हारेहु खेल जितावहिं मोही भारत के इस कथन का क्या आशय है - haarehu khel jitaavahin mohee bhaarat ke is kathan ka kya aashay hai

उत्तर- भरत के इस कथन का आशय है कि प्रभु श्रीराम का स्वभाव अत्यंत कोमल है । वे अपने अनुजों का विशेष ख्याल रखते हैं । वे खेल में भी उनको दुःखी नहीं देख सकते । खेल में वे भरत से स्वयं हार कर उन्हें इसलिए जिता देते थे ताकि उन्हें हार का दुःख न पहुँचे । वे स्वयं हार कर भरत को प्रसन्न कर देते थे । यह उनकी विनम्रता एवं कोमलता का उदाहरण है ।

' मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ । ' में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है ?  

  • उत्तर- इस कथन से राम की निम्नलिखित विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है – 
  • राम का स्वभाव अत्यंत कोमल है ।
  •  2. वे अपराधी पर भी क्रोध नहीं करते । 

वियोगावस्था में सुखकारी वस्तुएँ भी दुःख क्यों देने लगती हैं ? ' गीतावली ' से संकलित पदों के आधार पर उत्तर लिखिए ।  

  • उत्तर- जो वस्तुएँ सुखकाल में सुखदायी प्रतीत होती हैं , वे ही वस्तुएँ वियोगावस्था में दुःख का कारण बन जाती हैं । इसका कारण यह है कि हम उन चीजों को देखकर उनसे जुड़ी सुखद स्मृतियों में खो जाते हैं । उनसे जुड़े व्यक्तियों का स्मरण हो जाता है । यह बात शृंगार तथा वात्सल्य दोनों स्थितियों में उत्पन्न होती है । माता कौशल्या भी अपने पुत्र राम से संबंधित वस्तुओं को देखकर भाव - विह्वल हो जाती हैं । वह पुत्र के शीघ्र लौटने की कामना करने लगती हैं । 

गीतावली से संकलित पद ' राघौ एक बार फिरि आवौ ' में निहित करुणा और संदेश को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए । 

  • तर- ' राघौ एक बार फिरि आवौ ' पद में माता कौशल्या की मार्मिक दशा का अंकन है । वह अपनी विरह - व्यथा तो झेल ही रही थीं , साथ ही राम के अश्वों की दशा को देखकर उनका दुःख दुगुना हो जाता है । इन घोड़ों को श्रीराम अपने कर - कमलों से सहलाते थे , पर अब ये राम के वियोग में अत्यंत व्याकुल हैं । ये अश्व राम के वियोग मुरझाते जा रहे हैं । ऐसा लगता है कि जैसे कमल पर हिमपात हो गया हो । माता कौशल्या पथिक के हाथ राम को संदेश भिजवाती हैं कि मुझे इन घोड़ों की जान की बड़ी चिंता है । एक बार इन्हें आकर देख जाओ । 

मही सकल अनरथ कर मूला – पंक्ति द्वारा भरत के विचारों , भावों का स्पष्टीकरण कीजिए |

  • इस पंक्ति से यह स्पष्ट होता है की इस पृथ्वी पर होने वाले सभी गलत कार्यों के लिए वह खुद को दोषी मानते हैं | उन्होंने राम के वनवास के लिए अपनी माँ कैकयी को जिम्मेदार माना था पर बाद में उन्हें इसका पश्च्याताप होता है की माँ के लिए ऐसे शब्द नहीं बोलने चाहिए | और वो इन सब के लिए खुद को ही अपराधी मानने लगते हैं | 

राम के प्रति अपने श्रद्धा भाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं  ?  स्पष्ट कीजिए ?

