हर्निया की बीमारी में क्या होता है? - harniya kee beemaaree mein kya hota hai?

कुछ लोगों के पेट या कमर में किसी जगह पर छोटा सा उभार दिखाई देने लगता है।इसे हर्निया कहते हैं। अधिकतर मामलों में इससे को परेशानी या दर्द नहीं होता है पर कुछ मामलों में हर्निया के कारण दर्द और असहजता भी देखने के मिल सकती है। दरअसल हर्निया तब होता है जब व्यक्ति का पेरिटोनियम कमजोर होता है या उसमें छेद होता है।

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पेरिटोनियम हमारे पेट में बनी मांसपेशियों की उस दीवार को कहते हैं जो पेट के अंगों को अंदर रखती है। पेरिटोनियम में कमज़ोरी के कारण अंदर के अंग और ऊतकों के कारण उभार पैदा होता है जो बाहर से साफ दिखता है। कभी-कभी इसे वापस अंदर धकेला जा सकता है। पर खांसते वक्त या कोई भारी काम करने से ये फिर से वापस सकता है।

हर्निया के प्रकार (Hernia Ke Prakaar)

जब वसायुक्त ऊतक या आंत का एक हिस्सा आपकी जांघ के ऊपरी तरफ कमर में प्रवेश करता है तो उसे इंगुइनल हर्निया कहते हैं। यह आमतौर पर होने वाला हर्निया है । यह मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने और पेट पर बार-बार खिंचाव पड़ने से बढ़ता है ।

जब वसायुक्त ऊतक या आंत का हिस्सा आपकी जांघ के ऊपरी तरफ ग्रोइन क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसे फेमोरल हर्निया कहते हैं । इस प्रकार का हर्निया के कम मामले देखने को मिलते हैं।यह अधिकतर महिलाओं को प्रभावित करते हैं।इस प्रकार का हर्निया भी उम्र बढ़ने और पेट पर बार-बार तनाव के साथ जुड़ा हुआ है।

जब वसायुक्त ऊतक या आंत का हिस्सा आपकी नाभि के पास पेट से उभरता है तो उसे अम्बिलिकल हर्निया कहते हैं। यह हर्निया शिशुओं में हो सकता है जब अम्बिलिकल कॉर्ड को जन्म के बाद ठीक से सील नहीं किया जाता है। हालांकि इससे वयस्क भी प्रभावित हो सकते हैं।यह पेट पर बार-बार दबाव पड़ने के कारण होता है।

जब पेट का हिस्सा डायफ्राम से छाती में उभरता है तो उसे हायटस हर्निया कहते हैं।डायफ्राम मांसपेशियों की पतली शीट होती है जो छाती को पेट से अलग करती है। इस प्रकार के हर्निया में कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। यह उम्र के साथ डायाफ्राम के कमजोर होने या पेट पर दबाव पड़ने का परिणाम हो सकता है।

  • इंसिजनल हर्निया– इस प्रकार के हर्निया में ऊतक पेट में एक सर्जिकल घाव से गुजरता है जो पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है।
  • एपिगैस्ट्रिक हर्निया- इसमें ऊतक पेट के माध्यम से, नाभि और स्तन के निचले हिस्से के बीच से गुजरता है
  • स्पिगेलियन हर्नियास– इस प्रकार के हर्निया में आंत का हिस्सा पेट की मांसपेशियों के किनारे पर आपकी नाभि के नीचे उभरता है।
  • डायफ्रामैटिक हर्नियास – इसमें पेट के अंग डायफ्राम के माध्यम से छाती में चले जाते हैं। यह शिशुओं को भी प्रभावित कर सकता है यदि उनका डायाफ्राम गर्भ में ठीक से विकसित नहीं होता है
  • मसल हर्नियास- ये आमतौर पर खेल में लगने वाली चोट के कारण पैर की मांसपेशियों में होते हैं। इनमें मांसपेशियों का हिस्सा ऊतक के माध्यम से उभर आता है

हर्निया होने के लक्षण (Hernia Ke Lakshan)

अधिकतर लोगों में हर्निया के खास लक्षण नहीं होते । उनके पेट में एक दर्द रहित सूजन होती है जो किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं करती। इसे तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि देर तक खड़े होने, शरीर को तनाव देने या भारी सामान उठाने पर हर्निया में असुविधा और दर्द हो सकता है।जब यह सूजन या दर्द बढ़ता है तो चिकित्सक को दिखाना आवश्यक होता है।जिनमें हर्निया के लक्षण खराब हो जाते हैं उन्हें ऊपरी कमर, पेट, छाती के नीचे की तरफ, कमर या नाभि में सूजन, उभार, उठा हुआ या सूजा हुआ क्षेत्र हो सकता है।

