वाक्य विचार की परिभाषा और भेद Show
वाक्य किसे कहते है- जिस शब्द समूह से वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं। आचार्य विश्वनाथ ने अपने ‘साहित्यदर्पण’ में लिखा है- वाक्य के भागवाक्य के दो भेद होते
है- (1)उद्देश्य:– वाक्य का वह भाग है, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है। उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण क्रियाद्योतक और वाक्यांश आदि आते हैं। उद्देश्य के भाग उद्देश्य का विस्तार- जैसे- 1. विशेषण- ‘दुष्ट’ लड़के ऊधम मचाते हैं। विशेष- सम्बोधन का प्रयोग ऐसे वाक्यों में भी होता है, जहाँ वाक्य का कर्त्ता और सम्बोधित व्यक्ति भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे- हे गरुड़ ! राम की माया ही ऐसी है ! इस वाक्य में गरुड़ तथा वाक्य का कर्त्ता ‘माया’ भिन्न-भिन्न हैं। ऐसे वाक्यों में सम्बोधन के बाद ‘तुम सुनो’ आदि छिपा रहता है, ये सम्बोधन ‘तू’, ‘तुम’ अथवा ‘आप’ के विस्तार होते हैं। (2)विद्येय:- उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विद्येय कहते है। दूसरे शब्दों में- वाक्य के कर्ता (उद्देश्य) को अलग करने के बाद वाक्य में जो कुछ भी शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है। विशेष-आज्ञासूचक वाक्यों में विद्येय तो होता है किन्तु उद्देश्य छिपा होता है। विधेय
के भाग- विधेय के प्रकार (i) साधारण विधेय- साधारण विधेय में केवल एक क्रिया होती है। जैसे- राम पढ़ता हैं। वह लिखती है। (ii) जटिल विधेय- जब विधेय के साथ पूरक शब्द प्रयुक्त होते हैं, तो विधेय को जटिल विधेय कहते हैं। पूरक के रूप में आनेवाला शब्द संज्ञा, विशेषण, सम्बन्धवाचक तथा क्रिया-विशेषण होता हैं। विधेय का विस्तार विधेय की विशेषता प्रकट करनेवाले शब्द-समूह को विधेय का विस्तार कहते हैं। विधेय का विस्तार निम्नलिखित प्रकार से होते हैं- 1. कर्म द्वारा : वह ‘रामायण’ पढ़ता है। नीचे की तालिका से उद्देश्य तथा विधेय सरलता से समझा जा सकता है-
सफेद -कर्ता विशेषण वाक्य के भेद(1) वाक्य के भेद- रचना के आधार पररचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है- (i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य:-जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है। इसमें एक ‘उद्देश्य’ और एक ‘विधेय’ रहते हैं। जैसे- ‘बिजली चमकती है’, ‘पानी बरसा’ । (ii)मिश्रित वाक्य:-जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है। जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य (Principal Clause) तथा एक गौण अथवा आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause) हो, तब मिश्र वाक्य बनता है।
जैसे- दूसरे शब्दों मेें- जिन वाक्यों में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य हो और अन्य आश्रित (गौण) उपवाक्य हों तथा जो आपस में ‘कि’; ‘जो’; ‘क्योंकि’; ‘जितना’; ‘उतना’; ‘जैसा’; ‘वैसा’; ‘जब’; ‘तब’; ‘जहाँ’; ‘वहाँ’; ‘जिधर’; ‘उधर’; ‘अगर/यदि’; ‘तो’; ‘यद्यपि’; ‘तथापि’; आदि से मिश्रित (मिले-जुले) हों उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं। इनमे एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती है। जैसे- मैं जनता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते। जो लड़का कमरे में बैठा है वह मेरा भाई है। यदि परिश्रम करोगे तो उत्तीर्ण हो जाओगे। ‘मिश्र वाक्य’ के ‘मुख्य उद्देश्य’ और ‘मुख्य विधेय’ से जो वाक्य बनता है, उसे ‘मुख्य उपवाक्य’ और दूसरे वाक्यों को आश्रित उपवाक्य’ कहते हैं। पहले को ‘मुख्य वाक्य’ और दूसरे