वर्षा जल संग्रहण का प्रमुख लाभ क्या है? - varsha jal sangrahan ka pramukh laabh kya hai?

पानी को पुन: उपयोग के लिए वर्षा जल का संचय और भंडारण और उसे बह जाने से रोकना ही वर्षा जल संचयन के रूप में जाना जाता है। हम इसे कई जगहों जैसे नदी, छत आदि में इकट्ठा कर सकते हैं और कुएं, बोरवेल, शाफ्ट, रिसाव के साथ एक जलाशय आदि पर पुनः प्रेषित कर सकते हैं।

हम इसका उपयोग बगीचों में पानी भरने, पशुओं के पीने, सिंचाई, घरेलू उपयोग के लिए करते हैं। यह घरों के लिए पानी की स्व-आपूर्ति की सबसे पुरानी और सरल विधियों में से एक है।

वर्षा जल संग्रहण का इतिहास

वर्षा जल संग्रहण(rainwater harvesting) पानी बचाने की एक पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है। इससे भूजल का स्तर भी बढ़ता है। इस पद्धति के प्रभावी उपयोग से हमें अपनी पृथ्वी को बचाने में मदद मिलती है। मुझे उम्मीद है कि आपको वर्षा जल संग्रहण पर यह जानकारीपूर्ण लेख पसंद आया होगा।

दो जल अपवाह क्षेत्रों की सीमा को जल विभाजक कहते हैं। यह सीमा दो जल अफवाहों के क्षेत्रफल को एक दूसरे से अलग करती है। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि कोई भी क्षेत्रफल जिसमें वर्षा का जल एकत्रित होकर किसी नदी नाले के द्वारा अपवाहित होता है वाटर सेड कहलाता है। यह नदी बेसिन का पर्यायवाची है।

वर्षा जल संग्रहण का प्रमुख लाभ क्या है? - varsha jal sangrahan ka pramukh laabh kya hai?

जल विभाजक प्रबंधन के उद्देश्य
जल विभाजक प्रबंधन के मुख्य उद्देश्य निमृत प्रकार हैंः

पारिस्थितिकी संतुलन स्थापित करना।
मिट्टी का संरक्षण कर वर्षा जल का संचय करना।
वाटर सेड के क्षेत्रफल में टिकाऊ कृषि का विकास करना, वृक्षारोपण करना तथा पशु पालन करना।

वाटर शेड प्रबंधन के सिद्धांत
भूमि उपयोग उसकी क्षमता के अनुसार किया जाना चाहिए।
वर्षा के अधिकतर जल को जलाशयों, झीलों एवं तालाबों में संचित करना।
भूमि को अपरदन से बचाना।
फसलों एवं कृषि सघनता में वृद्धि करना।
सीमांत भूमि एवं कम उपजाऊ एवं बंजर भूमि का सदुपयोग करना।
पारिस्थितिकी परितंत्र एवं पर्यावरण को टिकाऊ बनाना।
उपयुक्त फसलों के प्रति रूपों की पहचान करना

विधि तंत्र- वाटर शेड प्रबंधन में जल संचयन उपयोग एवं सदुपयोग पर विशेष बल दिया जाता है। इन मान चित्रों के साथ-साथ फसलों के प्रति रूपों उनकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता फसलों की बीमारी इत्यादि का भी अवलोकन किया जाता है। इस प्रकार के मानचित्र के अध्ययन के पश्चात उपयुक्त कृषि पद्धति, सामाजिक वानिकी, मृदा संरक्षण तथा जल संरक्षण की योजनाएं बनाई जाती है।

इसे सुनेंरोकेंवर्षा जल संचयन या रेन वाटर हारवेस्टिंग से ज्यादा से ज्यादा पानी को अलग-अलग जगहों में इकट्ठा किया जाता है जैसे बांधों में, कुओं में और तालाबों में। अलग-अलग जगहों में पानी का संचयन करने के कारण जमीन पर बहने वाले जल की मात्रा में कमी आती है जिससे बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को रोकने में मदद मिलती है

जल संस्थान से क्या समझते हैं वर्णन किजिये?

