Show पंच तत्वों की ऊर्जा के प्रभाव को सकारात्मक बनाने का विज्ञान है वास्तु शास्त्र, चुंबकीय, थर्मल और विद्युत ऊर्जा से भी है इसका संबंध
रिलिजन डेस्क. हमारे आपपास कई तरह की ऊर्जा का प्रभाव रहता है जिनका असर हमारे जीवन पर भी पड़ता है। प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश (पंच तत्व) के बीच परस्पर क्रिया होती है, जिसका प्रभाव इस पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव पर पड़ता है। इन पांच तत्वों के बीच होने वाली परस्पर क्रिया को वास्तु शास्त्र कहा गया है। वास्तु शास्त्र पांच तत्वों की क्रियाओं का विज्ञान है। दक्षिण भारत में वास्तु का जनक साधु मायन को माना जाता है और उत्तर भारत में विश्वकर्मा को जिम्मेदार माना जाता है। 1) वास्तु शास्त्र से जुड़ी विशेष बातें बोलचाल की भाषा में वास्तु का अर्थ रहने की जगह यानि घर या निवासस्थान होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पंच तत्व के बीच सामंजस्य स्थापित करने की विघा है। वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष को मिलाकर बनाया गया है। यह माना जाता है कि वास्तुशास्त्र हमारे जीवन को बेहतर बनाने एवं नकारात्मकता को दूर रखने में मदद करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वास्तुशास्त्र हमें नकारात्मक तत्वों से दूर सुरक्षित वातावरण में रखता है। - वास्तुशास्त्र सदियों पुराना विज्ञान है, जिसमें वास्तुकला के सिद्धांत और दर्शन सम्मिलित हैं, जो किसी भी भवन निर्माण में बहुत अधिक महत्व रखते हैं। इनका प्रभाव मानव की जीवन शैली एवं रहन सहन पर पड़ता है। ऊर्जा स्रोत में चुंबकीय, थर्मल और विद्युत ऊर्जा भी शामिल होगी। जब हम इन सभी ऊर्जाओं का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं तो इनका प्रभाव आप पर पड़ना स्वभाविक ही है। ये प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार का हो सकता है। - वास्तु को किसी भी प्रकार के घर, मंदिर या ऑफिस के लिए उपयोग किया जा सकता है। ताकि हमारे आस पास बहने वाली उर्जा के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके। चुंबकीय, थर्मल और विद्युत ऊर्जा के संयोजन में अगर गड़बड़ी होती है तो इसका प्रभाव हमारे शरीर और विचरों को नकारात्मर रूप से प्रभावि करने लगता है। - जिस प्रकार हर ऊर्जा को रखने का एक सही स्थान होता है जैसे- यदि आप पानी को हाथ में रखेंगे तो कुछ नहीं होता लेकिन जब आप ऐसा आग के साथ करेंगे तो आपका हाथ जल जाएगा। वास्तु शास्त्र ऊर्जाओं में संयोजन बनाए रखने का काम करता है ताकि इसका उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जा सके। वास्तु से क्या होता है?माना जाता है कि वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को सुगम बनाने एवं कुछ अनिष्टकारी शक्तियों से रक्षा करने में हमारी मदद करता है। एक तरह से वास्तु शास्त्र हमें नकारात्मक ऊर्जा से दूर सुरक्षित वातावरण में रखता है। उत्तर भारत में मान्यता अनुसार वास्तु शास्त्र वैदिक निर्माण विज्ञान है, जिसकी नींव विश्वकर्मा जी ने रखी है।
वास्तु की उत्पत्ति कैसे हुई?भगवान शिव के पसीने से वास्तु पुरुष की उत्पत्ति हुई है। भगवान शिव का पसीना धरती पर गिरा तो उससे ही वास्तु पुरुष उत्पन्न होकर जमीन पर गिरा। वास्तु पुरुष को प्रसन्न करने के लिए वास्तु शास्त्र की रचना की गई। वास्तु पुरुष का असर सभी दिशाओं में रहता है।
वास्तु कितने प्रकार के होते हैं?वस्तु किसे कहते हैं | वस्तुओं के प्रकार | Vastu Kise Kahate Hain. उपभोक्ता वस्तु के प्रकार. अभौतिक वस्तु. भौतिक वस्तु. भौतिक वस्तु के प्रकार. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु. अर्धटिकाऊ उपभोक्ता वस्तु. एकल प्रयोग उपभोक्ता वस्तु. उत्पादक वस्तु. वास्तु के नियम क्या है?घर का वास्तु करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. * उत्तर दिशा में दक्षिण दिशा से ज़्यादा खुली जगह छोड़नी चाहिए. इसी तरह पूर्व में पश्चिम से ज़्यादा खुली जगह छोड़नी चाहिए. * मकान की ऊंचाई दक्षिण और पश्चिम में ज़्यादा होनी चाहिए.
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