को ‘सहायक वाक्य’ भी कहते हैं। सहायक वाक्य अपने में पूर्ण या सार्थक नहीं होते, पर मुख्य वाक्य के साथ आने पर उनका अर्थ निकलता हैं। (iii)संयुक्त वाक्य :-जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है। जैसे- वह सुबह गया और शाम को लौट आया। प्रिय बोलो पर असत्य नहीं। उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली। संयुक्त वाक्य उस वाक्य-समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त हों। इस प्रकार के वाक्य लम्बे और आपस में उलझे होते हैं। जैसे- ‘मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरन्त डॉक्टर को बुलाना पड़ा।’ इस लम्बे वाक्य में संयोजक ‘और’ है, जिसके द्वारा दो मिश्र वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बनाया गया। इसी प्रकार ‘मैं आया और वह गया’ इस वाक्य में दो सरल वाक्यों को जोड़नेवाला संयोजक ‘और’ है। यहाँ यह याद रखने की बात है कि संयुक्त वाक्यों में प्रत्येक वाक्य अपनी स्वतन्त्र सत्ता बनाये रखता है, वह एक-दूसरे पर आश्रित नहीं होता, केवल संयोजक अव्यय उन स्वतन्त्र वाक्यों को मिलाते हैं। इन मुख्य और स्वतन्त्र वाक्यों को व्याकरण में ‘समानाधिकरण’ उपवाक्य भी कहते हैं। (2) वाक्य के भेद- अर्थ के आधार परअर्थ के आधार पर वाक्य मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते है- (i)सरल वाक्य :-वे वाक्य जिनमे कोई बात साधरण ढंग से कही जाती है, सरल वाक्य कहलाते है। (ii)निषेधात्मक वाक्य:-जिन वाक्यों में किसी काम के न होने या न करने का बोध हो उन्हें निषेधात्मक वाक्य कहते है। (iii)प्रश्नवाचक वाक्य:-वे वाक्य जिनमें प्रश्न पूछने का भाव प्रकट हो, प्रश्नवाचक
वाक्य कहलाते है। (iv) आज्ञावाचक वाक्य :-जिन वाक्यों से आज्ञा प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते है। (v) संकेतवाचक वाक्य:- जिन वाक्यों से शर्त्त (संकेत) का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें
संकेतवाचक वाक्य कहते है। (vi)विस्मयादिबोधक वाक्य:-जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा आदि का भाव ज्ञात हो उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते है। (vii) विधानवाचक वाक्य:- जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते है। (viii) इच्छावाचक वाक्य:- जिन वाक्यों से इच्छा, आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते है। वाक्य के अनिवार्य तत्ववाक्य में निम्नलिखित छ तत्व अनिवार्य है- (1) सार्थकता– सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा। इस वाक्य को पढ़ते ही पाठक के मस्तिष्क में वाक्य की सार्थकता उपलब्ध हो जाती है। कहने का आशय है कि वाक्य का यह तत्त्व रचना की दृष्टि से अनिवार्य है। इसके अभाव में अर्थ का अनर्थ सम्भव है। (2) योग्यता – वाक्य में सार्थक शब्दों के भाषानुकूल क्रमबद्ध होने के साथ-साथ उसमें योग्यता अनिवार्य तत्त्व है। प्रसंग के अनुकूल वाक्य में भावों का बोध कराने वाली योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। इसके आभाव में वाक्य अशुद्ध हो
जाता है। वाक्य लिखते या बोलते समय निम्नलिखित बातों पर निश्चित रूप से ध्यान देना चाहिए- उक्त वाक्यों में पदों की प्रकृतिगत योग्यता की कमी है। आग खायी नहीं जाती। हाथी घोड़े से तेज नहीं दौड़ सकता। इसी जगह पर यदि कहा जाय- (b) बात-समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि विरुद्ध न हो : वाक्य की बातें समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि सम्मत होनी चाहिए; ऐसा
