हनुमान जी की पूजा कौन कौन कर सकता है? - hanumaan jee kee pooja kaun kaun kar sakata hai?

हनुमान इस कलयुग में एक ऐसे जाग्रत देवता हैं जो जल्दी ही प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं, कुछ लोग प्रतिदन तो कुछ मंगलवार और शनिवार के दिन पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की पूजा उपासना करते हैं । लेकिन हनुमान जी की पूजा के कुछ नियम बनायें गये है, अगर इनका पालन नहीं किया जाता तो गलती के कारण कृपा के स्थान पर दण्ड भी मिल सकता है । हनुमान जी हमेशा सब कि सेवा सहायता में तत्पर रहते हैं इसलिए तो शनिदेव ने हनुमान जी से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि जो कोई भी उनका पूजा आराधना करते रहेगा, उन्हें शनि से संबंधित दोष कभी नहीं लगेगा । जाने हनुमान जी की पूजा में किन किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ।

हनुमान इस कलयुग में एक ऐसे जाग्रत देवता हैं जो जल्दी ही प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं, कुछ लोग प्रतिदन तो कुछ मंगलवार और शनिवार के दिन पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की पूजा उपासना करते हैं । लेकिन हनुमान जी की पूजा के कुछ नियम बनायें गये है, अगर इनका पालन नहीं किया जाता तो गलती के कारण कृपा के स्थान पर दण्ड भी मिल सकता है । हनुमान जी हमेशा सब कि सेवा सहायता में तत्पर रहते हैं इसलिए तो शनिदेव ने हनुमान जी से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि जो कोई भी उनका पूजा आराधना करते रहेगा, उन्हें शनि से संबंधित दोष कभी नहीं लगेगा । जाने हनुमान जी की पूजा में किन किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ।

Kaise kare hanuman ji ki puja: हनुमानजी की पूजा करना बहुत ही सरल है लेकिन उसके नियम और सावधानियां जानना जरूरी है। पूर्ण भक्तिभाव के साथ ही पवित्र नियम से उनकी पूजा करने से वे बहुत जल्द ही प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। आओ जानते हैं कि कैसे करें बजरंगबली की पूजा।

पूजा का सबसे सही तरीका- कैसे करें हनुमान पूजा (How to do Hanuman Puja) :

1. प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।

2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद हनुमानजी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें और आप खुद कुश के आसन पर शुद्ध और पवित्र वस्त्र पहनकर बैठें।

3. मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। इसके बाद धूप, दीप प्रज्वलित करके पूजा प्रारंभ करें।

4. हनुमानजी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।

5. अच्छे से पंचोपचार पूजा करने के बाद उन्हें प्रसाद या नैवेद्य (भोग) अर्पित करें। नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।

6. अंत में हनुमानी की आरती उतारें और उनकी आरती करें। उनकी आरती करके नैवेद्य को पुन: उन्हें अर्पित करें और अंत में उसे प्रसाद रूप में सभी को बांट दें।

हनुमान जी की पूजा कौन कौन कर सकता है? - hanumaan jee kee pooja kaun kaun kar sakata hai?

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1. हनुमान पूजा में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा स्थल की साफ सफाई अच्‍छे से कर लें।

2. हनुमान पूजा एक पवित्र जगह पर बैठकर ही करना चाहिए। खासकर या तो आपके घर के पूजास्थल पर, मंदिर में, तीर्थ क्षेत्र में या पहले से नियुक्त साफ सफाई करके पवित्र की गई जगह पर।

3. हनुमान पूजा को विशेष मुहूर्त में ही करें या सुबह और शाम को ही करें।

4. हनुमान पूजा- पाठ के दौरान उपयोग किए गए फूल लाल रंग के रखें।

5. हनुमान पूजा के पहले दीप प्रज्वलित जरूर करना चाहिए। दीपक में जो बाती लगाई जा रही है वह भी लाल सूत (धागे) की होनी चाहिए। किसी भी स्थल पर पूजा करने के पूर्व दीप जरूर प्रज्वलित करें। हनुमान पूजा के दौरान जो दीपक जला रहे हों उसमें चमेली का तेल या शुद्ध घी होना चाहिए।

6. हनुमानजी पूजा के बाद आरती करें और फिर उन्हें गुड़ और चने का प्रसाद जरूर ‍अर्पित करें। इसके आलावा चाहें तो केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग लगाएं।

7. हनुमानजी पूजा के दौरान सिर्फ एक वस्त्र पहनकर ही पूजा करें।

9. हनुमान मूर्ति या चित्र को लकड़ी के पाठ पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें और खुद कुश के आसन पर बैठकर ही पूजा करें।

हनुमान जी की पूजा कौन कौन कर सकता है? - hanumaan jee kee pooja kaun kaun kar sakata hai?

