वीर तेजाजी पर डाक टिकट कब जारी किया गया? - veer tejaajee par daak tikat kab jaaree kiya gaya?

वीर तेजाजी पर डाक टिकट कब जारी किया गया? - veer tejaajee par daak tikat kab jaaree kiya gaya?
dr. j k gargग्रामीणों के जननायक के सांपों के लोक देवता तेजाजी लोक-नायककी जीवन-यात्रा एक नितान्त साधारण मनुष्य के रूप में शुरू हुई और वे किसी-न-किसीतरह के असाधारण घटनाक्रम में पड़ कर एक असाधारण मनुष्य और लोक देवता मेंरूपान्तरित हो गये | मान्यता है कि सर्पदंश से बचने के लिए वीर तेजाजी का पूजन किया जाता है | गाँव का चबूतरा वीर तेजाजी का थान कहलाताहै सांप के ज़हर के तोड़ के रूप में गौ मूत्र और गोबर की राख के प्रयोग की शुरूआत सबसेपहले वीर तेजाजी माहराजने की थी | मान्यताओं के मुताबिकजब किसीको सर्पदंश हो तो भोपेमें तेजाजीकी आत्माआ जातीहैं. और वह जहर चूस कर सर्पदंश से पीड़ित व्यक्तिको ठीक कर देती है। इसलिएभोपे को तेजाजी का घोड़ला भी कहा जाताहै | वीर तेजाजी महराज को ‘ काला और बाला ‘ का देवता साँपोंका देवता, धोलियावीर एवँ गायों का मुक्तिदाता तथा कृषि कार्योंका उपकारकदेवता कहा जाता है जिसकीवजह से किसान हल चलाने से पूर्व तेजाजीका स्मरणकरते है| जाट लोग भगवान शिव को तेजाजी के नाम से जानते हैं | दीइलस्ट्रेटेड वीकली आफ़ इंडिया के 28 जून 1971 के जाट विशेषांक अनुसार जाट लोगों केघरों तेजा मंदिर हुआ करते थे. अनेक शिवलिंगों में एक तेज लिंग भी होता है जिसके जाटलोग उपासक थे | वीर तेजाजी महाराजके लियेरचित लोक साहित्य को तेजा टेर/तेजा गीत’ कहा जाता है | तेजाजी की स्मृति में 2011 पांच रूपयेकी डाक-टिकट जारी किया गया था | प्राण जाये पर वचन नहीं जाए का पालन करते हुए अपने प्राणों कीआहुति देने वाले तेजाजी राजस्थान उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश गुजरात एव पंजाब के भीलोक-नायक हैं। अवश्य ही इन प्रदेशों की भाषाओं के लोक साहित्य में उनके आख्यानकी अभिव्यक्ति के अनेक रूप भी मौजूद हैं। रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाये पर वचन नहीं जी का पालन करते हुएतेजा जी का बलिदान आज भी हम सभी को प्रेरणा देता है तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपदशुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजा दशमी के रूप में मनाया जाता है | भक्त तेजाजी के मन्दिरों में जाकर पूजा-अर्चनाकरते हैं और दूसरी मन्नतों के साथ-साथ सर्प-दंश से होने वाली मृत्यु के प्रति अभयभी प्राप्त करते हैं। कि द्वितियो और लोक मान्यता के मुताबिक उन्हें भगवान शिव काग्यारहवां अवतार माना जाता है | तेजाजी की कर्मस्थली तथा प्रमुख तीर्थस्थल बूंदी का बासीदुगारी क्षेत्र है | वीर तेजाजी महाराज का पूजन पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन तेजा दशमी के रूप में पर्व मनाया जाता है| मध्यप्रदेश और राजस्थान उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश पंजाब हरियाणा के गांव-गांव में तेजा दशमी मनाई जाती ह | इस दिन अनेक जगहों पर तेजाजी के मंदिरों में मेले का भी आयोजन किया जाता है |वीर तेजाजी के वंशज मध्य भारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बस गये थे| नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ | तेजाजी के पूर्वज उदयराज ने मारवाड़ के खड़नाल परगने में 24 गांव पर कब्जा कर खड़नाल को अपनी राजधानी बनाया | तेजाजी का जन्म विक्रम संवत 1130 माघ सुदी चौदस (गुरुवार 29 जनवरी 1074, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) के दिन खरनाल में हुआ था। उनके पिता राजस्थान में नागौर जिले के खरनाल के मुखिया ताहड़ जी थे। उनकी माता का नाम राम कंवरी था। तेजाजी के माता और पिता भगवान शिव के उपासक थ तेजाजी महाराज का विवाहबचपन में ही पनेरगांव में रायमल जी की पुत्री पेमलके साथ पुष्कर अजमेरमें हो गया था उस वक्त तेजाजी की उम्र मात्र9 महीने थी और पेमलजी उम्र6 महीने थी | दोनों परिवारों में अनबन होजाने की वजह से तेजाजी उनके पेमल के साथ शादी के बारे में कई सालो तक नहीं बताया गया |उस वक्तगावं में परंपरा थी की वर्षा होने पर कबीले के मुखिया सबसे पहले खेत में हल जोतनेकी शुरुआत करते थे और उसके बाद ही गावं के अन्य किसान हल जोतते थे | अपने पिता और बड़े भाई की अनुपस्तिथी के कारण तेजाजी खेतोंमें पहुँच कर हल चलाने लगे ,काम करतेकरते दोपहर हो गई एवं तेजाजी भूख से परेशान होकर भोजन लेकर आने वाली अपनी भाभी काइंतजार करने लगे उनका खाना ले कर खेतो पर पहुची अपनी भूख से परेशान तेजा ने उन्हेंउलाहना दिया जिस से भाभी अपना आपा खो बेठी और उन्हें तंज मारते हुए बोली अगर आपकोसमय