हुगली नदी किनारे कौन सा शहर बसा है? - hugalee nadee kinaare kaun sa shahar basa hai?

59 संबंधों: चन्दननगर, टीटागढ़, डायमण्ड हार्बर, दामोदर नदी, दक्षिणेश्वर, दक्षिणेश्वर काली मन्दिर, नदियों पर बसे भारतीय शहर, निवेदिता सेतु, नैहाटि, पद्मा, पश्चिम बंगाल, प्रिंसेप घाट, फरक्का परियोजना, फोर्ट विलियम, बर्धमान, बाली, हावड़ा, बाहुधरन, बांकुड़ा जिला, बंगाल की खाड़ी, बैरकपुर, बेलुड़, बेलुड़ मठ, भारत में यूरोपीय आगमन, भारत की नदियों की सूची, भारत की नदी प्रणालियाँ, मध्यकालीन भारत, मन्मथनाथ गुप्त, महाराज नंदकुमार, रानी रासमणि, रवीन्द्र सेतु, शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय, श्रीधराचार्य, श्रीरामपुर, पश्चिम बंगाल, सम्प्रीति सेतु, हल्दिया, हालिशहर, हावड़ा, हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन, जगन्नाथ तर्कपंचानन, जुबली ब्रिज, ईश्वर गुप्ता सेतु, विद्यासागर सेतु, विवेकानन्द सेतु, खारे पानी के मगरमच्छ, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड, गंगा नदी, गंगा के बाँध एवं नदी परियोजनाएँ, ग्रैंड ट्रंक रोड, इशान पोरेल, कमारहाटी, ..., कालका मेल, कागज उद्योग, कोलकाता, कोलकाता में यातायात, अजय नदी, अंगुलि छाप, उत्तर बंगाल, उत्प्लव, १६ दिसम्बर। सूचकांक विस्तार (9 अधिक) » « सूचकांक हटना

चंदननगर एक छोटा सा नगर है जो कोलकाता से ३० किमी उत्तर दिशा में स्थित है। पहले यह फ्रांस का उपनिवेश था। यह हुगली जिले की एक तहसील तथा पश्चिम बंगाल की ६ नगरपालिकाओं में में से एक है। यह हुगली नदी के किनारे स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल मात्र १९ वर्ग किमी है और जनसंख्या १ लाख ५० हजार से भी अधिक है। चन्दननगर को सन्‌ 1950 में भारत में मिला लिया गया। .

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टीटागढ़ पश्चिमी बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना जिले का नगर है। यह हुगली नदी के बाएँ तट पर स्थित है। पहले यह यूरोपीय लोगों का निवास स्थान था किंतु अब जूट एवं कागज के चार कारखाने हो जाने के कारण यह व्यावसायिक स्थान हो गया है। यह यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है। श्रेणी:कोलकाता के क्षेत्र.

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डायमण्ड हार्बर (ডায়মন্ড হারবার) कोलकाता शहर का दक्षिणी उपनगर है। यह हुगली नदी के तट पर बसा है, जिसके निकट ही यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। यह छोटा सा नगर सप्ताहांत में एक मशहूर पर्यटक स्थल बन जाता है। यह शहर दक्षिण २४ परगना जिला में स्थितहै। यहाँ अंग्रेज़ों के समय का एक विशाल पत्तन (बंदरगाह) बना है। 30 मील लंबे रेलमार्ग द्वारा यह कोलकाता से जुड़ा है। यहाँ से दक्षिण में चिङ्ड़ीखाली नामक किला है जिसमें भारी तोपें रखी हुई हैं। पहले यह ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों के रुकने का प्रमुख स्थान था और अब भी यहाँ जहाज और स्टीमर आते हैं। 'डायमण्ड हार्बर' चौबीस परगना जिले का उपमंडल भी है। इस उपमंडल का क्षेत्रफल 1,283 वर्ग मील है, जिसमें से 907 वर्ग मील क्षेत्र में सुंदरवन है। उपमंडल के दक्षिण में अर्धनिर्मित भूभाग है जिसमें अरुद्ध नदमुख द्वारा गंगा नदी समुद्र में जाने का मार्ग पाती है। इस उपमंडल में 1,575 गाँव हैं, केवल डायमंड हारबर एकमात्र नगर है। .

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दामोदर नदी दामोदर नदी की द्रोणी (बेसिन) दामोदर पश्चिम बंगाल तथा झारखंड में बहने वाली एक नदी है। इस नदी के जल से एक महत्वाकांक्षी पनबिजली परियोजना दामोदर घाटी परियोजना चलाई जाती है जिसका नियंत्रण डी वी सी करती है। दामोदर नदी झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र से निकलकर पश्चिमी बंगाल में पहुँचती है। हुगली नदी के समुद्र में गिरने के पूर्व यह उससे मिलती है। इसकी कुल लंबाई ३६८ मील है। इस नदी के द्वारा २,५०० वर्ग मील क्षेत्र का जलनिकास होता है। पहले नदी में एकाएक बाढ़ आ जाती थी जिससे इसको 'बंगाल का अभिशाप' कहा जाता था। भारत के प्रमुख कोयला एवं अभ्रक क्षेत्र भी इसी घाटी में स्थित हैं। इस नदी पर बाँध बनाकर जलविद्युत् उत्पन्न की जाती है। कुनर तथा बराकर इसकी सहायक नदियाँ हैं। दामोदर नदी .

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दक्षिणेश्वर या दख्खिनेश्वर(দক্ষিণেশ্বর; दॊख्खिनॆश्शॉर), पश्चिम बंगाल के उत्तर २४ परगना जिला में हुगली नदी के किनारे अवस्थित कोलकाता महानगर के उत्तरी भाग में, बैरकपुर पौरसभा के अन्तर्गत एक क्षेत्र है। इसे सबसे विशेष रूपसे दक्षिणेश्वर काली मन्दिर के लिए जाना जाता है, जोकि जानबाजार की नवजागरण काल की ज़मीन्दार, रानी रासमणि द्वारा निर्मित एक आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व वाला काली मन्दिर है। यह मन्दिर, दार्शनिक व धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि भी था, जोकि स्वामी विवेकानन्द के आध्यात्मिक गुरु थे। यह क्षेत्र बैरकपुर उपविभाग के बेलघड़िया थाने के अन्तर्गत आता है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर के अलावा, अद्यापीठ मन्दिर व मठ भी यहाँ अवस्थित है। .

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दक्षिणेश्वर काली मन्दिर(দক্ষিণেশ্বর কালীবাড়ি; उच्चारण:दॊख्खिनॆश्शॉर कालिबाड़ी), उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जोकि मान्यतानुसार हिन्दू देवी काली का एक रूप है। यह कलकत्ता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और कई मायनों में, कालीघाट मन्दिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है। इसे वर्ष १८५४ में जान बाजार की रानी रासमणि ने बनवाया था। यह मन्दिर, प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है, जोकि बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक, दार्शनिक, धर्मगुरु, तथा रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। वर्ष १८५७-६८ के बीच, स्वामी रामकृष्ण इस मंदिर के प्रधान पुरोहित रहे। तत्पश्चात उन्होंने इस मन्दिर को ही अपना साधनास्थली बना लिया। कई मायनों में, इस मन्दिर की प्रतिष्ठा और ख्याति का प्रमुख कारण है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस से इसका जुड़ाव। मंदिर के मुख्य प्रांगण के उत्तर पश्चिमी कोने में रामकृष्ण परमहंस का कक्ष आज भी उनकी ऐतिहासिक स्मृतिक के रूप में संरक्षित करके रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु व अन्य आगन्तुक प्रवेश कर सकते हैं। .

