वायु राशियां क्या है उनका वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए? - vaayu raashiyaan kya hai unaka vargeekaran prastut keejie?

वायुराशियाँ

  • 15 Jun 2020
  • 10 min read

वायुराशि वायुमंडल का वह विशाल, विस्तृत एवं घना भाग है जिसकी भौतिक विशेषताओं यथा तापमान एवं आर्द्रता में विभिन्न ऊँचाई पर क्षैतिज दिशा में समरूपता पाई जाती है।

  • प्रायः वायुराशियों का विस्तार कई सौ किलोमीटर तक होता है। इनमें वायु की अनेक परतें पाई जाती हैं जिनमें तापमान एवं आद्रता लगभग एक समान होती है।
  • वायुराशियों की उत्पत्ति तब होती है जब धरातल पर वायुमंडलीय विशेषताओं में लंबे समय तक स्थिरता पाई जाती है।

वायुराशि की उत्पत्ति हेतु आवश्यक दशाएँ:

ध्यातव्य है कि एक आदर्श वायु राशि की उत्पत्ति के लिये कुछ निश्चित दशाओं का होना आवश्यक होता है जो निम्नलिखित हैं-

  • इसके लिये एक विस्तृत क्षेत्र होना चाहिये जो स्वभावतः समांगी हो यथा या तो संपूर्ण भाग स्थलीय हो या जलीय हो जिससे कि क्षेत्र की तापमान एवं आर्द्रता संबंधी विशेषताएँ समान हों। ज्ञात हो कि विषमांगी सतह में तापमान एवं आद्रता संबंधी समरूपता नहीं हो सकती।
  • यदि वायु क्षैतिज दिशा में गतिशील हो तो गति अपसरण प्रकार की होनी चाहिये। ध्यातव्य है कि अपसरण प्रकार की गति होने पर वायुमंडलीय स्थिरता उत्पन्न होती है।
  • वायुमंडलीय दशाओं में लंबे समय तक स्थिरता होनी चाहिये। इससे वायु धरातलीय विशेषताओं को ग्रहण करने में समर्थ हो जाती है।

वायुराशियों का उत्पत्ति क्षेत्र:

  • जिन क्षेत्रों में वायुराशियों की उत्पत्ति होती ऐसे क्षेत्र वायु राशियों के उद्गम क्षेत्र कहलाते हैं।
    • गौरतलब है कि उद्गम क्षेत्र में तापमान तथा आर्द्रता जैसी विशेषताओं में समरूपता होती है।
  • इन क्षेत्रों में वायु सतत् रूप से केंद्र में नीचे की ओर उतरने या बैठने की प्रवृत्ति रखती है।
  • इन क्षेत्रों में वायु दाब सदैव उच्च रहता है।
  • वायुराशियों के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित हैं
    • ध्रुवीय महाद्वीपीय क्षेत्र (Continental Polar Source)
    • ध्रुवीय महासागरीय क्षेत्र (Polar Maritime Source)
    • महाद्वीपीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Continental Tropical Source)
    • महासागरीय उष्णकटिबंधीय  क्षेत्र (Maritime Tropical Source)
    • महासागरीय भूमध्य रेखीय क्षेत्र (Maritime Equatorial Source)
    • मानसूनी उत्पत्ति क्षेत्र (Monsoon Source Region)

वायुराशियों की विशेषताएँ:

  • वायुराशियों का उद्भव विस्तृत समांगी क्षेत्रों में होता है। इन क्षेत्रों की तापमान एवं आर्द्रता संबंधी विशेषताएँ समान होती है।
  • वायुराशियाँ अपनी उत्त्पत्ति के स्थान से गतिशील रहती है।
  • वायुराशियाँ अपने मार्ग के मौसम को प्रभावित करती हैं।
  • उत्पत्ति क्षेत्र से दूर जाने पर वायु राशियों के मूल गुणों में परितर्वन होता है। 
  • दो विपरीत स्वभाव की वायुराशियों के मिलने पर वाताग्र का निर्माण होता है।

वायुराशियों का वर्गीकरण:

वायुराशियों को उनके उत्पत्ति के स्थान, मार्ग, तापमान, आर्द्रता आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रकार का वर्गीकरण त्रेवार्थ (Glenn T. Trewartha) द्वारा किया गया है।

उद्गम क्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण- इसमें तापमान तथा आद्रता को आधार बनाया गया है।

तापमान के आधार पर वर्गीकरण- तापमान संबंधी विशेषता के आधार पर वायुराशियों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। 

  • ध्रुवीय (Polar)
    • उच्च ध्रुवीय अक्षांशों पर जिन वायुराशियों का उद्गम होता है वे ध्रुवीय वायु राशि कहलाती हैं। इन्हें ‘P’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
      • ध्यातव्य है कि आर्कटिक वायु राशि भी एक ध्रुवीय वायुराशि है जिसे अक्षर ‘A’ से प्रदर्शित करते हैं। तापमान की दृष्टि से ये ठण्डी होती हैं। 
  • उष्णकटिबंधीय (Tropical)
    • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न वायुराशियों को उष्णकटिबंधीय वायुराशि कहा जाता है। 
    • इन्हें ‘T’ अक्षर से प्रदर्शित किया जाता है।
    • ये स्वभावत: (तापमान की दृष्टि में) गर्म होती हैं।
    • विषुवत रेखीय वायुराशि भी उष्णकटिबंधीय प्रकार की वाययुराशि ही है। इस वायुराशि को ‘E’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

आद्रता के आधार पर वर्गीकरण- आर्द्रता के आधार पर भी वायुराशियों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। 

