विस्थापन की समस्या से क्या तात्पर्य है शहर की अपेक्षा गांव में इस समस्या से अधिक प्रभावित होते हैं? - visthaapan kee samasya se kya taatpary hai shahar kee apeksha gaanv mein is samasya se adhik prabhaavit hote hain?

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विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।

विस्थापन उसे कहते हैं जब कोई व्यक्ति अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह जाने पर मजबूर हो जाता है या उसे बलपूर्वक वहां से हटा दिया जाता है। गांव और शहरों में विस्थापन की समस्या बढ़ती जा रही है। विकास, रोजगार और अपर्याप्त सुविधाओं के कारण अक्सर लोगों को अपनी जड़ें छोड़कर दूसरी जगह विस्थापित होना पड़ता है। ये एक कष्टदायी प्रक्रिया होती है। गरीबों के लिए ये स्थिति और विकराल हो जाती है। दूसरे शहर या गांव जाने के बाद उन्हें रहने को घर नहीं मिलता। वो दर—दर भटकने पर मजबूर हो जाते हैं। इसीलिए माटी वाली भी अपने विस्थापन की बात सोचकर व्याकुल हो उठती है।


These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।
आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सबै पहचानते थे?
उत्तर:
माटी वाली एक बूढ़ी औरत थी, जो कनस्तर में लाल मिट्टी भरकर शहर में घर-घर दिया करती थी। वह माटाखान से मिट्टी लाती थी। इसी मिट्टी को बेचकर वह अपना जीवनयापन करती थी। टिहरी के लोग माटी वाली को ही नहीं बल्कि उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते थे। इसके निम्नलिखित कारण रहे होंगे

  1. माटी वाली की लाल मिट्टी हर घर की आवश्यकता थी, जिससे चूल्हे-चौके की पुताई की जाती थी। इसके बिना किसी का काम नहीं चलता था।
  2.  मिट्टी देने का यह काम उसके अलावा कोई और नहीं करता था। उसका कोई प्रतिद्वंद्वी न था।
  3.  शहर से माटाखान काफी दूर था, इसलिए लोग अपने-आप मिट्टी नहीं ला सकते थे।
  4. शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई का काम नहीं किया जा सकता था। (७) माटी वाली हँसमुख स्वभाव की महिला थी, जो सबसे अच्छी तरह बातें करती थी।

प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर:
माटी वाली के सामने सबसे बड़ी और अहम समस्या यह थी कि वह अपना तथा बुड्डे का पेट कैसे भरेगी? और अगर उसे गाँव छोड़कर जाना पड़ा तो फिर गुजारा कैसे करेगी। अब तक तो माटाखान उसकी रोजी-रोटी बना हुआ था। वहाँ : से उजड़ने के बाद उसका क्या होगा—यह समस्या उसे ऐसा पागल बनाए हुए थी कि उसके पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं था।

प्रश्न 3.
“भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूख और भोजन का आपस में बहुत ही गहरा रिश्ता है। यदि खाने वाले को भूख लगी हो तो भोजन रुचिकर तथा स्वादिष्ट लगता है और खाने वाला का पेट पहले से भरा हो तो वही भोजन उसे अच्छा नहीं लगेगा। उसे भोजन में कोई स्वाद नहीं मिलेगा। भोजन की ओर देखने का उसका जी भी न करेगा। अतः स्वाद भोजन में नहीं बल्कि भूख में हैं।

प्रश्न 4.
‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने का मेरा दिल गवाही नहीं देता।’-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मालकिन कहती है कि उसे अपने पुरखों की सब चीजों से मोह है। न जाने उसके पुरखों ने कितनी मेहनत से, पेट काट-काटकर चीजें बनाई हों। इसलिए उन चीजों को सुरक्षित रखना ज़रूरी है। उन्हें बेचना, वह भी बहुत सस्ते में बेचे देना, गलत है।
मेरे विचार से, मालकिन की बातों में सत्य है। हमें जहाँ तक हो सके, अपने पूर्वजों की निशानी को बचाकर रखना चाहिए। परंतु पुरखों की विरासत का मोह जीवन से बड़ा नहीं होता। अगर जान पर संकट आ जाए, तो पुरखों की संपत्ति को बेचने से इनकार नहीं करना चाहिए। सहज स्वाभाविक स्थितियों में हमें उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए।