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नदियों के तट पर बसे भारतीय शहरों की सूची श्रेणी:भारत के नगर.

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निवेदिता सेतु, (जिसे तीसरी हुगली पुल या दूसरा बाली ब्रिज भी कहा जाता है) पश्चिम बंगाल में कोलकाता महानगर क्षेत्र में हुगली नदी पर निर्मित एक केबल-युक्त पुल है, जो उत्तर हावड़ा के बाली क्षेत्र को बैरकपुर नगर के दक्षिणेश्वर क्षेत्र से जोड़ती है। इसे मुख्यतः दिल्ली और कोलकाता को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग २ को उठाने और काफी पुराने हो चुके विवेकानन्द सेतु के पुनर्स्थापन के रूप में बनाया गया है। यह पुरानी विवेकानंद सेतु के लगभग ५० मीटर नीचे की तरफ चलता है। इस पुल का नाम स्वामी विवेकानंद के शिष्य और नवजागरण काल की सामाजिक कार्यकर्ता सिस्टर निवेदिता के नाम पर रखा गया है। यह दुर्गापुर गतिमार्ग(रारा-२) तथा राष्ट्रीय राजमार्ग-६ और २ के मिलान बिंदु को राष्ट्रीय राजमार्ग-३४,३५, दमदम हवाई अड्डे और उत्तर कोलकाता के अन्य क्षेत्रों से जोड़ने वाले बेलघरिया गतिमार्ग से जोड़ता है। इस पुल को प्रतिदिन ४८,००० वाहनों का बोझ ढोने के लिए डिज़ाइन किया गया है। .

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नैहाटी नगर भारत के पश्चिमी बंगाल राज्य में हुगली नदी पर कलकत्ता से 35 किमी उत्तर चौबीस परगना जिले में स्थित नगर है। यह चावल, पटसन, तिलहन आदि स्थानीय उपजों का व्यावसायिक केंद्र है। कागज तथा रंगों के निर्माण के उद्योग यहाँ विकसित हैं। इसके उत्तरी उपनगर गौरीपुर में विशाल शक्ति संयंत्र है। कोलकत्ता के अत्यंत समीप होने के कारण यहाँ भी व्यवसाय और उद्योग में उत्तरोत्तर उन्नति की संभावनाएँ हैं। श्रेणी:कोलकाता.

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पद्मा (बांग्ला: পদ্মা) एक नदी है जो बांग्लादेश में गंगा की मुख्य धारा है। अर्थात् गंगा नदी बांग्लादेश में प्रवेश करते ही 'पद्मा' के नाम से जानी जाती है। राजमहल से ३० किमी पूर्व में गंगा की एक शाखा निकलकर मुर्शिदाबाद, बहरमपुर, नदिया, हुगली और कलकत्ता होती हुई पश्चिम-दक्षिण की ओर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है, जो 'भागीरथी' शाखा के नाम से प्रसिद्ध है। मूल नदी के संगम स्थान से गंगा, 'पद्मा' नाम धारण कर पबना और गोआलंद होती हुई गई है। गोआलंद के निकट ब्रह्मपुत्र नदी की शाखा, जो 'जमुना' नाम से प्रसिद्ध है, आकर इसमें गिरी है। इसके बाद मूल नदी ने ब्रह्मपुत्र के साथ मिलकर 'मेघना' नाम धारण किया है और नोआखाली के निकट समुद्र में मिल गई है। पद्मा नदी की कुल लबाई २२५ मील है। राजशाही, पश्चिमी बांग्लादेश में एक प्रमुख शहर, पद्मा के उत्तर तट पर स्थित है। श्रेणी:बांग्लादेश की नदियाँ श्रेणी:बांग्लादेश.

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पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .

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प्रिंसेप घाट या प्रिन्सेप घाट (अंग्रेजी: Prinsep Ghat, बंगाली: প্রিন্সেপ ঘাট) ब्रिटिश राज के दौरान भारत के कोलकाता शहर में हुगली नदी के किनारे पर सन 1841 में निर्मित एक घाट है। घाट पर सन 1843 में प्रख्यात आंग्ल-भारतीय विद्वान और पुरातत्वविद् जेम्स प्रिंसेप की स्मृति में डब्ल्यू फिजराल्ड़ द्वारा डिजाइन किये गये एक पलैडियाई ओसारे (पोर्च) का निर्माण भी किया गया था। यह फोर्ट विलियम के वाटर गेट और सेंट जॉर्ज गेट के बीच स्थित है। प्रिंसेप के इस स्मारक में यूनानी और गोथिक शैली का प्रयोग किया गया है। नवंबर 2001 में राज्य के लोक निर्माण विभाग द्वारा इस स्मारक का पुनरुद्धार किया गया और तब से इसका अनुरक्षण उचित रूप से किया जा रहा है। निर्माण के प्रारंभिक वर्षों में, सभी शाही ब्रिटिश मुहासिरे आरोहण और अवरोहण के लिए प्रिंसेप घाट घाट का इस्तेमाल किया करते थे। प्रिंसेप घाट कोलकाता के सबसे पुराने मनोरंजन स्थलों में से एक है। सप्ताहांत में लोग शाम के समय यहाँ नदी में नौका विहार करने, नदी किनारे टहलने और यहाँ उपलब्ध भोजन का आनन्द उठाने के लिए आते हैं। यहाँ स्थित एक आइसक्रीम और फास्ट फूड स्टाल तो पिछले 40 से भी अधिक से यहाँ कार्यरत है। प्रिंसेप घाट और बाबुघाट के बीच के 2 किलोमीटर लम्बे सौन्दर्यीकृत नदीतट का उद्घाटन 24 मई 2012 को किया गया। यहाँ पर रोशनी से जगमगाते सुंदर बगीचे, रास्ते, फव्वारे और पुनर्निर्मित घाट स्थित हैं। हिन्दी फिल्म परिणीता के एक गाने को यहाँ फिल्माया गया था। प्रिंसेप घाट के नाम पर एक रेलवे स्टेशन का नाम भी रखा गया है। यह स्टेशन कोलकाता सर्कुलर रेलवे का हिस्सा है जिसका अनुरक्षण पूर्वी रेलवे द्वारा किया जाता है। स्टेशन कोड PPGT है। यहाँ पास ही मैन-ओ-वार नाम की एक जेट्टी भी है जो कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अंतर्गत आती है और बंदरगाह द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में निभाई गयी इसकी भूमिका की याद दिलाती है। घाट को मुख्य रूप से भारतीय नौसेना द्वारा प्रयोग किया जाता है। .