  • महाद्वीपीय (Continental)
    • जिन वायुराशियों का उद्भव महाद्वीपों पर होता है उन्हें महाद्वीपीय वायुराशि कहते हैं।
    • महाद्वीपीय वायुराशियों को ‘c’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
    • महाद्वीपीय वायुराशियों में आर्द्रता अपेक्षाकृत कम पाई जाती है।गौरतलब है कि उष्णकटिबंधीय द्वीपों पर उत्पन्न होने वाली वायुराशि को उष्णकटिबंधीय महाद्वीपीय कहते हैं। जिसे ‘cT’ द्वारा प्रदर्शित करते हैं तथा ध्रुवीय महाद्वीपों पर उत्पन्न होने वाली वायुराशि ध्रुवीय महाद्वीपीय वायुराशि कहलाती है तथा इन्हें ‘cP’ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। 

      वायुराशि के मार्ग के आधार पर वर्गीकरण- अपने उत्पत्ति के स्थान से अन्य स्थान पर गतिशील होने से वायुराशि के मूल गुणों में परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन निम्न प्रकार से होता है-

      • ऊष्मागतिक परिवर्तन 
        • जब कोई वायुराशि ठंडे क्षेत्रों में उत्पन्न होकर गर्म क्षेत्रों की ओर गतिशील होती है तो इसे ठंडी वायु राशि कहते हैं।
          • इस वायुराशि को ‘K’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ‘K’ का अभिप्राय ‘ठण्डा’ से है। 
          • इस प्रकार जब कोई ध्रुवीय महाद्वीप वायुराशि उष्णकटिबंधीय गर्म प्रदेशों की ओर गतिशील होगी तो उसे महाद्वीपीय ध्रुवीय ठंडी (cPK) वायुराशि कहेंगे। 
        • इसी प्रकार जब कोई वायुराशि गर्म प्रदेशों से ठंडे प्रदेशों की ओर गतिशील होती है तब इसे गर्म वायुराशि कहते हैं।
          • इसे अक्षर ‘w’ द्वारा प्रदर्शित करते हैं जैसे- mTW (महासागरीय उष्णकटिबंधीय गर्म) वायुराशि आदि। 
      • यांत्रिक परिवर्तन (Mechanical Modification)
        • इस प्रकार के परिवर्तन से वायुराशि में स्थिरता अथवा अस्थिरता आती है।
        • जब वायुराशि में स्थिरता आती है तो उसे ‘s’ द्वारा प्रदर्शित करते हैं, परंतु जब वायु राशि में अस्थिरता आती है तो उसे ‘u’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
        • वस्तुतः किसी वायु राशि के ढलान से नीचे उतरने अथवा प्रतिचक्रवात का हिस्सा बन जाने पर उसमें’ स्थायित्व की स्थिति उत्पन्न होती है।

      वायु राशियां क्या है उनका वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए? - vaayu raashiyaan kya hai unaka vargeekaran prastut keejie?

      • मौसम पर प्रभाव
        • जब ध्रुवीय महाद्वीपीय वायुराशि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों या विषुवत रेखा की ओर गतिशील होती है तो शीत लहर उत्पन्न करती है तथा तापमान हिमांक से की नीचे चला जाता है जैसे अमेरिका के सेंट लुईस में शीत-लहरों के आगमन पर तापमान - 22°C तक चला जाता है। 
        • जब ध्रुवीय वायुराशियाँ उष्णकटिबंधीय वायुराशियों से मिलती हैं तो वाताग्र का निर्माण होता है। जिसमें शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात बनते हैं।

      वायु राशियाँ क्या है उनका वर्गीकरण कीजिए?

      अक्षांशीय वितरण की दृष्टि से वायु राशियों को दो भागों में बाँटते हैं- प्रथम, धुवीय वायु राशि (P) तथा दूसरी, उष्ण वायु राशि (T)। पुनः स्थलाकृतिक विशेषताओं के दृष्टिकोण से या सतही विशेषताओं की दृष्टि से वायु राशियों को दो भागों में बाँटते हैं- प्रथम, महासागरीय (m) तथा दूसरी, महाद्वीपीय (c)।

      वायु राशियां क्या होती है?

      वायुराशि हवा का वह घना भाग है जिसका ताप एवं आर्द्रता एक समान एवं समतल हो। कुछ निश्चित स्थानों पर वायुमंडल में हवाओं की सामान्य गति के कारण वायु की विशाल राशि एकत्र हो जाती है, जिसकी अपनी विशेषताएँ और भौतिक दशाएँ, विशेषकर ताप और आर्द्रता, निश्चित तथा स्पष्ट होती हैं।

      वाताग्र किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं?

      क्या है वाताग्र? दो भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियोें (ताप, गति, घनत्त्व, आर्द्रता, दिशा आदि विशेषताओं के संदर्भ में) के मिलने से ढलुआ सतह का निर्माण होता है जिसे वाताग्र कहते हैं। दो भिन्न स्वभाव की वायुराशियाँ आपस में मिलकर एक संक्रमणीय क्षेत्र का निर्माण करती हैं जहाँ दोनों वायुराशियों की विशेषताएँ पाई जाती हैं

      वायु राशियों के निर्माण के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन सा है?

      विषुवतीय क्षेत्र जहाँ उच्च तापमान है, वहाँ निम्न दाब है। निम्न तापमान वाले ध्रुवीय क्षेत्रों में वायुदाब उच्च है। 30° उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों के पास दो उपोष्ण उच्चूदाब के और 60° उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशों के पास दो उपध्रुवीय निम्न दाब के मध्यवर्ती क्षेत्र हैं। दक्षिण अक्षांश पर वायु एकत्रित हो जाती है।