‘उषा की दीपावली’ लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए। Show 'उषा की दीपावली एक शिक्षाप्रद लघुकथा है। इस कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें अनेक संदेश छुपे हुए हैं। बालिका उषा के घर में दीपावली के अवसर पर तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं, पर उषा की पसंद बाजारू चीजें हैं। इससे उसके मन में घर में बनी चीजों के प्रति अरुचि और बाजारू चीजों के प्रति आकर्षण के भाव दिखाई देते हैं, जो उचित नहीं हैं। बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर
उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं। उसे लगता है कि एक ओर ऐसे लोग हैं, जो अनाज के एक-एक कौर को तरस रहे हैं और दूसरी ओर दावतों में भरी-भरी प्लेटें कचरे डिब्बें के हवाले कर दी जाती हैं, जिनसे कितने भूखे लोगों का पेट भर सकता था। इससे अन्न का सदुपयोग करने और उसकी बरबादी न करने का संदेश मिलता है। उषा को कौनसी मिठाईयां पसंद है?➲ उषा को केवल चाकलेट और बंगाली मिठाई ही पसंद थी। ✎... उषा को मिठाई के नाम पर चाकलेट और बंगाली मिठाई ही पसंद थी। 'उषा की दीपावली' कहानी एक ऐसी कहानी है।
उषा ने बबन को कौन सी थैलीदी *?उषा ने बबन को दीपावली के लिए बने पटाखों पकवानों की थैली की थी।
बबन जेब में क्या रख रहा था *?बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं।
उषा क्या करने के लिए फ्लैट से नीचे उतरी?फ्लैट से नीचे उतरने पर उषा ने देखा कि बबन दीवाली पर आटे के बनाये गये दियों को इकट्ठा कर रहा है। इसका कारण पता चलने पर ऊषा के बेहद अफसोस हुआ। क्योंकि इन आटे के दीपकों को सेंककर बबन खायेगा। ऊषा ने सोचा समाज में कितना भेदभाव है।
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