  • उभार की जगह पर तेज़ दर्द।
  • संबंधित मांसपेशियों को हिलाने या उपयोग करने पर दर्द
  • झुकने पर दर्द बढ़ जाता है।
  • उभार समय के साथ बड़ा होता जाता है।
  • जब आप सपाट लेटते हैं तो कुछ हर्निया छोटे हो सकते हैं या गायब हो सकते हैं।
  • यह महसूस करना कि आपकी आंतें फंसी हुई हैं।
  • उल्टी, कब्ज और मल में खून आना।
  • निगलने में कठिनाई, कमर क्षेत्र में कमजोरी

कुछ मामलों में हर्निया को तत्काल सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए, जब आंत का हिस्सा एक इनगुइनल हर्निया के कारण दबने लगने लगता है तो सर्जरी की नौबत आ सकती है। इनगुइनल हर्निया में लक्षण काफी खराब हो सकते हैं जैसे:

  • तेज़ दर्द
  • जी मिचलाना
  • उल्टी
  • बाहर निकल आए उभार को वापस पेट में नहीं धकेला जा सकता

पेट में आने वाली सूजन कठोर और दर्दनाक होती है जिसे वापस पेट में नहीं धकेला जा सकता है। वहीं हायटल हर्निया में तेज एसिड रिफ्लक्स के लक्षण पैदा सकते है।

हर्निया होने के कारण (Hernia Hone Ke Kaaran)

ज्यादातर मामलों में हर्निया होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। हर्निया की समस्या उम्र के साथ बढ़ सकती है। यह समस्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है।कई बार यह शिशु में जन्म के साथ मौजूद हो सकता है। जिन शिशुओं में पेट की दीवार कमज़ोर होती है उनमें ये बाद में भी विकसित हो सकता है। कई बार ऐसी गतिविधियां करने से जिनमें पेट पर दबाव पड़ता है वे हर्निया का कारण बन सकती हैं। इन गतिविधियों में शामिल हैं:

  • कब्ज़ के कारण शौच के समय पेट पर तनाव पड़ना
  • लम्बे समय से लगातार खांसी की समस्या
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस
  • बढ़ा हुआ प्रौस्टेट
  • पेशाब करने में दिक्कत होने पर जोर लगाना
  • शरीर का अधिक वजन होने के कारण
  • पेट के अंदर का द्रव
  • भारी सामान उठाना
  • पेरिटोनियल डायलिसिस
  • खराब पोषण
  • धूम्रपान
  • शारीरिक थकावट
  • अवरोही अंडकोष के कारण

हर्निया की बीमारी के दौरान आपका खान-पान (Aapki Diet Hernia ke Dauran)

हर्निया के दौरान आपको पौष्टिक आहार लेने पर ध्यान देना चाहिए।जानकार मानते हैं कि हर्निया की स्थिति में आपके खानपान का विशेष असर आपके लक्षणों पर पड़ सकता है।ऐसे में आप ऐसी चीज़ों का सेवन करें जो एसिडिटी ना पैदा करें जो पके लक्षणों को बिगाड़ सकती है। खाने में निम्नलिखित चीज़ें शामिल कर सकते हैं-

  • आहार में एचडीएल युक्त खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, अखरोट, ओट्स और अलसी के बीज शामिल करें।
  • टूना, सार्डिन, सैल्मन और मैकेरल जैसी मछली का सेवन कर सकते हैं।
  • अंडे की सफेदी और चिकन का सेवन करें।
  • साबुत अनाज, फलियां, सब्जियां और फल फाइबर से भरपूर होते हैं और इसलिए स्वस्थ होते हैं।इनका सेवन करने से पेट साफ करने में सानी होगी और पेट पर तनाव नहीं पड़ेगा।
  • कम वसा वाले दूध उत्पादों को शामिल करें ।
  • रोज़ाना एक कप ग्रीन टी का सेवन करें
  • केला, सेब, अमरूद, बीन्स, एवोकाडो, जामुन, जौ, क्विनोआ, चिया सीड्स, अंजीर, नारियल और भिंडी जैसे घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आपका लाभ होगा।
  • ब्रोकोली, हरी बीन्स, मटर, गाजर लाभकारी होते हैं।
  • अनाज, चोकर और दलिया ।
  • कम वसा वाला या मलाई रहित दूध, साथ ही कम वसा वाला दही
  • वसा रहित चीज़, क्रीम चीज़, और खट्टी क्रीम सभी विकल्प ले सकते हैं।

