'स्पीकर' की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष यानि 'डेप्यूटी स्पीकर' लोकसभा की अध्यक्षता करता है। उसका निर्वाचन भी उसी प्रकार होता है, जैसे सदन द्वारा अध्यक्ष का किया जाता है। उसे भी अध्यक्ष की भांति उसके पद से हटाया जा सकता है। जब वह 'स्पीकर' के स्थान पर कार्य करता है, तो उसके पास स्पीकर की समस्त शक्तियां होती हैं और वह 'स्पीकर' के समस्त कार्य करता है। लेकिन जब सदन की अध्यक्षता 'स्पीकर' द्वारा की जा रही होती है, तब उपाध्यक्ष एक सामान्य सदस्य की भांति होता है। वह किसी भी अन्य सदस्य की भांति बोल सकता है, अपनी पार्टी से संबंध बना सकता है और किसी भी अन्य साधारण सदस्य की भांति किसी प्रस्ताव पर मत दे सकता है। उपाध्यक्ष को भी नियमित वेतन प्राप्त होता है। लोकसभा उपाध्यक्ष को एक विशेषाधिकार यह भी प्राप्त है कि जब उसे किसी संसदीय समिति का सदस्य नियुक्त किया जाता है, तो वह स्वतः ही उसका अध्यक्ष बन जाता है। अपने पद के विशेषाधिकार के कारण यदि वह चाहे तो किसी भी समिति की किसी भी सभा में उपस्थित हो सकता है व अध्यक्षता कर सकता है। ....अगला सवाल पढ़े Show
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams Web Title : Vartman Loksabha Upadhyaksh Kaun Hai खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ भारत के वर्तमान लोकसभा उपाध्यक्ष कौन है | Bharat ke Vartman Lok sabha upadhyaksh kaun hai” की जानकारी उपलब्ध कराने जा रहा हूँ, जिन्हे आप अध्ययन कर अपने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के उपयोग में ला करेंगे, आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा। तो चलिए जानते हैं – Bharat ke Vartman Lok sabha upadhyaksh kaun hai
Answer – भारत के वर्तमान लोकसभा उपाध्यक्ष का पद रिक्त है। लोकसभा उपाध्यक्ष कौन होता है ?अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष लोकसभा का कार्य निर्वाहन करता है। लोकसभा के उपाध्यक्ष को विपक्ष से चुने जाने की परंपरा है। लोकसभा के सदस्य अपने में से किसी एक का उपाध्यक्ष के रूप में चुनाव करते हैं। यदी संबंधित सदस्य का लोकसभा की सदस्यता खत्म हो जाती है तो उसका अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद भी खत्म हो जाता है। उपाध्यक्ष अपना त्याग पत्र अध्यक्ष को संबोधित करता है। लोकसभा के उपस्थित सदस्यों के बहुमत से संमत किये हुए प्रस्ताव के अनुसार अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पदच्युत (पद से निकाला जाना) किया जा सकता है। BUY BUYयह वेबसाईट आने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओ के लिए बहुत ही उपयोगी है । युपीएससी, पीएससी, आईएएस, आरआरबी , बैंकिंग , सिविल जज , डिस्ट्रिक्ट जज , पटवारी , जल शक्ति विभाग , आईबीपीएस ,पीओ क्लर्क, एसबीआई, आरबीआई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर । इस वेबसाईट का उदेश्य डेली करेंट अफेयर्स प्रश्नोत्तरी , विदेश और भारत सरकार की नितियां , केंद्र व राज्य सरकार की योजना , खेल गतिविधियाँ , पुरूस्कार , दिन -दिवस से सम्बंधित नवीनतम अपडेट उपलब्ध कराना है । This website is beneficial for upcoming competitive exams. Essential Questions and Answers for UPSC, PSC, IAS, RRB, Banking, Civil Judge, District Judge, Patwari, Forest Department, IBPS, PO Clerk, SBI, RBI Competitive Exams. The purpose of this website is to provide daily current affairs quiz, foreign and Indian government policies, central and state government plans, sports activities, awards, latest updates related to the day-day. लोक सभा उपाध्यक्ष का पद भारत के प्रमुख संवैधानिक पदों में से एक है | संसद के निचले सदन ,अर्थात लोक सभा में अध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर सदन के कार्यवाही की जिम्मेदारी लोक सभा के उपाध्यक्ष पर ही होती है | इस पद के इतिहास को 1919 के भारत सरकार अधिनियम (जिसे मोंटागु-चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है) में देखे जा सकते हैं जिसके आधार पर 1921 में इस पद का सृजन हुआ | 1921 से पहले भारत का गवर्नर जनरल केंद्रीय विधानपरिषद की बैठक का पीठासीन अधिकारी होता था । 1921 में सच्चिदानंद सिन्हा को केंद्रीय विधानपरिषद का प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया । उस समय अध्यक्ष व उपाध्यक्ष क्रमश: “प्रेसीडेंट” व “डिप्टी प्रेसीडेंट” कहलाते थे | भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत प्रेसीडेंट व डिप्टी प्रेसीडेंट को क्रमशः अध्यक्ष व उपाध्यक्ष कहा गया। आज़ादी के बाद एम.ए.आयंगर लोक सभा के प्रथम उपाध्यक्ष बने | इस लेख में लोक सभा उपाध्यक्ष के पद से जुड़े हर पहलु की जानकारी दी गई है | हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज आईएएस हिंदी | लोक सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव एवं पदत्यागलोक सभा के उपाध्यक्ष का चुनाव लोक सभा के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है । सदन में अध्यक्ष के चुने जाने के बाद अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव की एक तारीख निर्धारित करता है। इस तारीख पर सदन के सदस्य आपस में से ही किसी एक सदस्य को उपाध्यक्ष चुनते हैं | जब उपाध्यक्ष का स्थान रिक्त होता है तो लोकसभा दूसरे सदस्य को इस स्थान के लिए चुनती है। चुनाव के बाद अध्यक्ष की ही तरह, उपाध्यक्ष भी सदन के कार्यकाल तक (अर्थात साधारणतः 5 साल तक ) अपना पद धारण करता है। वह निम्नलिखित 3 परीस्थितियों में लोक सभा का उपाध्यक्ष नहीं रहता है:
कार्य एवं शक्तियां
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