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यह भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना हैं। गंगा के चरम उत्कर्ष रूप; फरक्का बैराज, जहां से एक धारा कोलकाता को हुगली बन कर जाती है। फ़रक्का बांध (बैराज) भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त में स्थित गंगा नदी पर बना एक बांध है। यह बांध बांगलादेश की सीमा से मात्र १० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। इस बांध को १९७४-७५ में हिन्दुस्तान कन्स्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था। इस बांध का निर्माण कोलकाता बंदरगाह को गाद (silt) से मुक्त कराने के लिये किया गया था जो की १९५० से १९६० तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी। कोलकाता हुगली नदी पर स्थित एक प्रमुख बंदरगाह है। ग्रीष्म ऋतु में हुगली नदी के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये गंगा नदी की के पानी के एक बड़े हिस्से को फ़रक्का बांध के द्वारा हुगली नदी में मोड़ दिया जाता है। इस पानी के वितरण के कारण बांगलादेश एवम भारत में लंबा विवाद चला। गंगा नदी के प्रवाह की कमी के कारण बांगलादेश जाने वाले पानी की लवणता बड़ जाती थी और मछ्ली पालन, पेयजल, स्वास्थ और नौकायान प्रभावित हो जाता था। मिट्टी में नमी की कमी के चलते बांगलादेश के एक बड़े क्षेत्र की भूमी बंजर हो गयी थी। इस विवाद को सुलझाने के लिये दोनो सरकारो ने आपस में समझौता करते हुए फ़रक्का जल संधि की रूप रेखा रखी। .

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फोर्ट विलियम कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर बना एक किला है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान बनवाया गया था। इसे इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर बनवाया गया था। इसके सामने ही मैदान है, जो कि किले का ही भाग है और कलकत्ता का सबसे बड़ा शहरी पार्क है। .

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सर्वमंगला मंदिर मेघनाद साहा तारामण्डल, गोलपबाग, बर्धमान Bardhaman Church बर्धमान पश्चिम बंगाल का एक शहर है। यह भारत के पश्चिमी बंगाल राज्य में स्थित एक जिला एवं उपमंडल हैं। इसका क्षेत्रफल 2,716 वर्ग मील तथा जनसंख्या 30,82,846 (1961) है। इसके पूर्व में नदिया, दक्षिण में हुगली, पश्चिम में बाँकुड़ा और उत्तर में बीरभूम जिले स्थित हैं। जिले का लगभग आधा भाग मैदान रूप में है। भागीरथी नदी के पूर्वी भाग की मिट्टी दलदली है। रानीगंज की कोयले की खानें इसी जिले में स्थित हैं। कोयलेवाला क्षेत्र बंगाल का प्रसिद्ध औद्योगिक क्षेत्र है। यहाँ की मुख्य नदियाँ दामोदर, द्वारकेश्वर, खरी, अजय आदि हैं, जो भागीरथी नदी में मिलती हैं। वार्षिक वर्षा का औसत 54 इंच है। दामोदर नदी की बाढ़ से कई बार यहाँ जन, धन की क्षति हो चुकी है। मिट्टी अति उपजाऊ होने से मुख्य फसल धान के अतिरिक्त मक्का, आलू, गन्ना, तिलहन, दलहन आदि भी पैदा होते हैं। सिंचाई का उत्तम प्रबंध है। खनिजों में चीनी मिट्टी और कोयला प्रमुख हैं तथा रानीगंज के उत्तर में बारुल के पास लोहा बहुत बड़ी मात्रा में निकाला जाता है। इस जिले में रेशमी कपड़ा तथा खनिजों से संबंधित विस्तृत उद्योग हैं। इस जिले के मुख्य नगर बर्धमान, रानीगंज, आसनसोल, कालना एवं काटवा आदि हैं। श्रेणी:शहर.

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बाली, उत्तर हावड़ा का एक क्षेत्र है। यह कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण के अधीन आता है।बाली नगर पूर्व बाली नगर पालिका का मुख्यालय भी था। यह ऐतिहासिक महत्व के एक शहर है।यह नगर हुगली के तट पर, हावड़ा जिले के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित है। यह दक्षिणेश्वर काली मंदिर से नदी के दूसरे छोर पर विष्वप्रसिद्ध बेलूर मठ के निकट स्थित है। .

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इस योजनामूलक चित्र में जो क्षैतिज अवयव है उसका दाहिना भाग बाहुधरन जैसे कार्य कर रहा है। उस धरन (बीम), प्लेट या ट्रस-संरचना को टोड़ा या बाहुधरन या कैंटीलीवर (Cantilever) कहते हैं जिसका एक सिरा पूर्णतया आबद्ध हो और शेष बाहर निकला हुआ आलंबरहित भाग का भार सँभाले हो। (बाहु .

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बाँकुड़ा भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। इसके पश्चिम में पुरुलिया, दक्षिण में मेदनीपुर, पूर्व एवं पूर्वोत्तर में हुगली एवं वर्द्धमान जिले स्थित हैं। छोटा नागपुर पठार की पूर्वी श्रेणी यहाँ फैली है। यहाँ की प्रमुख नदी दामोदर उत्तरी सीमा बनाती है। निम्न वार्षिक ताप लगभग २७°सें.

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बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप, तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं। .

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बैरकपुर भारत के पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख शहर है। यह भारत में पश्चिमी बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित नगर है। यह उत्तरी एवं दक्षिणी दो भागों में बँटा है। सेना की टुकड़ियों के निवास के कारण इसका नाम 'बैरकपुर' पड़ा यहाँ के आदि निवासी इसे चानक (Chanak) कहते हैं। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का, जिसे अंग्रेज इंडियन म्यूटिनी कहते हैं, सूत्रपात इसी स्थान से हुआ था, जब मंगल पांडेय नामक सैनिक ने गाय और सूअर की चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग के विरोध में अंग्रेज अफसरों पर 29 मार्च 1857 ई. को गोली चलाई। यहाँ इस समय भी एक राइफल फैक्ट्री है। 13 अगस्त 2016 को स्मार्ट गंगा शहर कार्यक्रम के तहत कुल 10 शहरों का चयन किया गया है। यह शहर है: हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, पटना, साहिबगंज और बैरकपुर। इस कार्यक्रम के तहत चुनिंदा शहरों के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व जल निकासी में जनभागीदारी के साथ सुधार जाएगा.

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बेलुड़ (बांग्ला: বেলুড় / बेलुड़) पश्चिम बंगाल में हावड़ा के निकट स्थित एक नगर है। यह हावड़ा जिले में हुगली नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। पहले यह बाली नगरपालिका के अन्तर्गत आता था और कोलकाता महानगरपालिका का भाग था। अब बाली सहित यह हावड़ा नगरपालिका के अन्तर्गत आता है।http://www.onefivenine.com/india/villages/Kolkata/Kolkata/Belur-Math-Howrah बेलुड़ को मुख्यतः बेलुड़ मठ के लिए जाना जाता है, जोकि, रामकृष्ण मिशन का वैश्विक मुख्यालय है। यह जगह विवेकानंद की कर्म अष्टालि रही है जो विश्व विख्यात है।https://belurmath.org/about-us/ .

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मठ में स्थित मुख्य मन्दिर (रामकृष्ण मन्दिर) बेलूड़ मठ के मूल मन्दिर में रामकृष्ण परमहंस की संगमरमर की मूर्ति बेलुड़ मठ भारत के पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के पश्चिमी तट पर बेलूड़ में स्थित है। यह रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ का मुख्यालय है। इस मठ के भवनों की वास्तु में हिन्दू, इसाई तथा इस्लामी तत्वों का सम्मिश्रण है जो धर्मो की एकता का प्रतीक है। इसकी स्थापना १८९७ में स्वामी विवेकानन्द ने की थी। .

