विकास से आप क्या समझती है अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए? - vikaas se aap kya samajhatee hai arth spasht keejie tatha paribhaasha nirdhaarit keejie?

विकास से आप क्या समझती है अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए? - vikaas se aap kya samajhatee hai arth spasht keejie tatha paribhaasha nirdhaarit keejie?

विकास शब्द परिवर्तन का द्योतक है व्यक्ति में यथा समय होने वाले विभिन्न परिवर्तनों को ही विकास कहा जाता है। विकास के अंतर्गत व्यक्ति के मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक तथा शारीरिक दृष्टि से होने वाले परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है। अर्थात व्यक्ति में होने वाले समस्त परिवर्तनों को विकास कहा जाता है। व्यक्ति में होने वाले परिवर्तनों को वैयक्तिक भिन्नता का प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के विकास में एक निश्चित दिशा होती है। अथवा परिवर्तन एक निर्धारित क्रम की दिशा में होता है। विकास के अनंतर व्यक्तिगत रूप से परिपक्वता की और बढ़ता रहता है,इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति की अभिन्न विशेषताओं में विभिन्न गुणात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है विकास के अंतर्गत सामाजिक, सांस्कृतिक नैतिक, मानसिक, शारीरिक एवं संवेगात्मक परिवर्तनों को सम्मिलित किया है। और यह परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं। –

1- मात्रात्मक परिवर्तन

2-  गुणात्मक परिवर्तन।

विकास की प्रक्रिया – 

व्यक्ति के विकास की प्रक्रिया नैसर्गिक स्वाभाविक और प्राकृतिक है गर्भावस्था में बालक का विकास क्रम प्रारंभ हो जाता है जन्म से लेकर किशोरावस्था तक की अत्यधिक तीव्र होती है यद्यपि किशोरावस्था के पश्चात विकास की गति में उतनी तीव्रता नहीं रहती तथापि मृत्यु तक यह विकास क्रम थोड़ा बहुत किसी न किसी रूप में गतिशील रहता है व्यक्ति के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसकी विकास प्रक्रिया पर समुचित ध्यान दिया जाए विकास की विभिन्न अवस्थाओं में उसे इस प्रकार का शांत, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाए जिसमें बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक आदि विकास भली प्रकार से हो सके।

विकास के विभिन्न सिद्धांतों और अवस्थाओं का ज्ञान माता पिता और शिक्षक के लिए बड़ा उपयोगी है बालक के व्यक्तित्व के संतुलित विकास के लिए माता-पिता को यह देखना होगा कि –

1.उनके बालक को उचित वातावरण प्राप्त हो

2.उसे संतुलित भोजन मिले

3.अच्छी संगति मिले

4.उसे खेलने की स्वतंत्रता हो

5. उसे उचित मात्रा में स्नेह प्राप्त हो

6.उसी सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार मिले

7.उसकी जिज्ञासा की संतुष्टि हो

8. उसी आत्मक प्रदर्शन के अवसर मिले

9.उसके संबंधों का दमन ना हो और उसमें पराजय भावना अंतर्द्वंद और हीनता की भावना का विकास न हो।

मनोवैज्ञानिकों की अवधारणा है बालक की गति विकास भाषा संबंधी कौशलों तथा विविध संवेगात्मक प्रवृत्तियों पर परिवार तथा समाज के वातावरण का भारी प्रभाव पड़ता है। अतः माता-पिता के लिए बालक की विकास प्रक्रिया का ज्ञान अत्यधिक आवश्यक है।

शिक्षा का मुख्य कार्य बालक के विकास में सहायता देना है अतः शिक्षक को बालक के विकास की अवस्थाएं का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए विकास के सिद्धांतों और अवस्थाओं का पूर्ण ज्ञान होने पर ही शिक्षक बालक में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार अपने पाठ्यक्रम की व्यवस्था कर सकता है सहगामी क्रियाओं का आयोजन कर सकता है और अपनी शिक्षण पद्धति को विकसित कर सकता है उदाहरण के लिए शेष अवस्था के बालकों की शिक्षण पद्धति किशोरावस्था के बालों को की शिक्षण पद्धति से भिन्न होगी और तो विकास की अवस्थाएं से परिचित शिक्षक ही अनुकूल शिक्षण पद्धति का प्रयोग कर सकता है बारह वर्ष की ऑल वाले बालक का पाठ्यक्रम पांच वर्ष आयु वाले बालकों के पाठ्यक्रम से भिन्न होगा इसलिए विकास के सिद्धांतों से परिचित शिक्षक ही उनके अनुकूल पाठ्यक्रम का अध्ययन कर आ सकता है बाल विकास की गति यों की जानकारी रखने वाला शिक्षक ही बालक को उसके शारीरिक मानसिक और सामाजिक विकास के अनुकूल सहगामी क्रियाओं का आयोजन कर सकता है और उनके विकास स्तर की अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था कर सकता है स्पष्ट है कि विकास के विभिन्न सिद्धांतों और अवस्थाओं के ज्ञान से ही शिक्षक का दृष्टिकोण मनोवैज्ञानिक और गत्यात्मक हो सकता है