हनुमान पूजा की 10 सावधानियां- (10 Precautions Of Hanuman Puja) :

1. जिस दिन पूजा करना हो उसके एक दिन पूर्व से ही मांस, मदिरा आदि का सेवन करना छोड़ दें।

2. जिस दिन पूजा करना हो उसके एक दिन पूर्व से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना प्रारंभ करें और मन में किसी भी प्रकार का कामुक विचार न रखें।

हनुमानजी की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है। लेकिन भक्त को तो किसी भी तरीके से कोई मतलब नहीं और भक्त लाभ की चिंता नहीं करता है। हनुमानजी का नाम ही उसके लिए मंत्र, चालीसा और पूजा है। फिर भी जो कोई भक्त यदि संकट में हो और उसे हनुमानजी को जल्दी प्रसन्न करना हो तो वह हनुमानजी की अच्छे से पूजा करके उन्हें यह चढ़ा सकते हैं।

हनुमानजी को जो सामग्रियां चढ़ाई जाती हैं, उनके 2 भाग हैं- पहली खाद्य सामग्री और दूसरी पूजा सामग्री।

आपने सुनी होगी एक प्रचलित लोकोक्ति 'बीड़ा उठाना'। इसका अर्थ होता है- कोई महत्वपूर्ण या जोखिमभरा काम करने का उत्तरदायित्व अपने ऊपर लेना। यदि आपके जीवन में कोई घोर संकट है या ऐसा काम है जिसे करना आपके बस का नहीं है, तो आप अपनी जिम्मेदारी हनुमानजी को सौंप दें। इसके लिए आप मंगलवार के दिन किसी मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करें। रसीला बनारसी पान चढ़ाकर मांग लीजिए मनचाहा वरदान।

2. लौंग, इलायची और सुपारी

हनुमानजी को लौंग, इलायची और सुपारी भी पसंद है। शनिवार के दिन लौंग, सुपारी और इलायची चढ़ाने से शनि का कष्ट दूर हो जाता है। कच्ची घानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें, संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।

गरीबी से मुक्ति के लिए 1 नारियल पर सिन्दूर लगाएं और मौली यानी लाल धागा बांधें। इसके बाद यह नारियल हनुमानजी को चढ़ाएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार को करें। यदि इसी नारियल को लाल कपड़े में राई के साथ लपेटकर घर के दरवाजे पर बांध दिया जाए, तो घर में किसी भी प्रकार की अला-बला नहीं आती है, जादू-मंतर या तंत्र का असर नहीं होता है और किसी की नजर भी नहीं लगती है।

हनुमानजी को गुड़ और चने का प्रसाद तो अक्सर चढ़ाया ही जाता है। यह मंगल का उपाय भी है। इससे मंगल दोष मिटता है। यदि आप कुछ भी चढ़ाने की क्षमता नहीं रखते या किसी और कारण से चढ़ा नहीं पाते हैं तो सिर्फ गुड़ और चना ही चढ़ाकर हनुमानजी को प्रसन्न कर सकते हैं। हर मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। इससे आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। हालांकि आजकल गुड़ की जगह चिरौंजी ज्यादा मिलती है लेकिन चने के साथ गुड़ का ही संयोग होता है।

इमरती का भोग लगाने से संकटमोचन अत्यंत प्रसन्न होते हैं। आपकी जो भी मनोकामनाएं हैं, वे पूर्ण हो जाएंगी। बस, मंगलवार के दिन हनुमानजी को इमरती चढ़ा आएं।

हनुमानजी को 3 तरह के लड्डू पसंद हैं- एक केसरिया बूंदी लड्‍डू, दूसरा बेसन के लड्डू और तीसरा मलाई-मिश्री के लड्‍डू। इसमें बेसन के लड्‍डू उन्हें खास पसंद हैं। लड्डू चढ़ाने से हनुमानजी भक्तों को दे देते हैं मनचाहा वरदान और उसकी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। लड्डू चढ़ाने से पापी ग्रह भी काबू में रहते हैं।