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१५०१ से १७३९ के बीच भारत में यूरोपीय बस्तियाँ भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ। यद्यपि यूरोपीय लोग भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में सफल हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था। सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक यूरोपीय कई एशियाई स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे और अठारहवीं सदी के उत्तरार्ध में वे कई जगहों पर अधिकार भी कर लिए थे। किन्तु उन्नासवीं सदी में जाकर ही अंग्रेजों का भारत पर एकाधिकार हो पाया था। भारत की समृद्धि को देखकर पश्चिमी देशों में भारत के साथ व्यापार करने की इच्छा पहले से थी। यूरोपीय नाविकों द्वारा सामुद्रिक मार्गों का पता लगाना इन्हीं लालसाओं का परिणाम था। तेरहवीं सदी के आसपास मुसलमानों का अधिपत्य भूमध्य सागर और उसके पूरब के क्षेत्रों पर हो गया था और इस कारण यूरोपी देशों को भारतीय माल की आपूर्ति ठप्प पड़ गई। उस पर भी इटली के वेनिस नगर में चुंगी देना उनको रास नहीं आता था। कोलंबस भारत का पता लगाने अमरीका पहुँच गया और सन् 1487-88 में पेडरा द कोविल्हम नाम का एक पुर्तगाली नाविक पहली बार भारत के तट पर मालाबार पहुँचा। भारत पहुचने वालों में पुर्तगाली सबसे पहले थे इसके बाद डच आए और डचों ने पुर्तगालियों से कई लड़ाईयाँ लड़ीं। भारत के अलावा श्रीलंका में भी डचों ने पुर्तगालियों को खडेड़ दिया। पर डचों का मुख्य आकर्षण भारत न होकर दक्षिण पूर्व एशिया के देश थे। अतः उन्हें अंग्रेजों ने पराजित किया जो मुख्यतः भारत से अधिकार करना चाहते थे। आरंभ में तो इन यूरोपीय देशों का मुख्य काम व्यापार ही था पर भारत की राजनैतिक स्थिति को देखकर उन्होंने यहाँ साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक नीतियाँ अपनानी आरंभ की। .

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भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा, और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी, आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। यहाँ भारत की नदियों की एक सूची दी जा रही है: .

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भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं - सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का संकेन्द्रण नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है। नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, मध्य भारत में गंगा, उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा कावेरी महानदी आदी नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे:-.

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मध्ययुगीन भारत, "प्राचीन भारत" और "आधुनिक भारत" के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की लंबी अवधि को दर्शाता है। अवधि की परिभाषाओं में व्यापक रूप से भिन्नता है, और आंशिक रूप से इस कारण से, कई इतिहासकार अब इस शब्द को प्रयोग करने से बचते है। अधिकतर प्रयोग होने वाले पहली परिभाषा में यूरोपीय मध्य युग कि तरह इस काल को छठी शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक माना जाता है। इसे दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है: 'प्रारंभिक मध्ययुगीन काल' 6वीं से लेकर 13वीं शताब्दी तक और 'गत मध्यकालीन काल' जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक चली, और 1526 में मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ समाप्त हो गई। 16वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक चले मुगल काल को अक्सर "प्रारंभिक आधुनिक काल" के रूप में जाना जाता है, लेकिन कभी-कभी इसे "गत मध्ययुगीन" काल में भी शामिल कर लिया जाता है। एक वैकल्पिक परिभाषा में, जिसे हाल के लेखकों के प्रयोग में देखा जा सकता है, मध्यकालीन काल की शुरुआत को आगे बढ़ा कर 10वीं या 12वीं सदी बताया जाता है। और इस काल के अंत को 18वीं शताब्दी तक धकेल दिया गया है, अत: इस अवधि को प्रभावी रूप से मुस्लिम वर्चस्व (उत्तर भारत) से ब्रिटिश भारत की शुरुआत के बीच का माना जा सकता है। अत: 8वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के अवधि को "प्रारंभिक मध्ययुगीन काल" कहा जायेगा। .

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मन्मथनाथ गुप्त (जन्म: ७ फ़रवरी १९०८ - मृत्यु: २६ अक्टूबर २०००) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी तथा सिद्धहस्त लेखक थे। उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी तथा बांग्ला में आत्मकथात्मक, ऐतिहासिक एवं गल्प साहित्य की रचना की है। वे मात्र १३ वर्ष की आयु में ही स्वतन्त्रता संग्राम में कूद गये और जेल गये। बाद में वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी बने और १७ वर्ष की आयु में उन्होंने सन् १९२५ में हुए काकोरी काण्ड में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनकी असावधानी से ही इस काण्ड में अहमद अली नाम का एक रेल-यात्री मारा गया जिसके कारण ४ लोगों को फाँसी की सजा मिली जबकि मन्मथ की आयु कम होने के कारण उन्हें मात्र १४ वर्ष की सख्त सजा दी गयी। १९३७ में जेल से छूटकर आये तो फिर क्रान्तिकारी लेख लिखने लगे जिसके कारण उन्हें १९३९ में फिर सजा हुई और वे भारत के स्वतन्त्र होने से एक वर्ष पूर्व १९४६ तक जेल में रहे । स्वतन्त्र भारत में वे योजना, बाल भारती और आजकल नामक हिन्दी पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे। नई दिल्ली स्थित निजामुद्दीन ईस्ट में अपने निवास पर २६ अक्टूबर २००० को दीपावली के दिन उनका जीवन-दीप बुझ गया। .