इसे सुनेंरोकेंजल संसाधन जल के वे स्रोत हैं जो मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं। जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। जल एक अक्षय प्राकृतिक संसाधन है। एक अक्षय संसाधन वह संसाधन होता है जिसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से प्रतिस्थापित हो जाता है।

वर्षा जल का संरक्षण कैसे कर सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा जल का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए जरूरी है। सतह से बारिश के पानी को इकट्‌ठा करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। इससे छोटे तालाबों, भूमिगत टैंकों, बांध आदि के इस्तेमाल से जल संरक्षण किया जा सकता है। भूमिगत पुनर्भरण तकनीक जल संग्रहण का एक नया तरीका है।

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क्यों वर्षा जल संचयन के लिए आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंवर्षाजल संरक्षण• भूमि जल भण्डारण में वृद्धि और जल स्तर में गिरावट पर नियन्त्रण करने के लिए। भमि जल गुणवत्ता में सुधार के लिए। पानी के सतही बहाव, जो अन्यथा नालों में भरकर रूक जाता है, को कम करने के लिए। भूमि जल के प्रदूषण को कम करने के लिए।

वर्षा जल Sangrahan ke क्या है Uddeshy?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा जल संरक्षण का मुख्य उद्देश्य घरों के छत पर जल संचय कर भू-जल को रिचार्ज करना है ताकि जमीन का जलस्तर बरकरार रह सके तथा पेयजल की समस्या उत्पन्न न हो । वर्षा जल संरक्षण के अलावे वृक्षारोपण, छोटे-छोटे चेक डैम, तालाब आदि से भी जलस्तर को बनाए रखा जा सकता है

वर्षा जल संचयन वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन २१४ बिलियन घन मी. (बीसीएम) के रूप में किया गया है जिसमें से १६० बीसीएम की पुन: प्राप्ति हो सकती है।[1] इस समस्या का एक समाधान जल संचयन है। पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धता, फसलों की सिंचाई के विकल्प के रूप में जल संचयन प्रणाली को विश्वव्यापी तौर पर अपनाया जा रहा है। जल संचयन प्रणाली उन स्थानों के लिए उचित है, जहां प्रतिवर्ष न्यूनतम २०० मिमी वर्षा होती हो। इस प्रणाली का खर्च ४०० वर्ग इकाई में नया घर बनाते समय लगभग बारह से पंद्रह सौ रुपए मात्र तक आता है।[2]

उपयोग

जल संचयन में घर की छतों, स्थानीय कार्यालयों की छतों या फिर विशेष रूप से बनाए गए क्षेत्र से वर्षा का एकत्रित किया जाता है। इसमें दो तरह के गड्ढे बनाए जाते हैं। एक गड्ढा जिसमें दैनिक प्रयोग के लिए जल संचय किया जाता है और दूसरे का सिंचाई के काम में प्रयोग किया जाता है। दैनिक प्रयोग के लिए पक्के गड्ढे को सीमेंट व ईंट से निर्माण करते हैं और इसकी गहराई सात से दस फीट व लंबाई और चौड़ाई लगभग चार फीट होती है। इन गड्ढों को नालियों व नलियों (पाइप) द्वारा छत की नालियों और टोटियों से जोड़ दिया जाता है, जिससे वर्षा का जल साधे इन गड्ढों में पहुंच सके और दूसरे गड्ढे को ऐसे ही (कच्चा) रखा जाता है। इसके जल से खेतों की सिंचाई की जाती है। घरों की छत से जमा किए गए पानी को तुरंत ही प्रयोग में लाया जा सकता है। विश्व में कुछ ऐसे इलाके हैं जैसे न्यूजीलैंड, जहां लोग जल संचयन प्रणाली पर ही निर्भर रहते हैं। वहां पर लोग वर्षा होने पर अपने घरों के छत से पानी एकत्रित करते हैं।

संचयन के तरीके

पहाड़ियों में जल संचयन की प्रणाली का आरेख

शहरी क्षेत्रों में वर्षा के जल को संचित करने के लिए बहुत सी संचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है।[3] ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा जल का संचयन वाटर शेड को एक इकाई के रूप लेकर करते हैं। आमतौर पर सतही फैलाव तकनीक अपनाई जाती है क्योंकि ऐसी प्रणाली के लिए जगह प्रचुरता में उपलब्ध होती है तथा पुनर्भरित जल की मात्रा भी अधिक होती है। ढलान, नदियों व नालों के माध्यम से व्यर्थ जा रहे जल को बचाने के लिए इन तकनीकों को अपनाया जा सकता है। गली प्लग, परिरेखा बांध (कंटूर बंड), गेबियन संरचना, परिस्त्रवण टैंक (परकोलेशन टैंक), चैक बांध/सीमेन्ट प्लग/नाला बंड, पुनर्भरण शाफ्‌ट, कूप डग वैल पुनर्भरण, भूमि जल बांध/उपसतही डाईक, आदि।[3] ग्रामीण क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षाजल से उत्पन्न अप्रवाह संचित करने के लिए भी बहुत सी संरचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में इमारतों की छत, पक्के व कच्चे क्ष्रेत्रों से प्राप्त वर्षा जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों में पुनर्भरित किया जा सकता है व ज़रूरत के समय लाभकारी ढंग से प्रयोग में लाया जा सकता है। वर्षा जल संचयन की प्रणाली को इस तरीके से अभिकल्पित किया जाना चाहिए कि यह संचयन/इकट्‌ठा करने व पुनर्भरण प्रणाली के लिए ज्यादा जगह न घेरे। शहरी क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षा जल का भण्डारण करने की कुछ तकनीके इस प्रकार से हैं[3]: पुनर्भरण पिट (गड्ढा), पुनर्भरण खाई, नलकूप और पुनर्भरण कूप, आदि।