हर्निया होने पर इन चीजों से करें परहेज (Hernia hone par en cheezo se kare parhez)

हर्निया होने पर ऐसे भोजन से बचना चाहिए जो एसिडिटी बढ़ा सकते हैं या एसोफेजियल स्फिंक्टर को कमजोर कर सकते हैं।ऐसा होने पर पेट का एसिड एसोफैगस में आ सकता है और सीने में जलन की समस्या पैदा हो सकती है।निम्नलिखित चीज़ों से परहेज़ करें:-

  • रेड मीट, और शेलफिश में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है।इसे लेने से बचें।
  • ऐसा भोजन जिसमें बहुत सारा तेल हो।या फिर बहुत अधिक क्रीम और पनीर का इस्तेमाल किया गया हो।
  • सैचुरेटेड फैट जैसे मक्खन, मार्जरीन और घी से परहेज़ करें।
  • खट्टे फल और जूस जैसे संतरे, अंगूर, क्रैनबेरी जूस, और नींबू पानी, ना लें।
  • चॉकलेट
  • गर्म और मसालेदार भोजन
  • स्पेगेटी सॉस, पिज्जा, मिर्च, सालसा और टमाटर का रस लेने से बचें ।
  • कॉफी, चाय, और शराब से दूर रहें
  • कार्बोनेटेड पेय पदार्थ का सेवन ना करें।

हर्निया होने पर क्या करे (Hernia Hone par kya kare)

  • हर्निया होने पर कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें जैसे-
  • पौष्टिक और फाइबर युक्त भोजन ही लें।
  • भरपूर पानी पिएं।
  • खूब फलों का सेवन करें
  • तरल पदार्थ अधिक लें जिससे कब्ज़ की समस्या ना हो।
  • हल्की फुल्की वॉक करें जिससे वज़न ना बढ़े

हर्निया होने पर क्या ना करे (Hernia hone par kya Na Kare)

  • भारी सामान ना उठाएं
  • पेट पर तनाव ना पड़ने दें।
  • बहुत थकाने वाली गतिविधि में हिस्सा ना लें।
  • तला भुना मसालेदार भोजन ना खाएं।

हर्निया को घर पर ठीक कैसे करे (Hernia ko ghar paise kaise karein theek - Hernia Home Remedies in Hindi)

हर्निया को घरेलू नुस्खों की मदद से पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता पर लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है।हालांकि आपको सलाह यही दी जाती है कि डॉक्टर से परामर्श लिए बिना कोई भी व्यायाम या घरेलू उपचार न करें -

  • भारी व्यायाम से परहेज़ करें

    हर्निया के मुख्य कारणों में से एक है अधिक परिश्रम या व्यायाम करना है। यदि आप आदत के अनुसार हर्नियटा में भी भारी व्यायाम करने की सोच रहे हैं तो ऐसा मत करें। जो लोग हर्निया से पीड़ित हैं, उन्हें भारी वड़न उठाने से बचना चाहिए। हालांकि हर्निया में कुछ हल्के व्यायाम किए जा सकते हैं जैसे -

    1. लेट कर साइकिल चलाने वाला व्यायाम
    2. हर दिन कम से कम 30 मिनट के लिए वॉक करें
    3. साइकिल चलाएं
    4. तैरना लाभकारी है
    5. तैरने से तनाव और दर्द दूर हो सकता है। डॉक्टर की सलाह लेकर तैरने का अभ्यास करें।
  • योग करें
    योग करने से पेट की मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है।हालांकि ऐसे किसी भी योगासन से बचें जो आपके दर्द और परेशानी को बढ़ाता हो क्योंकि इससे आपकी स्थिति और भी खराब हो सकती है।
  • कम और हल्का भोजन
    हर्निया से पीड़ित लोग कम खाना खाएं औक हल्का भोजन लें तो उनके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। पेट पर कम दबाव डालेंगे तो भोजन को पचाना आसान होगा । इससे पाचन तंत्र पर तनाव नहीं पड़ेगा और हर्निया का दर्द कम होगा।
  • आइस पैक से सिंकाई
    हर्निया के कारण बहुत अधिक परेशानी हो रही हो तो हर्निया पर आइस पैक से सिंकाई करें। इससे सूजन कम होगी । बर्फ या आइस पैक को किसी मुलायम कपड़े में लपेटकर सिंकाई करें और इसे ज्यादा देर तक लगा ना रहने दें।
  • उच्च फाइबर आहार
    अधिक फाइबर के सेवन से आपको मल त्याग में आसानी होगी पेट पर तनाव नहीं पड़ेगा।
  • वजन घटाना
    मोटापे के कारण हर्निया का खतरा बढ़ सकता है या स्थिति बिगड़ सकती है।कोशिश करें कि वजन अधिक है तो उसे सावधानी पूर्वक कम किया जा सके।

हर्निया के इलाज (Hernia Ke Ilaaj)

हर्निया की समस्या आमतौर पर अपने आप ठीक नहीं होती है।इसका एकमात्र इलाज सर्जरी ही है। कई बार चिकित्सक ज्यादा गंभीर लक्षण ना होने पर गर्निया को जीवनशैली में बदलाव की मदद से मैनेज करने की सलाह देते हैं। पर जब लक्षण बढ़ने लगते हैं तो सर्जरी का विकल्प ही बचता है। यदि सर्जन को लगता है कि आपके लक्षण खतरनाक हैं या फिर आप खुद ही इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपके रोग के हिसाब से सर्जरी की योजना बनाई जाती है।

जिन बच्चों में अम्बिलिकल हर्निया होता है और 4 से 5 वर्ष का होने तक भी ठीक नहीं हो पा रहा है तो उन्हें सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। यदि किसी वयस्क को अम्बिलिकल हर्निया है तो भी सर्जरी की ही सलाह दी जाती है क्योंकि ये माना जाता है कि उनकी स्थिति में अपने आप सुधार नहीं हो सकता है और आगे चलकर रोग की जटिलताएं बढ़ सकती हैं।

हर्निया की सर्जरी तीन प्रकार से की जा सकती है:

  • ओपन सर्जरी
    इसमें जहां हर्निया है उस स्थान पर शरीर में एक कट लगाया जाता है। उभरे हुए ऊतक को वापस अपनी जगह पर सेट कर दिया जाता है और कमजोर मांसपेशियों की दीवार को वापस एक साथ जोड़ दिया जाता है। कभी-कभी अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए क्षेत्र में एक प्रकार का जाल लगाया जाता है।इसे मेश कहते हैं।ये पेट की दीवार की मांसपेशियों को सहारा देती है और अंदर के अंगों के अपने स्थान पर रोक कर रखती है। ओपन सर्जिकल रिपेयर में टांकों, जाली या दोनों का उपयोग करके हर्निया को बंद कर दिया जाता है और त्वचा में सर्जिकल घाव को टांके, स्टेपल या सर्जिकल ग्लू से बंद कर दिया जाता है।
  • लैप्रोस्कोपिक सर्जरी
    लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में भी ऐसी ही प्रक्रिया की जाती है। पर पेट या कमर के बाहरी हिस्से में कट लगाने के बजाय इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए शल्य चिकित्सा के आधुनिक उपकरणों का सहारा लिया जाता है जिन्हें अंदर भेजकर हर्निया को अपने स्थान पर वापस सेट किय़ा जाता है।इन आधुनिक उपकरणों को अंदर भेजने के लिए छोटे छोटे चीरे चीरे लगाए जाते हैं जिससे ऑपरेशन से तेजी से रिकवरी होती है।इस प्रकार की सर्जरी में संक्रमण जैसी जटिलताओं की संभावना कम होती है।इस सर्जरी में एक छोटे कैमरे और एक ट्यूब को शरीर के अंदर भेजा जाता है । इससे सर्जन को बेहतर देखने और काम करने के लिए जगह मिलती है।इसके बाद पेट को गैस से फुलाया जाता है।ये पूरा ऑपरेशन जनरल एनेस्थीसिया देकर ही किया जाता है।
  • रोबोटिक सर्जरी
    रोबोटिक सर्जरी में हर्निया की मरम्मत, लैप्रोस्कोप का उपयोग कर की जाती है।इसमें भी छोटे चीरे लगाए जाते हैं। रोबोटिक सर्जरी में सर्जन ऑपरेटिंग रूम में एक कंसोल पर बैठा होता है जिसकी मदद से उपकरणों को नियंत्रित करता है। आमतौर पर रोबोटिक सर्जरी का उपयोग कुछ छोटे हर्निया या पेट के कमजोर क्षेत्रों की सर्जरी के लिए किया जा सकता है। हालांकि अब इस सर्जरी की मदद से पेट की दीवार का पुनर्निर्माण भी किया जाने लगा है।
  • हर्निया के इलाज की लागत (Hernia ke Ilaaj ka Kharcha)

    भारत में हर्निया के इलाज की लागत की बात करें इस पर 20,000 रुपए से लेकर 80,000रुपए तक का खर्च आ सकता है। सर्जरी की लागत आपके रोग की स्थिति और आप कहां और किस डॉक्टर से सर्जरी करा रहे हैं इस पर भी निर्भर करती है।