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महाराज नंदकुमार महाराज नंदकुमार बंगाल का एक संभ्रांत ब्राहमण था। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के समय में वह हुगली का फौजदार था। मार्च, सन्‌ 1757 में अंग्रेजों ने जब फ्रांसीसियों की बस्ती चंदननगर पर हमले की तैयारी की, तो नवाब सिराजुद्दौला ने नंदकुमार को एक बड़ी सेना के साथ फ्रांसीसियों और वहाँ की भारतीय प्रजा की रक्षा के लिये तुरंत चंद्रनगर भेज दिया था। लेकिन अंग्रेजों से रिश्वत पाकर नंदकुमार अंग्रेजी सेना के चंद्रनगर पहुँचते ही वहाँ से हट गया। उसके हट जाने से फ्रांसीसी कमजोर पड़ गए और चंद्रनगर पर अंग्रेजों का सरलता से अधिकार हो गया (23 मार्च 1757)। जून, 1757 में रिश्वत ओर धोखे का सहारा लेकर क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला को हराकर गद्दार मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया। बाद में अंग्रेजों ने उसे भी गद्दी से उतारकर उसके दामाद और मीर कासिम को, बहुत सा धन पाने के वादे पर, नवाब बना दिया। कुछ समय बाद अंग्रेजों की लूट-खसोट की नीति के कारण मीर कासिम को अंग्रेजों से युद्ध करने को विवश होना पड़ा किंतु लड़ाई में वह हार गया। जब 1763 ईo में मीर जाफर दुबारा नवाब बना तो उसने महाराज नंदकुमार को अपना दीवान बनाया। नंदकुमार अब अंग्रेजों की चालों को समझ गया था। इसलिये उसने बंगाल की नवाबी को पुष्ट करने के लिये मीर जाफर को यह सलाह दी कि वह बंगाल की सूबेदारी के लिये सम्राट् शाह आलम और वजीर शुजाउद्दौला को प्रसन्न करके शाही फरमान हासिल कर ले। ऐसा होने से नवाब अंग्रेजों के चंगुल से छूटकर स्वाधीन हो सकता था। इसपर अंग्रेज नंदकुमार से चिढ़ गए। फरवरी, 1765 में मीर जाफर के मरने पर उसका लड़का नवाब नजमुद्दौला गद्दी पर बैठा। उसने नंदकुमार को अपना दीवान रखना चाहा, लेकिन अंग्रेजों ने ऐसा नहीं होने दिया। फलत: नवाब का एक योग्य एवं स्वामिभक्त सेवक उसके हाथ से जाता रहा। अंग्रेज गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स ने अब महाराज नंदकुमार को हमेशा के लिये खत्म कर देने की योजना बनाई। नवाब नजमुद्दौला ने मुहम्मद रज़ा खाँ नाम के व्यक्ति को अपना नायब नियुक्त किया था। हेस्टिंग्स ने नंदकुमार को बंगाल का नायब बनाने का लालच देकर उसे मुहम्मद रजा खाँ के खिलाफ कर दिया था। इस लालच में नंदकुमार ने रजा खाँ पर गबन का इलजाम साबित करने में मदद की थी। लेकिन काम निकलने के बाद हेस्टिंग्स नंदकुमार को पुरस्कृत करने बजाय उसका विरोधी हो गया। नंदकुमार ने भी अब हेस्टिंग्स के खिलाफ कलकत्ते की कौंसिल को एक अर्जी पेश की जिसमें हेस्टिंग्स पर रिश्वत लेने और जबरदस्ती धन वसूल करने तथा मुर्शिदाबाद के नवाब की माँ मुन्नी बेगम से बहुत सा धन वसूल करने आदि के इलजाम लगाए थे। ये इलजाम कौंसिल के मेंबरों ने यद्यपि सही समझे, तथापि हेस्टिंग्स को कोई दंड नहीं दिया गया। अपितु हेस्टिंग्स ने उलटे नंदकुमार पर यह जुर्म लगाया कि पाँच साल पहले सन्‌ 1770 में नंदकुमार ने किसी दीवानी के मामले में एक जाली दस्तावेज बनाया था। जालसाजी का यह मुकदृमा मोहनप्रसाद नाम के एक व्यक्ति द्वारा कलकत्ते की अँग्रेजी `सुप्रीम कोर्ट` में चलाया गया। कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश सर एलिजाह इंपी वारेन हेस्टिंग्स का बचपन का मित्र था। नंदकुमार पर जालसाजी का इलजाम बिलकुल झूठा था, जिसको सिद्ध करने के लिये फर्जी गवाह खड़े किए गए थे। वस्तुत: अंग्रेज और विशेषतया हेस्टिंग्स नंदकुमार से चिढ़ते थे और उसे खत्म करने के लिये ही यह मुकदमा चलाया गया था। सात दिन इस मुकदमे की सुनवाई हुई और अंत में अँग्रेजी अदालत ने नंदकुमार को अपराधी करार देकर उसे फाँसी की सजा दे दी। 5 अगस्त सन्‌ 1776 को महाराज नंदकुमार को कलकत्ते में फाँसी पर लटका दिया गया। नंदकुमार ने शांति और अदम्य धैर्य के साथ मृत्यु का आलिंगन किया। .

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रानी रासमणि, बंगाल में, नवजागरण काल की एक व्यक्तित्व थीं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता, एवं कोलकाता के जानबाजार की जनहितैषी ज़मीन्दार के रूप में प्रसिद्ध थीं। वे दक्षिणेश्वर काली मंदिर की संस्थापिका थीं, एवं नवजागरण काल के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं धर्मगुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की मुख्य पृष्ठपोषिका भी हुआ करती थी। प्रचलित लोककथन के अनुसार, उन्हें एक स्वप्न में हिन्दू देवी काली ने भवतारिणी रूप में दर्शन दिया था, जिसके बाद, उन्होंने उत्तर कोलकाता में, हुगली नदी के किनारे देवी भवतारिणी के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। रानी रासमणि ने अपने विभिन्न जनहितैषी कार्यों के माध्यम से प्रसिद्धि अर्जित की थी। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु, कलकत्ता से पूर्व पश्चिम की ओर स्थित, सुवर्णरेखा नदी से जगन्नाथ पुरी तक एक सड़क का निर्माण करवाया था। इसके अलावा, कलकत्ता के निवासियों के लिए, गङ्गास्नान की सुविधा हेतु उन्होंने केन्द्रीय और उत्तर कलकत्ता में हुगली के किनारे बाबुघट, अहेरिटोला घाट और नीमताल घाट का निर्माण करवाया था, जो आज भी कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण घाटों में से एक हैं। तथा उन्होंने, स्थापना के दौर में, इम्पीरियल लाइब्रेरी (वर्त्तमान भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता) एवं हिन्दू कॉलेज (वर्त्तमान प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता) वित्तीय सहायता प्रदान किया था। रानी रासमणि को अक्सर लोकसंस्कृति में सम्मानजनक रूपसे "लोकमाता" कहा जाता है। .

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रवीन्द्र सेतु भारत के पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के उपर बना एक "कैन्टीलीवर सेतु" है। यह हावड़ा को कोलकाता से जोड़ता है। इसका मूल नाम "नया हावड़ा पुल" था जिसे बदलकर १४ जून सन् १९६५ को 'रवीन्द्र सेतु' कर दिया गया। किन्तु अब भी यह "हावड़ा ब्रिज" के नाम से अधिक जाना जाता है। यह अपने तरह का छठवाँ सबसे बड़ा पुल है। सामान्यतया प्रत्येक पुल के नीचे खंभे होते है जिन पर वह टिका रहता है परंतु यह एक ऐसा पुल है जो सिर्फ चार खम्भों पर टिका है दो नदी के इस तरफ और पौन किलोमीटर की चौड़ाई के बाद दो नदी के उस तरफ। सहारे के लिए कोई रस्से आदि की तरह कोई तार आदि नहीं। इस दुनिया के अनोखे हजारों टन बजनी इस्पात के गर्डरों के पुल ने केवल चार खम्भों पर खुद को इस तरह से बैलेंस बनाकर हवा में टिका रखा है कि 80 वर्षों से इस पर कोई फर्क नहीं पडा है जबकि लाखों की संख्या में दिन रात भारी वाहन और पैदल भीड़ इससे गुजरती है। अंग्रेजों ने जब इस पुल की कल्पना की तो वे ऐसा पुल बनाना चाहते थे कि नीचे नदी का जल मार्ग न रुके। अतः पुल के नीचे कोई खंभा न हो। ऊपर पुल बन जाय और नीचे हुगली में पानी के जहाज और नाव भी बिना अवरोध चलते रहें। ये एक झूला अथवा कैंटिलिवर पुल से ही संभव था। .

