धातु दुर्बलता (वीर्य की कमी) का अर्थ : dhatu durbalta meaningधातु दुर्बलता (मर्दाना कमजोरी) उस रोग को कहते हैं जिसमें मनुष्य पूर्ण रूप से मैथुन करने के योग्य नहीं रहता है, ऐसी दशा में यदि एरेक्शन (इन्द्रिय में जोश) होता भी है तो बहुत कम और थोड़ी देर के लिए और वह भी अपूर्ण होता है। Show
धातु दुर्बलता (वीर्य की कमी) के लक्षण : virya ki kami(dhatu durbalta) ke lakshanउदासी, शरीर में कंपकंपी, अंगों में पीड़ा, मुँह सूखना अनायास थकावट महसूस होना, अप्रसन्नता, शरीर का पीला पड़ जाना, किसी भी कार्य में मन नहीं लगना, दुबलापन, इन्द्रियों की कमजोरी, शोष, चैतन्यता की कमी, राजयक्ष्मा, श्वास, कास, आंशिक नपुन्सकता, वीर्यकीटों का नष्ट हो जाना, शिश्न और अन्डकोषों में वेदना, शुक्र की प्रवृत्ति न होना, शुक्र में रक्त मिश्रित होकर निकल जाना आदि लक्षण हुआ करते हैं। धातु दुर्बलता (वीर्य की कमी) के कारण : virya ki kami(dhatu durbalta) ke karanशोक, भय, चिन्ता आदि मानसिक कारण, पौष्टिक आहार का अभाव, रूक्ष अन्नपान करना, अत्यधिक व्रत, अत्यधिक स्त्री सम्भोग या ऐसे ही अन्य कारणों से रस क्षीण हो जाता है या कम बनता है। रस के कम बनने से रक्त क्षीण होता है और रक्त की क्षीणता से मास क्षीण होता है और माँस से मज्जा क्षीण होती है और अन्त में शुक्र क्षीण होता है। धातु रोग के परहेज :धातु दुर्बलता (वीर्य की कमी) में क्या खाना चाहिए :1) फलः आम, कटहल, केला, नारियल, कच्चा नारियल, तरबूज, बड़ा बेर, खिरनी, कमल गट्टा, सिंघाड़ा, महुआ, अनार, द्राक्षा, खजूर, पिन्ड खजूर , छुआरा, बादाम, सेब, नाशपाती, अखरोट आदि पथ्य है। 2) पत्र : शाक-बथुआ, चन्चु, चौपत्तिया परवल के पत्ते तथा कसौंदी आदि। हरे शाक दुर्बलता (धातु दुर्बलता) में विशेष उपयोगी सिद्ध होते हैं। कूष्मान्ड, लौकी, परबल, काला सेम, बैंगन, आलू, वराही कन्द, कसेरू, कमलकन्द, आदि फल शाक भी उपयोगी हैं। 3) दूध: भैंस का दूध, भेड़ का दूध, मलाई, खान्ड मिश्रित दुग्ध, दही, गुड़युक्त दही, मट्ठा मक्खन, घी आदि ‘स्निग्ध वस्तुएँ’ अति उपयोगी हैं। 4) रोगी को नियमित शक्ति अनुसार हल्का व्यायाम करायें। 5) रात में खुराक से कम भोजन खाने को दें। 6) सोने से पूर्व हाथ (कोहुनी तक) पैर घुटनों तक) तथा लिंग आदि ठन्डे जल से अवश्य धुलवायें। धातु दुर्बलता (वीर्य की कमी)में क्या नहीं खाना चाहिए :1) खटाई से परहेज करें | धातु दुर्बलता दूर कर वीर्य बढ़ाने के घरेलू उपाय : virya badhane ke liye upay1) सत्व गिलोय 50 ग्राम, शुद्ध शिलाजीत 50 ग्राम, भैंसा गुग्गुल 100 ग्राम लें। पहले शुद्ध गुग्गुल पर तनिक सा घी चुपड़ उसे कूटकर उसकी चटनी बनालें। फिर शिलाजीत और सत्व गिलोय को मिलाकर चने के आकार की गोलियाँ बना लें। इन्हें छाया में सुखाकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इन्हें 5-5 ग्राम प्रातः सायं गोघृत और शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से दूध पी लें। ब्रह्मचर्य के पालन के साथ 1 वर्ष सेवन करें। इसके प्रयोग से शरीर की शिथिलता और वायु विकार नष्ट होकर अग्नितत्व की वृद्धि होती है। धातुओं की वृद्धि होकर ओज बढ़ता है। मधुमेह के लिए भी लाभकारी है। भूख बढ़ाता है। यकृत को बल प्रदान करता है। प्रमेह, धातुस्राव, और वीर्य विकारों को दूर करता है। स्त्रियों के प्रदर, सोमरोग, कमर दर्द एवं गर्भाशयिक विकारों को दूर करता है। 