उत्तर- भरत के इस कथन का आशय है कि प्रभु श्रीराम का स्वभाव अत्यंत कोमल है । वे अपने अनुजों का विशेष ख्याल रखते हैं । वे खेल में भी उनको दुःखी नहीं देख सकते । खेल में वे भरत से स्वयं हार कर उन्हें इसलिए जिता देते थे ताकि उन्हें हार का दुःख न पहुँचे । वे स्वयं हार कर भरत को प्रसन्न कर देते थे । यह उनकी विनम्रता एवं कोमलता का उदाहरण है । ' मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ । ' में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है ?
वियोगावस्था में सुखकारी वस्तुएँ भी दुःख क्यों देने लगती हैं ? ' गीतावली ' से संकलित पदों के आधार पर उत्तर लिखिए ।
गीतावली से संकलित पद ' राघौ एक बार फिरि आवौ ' में निहित करुणा और संदेश को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए ।
मही सकल अनरथ कर मूला – पंक्ति द्वारा भरत के विचारों , भावों का स्पष्टीकरण कीजिए |
राम के प्रति अपने श्रद्धा भाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं ? स्पष्ट कीजिए ?
गीतावली के पद ‘जननी निरखति बाण धनुहियाँ’ के आधार पर राम के वन गमन के पश्चात् माँ कौशल्या की मन की स्थिति का वर्णन कीजिए ?
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