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शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने इंट्रेंस पास किया। इन्हीं दिनों उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। रवींद्रनाथ ठाकुर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया। बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास श्रीकांत लिखना शुरू किया। बर्मा में उनका संपर्क बंगचंद्र नामक एक व्यक्ति से हुआ जो था तो बड़ा विद्वान पर शराबी और उछृंखल था। यहीं से चरित्रहीन का बीज पड़ा, जिसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरानी से प्रेम की कहानी है। जब वह एक बार बर्मा से कलकत्ता आए तो अपनी कुछ रचनाएँ कलकत्ते में एक मित्र के पास छोड़ गए। शरत को बिना बताए उनमें से एक रचना "बड़ी दीदी" का १९०७ में धारावाहिक प्रकाशन शुरु हो गया। दो एक किश्त निकलते ही लोगों में सनसनी फैल गई और वे कहने लगे कि शायद रवींद्रनाथ नाम बदलकर लिख रहे हैं। शरत को इसकी खबर साढ़े पाँच साल बाद मिली। कुछ भी हो ख्याति तो हो ही गई, फिर भी "चरित्रहीन" के छपने में बड़ी दिक्कत हुई। भारतवर्ष के संपादक कविवर द्विजेंद्रलाल राय ने इसे यह कहकर छापने से मना कर दिया किया कि यह सदाचार के विरुद्ध है। विष्णु प्रभाकर द्वारा आवारा मसीहा शीर्षक रचित से उनका प्रामाणिक जीवन परिचय बहुत प्रसिद्ध है। .

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श्रीधराचार्य (जन्म: ७५० ई) प्राचीन भारत के एक महान गणितज्ञ थे। इन्होंने शून्य की व्याख्या की तथा द्विघात समीकरण को हल करने सम्बन्धी सूत्र का प्रतिपादन किया। उनके बारे में हमारी जानकारी बहुत ही अल्प है। उनके समय और स्थान के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। किन्तु ऐसा अनुमान है कि उनका जीवनकाल ८७० ई से ९३० ई के बीच था; वे वर्तमान हुगली जिले में उत्पन्न हुए थे; उनके पिताजी का नाम बलदेवाचार्य औरा माताजी का नाम अच्चोका था। .

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राधावल्लभ मंदिर श्रीरामपुर (बांग्ला: শ্রীরামপুর) पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का एक नगर एवं नगरपालिका है। यह कोलकाता महानगरपालिका के अन्तर्गत आता है। हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित यह उपनिवेशकाल के पूर्व से बसा हुआ नगर है। १७५५ से १८४५ तक यह 'फ्रेडरिक्सनगर' नाम से 'डैनिश भारत' का भाग था। श्रेणी:बंगाल का भूगोल.

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सम्प्रीति सेतु, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में हुगली नदी पर स्थित एक रेलवे पुल है। ११ अगस्त, वर्ष २०१६ को इस पुल का उद्घाटन किया गया था। यह गारीफ़ रेलवे स्टेशन और हुगली घाट रेलवे स्टेशन के बीच यह नैहाटी-बण्डेल शाखा लाइन पर स्थित है। इस पुल को जुबली ब्रिज के प्रतिस्थापन के रूप में बनाया गया था। यह पुल कुल ४१५ मीटर लंबा है। .

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हल्दिया, पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिला में स्थित एक औद्योगिक शहर है। यह भारत के पूर्वी समुद्रतट का एक प्रमुख बंदरगाह और औद्योगिक केन्द्र है, जो कलकत्ता से लगभग 125 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम की ओर, हुगली नदी के मुहाने के पास स्थित है। हल्दिया नगर की सीमा हल्दी नदी से सटी है, जो गंगा नदी की एक शाखा है। हल्दिया शहर कई पेट्रोकेमिकल व्यवसायों का केंद्र है, और इसे कोलकाता और इसके अंतर्देशीय क्षेत्र के लिए एक प्रमुख व्यापारी बंदरगाह के रूप में कार्य करने के लिए विकसित किया जा रहा है। .

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हालीशहर (হালিশহর; हालिशॉहॊर्) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर चौबीस परगना जिला में अवस्थित एक शाहर है, जोकि पश्चिम बंगाल पुलिस के बैरकपुर उपविभाग के नैहाटी थाने के अंतर्गत आता है। यह क्षेत्र, कोलकाता के महानगरीय विस्तार का हिस्सा है, तथा कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत आता है। .

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हावड़ा(अंग्रेज़ी: Howrah, बांग्ला: হাওড়া), भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक औद्योगिक शहर, पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर एवं हावड़ा जिला एवं हावड़ सदर का मुख्यालय है। हुगली नदी के दाहिने तट पर स्थित, यह शहर कलकत्ता, के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, जो किसी ज़माने में भारत की अंग्रेज़ी सरकार की राजधानी और भारत एवं विश्व के सबसे प्रभावशाली एवं धनी नगरों में से एक हुआ करता था। रवीन्द्र सेतु, विवेकानन्द सेतु, निवेदिता सेतु एवं विद्यासागर सेतु इसे हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित पश्चिम बंगाल की राजधानी, कोलकाता से जोड़ते हैं। आज भी हावड़, कोलकाता के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, समानताएं होने के बावजूद हावड़ा नगर की भिन्न पहचान है इसकी अधिकांशतः हिंदी भाषी आबादी, जोकि कोलकाता से इसे थोड़ी अलग पहचान देती है। समुद्रतल से मात्र 12 मीटर ऊँचा यह शहर रेलमार्ग एवं सड़क मार्गों द्वारा सम्पूर्ण भारत से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन है। हावड़ा स्टेशन पूर्व रेलवे तथा दक्षिणपूर्व रेलवे का मुख्यालय है। हावड़ स्टेशन के अलावा हावड़ा नगर क्षेत्र मैं और 6 रेलवे स्टेशन हैं तथा एक और टर्मिनल शालीमार रेलवे टर्मिनल भी स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 6 इसे दिल्ली व मुम्बई से जोड़ते हैं। हावड़ा नगर के अंतर्गत सिबपुर, घुसुरी, लिलुआ, सलखिया तथा रामकृष्णपुर उपनगर सम्मिलित हैं। .

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हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन हावड़ा एवं कोलकाता शहर का रेलवे स्टेशन है। यह हुगली नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। इसके २३ प्लेटफार्म इसे भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में एक बनाते हैं। १८५३ में भारत में पहली रेल गाड़ी मुम्बई से एवं १८५४ दूसरी हावड़ा से चली। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी योगेश चन्द्र चटर्जी काकोरी काण्ड से पूर्व ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिये गये थे। नजरबन्दी की हालत में ही इन्हें काकोरी काण्ड के मुकदमे में शामिल किया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी। .

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जगन्नाथ तर्कपंचानन (1694-1807) प्रसिद्ध बंगाली पंडित थे। हुगली (त्रिवेणी) में इनका जन्म हुआ। ये बड़े ही प्रतिभाशाली थे। इनके पांडित्य पर मुग्ध होकर तत्कालीन वर्धमान नरेश तथा मुर्शिदाबाद के नवाब ने इन्हें अनेक पारितोषिक प्रदान किए थे। "विवाद मंगार्णव सेतु" तर्कशास्त्र पर इनका प्रामाणिक ग्रंथ है। कहा जाता है, इन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की लेकिन इस समय रामचरितनाटक के अतिरिक्त कुछ उपलब्ध नहीं है। 113 वर्ष की आयु भोगने के बाद इनकी मृत्यु हुई। श्रेणी:तर्कशास्त्री.