बोरिंग (Boring)के शब्दों में –

 “विकास से तात्पर्य आवृत्ति या स्वरूप में परिवर्तन से होता है। शारीरिक संरचना या ढांचे में परिवर्तन का कारण अभिवृद्धि है।”

चजरशील्ड (Jersild)के शब्दों में- 

 “विकास शब्द का अर्थ जटिल प्रक्रियाओं का समूह है जिनसे निसंकोच अंडे से एक परिपक्व व्यक्ति का उदय होता है।”

गोर्डन (Garden)के शब्दों में

“विकास ऐसी प्रक्रिया है जो बालक के जन्म से लेकर तब  तक चलती रहती है जब तक कि वह पूर्ण विकास प्राप्त नहीं कर लेता है।”

हैरिस (Harees)के शब्दों में – 

 “विकास से तात्पर्य प्राणी को समय के साथ संरचनाओं में जटिल परिवर्तन, समग्र को सम्मिलित करते हुए स्व नियंत्रण एवं स्थायित्व के साथ वयस्क की स्थिति को प्राप्त करना है। विकास का अर्थ है-व्यवस्थित और संगति पूर्ण तरीके से परिवर्तनों का एक प्रगतिशील श्रृंखला में होना।”

विकास की विशेषताएं (Characteristics of Development) 

विकास से आप क्या समझती है अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए? - vikaas se aap kya samajhatee hai arth spasht keejie tatha paribhaasha nirdhaarit keejie?

1- विकास एक प्राकृतिक एवं सामाजिक प्रक्रिया है।

2- विकास एक अनवरत प्रक्रिया है।

3- विकास एक विशेष क्रम में होता है और भिन्न-भिन्न आयु स्तर पर विकास की गति भिन्न-भिन्न होती है।

4- व्यक्तित्व के सभी पक्षों (संवेगात्मक, सामाजिक आदि का विकास समान गति से नहीं होता है।

5- विकास की कोई सीमा नहीं होती है।

6- विकास में मात्रात्मक वृद्धि और गुणात्मक दोनों होते हैं।

7- विकास के गुणात्मक उन्नति को गणितीय विधियों के द्वारा नहीं मापा जा सकता है।

8- विकास को मापा नहीं जा सकता बल्कि इसका निरीक्षण किया जाता है इसका मापन अप्रत्यक्ष रूप में व्यवहार के द्वारा करते है।

9- विकास एकीकृत एवं बहुआयामी है।

10- विकास वंशानुक्रम और वातावरण दोनों पर निर्भर करता है।

अभिवृद्धि का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definition of Growth)

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विकास से आप क्या समझते हैं अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए?

विकास से तात्पर्य आवृत्ति या स्वरूप में परिवर्तन से होता है। शारीरिक संरचना या ढांचे में परिवर्तन का कारण अभिवृद्धि है।” “विकास शब्द का अर्थ जटिल प्रक्रियाओं का समूह है जिनसे निसंकोच अंडे से एक परिपक्व व्यक्ति का उदय होता है।”

विकास की परिभाषा क्या है?

विकास एक प्रकार से ऐसी आंतरिक शक्ति है जो किसी प्राणी या समाज को उन्नति की ओर ले जाता है। विकास उस स्थिति का नाम है जिससे प्राणी मे कार्य क्षमता बढती हैं। विकास को एक तरह से अभिवृद्धि भी कहा जा सकता है।

विकास क्या है विकास के प्रकारों का वर्णन कीजिए?

मनुष्य के विकास जीवन प्रयत्न चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया होती है। विकास की प्रक्रिया में बालकों का सर्वांगीण पक्षों का विकास होता है। विकास की प्रक्रिया में बालक का शारीरिक विकास, सामाजिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, क्रियात्मक विकास, संवेगात्मक विकास एवं भाषागत विकास इत्यादि पक्षों का विकास होता है।

विकास क्या है इसकी विशेषताओं का वर्णन करें?

विकास ऐसे परिवर्तनों को लक्षित करता है जो प्रगति की ओर उन्मुख रहते है। विकास एक सामाजिक प्रक्रिया है। इसका सम्बन्ध आर्थिक पहलू से अधिक है। लेकिन सामाजिक विकास केवल आर्थिक पहलू से ही सम्बन्धित नहीं है अपितु सांस्कृतिक तत्वों तथा सामाजिक संस्थाओं से भी सम्बन्धित है ।