पर खाना चाहिये तो तुम अपनी बीबी पेमल को उसके पीहर से क्यों नहीं ले लाते ? भाभी की बातें सुन कर तेजा को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनकीशादी हो चुकी है और वें तिलमिलाते हुए घर आ कर माँ से पूछा “ मेरी शादी कहाँ कब और किसके साथ हुई? “ माँ ने उन्हें कहा तुम्हारा ससुराल पनेर में रायमल जी के घरहै और तुम्हारी पत्नी का नाम पेमल है| तेजाससुराल जाने को आतुर हो गये तब तेजाजी की को उलाहना देते हुए बोली भाभी बोली अपनीदुल्हन पेमल को घर पर लाने अपनी बहन राजल को तो उसके ससुराल से ले आओ पीहर लेकर आओऔर उसके यहां आने के बाद पेमल को लेने अपने ससुराल जाना | तेजाजी अपनी बहन राजल को लिवाने उसकी ससुराल के गांव अजमेरके पास तबीजी से ले आये तेजाजी ने अपनी माँ और भाभी से पनेर जाने की इजाजत लेकर वेएक दिन सुबह ही अपनी पत्नी पेमल को लेने के निकल पड़े अपनी ससुराल पनेर आ गये थे|अपने ससुराल किसी बात वे पेमल के माता पिता से नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तभी ही पेमल नेअपनी सहेली लाछा गूजरी को संदेश दे कर भेजा अगर वो मुझे खरनाल नहीं ले जाएगें तो मेजहर खा कर मर जाऊंगी मैंने इतने वर्ष आपके इंतजार में निकले है मैं आपके चरणों मेंरह कर आपकी सेवा करुगी | रूपवतीपेमल की व्यथा देखकर तेजाजी उसे अपने साथ ले जाने को राजी हो गये और उससे बात करकेअपने साथ चलने को कहा तभी यकायक वहां लाछां ने आकर कहा कि“मेर के मेणा डाकू उसकी गायों को चुरा कर ले गए हैं, इसलिए तेजा जी आप मेरी गायों को डाकुओं से छुड़ा कर लायें | तेजाजी गायों को लाने के अपने पांचों हथियार लेकर अपनी घोडीलीलण पर सवार हुए| रास्तेमें उन्हें एक इच्छाधारी काला नाग आग में जलता हुआ दिखाई दिया तेजाजी ने तुरंतअपने भाले से नाग को आग से बाहर निकाला | नागउन्हें धन्यवाद देने बजाय क्रोधित होकर बोलाक्योंकि तुम मेरी मुक्ति में बाधक बने हो इसलिए मे तुमको डसूंगा | तेजाजी बोले नागराज मरते डूबते और जलते हों को बचाना मानव काधर्म है | तेजाजी ने प्रायश्चित स्वरूप नागराज की बात मान ली और नागराजको वापिस लौट आने का वचन देकर सुरसुरा की घाटी में पहुंचें जहाँ मंदारिया कीपहाड़ियों में डाकुओं के साथ उनका भंयकर संघर्ष जिसमें तेजाजी के शरीर पर अंकोगहरे घाव हो गये और वो लहूलुहान हो गये लडाई मे अनेको डाकू मारे गये इव बाकी केडाकू भाग गये | वादा पूरा करने के लिये तेजा जीनाग राज के पास जाकर उस डसने के लिय अपने को प्रस्तुत कर दिया | लहूलुहान तेजाजी देख कर नागराज बोले तेजा तुम्हारे रोम रोमसे तो खून टपक रहा है, मेंतुम्हें कहाँ डसू | तेजाजीबोले कि मेरे हाथ की हथेली व जीभ पर कोई घाव नहीं है इसलिए आप यहाँ डसं लें | नागराज बोला तुम शूरवीर होनेके साथ साथ अपने वचन के पक्के भीहो तुम्हारी सच्चाई के सामने में हार गया हूँ | मेंतुम्हें वरदान देता हूँ कि तुम अपने कुल के एक मात्र देवता बनोगे | आज के बाद काला सर्प का काटा हुआ कोई व्यक्ति यदि तुम्हारेनाम की तांती बांध लेगा तो उसका जहर उतर जायेगा | तेजाजीने कहा “ नागराज आपको मुझें डसंना ही होगा | आखिर तेजाजी की जिद्द से हारकर तेजाजी की जीभ पर डस लिया | अपने जीवन का अंत नजदीक देखकर सत्यवादी तेजा जी ने पास मेखडी ऊंट चराने वाले रबारी आसू देवासी को कहा “भाई मेरा प्रभु के परम धाम जाने का समय आ गया है | मेरी पत्नीं पेमल को मेरा रुमाल देकरकहना कि मेरे देव भगवान शिव मुझे बुला रहे है | तेजाजी की हालत को देख कर उनकी घोड़ीलीलण की आँखों से आंसू की अविरल गंगा बहने लगी उसे तेजा जी ने आदेश दिया के गंगाजल से परिवार के लोग और पेमल को मेरा हाल बता देना | “तेजाजी के बलिदान का समाचार सुनकरपेमल की आँखें पथरा गई उसने मां से नारियल माँगा, सौलह श्रृंगार किये, परिवार जनों से विदाई लेकर सुरसुरा (किशनगढ़ के समीप ) जाकर अपने सत्यवादी पति के साथ सती होने का निश्चय कर लिया | कहते हैं कि चिता की अग्नि स्वतः हीप्रज्वलित हो गई थी लोगों ने पूछा कि सती माता तुम्हारी पूजा कब और कैसे करें तबसती पेमल ने बोला भादवा सुदी नवमी की रात्रि को तेजाजी धाम पर जागरण करना और दसमीको तेजाजी के धाम पर उनकी देवली को धौकलगाना, कच्चेदूध का भोग लगाना ऐसा करने से आप की सारी मनोकामनाये पुरी होगी |मान्यताओं के अनुसार तेजा जी की बहिन राजल भी खरनाल के पासजोहड़ में सतीहो गई थी | भाई केपीछे सती होने का यह अनूठा एक मात्र उदाहरण है | राजल बाई का मंदिर खरनाल में गाँव केपूर्वी जोहड़ में है जिसे बांगुरी माता का मंदिर कहते हैं | तेजाजी की प्रिय घोड़ी लीलण ने भी अपना शारीर छोड़ दिया | लीलण घोड़ी का मंदिर आज भी खरनाल केतालाब के किनारे पर बना हुआ है |

