इसे सुनेंरोकेंनिजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? लेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि जब कुंई गाँव-समाज की सार्वजनिक जमीन पर बनती है तब उस जगह बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष भर की नमी की तरह सुरक्षित रहता है और इसी नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरता है। Show
कोई मैं कौन सा पानी प्राप्त होता है?इसे सुनेंरोकेंपालरपानी- यह पानी बरसात द्वारा प्राप्त होता है। इसे नदी, तालाब तथा धरती पर देखा जा सकता है। पातालपानी- यह पानी भूजल से मिलता है। इसके स्रोत कुएँ होते हैं। पढ़ना: नेपाल में देखने लायक क्या है? पार्लर पानी और पतला पानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंपालर पानी ⦂ यह पानी का एक रूप है। वह पानी जो सीधे बरसात से हमें बारिश द्वारा प्राप्त होता है और वह धरातल पर बहते हुए नदी, तालाब आदि के माध्यम से रोका जाता है। ऐसा पानी पालर पानी कहलाता है। पाताल पानी ⦂ यह पानी का दूसरा रूप है। निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? इसे सुनेंरोकेंकुंई का जल और रेगिस्तान की गरमी की तुलना करें तो जल अमृत से बढ़कर है। ऐसे में अपनी-अपनी व्यक्तिगत कुंई बना लेना और मनमाने ढंग से उसका प्रयोग करना समाज के अंकुश से परे हो जाएगा। अतः सार्वजनिक स्थान पर बनी व्यक्तिगत कुंई पर और उसके प्रयोग पर समाज का अंकुश रहता है। राजस्थान में कुंई व्यक्तिगत संपत्ति होकर भी ग्राम समाज के अधिकार मे क्यों मे रहती हैं?इसे सुनेंरोकेंकुंई का निर्माण ग्राम-समाज की सार्वजनिक जमीन पर होता है, परंतु उसे बनाने और उससे पानी लेने का हक उसका अपना हक है। सार्वजनिक जमीन पर बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष-भर नमी की तरह सुरक्षित रहता है। इसी नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरता है। नमी की मात्रा वहाँ हो चुकी वर्षा से तय हो जाती है। पढ़ना: ममता को गाँव की स्त्रियाँ घेरकर क्यों बैठी थीं? चेलवांजी सिर पर क्या पहनते हैं?इसे सुनेंरोकेंचेजार सिर पर काँसे, पीतल या किसी अन्य धातु का एक बर्तन टोप की तरह पहनते हैं ताकि ऊपर से रेत, कंकड़-पत्थर से उनका बचाव हो सके। किसी-किसी स्थान पर ईट की चिनाई से मिट्टी नहीं रुकती तब कुंई को रस्से से बाँधा जाता है। कुई का मुंह छोटा क्यों रखा जाता है कारण लिखिए? इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है। पातालपानी जलप्रपात भारत के मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर जिले की महू तहसील में स्थित है। झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है। पातालपानी के आसपास का क्षेत्र एक लोकप्रिय पिकनिक और ट्रेकिंग स्थल है। पानी का प्रवाह वर्षा के मौसम के तुरंत बाद (आमतौर पर जुलाई के बाद) सबसे अधिक होता है। गर्मी के मौसम में यह लगभग सूख जाता है, और धारा कम हो जाती है। निजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? लेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि जब कुंई गाँव-समाज की सार्वजनिक जमीन पर बनती है तब उस जगह बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष भर की नमी की तरह सुरक्षित रहता है और इसी नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरता है। नमी की मात्रा तो वहाँ हो चुकी वर्षा से तय हो जाती है। अब उस क्षेत्र में बनने वाली हर कुंई का अर्थ होता है-पहले से तय नमी का बँटवारा। इसीलिए निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में बनी कुंइयों पर समाज का अंकुश लगा रहता है। बहुत जरूरत पड़ने पर ही समाज नई कुंई के लिए अपनी स्वीकृति देता है। पार्लर पानी और पातालपानी के बीच तीसरा रूप कौन सा है?उत्तर: रेजाणीपानी को पार्लर पानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप कहा जाता है अर्थात धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में ना मिल पाया वह पानी रेजाणी है।
पार्लर पानी और पतला पानी के बीच का दूसरा रूप कौन सा है?पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी। पालरपानी- यह पानी का एक रूप है।
पालर पानी और पाताल पानी के बीच का पानी क्या कहलाता है?रेजाणी पानी ⦂ ऐसा पानी जो धरातल से नीचे उतर गया है और पाताल तक में ना मिल पाने वाला पानी रेजाड़ी पानी कहलाता है। रेजा शब्द बारिश के उस पानी की गहराई को मापने के लिये किया जाता है, जो धरातल में भीतर तक पाताल से भी नीचे चला गया है।
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