शारीरिक शिक्षा में योग का क्या महत्व है? - shaareerik shiksha mein yog ka kya mahatv hai?

योग का खेलों में क्या योगदान है?
अथवा
योग के महत्त्व को समझायें।


योग में शारीरिक व मानसिक व्यायाम होते हैं जिनसे हमारे शरीर को लाभ होता है। योग के निम्नलिखित महत्व है:

  1. योग द्वारा हमारा शरीर तंदरूस्त रह सकता है।
  2. हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि।
  3. नियमित अभ्यास से शरीर रोग मुक्त रहता है।
  4. शरीर की शक्ति, चपलता (agility), लोच और समन्वय को बढ़ाता है।
  5. थकान को दूर करने में सहायक।
  6. स्मरण शक्ति में वृद्धि।
  7. शारीरिक ढाँचें में सुधार।


निम्नलिखित को विस्तृत रूप में बताइए:

पद्मासन


पद्मासन: पद्मासन संस्कृत शब्द 'पद्य' से निकला है जिसका अर्थ होता है: कमल। इस आसन में शरीर बहुत हद तक कमल जैसा प्रतीत होता है। इसीलिए इसको कमल मुद्रा (Lotus) भी कहते हैं।

विधि:

  1. जमीन पर बैठ जाएँ।
  2. दाया पाव मोड़ें तथा दांये पैर को बाई जांघ के ऊपर तथा कूल्हों के पास रखे।
  3. ध्यान रहे दाई एड़ी से पेट के निचले बाएँ हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए।
  4. बाया पांव मोड़ें तथा बाएँ पैर को दांई जांघ के ऊपर रखे।
  5. यहाँ भी बाँई एड़ी से पेट के निचले दाएँ हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए।
  6. हाथों को ज्ञान-मुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें।
  7. रीढ़ की हड्डी को सीधे रखें।
  8. धीरे-धीरे सांस ले और धीरे-धीरे सांस छोड़े।
  9. अपने हिसाब से इस अवस्था को बनाए रखें।
  10. फिर धीरे-धीरे आप अपनी आरभिक अवस्था में आ जाएँ।

पद्मासन के लाभ: 

  1. ध्यान के लिए पद्मासन एक अति उतम योग अभ्यास है जो आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक की ओर लेकर जाता है और ध्यान की ओर अग्रसर करते हुए आपको शांति तथा धैर्य प्रदान करता है।
  2. इस आसन के अभ्यास से आपके चेहरे में एक नई प्रकार की रोनक आ जाती है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता है।
  3. रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
  4. यह पाचन क्रिया को बेहतर करतेहुए कब्ज को दूर करने में सहायक है।
  5. स्मृति बढ़ने में सहायक है।
  6. पद्मासन एकाग्रता को बढ़ाता है।
  7. पेट के अंगों को स्वस्थ बनाता है।

पद्मासन की सावधानी:

  1. घुटने केदर्द मे न करें।
  2. टखने के दर्द में न करें।
  3. साइटिका, कमर दर्द में न करें।


योग क्या है?


स्थिरम् सुखं असन्! स्थिरता व सुख केसाथ एक ही आसन में बैठना योग है।


निम्नलिखित को विस्तृत रूप में बताइए:

ताड़ासन


ताड़ासन: यह एक ऐसा योगासन है जो मांसपेशियों को ही नहीं बल्कि सूक्ष्म मांसपेशियों को भी बहुत हद तक लचीला बनाता है।

ताड़ासन के विमिन्न नाम:

  1. पर्वतासन: इसे पर्वत योग मुद्रा भी कहा जाता है क्योंकि पर्वत की तरह यह स्थिर एवं शांत प्रतीत होता है।
  2. पाम ट्री योग: इसे पाम ट्री के नाम से इसीलिए जाना जाता हैं क्योंकि खजूर के पेड़ की तरह लम्बा जान पड़ता है।
  3. स्वर्गीय योग: इसमें साधक अपने आपको स्वर्ग की ओर खींचता हुआ प्रतीत होता है इसीलिए इसे स्वर्गीय योग के नाम से भी जाना जाता है।

विधि:

  1. इसके लिए आप सबसे पहले खड़े हो जाए और अपने कमर और गर्दन को सीधा रखें।
  2. जब आप अपने हाथ को सिर के ऊपर करें और सांस लेते हुए धीरे-धीरे पूरे शरीर को खींचे।
  3. खिंचाव को पैर की अंगुली से लेकर हाथ की अंगुलियों तक महसूस करें।
  4. इस अवस्था को कुछ समय के लिए बनाए रखेंऔर सांस ले सांस छोड़े।
  5. फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने हाथ एवं शरीर को पहली अवस्था में लेकर आए।
  6. इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।

ताड़ासन योग के फायदे:

  1. ताड़ासन वजन कम करने के लिए।
  2. ताड़ासन हाइट बढ़ाने के लिए।
  3. ताड़ासन पीठ की दर्द के लिए।
  4. नसों एवं मांसपेशियों के दर्द को कम करता है।
  5. घुटने के दर्द से राहत।
  6. चलने की कला सिखाता है।
  7. एकाग्रता व संतुलन बढ़ाता है।