2) हल्दी की गाँठ आधा किलो, अनबुझा चूना 1 किलो, पानी 2 किलो। एक मिट्टी के बर्तन में हल्दी और चूना डालकर, ऊपर से पानी डाल दें। पानी गिरते ही चूना पकने लगेना। चूना पकने के पश्चात् बर्तन को ढंक दें और दो मास ऐसे ही पड़ा रहने दें। दो मास के बाद गांठों को निकालकर साफ करके सुखाले तथा कूट-पीसकर बोतल में भर लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में 10 ग्राम शहद में मिलाकर 4 माह तक सेवन करें। इसके प्रयोग से शरीर में नवशक्ति एवं नव जीवन का संचार होता है। मुख मण्डले दमकने लगता है। रक्त शुद्ध हो जाता है। सफेद बाल काले हो जाते है। बृद्ध जन सेवन करें तो नवयुवकों सी शक्ति प्राप्त कर लेंगे। 3) सफेद प्याज का रस 8 ग्राम, अदरक का रस 6 ग्राम शहद 4 ग्राम, गोघृत 20 ग्राम या इन चारों को मिलाकर लगातार 40 दिन सेवन करें। अपूर्व शक्तिदायक प्रयोग है। इसके सेवन से नामर्द भी मर्द हो जाता है। ( और पढ़ें – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय ) 4) गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण 100 ग्राम तथा मिश्री 100.ग्राम लें। दोनों को पीसकर चूर्ण बनालें । प्रतिदिन 10 ग्राम चूर्ण फांककर, ऊपर से दुग्ध पान करें। अत्यन्त बल बर्धक एवं पौष्टिक योग हैं। गरीबों को अमृत तुल्य है। 5) असगन्ध का चूर्ण 6 ग्राम फांककर ऊपर से दुग्धपान करने से वीर्य की पुष्टि एवं वृद्धि होती है। ( और पढ़ें – वीर्य की कमी दूर करने के 50 उपाय ) 5) भांगरे का चूर्ण 100 ग्राम, काले तिल का चूर्ण 200 ग्राम, आँवला चूर्ण 200 ग्राम तीनों को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें, फिर उसमें 500 ग्राम मिश्री चूर्ण मिला लें। घी के चिकने बर्तन में सुरक्षित रखलें। यह औषधि 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गो दुग्ध से सेवन करें। इसके सेवन से शरीर में रोग नहीं सताते, बाल काले हो जाते है बल एवं शक्ति की अपूर्व वृद्धि हो जाती है। वृद्धावस्था जल्द नहीं आती है। इसका सेवनकर्ता अकाल मृत्यु से भयमुक्त हो जाता है। 6) दूध में मधु मिलाकर पीने से धातुक्षय में लाभ होता है। शरीर में बल-वीर्य की वृद्धि होती है। ( और पढ़ें – वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय ) 7) पीपल और मिश्री समभाग का चूर्ण बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में दुग्ध से सेवन करने से अत्यन्त बल और वीर्य की वृद्धि होती है। 8) असगन्ध नागौरी 250 ग्राम लेकर बारीक कूट पीसकर कपड़छन चूर्ण बनालें। यह 8 ग्राम औषधि दूध में डालकर आग पर पकावें, जब दूध आधा रह जाये, तब खांड मिला कर पीलें । यह दवा कमर और जोड़ों के दर्द एवं दुर्बलता को दूरकर नया खून बनाती है। चालीस दिनों के बाद ही अपना वजन, स्वास्थ्य, दिमागी ताकत और चेहरे की रंगत का महा परिवर्तन देखते ही रह जायेगें। 