उज्जैन में मंगलनाथ पर केसर-भात से मंगल की शांति होती है। हनुमानजी को भी केसर-भात का भोग लगाया जाता है। इससे हनुमानजी बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। कोई व्यक्ति 5 मंगलवार हनुमानजी को यह नैवेद्य लगाता है, तो उसके हर तरह के संकटों का समाधान होता है।

ऐसी मान्यता है कि अगर हनुमानजी को मंगलवार के दिन रोट या मीठा रोटी का भोग लगाया जाता है तो मनवांछित फल मिलता है। गेहूं के आटे में गुड़, इलायची, नारियल का बूरा, घी, दूध आदि मिलाकर रोट बनाया जाता है। कुछ जगह इसे सेंककर रोटी जैसा बनाकर भोग लगाते हैं और कुछ जगह इसे पूरियों की तरह तलकर इसका भोग लगाते हैं। यह रोट हनुमानजी को बहुत प्रिय है।

काजू, बादाम, किशमिश, छुआरा, खोपरागिट पंचमेवा के नाम से जाने जाते हैं। इसका भी हनुमानजी को भोग लगता है।

यदि आप कर्ज में डूबे हैं तो आटे के बने दीपक में चमेली का तेल डालकर उसे बड़ के पत्ते पर रखकर जलाएं। ऐसे 5 पत्तों पर 5 दीपक रखें और उसे ले जाकर हनुमानजी के मंदिर में रख दें। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार को करें। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाने से शनि की बाधा भी दूर हो जाती है।

मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को घी के साथ सिन्दूर अर्पित करने से स्वयं को भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है और उसके बिगड़े काम बन जाते हैं। मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमानजी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगली दोष शांत होता है। कहते हैं कि सिन्दूर के साथ चमेली का तेल भी चढ़ाना चाहिए। सिन्दूर चढ़ाने से एकाग्रता में वृद्धि होती है और दृष्टि भी बढ़ती है। इससे सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। जो व्यक्ति शनिवार को हनुमानजी को सिन्दूर अर्पित करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

चमेली का तेल हनुमानजी को चढ़ाने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। प्रत्येक मंगलवार चमेली के तेल का दीपक जलाकर चमेली का तेल और फूल चढ़ाने से हनुमानजी की कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। भूत-प्रेत का साया नहीं रहता और किया-कराया भी मिट जाता है। आप हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाकर दुश्मनों से छुटकारा पा सकते हैं। कहते हैं कि चमेली के तेल के साथ सिन्दूर भी चढ़ाना चाहिए। यदि आप बीमार हैं या घर का कोई सदस्य बीमार है तो प्रतिदिन हनुमानजी के समक्ष 3 कोनों वाला दीपक जलाएं। दीपक में चमेली का तेल हो और हनुमान बाहुक का पाठ करें।

5 बत्तियों वाले दीये में चमेली का तेल डालकर हनुमानजी की मूर्ति के सामने जलाएं और 'साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निना योजितं मया। दीपं गृहन्तु देवेशास्त्रैलौक्यतिमिरापहम्' मंत्र का जाप करें। इससे भरपूर लाभ मिलेगा। हनुमानजी के सम्मुख शनिवार रात्रि में चौमुखा दीपक जलाएं। यह उपाय नियमित रूप से करने पर आपके घर-परिवार की सभी परेशानियां समाप्त होंगी।

हनुमानजी को यूं तो लाल या केसरिया ध्वज या झंडा चढ़ाया जाता है किसी कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु या युद्ध में विजय हेतु। हालांकि झंडा चढ़ाने वाले का मान-सम्मान बढ़ता जाता है और उसे हर कार्य में तरक्की मिलती है। यह झंडा त्रिकोणीय होना चाहिए और उस पर 'राम' लिखा होना चाहिए। इससे हर तरह की संपत्ति संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करने पर सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं।

हनुमानजी को तुलसी की माला चढ़ाई जाती है। इससे तुरंत ही संकट मिट जाते हैं और समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान को तुलसी की माला चढ़ाने से व्यक्ति को धनलाभ की प्राप्ति होती है। तुलसी खाते रहने से किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं होता है और इससे प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इसमें एक ऐसा पदार्थ होता है, जो सफेद दाग नहीं होने देता है।