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जुबिली ब्रिज (জুবিলি ব্রিজ, Jubilee Bridge) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में हुगली नदी पर नैहाटी और बैण्डेल के बिचा में बना एक रेलवे पुल है जे अब नाकारा हो चुका है और इसके जगह, इसके बगल में ही एक नया पल निर्मित कर दिया गया है, जिसका नाम है सम्प्रीति सेतु। यह पुल हुगली नदी के दोनों छोरों पर स्थित बण्डेल और नैहाटी नगरों को रेलमार्ग के माध्यम से जोड़ती थी। .

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ईश्वर गुप्ता सेतु या कल्याणी सेतु, हुगली और नदिया ज़िले के बीच, हुगली नदी पर निर्मित एक सेतु है। इस सेतु की कुल लम्बाई १.०४ किलोमीटर (०.६५ मील) है, जिसके पूर्वी छोर पे, पश्चिम बंगाल का कल्याणी शहर, और पशिमी छोर पर बाँसबेड़िया स्थित है। इस सेतु द्वारा, नदिया और उत्तर चौबीस परगना ज़िले के संग, बर्धमान, हुगली और बीरभूम ज़िले सड़कमार्ग द्वारा जुड़ते हैं। यह सेतु, कल्याणी गतिमार्ग द्वारा कोलकाता महानगर से जुड़ता है। यह, राष्ट्रीय राजमार्ग-३४ को राष्ट्रीय राजमार्ग-२ से जोड़ता है। इस पुल का उपयोग प्रतिदिन २००० वाहन करते हैं। .

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विद्यासागर सेतु (प्रचलित नाम: दूसरा हावड़ा ब्रिज) हुगली नदी पर कोलकाता से हावड़ा को जोड़ता हुआ सेतु है। यह सेतु टोल ब्रिज है, किंतु साइकिलों के लिए निःशुल्क है। यह अपने प्रकार के सेतुओं में भारत में सबसे लंबा और एशिया के सबसे लंबे सेतुओं में से एक है। इस सेतु का नाम उन्नीसवीं शताब्दी के बंगाली समाज-सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाम पर रखा गया है। इस सेतु के दोनों ओर ही नदी पर दो अन्य बड़े सेतु भी हैं.

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विवेकानंद सेतु(বিবেকানন্দ সেতু) (पुराना नाम: विनिंग्डन ब्रिज, Willingdon Bridge;अन्य लोकप्रिय नाम: बाली पुल व बाली ब्रिज) पश्चिम बंगाल राज्य में हुगली नदी पर बनाया गया एक पुल है। यह पश्चिम बंगाल की राजधानी, महानगर कोलकाता को हुगली के दूसरे तट पर स्थित हावड़ा नगर से जोड़ती है। इस सेतु का निर्माण सन् १९३२ में, कोलकाता बंदरगाह को उसके पृष्ठ क्षेत्रों(बंदरगाह से सटे वह आंतराक इलाके जिनके आयात-निर्यात की आवश्यकता कोलकाता बंदरगाह पूरा करता है) को रेलमार्ग व सड़क मार्ग से जोड़ने के लिये, हुआ था। यह पुल 2887 फ़िट(880m) लम्बा इस्पात और ईंट से बना एक स्तम्भ-युक्त पुल(निर्माण शास्त्र में एक स्तम्भ-युक्त पुल) है। यह हावड़ा के बाली उपनगर को कोलकाता में दक्षिणेष्वर क्षेत्र से जोड़ता है।Nanji Bapa ni Nondh-pothi published in Gujarati in year 1999 from Vadodara.

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कायर्न्स, क्वींसलैंड के बाहर खारे पानी के मगरमच्छ खारे पानी का मगरमच्छ या एस्टूएराइन क्रोकोडाइल (estuarine crocodile) (क्रोकोडिलस पोरोसस) सबसे बड़े आकार का जीवित सरीसृप है। यह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, भारत के पूर्वी तट और दक्षिण-पूर्वी एशिया के उपयुक्त आवास स्थानों में पाया जाता है। .

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गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड का यार्ड में एक नया जहाझ। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड (Garden Reach Shipbuilders and Engineers / GRSE)) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। यह कोलकाता में स्थित है। यह भारतीय नौसेना के पोतों से लेकर व्यापारिक जलपोतों तक का निर्माण एवं मरम्मत करते हैं। 20 हैक्टेयर के क्षेत्र में फैले जीआरएसई का अगला भाग करीब 1 किलोमीटर तक नदी से घिरा हुआ है। .

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गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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श्रेणी:गंगा नदी.

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ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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इशान पोरेल (जन्म 5 सितंबर 1998) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है इन्होंने 25 फरवरी 2017 को 2016-17 की विजय हजारे ट्रॉफी में बंगाल के लिए अपने लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत की थी। जबकि इन्होंने 9 नवंबर 2017 को 2017-18 में रणजी ट्रॉफी में बंगाल के लिए अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेला था। इसके बाद इनके अच्छे प्रदर्शन के चलते भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने दिसंबर 2017 में 2018 आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए भारतीय अंडर-१९ क्रिकेट टीम में चुन लिया। .

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कमारहाटी (बांग्ला:কামারহাটী) पश्चिम बंगाल के उत्तरी २४ परगना जिले का एक नगर एवं नगरपालिका है। यह कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन आता है। यह हुगली नदी के बाएँ किनारे पर कोलकाता से लगभग १८ किमी उत्तर स्थित है। सन १८९८ ई. तक यह नगर बड़नगर नगरपालिका द्वारा शासित होता था, किंतु बाद में इसकी एक अलग नगरपालिका बना दी गई। इस नगर में तीन मंदिर, एक काली का, दूसरा कृष्ण का तथा तीसरा महादेव का, विशेष दर्शनीय है। यहाँ अनेक छोटे स्कूल, एक कालेज एवं औषधालय भी हैं। श्रेणी:कोलकाता के क्षेत्र.

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1906 में कालका स्टेशन से रवाना होती ईस्ट इंडिया रेलवे मेल। कालका मेल, भारतीय रेल द्वारा संचालित एक रेलगाड़ी है जो भारत के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के निकट स्थित हावड़ा को एक अन्य राज्य हरियाणा के पंचकुला में स्थित कालका, रेलवे स्टेशन से जोड़ती है, जो एक समय भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला, जाने वाली रेलवे लाइन का प्रारंभिक स्टेशन भी है। .