9) प्रतिदिन रात्रि में स्वच्छ 6-8 पिन्ड खूजर आधा किलो गो-दुग्ध में डालकर मन्द-मन्द आग पर पकायें। जब 400 ग्राम दूध रह जाये, तब उतार लें। कुछ शीतल होने पर धीरे-धीरे चबाकर सभी खजूरों को खाकर, ऊपर से दूध पीलें। अत्यन्त सस्ता, महाशक्ति बर्धक टॉनिक है। ( और पढ़ें – खजूर खाने के 40 जबरदस्त फायदे ) 10) शतावर का चूर्ण तीन ग्राम फाककर ऊपर से दूध पियें। अपार शक्तिदाता योग है। 11) दूध में 2 छुआरे (छुहारा) पकाकर प्रतिदिन खायें। अपूर्व शक्तिदाता टानिक है। ( और पढ़ें –छुहारा के हैरान कर देने वाले 31 फायदे ) 12) 4-5 छुहारों की गुठली निकाल कर उसमें 4-4 ग्रेन शुद्ध गूगल भर दें और दध में पकायें। प्रातः सायं एक-एक छहारा खायें ऊपर से पकाया हुआ दूध पियें। बल और शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ वात रोगों के लिए भी रामबाण है। 13) सालब मिश्री पंजे वाली 3 ग्राम, सफेद मूसली 3 ग्राम, शतावर 3 ग्राम । सभी को बारीक पीसकर छान लें। इस दवा को 400 ग्राम दूध में डालकर पकाएँ। जब 300 ग्राम दूध रह जाये तब उतार कर थोड़ी सी चीनी डाल लें। प्रातः सायं 20 दिन सेवन करें। खटाई का परहेज करें। कमर दर्द, सुस्ती और कमजोरी को दूर कर अत्यन्त ही शक्ति प्रदान करने वाला योग है। 14) असगन्ध नागौरी, मूसली स्याह, मूसली सफेद (प्रत्येक 100-100 ग्राम) कूटपीस कर चूर्ण बना लें। प्रातः सायं 10-10 ग्राम चूर्ण आधा किलो गो दुग्ध के साथ सेवन करने से कमजोरी-रफूचक्कर होकर शरीर मोटा-ताजा हो जाता है। ( और पढ़ें – अश्वगँधा चूर्ण के फायदे ) 15) 4 बादामों की र्मीगी चन्दन की भाँति पत्थर पर घिसकर 1 ग्राम शहद व 1 ग्राम मिश्री मिलाकर नित्य चाटने से नामर्द भी ”मर्द’ हो जाता है। 16) प्रतिदिन प्रातः 20 ग्राम मक्खन, 20 ग्राम मिश्री और काली मिर्च 5 नग, तीनों को घोट-पीस व मिलाकर चाटने से दिमागी कमजोरी और खुश्की तथा सिरदर्द दूर हो जाता है। ( और पढ़ें – मक्खन खाने के 20 लाजवाब फायदे ) 17) असगन्ध नागौरी, शतावरी और मिश्री तीनों समभाग लेकर कूट-पीसकर कपड़छन चूर्ण तैयार कर 10 ग्राम की मात्रा में सेवन कर ऊपर दुग्धपान करने से वायु विकार नष्ट होकर अपार बल व शक्ति प्राप्त हो जाती है। 18) शुद्ध गन्धक और लौह भस्म को बराबर लेकर खरल करें। इसकी डेढ़ ग्राम मात्रा 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी में मिलाकर खाने से बल-वीर्य की पुष्टि होती है। दूध अधिक मात्रा में पियें। इसके प्रयोग से सफेद बाल भी काले हो जाते हैं। 19) माल कांगनी का तेल 40 ग्राम, घी 80 ग्राम, शहद 120 ग्राम लें। सभी औषधियों को मिलाकर एक काँच के बर्तन में रख लें। सुबह-शाम 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। दुग्धपान अधिक मात्रा में करें। प्रयोग 40 दिन तक करें । राजयक्ष्मा तथा नपुंसकता रफूचक्कर हो जायेंगे। आँखों की ज्योति में भी भारी वृद्धि हो जायेगी। 20) आंवले का आधा किलो चूर्ण लेकर, इसमें इतना आवला रस डालें कि चूर्ण पूर्णरूपेण भीग जाये। अब उसे खरल में डालकर घोटे, जब रस बिल्कुल सूख जाये तब पुनः आंवले का रस डालकर तर कर लें और पुनः घोटें। इस प्रकार यह क्रिया 21 बार करें। फिर इसकी 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा को गो-दुग्ध के साथ सेवन करें। इसके सेवन से वृद्धावस्था दूर होकर शरीर में नवयौवन पैदा हो जाता है। 