भारत में संचयन

भारत में मित जलीय क्षेत्रों, जैसे राजस्थान के थार रेगिस्तान क्षेत्र में लोग जल संचयन से जल एकत्रित किया करते हैं। यहां छत-उपरि जल संचयन तकनीक अपनायी गयी है। छतों पर वर्षा जल संचयन करना सरल एवं सस्ती तकनीक है जो मरूस्थलों में हजारों सालों से चलायी जा रही है। पिछले दो ढाई दशकों से बेयरफूट कॉलेज पंद्रह-सोलह राज्यों के गांवों और अंचलों के पाठशालाओं में, विद्यालय की छतों पर इकठ्ठा हुए वर्षा जल को, भूमिगत टैंकों में संचित करके ३ करोड़ से अधिक लोगों को पेयजल उपलब्ध कराता आया है। यह कॉलेज इस तकनीक को मात्र वैकल्पिक ही नहीं बल्कि स्थायी समाधान के रूप में विस्तार कर रहा है।[4] इस संरचना से दो उद्देश्यों पूर्ण होते हैं:-

  • पेयजल स्रोत, विशेषत: शुष्क मौसम के चार से पांच माह
  • स्वच्छता सुविधाओं में सुधार के लिए साल भर जल का प्रावधान

इस प्रकार स्थानीय तकनीकों से, विशेषत: आंचलिक क्षेत्रों में, समाज के विभिन्न वर्गों के अनेक प्रकार से प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है।

वर्षा जल संग्रहण के क्या लाभ है?

वर्षा जल संचयन के द्वारा ज्यादा से ज्यादा पानी एकत्र किया जा सकता है जिससे मुफ्त में गर्मी के महीनों में कृषि से किसान पैसे कमा सकते हैं तथा पानी पर होने वाले खर्च को भी बचा सकते हैं। इसकी मदद से साथ ही ज्यादा बोरवेल वाले क्षेत्रों में बोरवेल के पानी को सूखने से भी रोका जा सकता है।

जल संरक्षण के फायदे क्या है?

जल संरक्षण के महत्वपूर्ण कारण ये हैं:.
इसके अनेक उपयोग हैं ... .
कृषि उगाने में मदद करता है ... .
यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और वन्य जीवन की रक्षा करता है ... .
कम पानी के उपयोग का मतलब अधिक बचत है ... .
पानी की आपूर्ति सीमित है ... .
पानी का संरक्षण करने से भी ऊर्जा की बचत होती है ... .
सूखे से बचाव ... .
यह हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद करता है.

वर्षा के दो लाभ क्या है?

वर्षा के लाभवर्षा से गर्मी का प्रकोप कम होता है और वातावरण में शीतलता आती है। वर्षा होने से ही किसानों के लिए खेती हेतु पानी मिलता है और फसलें विकसित होती हैं। वर्षा पीने के पानी का एक स्रोत भी है। बहुत सी जगह ऐसी हैं जहां वर्षा का पानी संचयन कर उसी को पूरे साल पीने के पानी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

वर्षा जल संचयन का उद्देश्य क्या है?

जल संचयन एक संगठित तरीके से वर्षा जल एकत्र करके जल संरक्षण की एक प्रथा है। वर्षा के पानी को बहने और बर्बाद नहीं होने दिया जाता है बल्कि उसे टैंकों में एकत्र किया जाता है। जल संचयन का मुख्य उद्देश्य संग्रह नहीं बल्कि भूजल स्तर में वृद्धि करना है। ट्यूबों के माध्यम से एकत्रित पानी को भूजल पुनर्भरण के लिए बनाया जाता है।