जांच करने पर आहार नली में घाव दिखा। बायोप्सी जांच में घाव कैंसर था। इसके डॉ. गुप्ता की टीम ने वीडियो एसिस्टेड थोरेस्कोपिक सर्जरी (वैट्स) करने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि बार-बार मिचली आने को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। कई बार यह कैंसर का लक्षण हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। तंबाखू व गुड़ाखू भी कारण क्या है आहारनली आहार नली के कैंसर का कारण धूम्रपान, मदिरापान, मोटापा। नाइट्रेटयुक्त पदार्थ का सेवन। फफूंदयुक्त संक्रमित भोजन का सेवन। विटामिन ए और जिंक की कमी। रेडियोधर्मी विकिरण से। लक्षण : खाना या पानी निगलने में अवरोध। वजन का कम होना, सांस लेने में तकलीफ होना। आवाज में बदलाव होना।
देश में पहली बारः एक छेद से किया आहार नली के कैंसर की सर्जरी
| Updated: 30 May 2019, 8:14 am डॉ. अरुण ने बताया कि सामान्य तौर पर छाती में चीरा लगाकर या दूरबीन विधि से चार छेद कर यह ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन विभाग के असिस्टेंट प्रफेसर शिविराजन ने मरीज के शरीर में सिर्फ एक छेद कर ऑपरेशन पूरा किया।डॉक्टरों की टीमडॉ. अरुण ने बताया कि सामान्य
तौर पर छाती में चीरा लगाकर या दूरबीन विधि से चार छेद कर यह ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन विभाग के असिस्टेंट प्रफेसर शिविराजन ने मरीज के शरीर में सिर्फ एक छेद कर ऑपरेशन पूरा किया। मरीज अब बिल्कुल ठीक है। इस ऑपरेशन में प्रो. विजय कुमार, सीनियर रेजिडेंट डॉ. सत्यव्रत दास, डॉ. शशांक, डॉ. पुनीत, डॉ. अजहर, एनेस्थीसिया के डॉ. दिनेश सिंह, नर्सिंग स्टाफ की सिस्टर कृष्णा उत्तम सिंह और सुनील कुमार मुख्य रूप से शामिल रहे। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रेकमेंडेड खबरें
देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं?धन्यवादआहार नली की जांच कैसे होती है?इसका पता लगाने के लिए आहार नली की एंडोस्कोपी से जांच की जाती है, जिसके बाद वहां से एक छोटा सा नमूना लेकर उस टुकडे की बायोप्सी की जाती है। जिससे पता चलता है कि आपको कैंसर है या नहीं। जिसके बाद कैंसर आहार नली से बाहर और जगहों पर तो नहीं फैल गया है, यह देखने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है।
Third स्टेज कैंसर आहार नली के अंदर का इलाज संभव है क्या?गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के रेडिएशन ओंकोलोगिस्ट एवं रेडिएशन टीम तथा मेडिकल ओंकोलोगिस्ट एवं कीमोथेरेपी टीम ने 51 वर्षीय भीलवाड़ा की रहने वाली रोगी सोहनी देवी के भोजन नली में 10 सेंटीमीटर की गांठ (थर्ड स्टेज) के कैंसर का 5 हफ्ते रेडियोथेरेपी एवं कीमोथेरेपी द्वारा सफल इलाज कर रोगी को स्वस्थ किया।
आहार नली में दर्द क्यों होता है?इसका प्रमुख कारण आहार नली की नसों का कमजोर होना है। इसमें दवा कारगर साबित नहीं होती। दूरबीन विधि से ऑपरेशन कर या आहार नली में दूरबीन डालकर रास्ते को चौड़ा कर दिया जाता है और मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।
आहार नली की लंबाई कितनी होती है?इसकी लंबाई 8 से लेकर 10 इंच तक होती है।
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