सावधानियाँ:

  1. घुटने के दर्द में, सिरदर्द में तथा रक्तचाप कम या अधिक में न करें।
  2. यह आसन गर्भवती महिला के लिए वर्जित है।


योगनिद्रा की विस्तृत रूप से व्याख्या करें। या ध्यान को बढ़ाने के लिए योगनिद्रा की व्याख्या करें।


योगनिद्रा का अर्थ हैं: आध्यात्मिक नींद । यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योगनिद्रा।

योगनिद्रा के लाभ:

  1. दिनभर तरो-ताजा रहना।
  2. शरीर व मस्तिष्क का स्वस्थ रहना।
  3. नींद की कमी को पूरा करती है।
  4. इससे थकान, तनाव व अवसाद दूर हो जाता है।
  5. योगनिद्रा से बुरी आदते छूट जाती है।
  6. योगनिद्रा का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनो, जोड़ो का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभदायक है।
  7. खिलाड़ी भी मैदान मे खेलों में विजय प्राप्त करने के लिए योगनिद्रा लेते है। योगनिद्रा की अवधि-10 से 45 मिनट तक।


निम्नलिखित को विस्तृत रूप में बताइए:

सुखासन


सुखासन: सुखासन का शाब्दिक अर्थ होता है सुख देने वाला आसन। जब भी हम इस आसन को करते हैं तो सच में ही हमें आत्मीय शांति और सुख की प्राप्ति होती है, यही कारण है कि हम इस आसन को 'सुखासन' के नाम से जानते है।

सुखासन की विधि:

  1. सुखासन को करने के लिए सबसे पहले ज़मीन पर चटाई या दरी बिछा लें।
  2. अपने दोनों पैरों को सामने और सीधे रखें।
  3. अपने एक पैर की ऐड़ी अपने दूसरे पैर की जंघा के नीचे रखे फिर दूसरे पैर की ऐड़ी को भी इसी प्रकार से रखें। ऐसा करके आप पालथी में आ जाओगे।
  4. अपनी पीठ और मेरूदण्ड को बिल्कुल सीधा रखें।
  5. अपने कंधों को ढीला छोड़ते हुए अपनी सास को पहले अन्दर की ओर ले फिर बाहर की ओर छोड़े।
  6. अपनी हथेलियों को एक के ऊपर एक करके अपनी पलथी के ऊपर रखे।
  7. अपने सिर को ऊपर उठाते हुए अपनी दोनों आँखों को बंद कर ले।
  8. अपना पूरा ध्यान अपनी श्वास क्रिया पर लगाते हुए सास लम्बी व गहरी लें।

सुखासन करने के लाभ:

  1. मानसिक सुख व शांति का अनुभव होना।
  2. चिंता,अवसाद या फिर क्रोध में लाभदायक।
  3. बैठने की सही आदत का बनना।
  4. मन की चंचलता को कम करने में सहायक।
  5. रीढ़ की हड्डी में होनेवाली रोगोंसेनिजात मिलना।
  6. हमारा चित शांत और मन एकाग्रस्त हो जाता है।

सुखासन की सावधानियाँ:

  1. घुटनों के दर्द में न करें।
  2. रीढ़ की चोट में ध्यानपूर्वक ही आसन को करना चाहिए।
  3. अपने शरीर की प्रक्रिया को समझकर उसके अनुरूप आसन को करना चाहिए।
  4. इस आसन को एकांत में करना चाहिए और अगर आप इसे आध्यात्मिक रूप से कर रहे हो तो आप को पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके इस आसन को करना चाहिए।


शारीरिक शिक्षा में योगासन का क्या महत्व है?

की उपाधि प्राप्त की जा सकती है। 2 वर्षीय शारीरिक शिक्षा स्नातकोत्तर कार्यक्रम, जिसमें शारीरिक शिक्षा में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की जा सकती है । मुक्त व दूरस्थ शिक्षण प्रणाली के माध्यम से 2 वर्षीय प्रारंभिक शिक्षा डिप्लोमा कार्यक्रम, जिसमें प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा (डी.

योग शिक्षा का महत्व क्या है?

योग एक मानस शास्त्र है जिसमें मन को संयत करना और पाशविक वृत्तियों से खींचना सिखाया जाता है। जीवन की सफलता, किसी भी क्षेत्र में संयत मन पर भी निर्भर करती है। मन:संयम का अभिप्राय है किसी एक समय में किसी एक ही वस्तु पर चित्त का एकाग्र होना।

योग का शारीरिक एवं खेलों में क्या महत्व है?

बच्चों व खिलाड़ियों के लिए स्पेशल योग अभ्यास करवाया जाता है। - शरीर को लचीला मजबूत बनाता है। - खिलाड़ियों में एकाग्रता बढ़ाता है। - शरीर और मन का तालमेल बनाता है।

योग का महत्व क्या है?

योग का महत्व योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्‍तिष्‍क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्‍मा को भी शुद्ध करता है।