नहीं कि जो बात हम कह रहे हैं, वह इतिहास आदि विरुद्ध है। जैसे- (3) आकांक्षा– आकांक्षा का अर्थ है- इच्छा। एक पद को सुनने के बाद दूसरे पद को जानने की इच्छा ही ‘आकांक्षा’ है। यदि वाक्य में आकांक्षा शेष रहा जाती है तो उसे अधूरा वाक्य माना जाता है; क्योंकि उससे अर्थ पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं हो पाता है। जैसे- यदि कहा जाय। ‘खाता है’ तो स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि क्या कहा जा रहा है- किसी के भोजन करने की बात कही जा रही है या Bank के खाते के बारे में ? (4) निकटता– बोलते तथा लिखते समय वाक्य के शब्दों में परस्पर निकटता का होना बहुत आवश्यक है, रूक-रूक कर बोले या लिखे गए शब्द वाक्य नहीं बनाते। अतः वाक्य के पद निरंतर प्रवाह में पास-पास बोले या लिखे जाने चाहिए। जैसे- गंगा……………… पश्चिम गंगा पश्चिम से पूरब की ओर बहती है। घेरे के अन्दर पदों के बीच की दूरी और समयान्तराल असमान होने के कारण वे अर्थ-ग्रहण खो देते हैं; जबकि नीचे उन्हीं पदों को समान दूरी और प्रवाह में रखने के कारण वे पूर्ण अर्थ दे रहे हैं। (5) क्रम – क्रम से तात्पर्य है- पदक्रम। सार्थक शब्दों को भाषा के नियमों के अनुरूप क्रम में रखना चाहिए। वाक्य में शब्दों के अनुकूल क्रम के अभाव में
अर्थ का अनर्थ हो जाता है। (6) अन्वय – अन्वय का अर्थ है कि पदों में व्याकरण की दृष्टि से लिंग, पुरुष, वचन, कारक आदि का सामंजस्य होना चाहिए। अन्वय के अभाव में भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अतः अन्वय भी वाक्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस वाक्य में भाव तो स्पष्ट है लेकिन व्याकरणिक सामंजस्य नहीं है। अतः यह वाक्य अशुद्ध है। यदि इसे नेताजी के लड़के के हाथ में बन्दूक थी, कहें तो वाक्य व्याकरणिक दृष्टि से शुद्ध होगा। वाक्य-विग्रहवाक्य-विग्रह- वाक्य के विभिन्न अंगों को अलग-अलग किये जाने की प्रक्रिया को वाक्य-विग्रह कहते हैं। इसे ‘वाक्य-विभाजन’ या ‘वाक्य-विश्लेषण’ भी कहा जाता है। सरल वाक्य= 1 उद्देश्य + 1 विद्येय वाक्यों का रूपान्तरणकिसी वाक्य में अर्थ परिवर्तन किए बिना उसकी संचरना में परिवर्तन की प्रक्रिया वाक्यों का रूपान्तरण कहलाती है। एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्यों में बदलना वाक्य परिवर्तन या वाक्य रचनान्तरण कहलाता है। अर्थ में परिवर्तन लाए बिना वाक्य की रचना में परिवर्तन किया जा सकता है। सरल वाक्यों से संयुक्त अथवा मिश्र वाक्य बनाए जा सकते हैं। इसी प्रकार संयुक्त अथवा मिश्र वाक्यों को सरल वाक्यों में बदला जा सकता है। ध्यान रखिए कि इस परिवर्तन के कारण कुछ शब्द, योजक चिह्न या संबंधबोधक लगाने या हटाने पड़ सकते हैं। वाक्य परिवर्तन की प्रक्रिया में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वाक्य का केवल प्रकार बदला जाए, उसका अर्थ या काल आदि नहीं। वाक्य परिवर्तन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वाक्य परिवर्तन करते समय निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए। सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन(1)सरल
वाक्य- अस्वस्थ
रहने के कारण वह परीक्षा में सफल न हो सका। (2)सरल वाक्य- सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा। (3)सरल वाक्य- गरीब को लूटने के अतिरिक्त उसने उसकी हत्या भी कर दी। (4)सरल
वाक्य- पैसा साध्य न होकर साधन है। (5)सरल वाक्य- अपने गुणों के कारण उसका सब जगह आदर-सत्कार होता है। (6)सरल वाक्य- दोनों में से कोई काम पूरा नहीं हुआ। (7) सरल वाक्य- पंगु