हनुमानजी को 'राम' का नाम बहुत प्रिय है। भगवान श्रीराम की पूजा करने से हनुमानजी बहुत प्रसन्न होते हैं। पीपल के पत्ते पर चमेली के तेल और सिन्दूर से 'राम' नाम लिखें और इसे हनुमानजी को चढ़ाएं। यह कार्य करने से सभी तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। यह भी कर सकते हैं- पीपल के 11 पत्तों पर चंदन या कुमकुम से श्रीराम का नाम लिखें। इसके बाद इन पत्तों की माला बनाकर हनुमानजी को चढ़ाएं।

हनुमानजी अपने कांधे पर जनेऊ धारण करते है। दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु हनुमानजी को मंगलवार को जनेऊ चढ़ाई जाती है। जनेऊ को यज्ञोपवीत भी कहते हैं।

हनुमानजी को लाल, गुलाबी और पीले रंग के फूल अर्पित करने से आपको लाभ प्राप्त होगा। हनुमान जयंती से ही ऐसा करना प्रारंभ करें। मंगलवार को हनुमानजी को लाल या पीले फूल जैसे कमल, गुलाब, गेंदा या सूर्यमुखी चढ़ाने से सारे वैभव व सुख प्राप्त होते हैं।

हनुमानजी को लाल चंदन में केसर मिलाकर चढ़ाएं या उनकी मूर्ति पर इसे लगा दें। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार को करें और इस दौरान घर में हनुमान चालीसा का पाठ करते रहें। इससे गृह क्लेश दूर हो जाएगा और घर में हमेशा शांति बनी रहेगी। लाल चंदन घिसा हुआ हुआ चाहिए, बाजार से लाया हुआ नहीं?

सिन्दूर और चमेली के तेल का दीपक जलाकर हनुमानजी को लाल लंगोट अर्पित करें। कहते हैं कि यह उपाय प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता देता है।

हनुमानजी को चोला चढ़ाने में उपरोक्त सभी सामग्री शामिल हो जाती है। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ते हुए कम से कम 3 माह में 1 बार चोला चढ़ाते रहने से व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है। और अगर कोई संकट है तो वह मिट जाता है। जो व्यक्ति चोला चढ़ाता रहता है उसके जीवन में भूत-पिशाच, शनि और ग्रह बाधा, रोग और शोक, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना, कर्ज, तनाव या चिंता जैसे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं रहती है।

क्या महिलाओं को हनुमान की पूजा करनी चाहिए?

हनुमान जी को कुछ भी अर्पित करते समय उनके सामने रखना चाहिए. शास्‍त्रों में कहा गया है कि महिलाओं को हनुमान जी की उपासना नहीं करनी चाहिए. अगर किसी महिला ने 9 हनुमान जी के फास्‍ट रखने का अनुष्‍ठान किया हो और बीच में उसे पीरियड्स हो जाएं तो यह अनुष्‍ठान टूट जाता है. इसलिए महिलाओं को हनुमान जी का व्रत नहीं रखना चाहिए.

हनुमान जी की पूजा कौन कर सकता है?

हनुमानजी की पूजा पुरुष और महिलाएं दोनों ही कर सकते हैं और दोनों को ही समान रूप से हनुमानजी वरदान देते हैं। लेकिन उनकी पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। कलयुग में हनुमानजी की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है।

क्या लड़कियां हनुमान चालीसा पढ़ सकती है?

महिलाएं हनुमान चालीसा, संकट मोचन, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ कर सकती हैं। महिलाएं हनुमान जी का भोग प्रसाद अपने हाथों से बनाकर अर्पित कर सकती हैं। महिलाएं लंबे अनुष्ठान नहीं कर सकती।

हनुमान जी खुश होने पर क्या संकेत देते हैं?

शनि की साढ़े साती, ढैया या अन्य किसी भी तरह की शनि पीड़ा का असर अगर आप पर नहीं होता है यह इस बात का संकेत है कि हनुमान जी आप से प्रसन्न हैं. यदि आप झूठ नहीं बोलते, सबसे प्रेम भाव रखते हैं, दोस्तों और परिवार क साथ आप किसी विवाद में नहीं उलझते तो यह हनुमान जी की कृपा होने का संकेत है.