  • भरत राम को अपना स्वामी मानते हैं और बचपन से ही राम की भरत पर विशेष कृपा रही है वे राम से बहुत प्यार करते हैं | भरत हमेशा अपने स्वामी राम के दर्शन करना चाहते हैं और उनके दर्शन करके भी उनके नेत्र कभी तृप्त नहीं होते वे हमेशा के लिए श्रीराम की सेवा करना चाहते हैं |

गीतावली के पद ‘जननी निरखति बाण धनुहियाँ’ के आधार पर राम के वन गमन के पश्चात्  माँ कौशल्या की मन की स्थिति का वर्णन कीजिए ?  

  • राम के वन चले जाने के बाद राजा दशरथ की मृत्यु हो जाती है और उसके बाद से माता कौशल्या बहुत दुखी रहने लगती है | घर में जहा कही भी उन्हें राम के बचपन की कोई चीज़ दिखती हैं तो उन्हें राम की याद आने लगती है | वे राम की बाण धनुष देखकर बार बार राम को याद करती हैं और उसे अपनी आँखों से और अपने हृदय से लगाती है | राम की सुंदर छोटी छोटी जूतियाँ देखकर  भी उन्हें राम की याद सताने लगती है |
    प्रस्तुत काव्य पंक्तियां भरत द्वारा श्री राम के लिए कहा गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से भरत कहते हैं कि प्रभु श्री राम बचपन में मुझे खेल में जिताने के लिए खुद हार जाते थे।

    मेरे भाई श्री राम बड़े ही दयालु एवं समस्त व्यक्तियों के लिए स्नेह का भाव रखने वाले व्यक्ति हैं। मुझे जीताकर श्रीराम मुझे हंसता हुआ देखना चाहते थे। वह कभी भी किसी को भी कष्ट नहीं देते हैं। प्रभु राम की प्रशंसा भरत द्वारा इन पंक्तियों में की गई है।


    प्रश्न 2. ‘मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ’ में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है? 

    उत्तर- राम के स्वभाव का चित्रण कुछ इस प्रकार से किया गया है-

    • प्रभु श्री राम बहुत ही दयालु प्रकृति के व्यक्ति हैं।
    • कारण हो या अकारण हो वह कभी भी किसी पर नाराज नहीं होते थे।
    • प्रभु श्री राम इतने दयालु हैं कि वह कभी भी किसी को उदास नहीं देख सकते थे। तभी तो जब भरत बचपन में उनके साथ खेलते थे तब जानबूझकर श्रीराम हार जाते थे।
    • भरत के अनुसार प्रभु श्रीराम अपराध करने वाले व्यक्ति पर भी कभी क्रोधित नहीं होते थे।

    प्रश्न 3. भरत का आत्म परिताप उनके चरित्र के किस उज्जवल पक्ष की ओर संकेत करता है?

    उत्तर- जब प्रभु श्री राम को वनवास जाना पड़ा इसके पीछे सबसे बड़ी वजह माता कैकई थी। माता कैकई अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनते हुए देखना चाहती थी और इसी वजह से उन्होंने दशरथ से राम को वनवास भेजने के लिए कहा था।

    जब राम वनवास जा रहे थे, तो सभी लोग भरत को ही दोषी मान रहे थे। माता कैकई को भी दोषी माना जा रहा था। उस वक्त भरत कहते हैं कि यह मेरे पूर्व जन्मों का पाप है। जिसकी सजा मेरे भाई श्री राम को मिल रही है। इस तरह वह अपनी माता की गलती का दोष अपने ऊपर ले लेते हैं।

    प्रश्न 4. राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं, स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर- संपूर्ण काव्य पंक्तियों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि भरत अपने भाई श्री राम से बहुत प्रेम करते हैं। जब वे अपने भाई श्री राम से मिलने वनवास जाते हैं, तो उनको देखकर उनके आंखों से आंसू बहाने लगते हैं।

    वन में श्री राम का जीवन कठिन था। उस कठिन जीवन को देखकर भरत भाव विभोर हो चुके थे। अपने भाई के इस कठिन दशा का जिम्मेदार वह स्वयं को ठहराते हैं।