प्रश्न 5.
माटी वाली का रोटियों को इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर:
माटी वाली की वृद्धावस्था तथा गरीबी पर तरस खाकर घर की मालकिनें बची हुई एक-दों रोटियाँ, ताजा-बासी साग, तथा बची-खुची चाय दे दिया करती थीं, वह उनमें से एकाध रोटी अपने पेट के हवाले कर लेती थी तथा बाकी बची रोटियाँ कपड़े में बाँधकर रख लेती थी, ताकि वह इसे ले जाकर अपने वृद्ध, बीमार एवं अशक्त पति को खिला सके।
माटी वाली को जैसे ही दो या उससे अधिक रोटियाँ मिलती थीं वह तुरंत सोचने लगती थी कि इतनी रोटी मैं स्वयं खाऊँगी तथा इतनी बची रोटियाँ अपने पति के लिए ले जाऊँगी।
उसके द्वारा रोटियों का यूँ हिसाब लगाना उसकी गरीबी, मजबूरी तथा विवशता को प्रकट करता है। वह सुबह से शाम तक परिश्रम करने के बाद भी दो जून की रोटी का इंतजाम नहीं कर पाती है। यह उसकी विवशता ही है कि रोटियों का हिसाब लगाकर ही एकाध रोटी स्वयं खाती है तथा बाकी अपने पति के लिए रख लेती है।

प्रश्न 6.
आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माटी वाली एक मज़बूर पत्नी है। उसका पति विवश और बूढा है। वह काम करने के योग्य नहीं रहा। वह पूरी तरह अपनी पत्नी पर निर्भर हो चुका है। इसलिए माटी वाली उसका पूरा ध्यान रखती है। वह खुद खाने से पहले उसके लिए बचाकर रखती है। उसमें अपने जीवनसाथी के प्रति गहरा प्रेम और लगाव है। सच तो यह है कि अब वह उसके प्रति प्रेम नहीं वात्सल्य और करुणा रखने लगी है। जब से बूढ़ा दयनीय दशा में पहुँचा है, वह पति के प्रति सद्य हो उठी है।

प्रश्न 7.
“गरीब आदमी को श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए। इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘माटी वाली’ नामक इस पाठ में लेखक ने गरीबों के विस्थापन की समस्या को अत्यंत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। लेखक ने टिहरी से विस्थापित होने वाले लोगों के दर्द को अत्यंत गहराई से महसूस किया है। माटी वाली के पास न अपनी कोई जमीन थी और न माटाखान का कोई कागज। वह तो गाँव के ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी डालकर रहती है। माटीवाली एक दिन जब घरों में माटी पहुँचाकर आती है तो देखती है कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है।
माटी वाली के सामने इस समय मुख्य समस्या शहर से विस्थापित होने की नहीं, बल्कि अपने पति के अंतिम संस्कार की है, क्योंकि श्मशान घाट डूब चुके हैं। उसके लिए घर और श्मशान में कोई अंतर नहीं रह जाता है।
वह सोचती है कि एक ओर व्यक्ति प्रतिदिन विकास का दावा करता है, पर गरीब आदमी का सबकुछ छिना जा रहा है। मरने के बाद उसे जगह भी नहीं मिल रही है। वह पीड़ा एवं हताशा के कारण कहती है कि आम आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।

प्रश्न 8.
‘विस्थापन की समस्या पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
‘विस्थापन’ का अर्थ है-एक स्थान से उजड़कर दूसरे स्थान पर बसना। यह बहुत बड़ी समस्या है। विस्थापन से जीवन पूरी तरह हिल जाता है। कुछ भी निश्चित नहीं रहता। सब कुछ अनिश्चित हो जाता है। पुरानी सारी व्यवस्थाएँ छिन्न हो जाती हैं, पुराने मित्र छूट जाते हैं, आदतें लाचार हो जाती हैं। नए स्थान में फिर-से नई व्यवस्थाएँ बनानी पड़ती हैं, नए मित्र बनाने पड़ते हैं, नए विश्वास जमाने पड़ते हैं। नए स्थान के अनुसार ढलना पड़ता है। एक प्रकार से विस्थापन पुनर्जन्म के समान होता है। शांति की बजाय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