डा. जे. के. गर्गपूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर

तेजाजी पर डाक टिकट कब जारी किया गया?

तेजाजी पर 2011 में पांच रूपये की डाक-टिकट जारी की गई

वीर तेजा जी कौन सी जाति के थे?

तेजाजी का जन्म एवं परिचय लोक देवता तेजाजी का जन्म एक क्षत्रिय जाट घराने में हुआ था। उनका जन्म नागौर जिले में खरनाल गाँव में माघ शुक्ल चौदस, विक्रम संवत 1130 (29 जनवरी 1074) में हुआ माना जाता था।

तेजाजी की पत्नी का नाम क्या है?

जिन्होंने सर्प देवता को अपने कहे वचन के अनुसार गायों को छुड़ाकर अपनी जान कुर्बान की थी. इस कारण आज भी सर्पदंश होने पर तेजाजी महाराज की मनौती मांगी जाती हैं. उनकी घोड़ी का नाम लीलण एवं पत्नी का नाम पेमल था.

वीर तेजाजी की पत्नी की गोत्र क्या थी?

वीर तेजाजी महाराज के विवाह के बारे में – वीर तेजाजी महाराज का विवाह बचपन में ही पेमल से हुआ था । जो झांझर गोत्र के रायमल जाट की पुत्री थी