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कागज उद्योग, कच्चे माल के रूप में लकड़ी का उपयोग करते हुए लुगदी, कागज, गत्ते एवं अन्य सेलुलोज-आधारित उत्पाद निर्मित करता है। वैश्विक, आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था में कागज के योगदान की उपेक्षा नहीं की जा सकती है क्योंकि बिना कागज के सम्पूर्ण कार्यप्रणाली का पूर्ण हो पाना सम्भव नहीं रहा है। शिक्षा का प्रचार-प्रसार, व्यापार, बैंक, उद्योग तथा सरकारी व गैरसरकारी, संस्थानों या प्रतिष्ठानों में कागज का ही बहुधा प्रयोग किया जाता है। विश्व की लगभग सभी प्रक्रियाओं की शुरूआत कागज से ही प्रारम्भ होती है। कागज व्यक्ति व समाज के विकास में ‘‘आदि और अन्त’’ दोनों प्रकार की भूमिका का निर्वहन करता है। इस तरह मानवीय सभ्यता का विकास व उन्नति कागज के ही विकास से सम्बन्धित है। .

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बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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वी.आई.पी मार्ग, शहर को हवाई अड्डे से जोड़ता एक व्यस्त मार्ग भारत में एकमात्र कोलकाता शहर में ट्राम चलती हैं। विद्यासागर सेतु कोलकाता को हावड़ा से जोड़ता है कोलकाता में जन यातायात कोलकाता उपनगरीय रेलवे, कोलकाता मेट्रो, ट्राम और बसों द्वारा उपलब्ध है। व्यापक उपनगरीय जाल सुदूर उपनगरीय क्षेत्रों तक फैला हुआ है। भारतीय रेल द्वारा संचालित कोलकाता मेट्रो भारत में सबसे पुरानी भूमिगत यातायात प्रणाली है। ये शहर में उत्तर से दक्षिण दिशा में हुगली नदी के समानांतर शहर की लंबाई को १६.४५ कि.मी.

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अजय नदी (बांग्ला: অজয় নদ), झारखंड और पश्चिम बंगाल की एक प्रमुख नदी है। .

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अंगुलि छाप पहचान के प्रयोजनों के लिए उंगलियों के निशान के अध्ययन को अंगुलि चिह्न अध्ययन (Dactylography / डेकटायलोग्राफी) कहा जाता है। मनुष्य के हाथों तथा पैरों के तलबों में उभरी तथा गहरी महीन रेखाएँ दृष्टिगत होती हैं। ये हल चलाए खेत की भाँति दिखतीं हैं। वैसे तो वे रेखाएँ इतनी सूक्ष्म होती हैं कि सामान्यत: इनकी ओर ध्यान भी नहीं जाता, किंतु इनके विशेष अध्ययन ने एक विज्ञान को जन्म दिया है जिसे अंगुलि-छाप-विज्ञान कहते हैं। इस विज्ञान में अंगुलियों के ऊपरी पोरों की उन्नत रेखाओं का विशेष महत्व है। कुछ सामान्य लक्षणों के आधार पर किए गए विश्लेषण के फलस्वरूप, इनसे बनने वाले आकार चार प्रकार के माने गए हैं: (1) शंख (लूप), (2) चक्र (व्होर्ल), (3) चाप (आर्च) तथा (4) मिश्रित (र्केपोजिट)। .

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उत्तर बंगाल (बांग्ला: উত্তরবঙ্গ) शब्द का इस्तेमाल बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के उत्तरी भागों के लिए किया जाता है। बांग्लादेश के भाग में प्राय: राजशाही और रंगपुर मण्डल/उप-मण्डल आते हैं। आम तौर पर यह जमुना नदी के पश्चिम और पद्मा नदी के उत्तर में पड़ने वाला क्षेत्र है। पश्चिम बंगाल भाग में इसका अभिप्राय कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और मालदा ज़िलों से है। बिहार भाग में किशनगंज जिला शामिल है। इसमें दार्जिलिंग हिल्स के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। परंपरागत रूप से, हुगली नदी पश्चिम बंगाल को दक्षिण और उत्तरी बंगाल में विभाजित करती है और फिर उत्तरी बंगाल पुन: तराई और दोआर क्षेत्रों में विभाजित होता है। श्रेणी:पश्चिम बंगाल का भूगोल श्रेणी:बांग्लादेश.

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मौसम से संबन्धित आंकड़े जुटाने वाला एक उत्प्लव उत्प्लव (बॉय / buoy) उन पिंडों का नाम है जो समुद्रतल से बँधे रहते हैं और समुद्रपृष्ठ पर उतराते रहकर जहाजों को मार्ग की विपत्तियों या सुविधाओं की सूचना देते रहते हैं। उदाहरण के लिए, उत्प्लव संकीर्ण समुद्रों को नौपरिवहन योग्य सीमा सूचित करते हैं, या यह बताते हैं कि मार्ग उपयुक्त है, या यह कि उसके अवरोध कहाँ हैं, जैसे पानी के भीतर डूबी हुई विपत्तियाँ या बिखरे हुए चट्टान, सुरंग या टारपीडो के स्थल, तार भेजने के समुद्री तार, या लंगर छोड़कर चले गए जहाजों के छूटे हुए लंगर। कुछ उत्प्लवों से यह भी काम निकलता है कि लंगर डालने के बदले जहाज को उनसे बाँध दिया जा सकता है। इनको नौबंध उत्प्लव (मूरिंग बॉय) कहते हैं। उद्देश्य के अनुसार उत्प्लवों के आकार और रंग में अंतर होता है। ये काठ के कुंदे से लेकर इस्पात की बड़ी बड़ी संरचनाएँ हो सकती हैं, जिनमें जहाज बाँधे जाते हैं। उत्प्लव को अंग्रेजी में 'बॉय' कहते हैं और लश्करी हिंदी मे इसे 'बोया' कहा जाता है। अंग्रेजी शब्द बॉय उस प्राचीन अंग्रेजी शब्द से व्युत्पन्न है जिससे आधुनिक अंग्रेजी शब्द बीकन (beacon, आकाशदीप) की भी उत्पत्ति हुई है। परंतु अब बॉय का अर्थ हो गया है उतराना और उत्प्लव शब्द का भी अर्थ है वह जो उतराता रहे। .

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१६ दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३५०वाँ (लीप वर्ष मे ३५१वाँ) दिन है। वर्ष में अभी और १५ दिन बाकी है। .

हुगली नदी के पास कौन सा शहर स्थित है?

हुगली नदी (Hooghly River), जिसे भागीरथी-हुगली नदी (Bhāgirathi-Hooghly) भी कहा जाता है, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बहने वाली एक नदी है। कुछ स्रोतों में इसे गंगा नदी की वितरिका बताया जाता है। इसको विश्व का सबसे अधिक विश्वास घाति नदी कहते है। इसी के तट पर कोलकाता बन्दरगाह स्थित है।

हुगली नदी के किनारे कौन सा उद्योग स्थित है?

पटसन वस्त्र उद्योग मुख्यतः हुगली नदी के तट पर स्थित है।

हुगली कौन से राज्य में पढ़ती है?

हुगली ज़िला (হুগলী জেলা) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक ज़िला है।

हुगली नदी क्या गंगा नदी है?

हुगली नदी सदियों से लगभग 260 किमी लंबी गंगा नदी की एक शाखा के रूप में अस्तिजत्व में है। यह नदी मुर्शिदाबाद से निकलती है जहां गंगा नदी दो भागों में विभाजित हो जाती है जिसमें बांग्लादेश से बहने वाले भाग को पद्मा कहा जाता है और दूसरा भाग हुगली नदी के नाम से जाना जाता है।