विस्थापन से सबसे बड़ी समस्या आती है-घरबार और रोजगार की। विस्थापित व्यक्ति कहाँ रहे? कौन-सा रोजगार करे? पुराने सारे काम-धंधे छूट जाते हैं। जिन लोगों को बुढ़ापे में विस्थापित होना पड़ता है, उनकी तो मानो मौत हो जाती है। सचमुच उनका बुढापा बिगड़ जाता है। टिहरी बाँध बनाने के सिलसिले में हजारों परिवारों को खेती-बाड़ी, काम-धंधा, नौकरी, व्यापार और निश्चित मजदूरी छोड़नी पड़ी। माटी वाली की पीड़ा हम समझ सकते हैं। पिछले दिनों भारत में अनेक बड़े-बड़े विस्थापन हुए। 1947 में भारत-पाक विभाजन हुआ।

लाखों लोग लाहौर से दिल्ली और दिल्ली से कराची आए-गए। इस विस्थापन में लाखों लोग मारे गए। अरबों की संपत्ति स्वाहा हुई। पिछले बीस सालों से कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी छोड़कर मारे-मारे फिर रहे हैं। वे ऐसे विस्थापित हैं, जिनकी किसी ने सुध नहीं ली। उनकी आजीविका गई, भाई-बंधु गए, शांति गई। जीवन खानाबदोश हो गया। इस प्रकार विस्थापन एक बहुत बड़ी समस्या है। इसे यथासंभव रोका जाना चाहिए। परंतु यदि विस्थापन अनिवार्य हो जाए तो विस्थापितों को सहानुभूतिपूर्वक बसाया जाना चाहिए।

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विस्थापन की समस्या से आप क्या समझते हैं?

बिजली व पानी आदि अन्य समस्याओं से जूझने के लिए नदियों पर बनाए गए बाँध द्वारा उत्पन्न विस्थापन सबसे बड़ी समस्या आई है। सरकार उनकी ज़मीन और रोजी रोटी को तो छीन लेती है पर उन्हें विस्थापित करने के नाम पर अपने कर्त्तव्यों से तिलांजलि दे देते हैं। कुछ करते भी हैं तो वह लोगों के घावों पर छिड़के नमक से ज़्यादा कुछ नहीं होता।

विस्थापन की समस्या लोगों पर क्या प्रभाव डालती है समाधान भी बताइए?

पलायन और विस्थापन की पीड़ा कितनी ह्रदय विदारक होती है इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। इसकी दर्द वही समझ सकता है, जो अपने घर से बेघर होता है। भारत में विस्थापन की समस्या कोई नई नहीं है। 1947 में बंटवारे ने जो देश के बीच एक लकीर खींची थी, उसने लाखों लोगों को इधर से उधर अपने घरों को छोड़ कर जाने को मजबूर कर दिया था।

विस्थापन की समस्या एक भयंकर समस्या है इस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है?

अपने पूर्वजों की उस विरासत को छोड़कर जाने में उन्हें किस दु:ख से गुजरना पड़ा होगा उस वेदना को वही जानते हैं। सरकार को चाहिए कि इस विषय में गंभीरता से सोचे व विस्थापन की स्थिति न आए ऐसे कार्य करने चाहिए। विस्थापन का अर्थ है किसी स्थान पर बसे हुए लोगों को कहीं से बलपूर्वक हटाना और वह जगह उनसे खाली करा लेना।

ख विस्थापन की समस्या क्या है उसके विविध कारण क्या क्या हो सकते हैं?

जब जब कोई प्राकृतिक विपदा ,आर्थिक व सामाजिक स्थिति आती है तब तब विस्थापन की समस्या लोगों के सामने खड़ी हो जाती है। भूकंप ,तूफान ,बाढ़ आदि की स्थितियों में लोगों को अपने घर से विस्थापित होना पड़ता है पर हमेशा के लिए नहीं बल्कि कुछ देर के लिए।