Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Textbook Exercise Questions and Answers. RBSE Class 12 Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइनRBSE Class 12 Home Science वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. अतः हम कह सकते हैं कि "डिजाइन उत्पादों की कल्पना करने, योजना बनाने और कार्यान्वित करने की मानवीय सामर्थ्य है, जो मानव जाति को किसी वैयक्तिक अथवा सामूहिकं उद्देश्य के निष्पादन में सहायता करती है।" एक अच्छा डिजाइन कलात्मक रूप से मोहक होने से भी अधिक महत्व का होता है। इसमें सामग्री का सही उपयोग उन लोगों के लिए होता है जो लोग मूल्य, रंग और लाभ सम्बन्धी अपेक्षा रखते हैं। प्रश्न 2. वस्त्र में रंग-वस्त्र के रंग को विविध डिजाइन-रूपों में देखा जा सकता है। वस्त्र के उत्पाद के चरणों में जब रंग को विभिन्नता के लिए जोड़ा जाता है तो कई प्रकार के डिजाइन प्राप्त होते हैं। यथा- (ख) धागे के स्तर पर रंगाई, बहुविधि डिजाइन की रचना में मदद करती है। बुनी हुई धारीदार पट्टियाँ, चौकदार कपड़ा, पट्ट इत्यादि बनाए जाने वाले सामान्य डिजाइन हैं । जरी और जैकार्ड पैटर्न रंगे हुए धागों को बुनकर तैयार किया जाता है। जब धागों की बंधाई-रंगाई की जाती है तो सुंदर इकत पैटर्न प्राप्त होते हैं। (ग) वस्त्र के स्तर पर रंगना एक सर्वाधिक प्रचलित विधि है। यह विधि एक सामान्य एकल रंग वाले वस्त्र प्राप्त करने के लिए और बंधाई तथा बाटिक प्रक्रिया द्वारा डिजाइन वाली सामग्री प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाई जा सकती है। (घ) वस्त्र के स्तर पर भी रंगाई, छपाई, चित्रकारी, कसीदाकारी और पैच अथवा गोटा-पट्टी द्वारा की जा सकती है। यहाँ रंग का अनुप्रयोग किसी भी आकार और रूप में हो सकता है। (2) बुनावट (टेक्सचर)-बुनावट दिखने और छूने की एक संवेदी अनुभूति है जो वस्त्र की स्पर्शी और दृश्य गुणवत्ता को बताती है। प्रत्येक वस्त्र की एक विशिष्ट बुनावट होती है। पोशाक में बुनावट का मुख्य उद्देश्य रुचि उत्पन्न करना और उसके वांछित लक्षणों को उभारना है। पोशाक में उपयोग में लाई गई बुनावट शारीरिक आकार, निजी गुण, वेशभूषा की रूपरेखा या आकार तथा अवसर के उपयुक्त होनी चाहिए। वस्त्र में बुनावट को निर्धारण करने वाले कारक निम्नलिखित हैं- (3) रेखा-किसी डिजाइन के तत्व के रूप में रेखा वस्त्रों की आकृति प्रदर्शित करती है, गति प्रदान करती है । और दिशा निर्धारित करती है। रेखाएँ दो प्रकार की होती हैं-(1) सरल रेखाएँ और (2) वक्र रेखाएँ। रेखाएँ दिखने वाला अर्थ प्रदान करती हैं। जब इनका डिजाइन में प्रयोग किया जाता है तब सरल रेखा सामर्थ्य तथा दृढ़ता जबकि वक्र रेखाएँ मृदु तथा शालीन दिखाई देती हैं। यदि सरल रेखाएँ अधिक प्रधान हैं तो डिजाइन का प्रभाव पुरुषोचित होता है, वहीं वक्र रेखाएँ नारीत्व तथा कोमलता का प्रभाव देती हैं। (4) आकृतियाँ या आकार-आकृतियाँ या आकार रेखाओं को जोड़कर बनाए जाते हैं। आकृतियाँ द्विविमीय हो सकती हैं, जैसे-एक वस्त्र पर चित्रकारी या मुद्रण। ये आकृतियाँ त्रिविमीय भी हो सकती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि वस्त्र के रूप में जिसे तीन या अधिक दिशाओं में देखा जा सकता है, जैसे-एक मानव शरीर पर पोशाकें। रेखाओं के गुण आकृति के गुण को निर्धारित करते हैं। वस्त्रं में आकृति और रूप का सम्बन्ध सामग्री के प्रभाव या सजावट, अलंकरण तथा कलाकृतियों के आकार पर और उनकी आवृत्ति अर्थात् अंतिम पैटर्न बनने से होता है। (5) पैटर्न (प्रतिरूप)-एक पैटर्न तब बनता है, जब आकृतियाँ एक साथ समूहित की जाती हैं। इन आकृतियों का समूहन भी प्राकृतिक, रूढ़ शैली का, ज्यामितीय अथवा अमूर्त हो सकता है। प्रश्न 3. (2) धागे के स्तर पर रंगाई-धागे के स्तर पर की गई रंगाई, बहुविधि डिजाइन की रचना में मदद करती है। बुनी हुई धारीदार पट्टियाँ, चौकदार कपड़ा, पिट्ट इत्यादि बनाए जाने वाले सामान्य डिजाइन हैं। जरी और जैकार्ड पैटर्न रंगे हुए धागों को बुनकर तैयार किया जाता है। जब धागों की बंधाई, रंगाई की जाती है तो सुंदर इकत पैटर्न प्राप्त होते हैं। (3) वस्त्र के स्तर पर रंगाई- वस्त्र के स्तर पर रंगाई करना एक सर्वाधिक प्रचलित विधि है। यह विधि एक सामान्य एकल रंग वाले वस्त्र प्राप्त करने के लिए और बंधाई तथा बाटिक प्रक्रिया द्वारा डिजाइन वाली सामग्री प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाई जा सकती है। (4) वस्त्र के स्तर पर चित्रकारी, छपाई आदि-वस्त्र के स्तर पर भी एक अन्य प्रकार की रंगाई, छपाई, कसीदाकारी और पैच अथवा गोटा-पट्टी द्वारा की जा सकती है। यहाँ रंग का अनुप्रयोग किसी भी आकार और रूप में हो सकता है। प्रश्न 4. रेखा के प्रकार तथा उनके प्रभाव विभिन्न सरल रेखाएँ तथा उनके प्रभाव निम्नलिखित हैं-
(2) वक्र रेखाएँ-वक्र रेखा किसी भी कोटि की गोलाई वाली रेखा होती है। वक्र रेखा एक सरल चाप अथवा एक जटिल मुक्त हस्त से खींचा गया वक्र हो सकता है। गोलाई की कोटि वक्र का निर्धारण करती है। अल्प कोटि की गोलाई सीमित वक्र कहलाती है। अधिक कोटि की गोलाई एक वृतीय वक्र देती है। कुछ वस्तुएँ इन वक्रों से संबंधित हैं और उनके नाम उसी प्रकार हैं, जैसे-परवलय, कुंडली, विसर्पण, केशपिन, चाबुक की रस्सी अथवा सर्पाकार, आठ की आकृति आदि। वक्र रेखाओं के प्रभाव-वक्र रेखाओं के प्रभावों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है- अतः स्पष्ट है कि रेखाएँ दिखने वाला अर्थ व्यक्त करती हैं। सरल रेखाएँ बल, सामर्थ्य और दृढ़ता को व्यक्त करती हैं तो वक्र रेखाएँ मृदु तथा शालीन दिखाई देती हैं। किसी डिजाइन में डिजाइन का प्रभाव पुरुषोचित होता है और यदि वक्र रेखाओं की प्रधानता है तो वे नारीत्व व कोमलता का प्रभाव देती हैं। आकृतियाँ तथा उनके प्रभाव आकतियों के प्रकार-आकृतियों के चार मूलभूत समूह होते हैं। यथा-
प्रभाव-वस्त्र में आकृति और रूप का संबंध सामग्री के प्रभाव या सजावट, अलंकरण तथा कलाकृतियों के आकार पर और उनके स्थापन या आवृत्ति पैटर्न बनने से होता है। रेखा और आकृतियाँ दोनों तत्व मिलकर प्रत्येक डिजाइन के प्रतिरूप (पैटर्न) अथवा योजना का सर्जन करते हैं। प्रत्येक वस्तु पर जो सजावट हम देखते हैं या उपयोग में लाते हैं, वह रेखाओं और आकृतियों का संयोजन है। प्रश्न 5. आवर्तिता रेखाओं, आकृतियों, रंगों तथा बुनावटों का उपयोग कर इस प्रकार सर्जित की जा सकती है कि यह दृश्य-एकता दर्शाती है। इसे निम्न प्रकार से सर्जित किया जा सकता है-
पोशाक में सामञ्जस्यता आकृति द्वारा सामञ्जस्यता-आकृति द्वारा सामंजस्यता तब उत्पन्न होती है जब पोशाक के सभी भाग एक जैसी आकृति दर्शाते हैं। जब कालर, कफ और किनारे गोलाई लिए होते हैं, तब यदि जेबें वर्गाकार बना दी जाएँ, तो ये डिजाइन की निरंतरता में बाधक होंगी। जब पोशाक कई भागों में हो, जैसे-सलवार, कुरता और दुपट्टा; तो पोशाक के लिए सही बुनावट का उपयोग करके बुनावट में सामंजस्य सर्जित किया जा सकता है। सूती दुपट्टे का उपयोग एक रेशमी कुरते और सलवार के साथ खराब सामंजस्य प्रदर्शित करेगा। |