होने के कारण वह घोड़े पर नहीं चढ़ सकता। (8) सरल वाक्य- परिश्रम करके सफलता प्राप्त करो। (9) सरल वाक्य- रमेश दण्ड के भय से झूठ बोलता रहा। (10) सरल वाक्य- वह खाना खाकर सो
गया। (11) सरल वाक्य- उसने गलत काम करके अपयश कमाया। संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन(1)संयुक्त वाक्य- सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। (2)संयुक्त वाक्य- जल्दी चलो, नहीं तो पकड़े
जाओगे। (3)संयुक्त वाक्य- वह धनी है पर लोग ऐसा नहीं समझते। (4)संयुक्त वाक्य- वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है। (5)संयुक्त वाक्य- बाँस और बाँसुरी दोनों नहीं रहेंगे। (6)संयुक्त वाक्य- राजकुमार ने भाई को मार डाला और स्वयं राजा बन गया। सरल वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन(1)सरल वाक्य- उसने अपने मित्र का पुस्तकालय खरीदा। (2)सरल वाक्य- अच्छे लड़के परिश्रमी होते हैं। (3)सरल वाक्य- लोकप्रिय कवि का सम्मान सभी करते हैं। (4)सरल वाक्य- लड़के ने अपना दोष मान लिया। (5)सरल वाक्य- राम मुझसे घर आने को कहता है। (6)सरल
वाक्य- मैं तुम्हारे साथ खेलना चाहता हूँ। (7)सरल वाक्य- आप अपनी समस्या बताएँ। (8)सरल वाक्य- मुझे पुरस्कार मिलने की आशा है। (9)सरल वाक्य- महेश सेना में भर्ती होने योग्य नहीं
है। (10)सरल वाक्य- राम के आने पर मोहन जाएगा। (11)सरल वाक्य- मेरे बैठने की जगह कहाँ है ? (12)सरल वाक्य- मैं तुम्हारे साथ व्यापार करना चाहता हूँ। मिश्र वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन(1)मिश्र वाक्य- उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ। (2)मिश्र वाक्य- मुझे बताओ कि तुम्हारा जन्म कब और कहाँ हुआ था। (3)मिश्र वाक्य- जो छात्र परिश्रम करेंगे, उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। (4)मिश्र वाक्य- ज्यों ही मैं वहाँ पहुँचा त्यों ही घण्टा बजा। (5)मिश्र वाक्य- यदि पानी न बरसा तो सूखा पड़ जाएगा। (6)मिश्र वाक्य- उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ। (7)मिश्र
वाक्य- यह निश्चित नहीं है कि वह कब आएगा? (8)मिश्र वाक्य- जब तुम लौटकर आओगे तब मैं जाऊँगा। (9)मिश्र वाक्य- जहाँ राम रहता है वहीं श्याम भी रहता है। (10)मिश्र वाक्य- आशा है कि वह साफ बच
जाएगा। Vakya vichar वाक्य विचारवाक्य-विग्रहवाक्य-विग्रह – वाक्य के विभिन्न अंगों को अलग-अलग किये जाने की प्रक्रिया को वाक्य-विग्रह कहते हैं। इसे ‘वाक्य-विभाजन’ या ‘वाक्य-विश्लेषण’ भी कहा जाता है। सरल वाक्य= 1 उद्देश्य + 1 विद्येय वाक्यों का रूपान्तरणकिसी वाक्य में अर्थ परिवर्तन किए बिना उसकी संचरना में परिवर्तन की प्रक्रिया वाक्यों का रूपान्तरण कहलाती है। एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्यों में बदलना वाक्य परिवर्तन या वाक्य रचनान्तरण कहलाता है। अर्थ में परिवर्तन लाए बिना वाक्य की रचना में परिवर्तन किया जा सकता है। सरल वाक्यों से संयुक्त अथवा मिश्र वाक्य बनाए जा सकते हैं। इसी प्रकार संयुक्त अथवा मिश्र वाक्यों को सरल वाक्यों में बदला जा सकता है। ध्यान रखिए कि इस परिवर्तन के कारण कुछ शब्द, योजक चिह्न या संबंधबोधक लगाने या हटाने पड़ सकते हैं। वाक्य परिवर्तन की प्रक्रिया में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वाक्य का केवल प्रकार बदला जाए, उसका अर्थ या काल आदि नहीं। वाक्य परिवर्तन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वाक्य परिवर्तन करते समय निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए। सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन(1)सरल वाक्य- अस्वस्थ रहने के कारण वह परीक्षा में सफल न हो सका। (2)सरल वाक्य- सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा। (3)सरल वाक्य- गरीब को लूटने के अतिरिक्त उसने उसकी हत्या भी कर दी। (4)सरल वाक्य- पैसा साध्य न होकर साधन है। (5)सरल वाक्य- अपने गुणों के कारण उसका सब जगह आदर-सत्कार होता है। (6)सरल वाक्य- दोनों में से कोई काम पूरा नहीं हुआ। (7) सरल वाक्य- पंगु होने के कारण वह घोड़े पर नहीं चढ़ सकता। (8) सरल वाक्य- परिश्रम करके सफलता प्राप्त करो। (9) सरल वाक्य- रमेश दण्ड के भय से झूठ बोलता रहा। (10) सरल वाक्य- वह खाना खाकर सो गया। (11) सरल वाक्य- उसने गलत काम
करके अपयश कमाया। संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन(1)संयुक्त वाक्य- सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। (2)संयुक्त वाक्य- जल्दी चलो, नहीं तो पकड़े जाओगे। (3)संयुक्त वाक्य- वह धनी है पर लोग ऐसा
नहीं समझते। (4)संयुक्त वाक्य- वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है। (5)संयुक्त वाक्य- बाँस और बाँसुरी दोनों नहीं रहेंगे। (6)संयुक्त वाक्य- राजकुमार ने भाई को मार डाला और स्वयं राजा बन गया। सरल वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन(1)सरल वाक्य- उसने अपने मित्र का पुस्तकालय खरीदा। (2)सरल वाक्य- अच्छे लड़के परिश्रमी होते हैं। (3)सरल वाक्य- लोकप्रिय कवि का सम्मान सभी करते हैं। (4)सरल वाक्य- लड़के ने अपना दोष मान लिया। (5)सरल वाक्य- राम मुझसे घर आने को कहता है। (6)सरल वाक्य- मैं तुम्हारे साथ खेलना चाहता हूँ। (7)सरल वाक्य- आप अपनी समस्या बताएँ। (8)सरल वाक्य- मुझे पुरस्कार मिलने की आशा है। (9)सरल वाक्य- महेश सेना में भर्ती होने योग्य नहीं है। (10)सरल वाक्य- राम
के आने पर मोहन जाएगा। (11)सरल वाक्य- मेरे बैठने की जगह कहाँ है ? (12)सरल वाक्य- मैं तुम्हारे साथ व्यापार करना चाहता हूँ। मिश्र वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन(1)मिश्र वाक्य- उसने कहा कि मैं
निर्दोष हूँ। (2)मिश्र वाक्य- मुझे बताओ कि तुम्हारा जन्म कब और कहाँ हुआ था। (3)मिश्र वाक्य- जो छात्र परिश्रम करेंगे, उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। (4)मिश्र वाक्य- ज्यों ही मैं वहाँ पहुँचा त्यों ही घण्टा
बजा। (5)मिश्र वाक्य- यदि पानी न बरसा तो सूखा पड़ जाएगा। (6)मिश्र वाक्य- उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ। (7)मिश्र वाक्य- यह निश्चित नहीं है कि वह कब आएगा? (8)मिश्र वाक्य- जब तुम लौटकर आओगे तब मैं जाऊँगा। (9)मिश्र वाक्य- जहाँ राम रहता है वहीं श्याम भी रहता है। (10)मिश्र वाक्य- आशा है कि वह साफ बच जाएगा। संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तन(1)
संयुक्त वाक्य- सूर्य निकला और कमल खिल गए। (2) संयुक्त वाक्य- छुट्टी की घंटी बजी और सब छात्र भाग गए। (3)संयुक्त वाक्य- काम पूरा कर डालो नहीं तो जुर्माना होगा। (4)संयुक्त
वाक्य- इस समय सर्दी है इसलिए कोट पहन लो। (5)संयुक्त वाक्य- वह मरणासन्न था, इसलिए मैंने उसे क्षमा कर दिया। (6)संयुक्त वाक्य- वक्त निकल जाता है पर बात याद रहती है। (7)संयुक्त
वाक्य- जल्दी तैयार हो जाओ, नहीं तो बस चली जाएगी। (8)संयुक्त वाक्य- इसकी तलाशी लो और घड़ी मिल जाएगी। (9)संयुक्त वाक्य- सुरेश या तो स्वयं आएगा या तार भेजेगा। मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन(1)मिश्र वाक्य- वह उस स्कूल में पढ़ा जो उसके गाँव के निकट था। (2)मिश्र वाक्य- मुझे वह पुस्तक मिल गई है जो खो गई थी। (3)मिश्र वाक्य- जैसे ही उसे तार मिला वह घर से चल पड़ा। (4)मिश्र वाक्य- काम समाप्त हो जाए तो जा सकते हो। (5)मिश्र वाक्य- मुझे विश्वास है कि दोष तुम्हारा है। (6)मिश्र वाक्य- आश्चर्य है कि वह हार गया। (7)मिश्र