    निष्कर्ष

    पेट की दीवार कमज़ोर होने के कारण पेट के अंगों के उभार के रूप में शरीर की सतह पर दिखाई देना हर्निया कहलाता है। हर्निया कई प्रकार के होते हैं ।कम गंभीर लक्षणों वाले हर्निया के साथ थोड़ा प्रबंधन कर के काम चलाया जा सकता है। पर अधिक गंभीर लक्षणों वाले हर्निया का इलाज केवल सर्जरी ही है। सर्जरी तीन प्रकार से हो सकती ओपेन सर्जरी,लैप्रोस्कोपिक सर्जरी और रोबोटिक सर्जरी। ये सर्जरी पूरी तरह सुरक्षित होती है और आपका समस्या को जड़ से थखत्म कर सकती है।

    हर्निया सर्जरी के लिए कौन पात्र नहीं है?

    जिन रोगियों की निम्नलिखित स्थितियां हैं, वे हर्निया सर्जरी के लिए आदर्श पात्र नहीं हैं:

    • आप सर्जिकल जटिलताओं के विकास के लिए प्रवण हैं।
    • आप 75 वर्ष से अधिक उम्र के हैं
    • आप लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं और आपका हर्निया पेट की दीवार से बाहर नहीं चिपक रहा है
    • आप एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं
    • आपको गंभीर संक्रमण है

    हर्निया - दृष्टिकोण/ रोग का निदान

    विशेष रूप से, हर्निया केवल शल्य चिकित्सा के साथ इलाज योग्य है और लैप्रोस्कोपिक हर्निया सर्जरी आपके शरीर को बहुत ज्यादा खोले बिना समस्या से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका है। कुछ जीवनशैली और खान-पान में बदलाव करके आप इस स्थिति से बच सकते हैं। यदि आपके हर्निया के कारण कोई दर्द नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर आपको सर्जरी के लिए जाने से पहले सावधानी से प्रतीक्षा करने की सलाह देते हैं। दवाएं केवल एक अस्थायी समाधान हैं जो केवल कुछ समय के लिए लक्षणों को कम कर सकती हैं। इसलिए, डॉक्टर की राय प्राप्त करना अत्यधिक अनुशंसित है। लगभग 10 प्रतिशत वयस्कों में, हर्निया रोगी को एक और सर्जरी से गुजरने की आवश्यकता की पुनरावृत्ति कर सकता है।

    हर्निया की पहचान कैसे होती है?

    हर्निया रोग के लक्षण (Symptoms of Hernia).
    प्रभावित हिस्सा उभरा हुआ दिखाई पड़ना.
    प्रभावित हिस्से को छूने पर हल्का दर्द होना.
    शरीर में भारीपन महसूस होना.
    देर तक खड़े रहने में परेशानी होना.
    मल-मूत्र त्याग करते समय कठिनाई होना.
    त्वचा के अंदर कुछ फुला-फुला महसूस करना.
    शरीर के किसी हिस्से से चर्बी का बाहर निकलना.

    हर्निया से क्या परेशानी होती है?

    क्या है हर्निया शरीर का कोई अंग जब अपनी कंटेनिंग कपैसिटी यानी अपने खोल या झिल्ली से बाहर निकाल आता है तो उसे हर्निया कहते हैं। इसमें मरीज को तेज दर्द होता है, चलने-फिरने में दिक्कत होती है और उलटी भी हो सकती है। यह आमतौर पर शरीर के किसी हिस्से की मसल्स की कमजोरी और वहां लगातार प्रेशर पड़ने की वजह से होता है।

    हर्निया के कारण और लक्षण क्या हैं?

    हार्निया की समस्या तब होती है जब शरीर का कोई हिस्सा अपनी जगह से बाहर निकल आता है। हार्निया के लक्षणों में वजन उठाते हुए दर्द का अनुभव, पेट में भारीपन, चक्कर और कब्ज आदि शामिल हैं। कई बार हार्निया के लक्षण महसूस हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं, जिसमें हल्के से तीव्र दर्द तक शामिल है।

    हर्निया का सही इलाज क्या है?

    हर्निया का उपचार सर्जरी के माध्यम से किया जाता है. हर्निया में दो तरह की सर्जरी होती है- पहली ओपन सर्जरी और दूसरी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी. ओपन सर्जरी में मरीज को 6 महीने का आराम करने के लिए कहा जाता है. इसमें व्यक्ति 6 महीने तक कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं कर सकता.