वाक्य- जैसा बोओगे वैसा काटोगे। कर्तृवाचक से कर्मवाचक वाक्य में परिवर्तन(1)कर्तृवाचक वाक्य- लड़का रोटी खाता है। (2)कर्तृवाचक वाक्य- तुम व्याकरण पढ़ाते हो। (3)कर्तृवाचक वाक्य- मोहन गीत
गाता है। अर्थ की दृष्टि से वाक्य में परिवर्तनअर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद हम पढ़ चुके हैं। उनका भी रूपान्तरण हो सकता है। एक विधिवाचक से निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन(1)विधिवाचक वाक्य- वह मुझसे बड़ा है। (2)विधिवाचक वाक्य- अपने देश के लिए हरएक भारतीय अपनी जान देगा। विधानवाचक वाक्य से निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन(1) विधानवाचक वाक्य- यह प्रस्ताव सभी को मान्य है। (2) विधानवाचक वाक्य- तुम असफल हो जाओगे। (3) विधानवाचक वाक्य- शेरशाह सूरी एक बहादुर बादशाह था। (4) विधानवाचक वाक्य- रमेश सुरेश से बड़ा है। (5) विधानवाचक वाक्य- शेर गुफा के अन्दर रहता है। (6) विधानवाचक वाक्य- मुझे सन्देह हुआ कि यह पत्र आपने लिखा। (7)
विधानवाचक वाक्य- मुगल शासकों में अकबर श्रेष्ठा था। निश्चयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक वाक्य में परिवर्तन(1) निश्चयवाचक- आपका भाई यहाँ नहीं हैं। (2) निश्चयवाचक- किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। (3)
निश्चयवाचक- गाँधीजी का नाम सबने सुन रखा है। (4) निश्चयवाचक- तुम्हारी पुस्तक मेरे पास नहीं हैं। (5) निश्चयवाचक- तुम किसी न किसी तरह उत्तीर्ण हो गए। (6) निश्चयवाचक- अब तुम बिल्कुल स्वस्थ हो गए
हो। (7) निश्चयवाचक- यह एक अनुकरणीय उदाहरण है। विस्मयादिबोधक वाक्य से विधानवाचक वाक्य में परिवर्तन(1)विस्मयादिबोधक- वाह! कितना सुन्दर नगर है! (2) विस्मयादिबोधक- काश! मैं जवान
होता। (3) विस्मयादिबोधक- अरे! तुम फेल हो गए। (4) विस्मयादिबोधक- ओ हो! तुम खूब आए। (5) विस्मयादिबोधक- कितना क्रूर! (6) विस्मयादिबोधक- क्या! मैं भूल कर रहा हूँ! (7) विस्मयादिबोधक- हाँ हाँ! सब ठीक है। वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाता है उसे क्या कहा जाता है?सरल शब्दों में- वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाये उसे उद्देश्य कहते हैं।
वाक्य में जिस वस्तु व्यक्ति के विषय में कहा जाए उसे क्या कहते हैं?जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष, व्यक्ति, प्राणी, वस्तु अथवा स्थान का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
संयुक्त वाक्य क्या होता है?संयुक्त वाक्य (Sanyukt Vakya) की परिभाषा के अनुसार 'जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र साधारण वाक्य या प्रधान उपवाक्य उपस्थित हों तो उस वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं। ' उपरोक्त वाक्य में भी दो प्रधान उपवाक्य अथवा दो साधारण वाक्य उपस्थित हैं। अतः यह वाक्य संयुक्त वाक्य (Sanyukt Vakya) होगा।
मिश्र वाक्य क्या होता है?मिश्र वाक्य की परिभाषा (Mishr Vakya Ki Paribhasha)
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों उसे मिश्र वाक्य (Mishr Vakya) कहते हैं। यदि मिश्र वाक्य (Mishr Vakya) के सभी उपवाक्य योजक शब्दों से प्रारंभ हों तो वाक्य का अंतिम उपवाक्य प्रधान उपवाक्य तथा शेष सभी उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होंगे।
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