21) भिन्डी की जड़ का चूर्ण 10 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करना अत्यन्त वलवीर्य एवं शक्ति बर्द्धक है। यह चूर्ण बाजीकारक भी है। धातु दुर्बलता (वीर्य की कमी) दूर करने के प्याज के नुस्खे : pyaj se dhatu ki kamjori dur karne ke upay18-7-76 को वीरवाणी समाचार पत्र जयपुर (राजस्थान) के अनुसार एक ईरानी नागरिक याहियाँ अली अकबर बेग नूरी-जिसने 88 वर्ष की आयु में 168 वी शादी (Marriage) की तो उससे इस आयु तक उसकी जवानी बरकरार रखने का कारण पूछा गया तो उसने बतलाया कि इसका कारण है एक किलो कच्चा प्याज नित्य खाना।” इसी प्रकार एक बार कश्मीर-नरेश (King) ने अपने प्रधानमन्त्री “कोकशास्त्र’ के रचियता पन्डित कोक (कोका) से पूछा कि सर्वोत्तम बाजीकरण योग बतलाइये? तो इसके उत्तर में पं. कोका ने एक हाथ में उस्तरा (गुप्तांग के बाल साफ करने के लिए) और दूसरे हाथ में प्याज पकड़कर कहा कि जो भी व्यक्ति इन दोनों चीजों को पकड़े रहेगा, वह कदापि निर्बल नहीं होगा। 1) किसी भी तरह का रोग हो या अधिक विषय वासना में फंसे रहने के कारण यदि वीर्य की कमजोरी आ गयी हो तो उसे दूर करने के लिए-60 ग्राम लाल प्याज के बारीक टुकड़े, इतना ही ताजा घी और एक पाव गाय का दूध लेकर पकाएँ।जब गाढ़ा हो जाये तब शीतल होने पर 10-15 ग्राम मिश्री डालकर खाएँ। नित्य प्रात:काल 15 दिनों के सेवन से खोई हुई शक्ति पुनः वापस लौटने लगेगी। 2) सफेद प्याज और अदरक का रस 5-5 ग्राम तथा शहद5 ग्राम इन्हें अच्छी तरह मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से 40 दिनों में नामर्द भी मर्दानगी से भरपूर हो जाता है। 3) प्याज के रस में आटा गूंधकर बाटी सेंक लें तथा प्याज की ही सब्जी से खायें तो महीने-बीस दिन के बाद ही खोई हुई मर्दानगी वापस लौटने लगेगी। 4) प्याज का रस 1 चम्मच आधा चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर होकर अपार वीर्य की वृद्धि हो जाती है। ( और पढ़ें – प्याज खाने के 141 फायदे ) 5) प्याज और गुड़ मिलाकर खाना अत्यन्त बाजीकरण है। प्याज के रस में घी मिलाकर पीने से पुरुषार्थ बढ़ता है। प्याज को पीसकर गुड़ मिलाकर खाने से वीर्य वृद्धि होती है तथा नपुंसकता दूर होती है। ( और पढ़ें – गुड़ खाने के 47 जबरदस्त स्वास्थ्यवर्धक फायदे ) 6) युवावस्था में पति या पत्नी सहवास में अनमने हों, नपुसन्कता सी अनुभव करें तो उन्हें एक किलो छोटी मक्खी का शहद और इतना ही प्याज का रस लेकर उसमें आधा किलो शक्कर (चीनी-Suger) मिलाकर दो, ढाई बोतलें भर लेनी चाहिए। इधर बोतलें खाली होंगी, उधर शरीर में अपार बल और वीर्य की वृद्धि हो जाती है 7) आजकल सुस्ती और नामर्दी के नाम पर धूर्त लोग भारी विज्ञापन-बाजी करके भोले-भाले लोगों के साथ लूट-खसूट कर अपार धन सम्पदा के स्वामी बन रहे हैं, किन्तु रोगी को काफी रुपया बरबाद होने
पर भी रोग का इलाज नहीं हो पाता। ऐसे ही सब कुछ लुटा के होश में आने वालों के लिए मैं एक अत्यन्त अल्प मूल्य का सर्वत्र उपलब्ध योग दे रहा हूँ प्रयोग करें-और यह दुनियां बनाने वाले ईश्वर को श्रद्धा के साथ धन्यवाद दें कि उसने यदि हजारों रोग बनाये हैं तो उसी ने उनके उन्मूलनार्थ करोड़ों औषधियाँ भी प्रदान की है। 8) जिन पुरुषों को शीघ्र स्खलन के कारण बार-बार शर्मिन्दा होना पड़ता है। उन्हें शहद (1 चम्मच) में समान मात्रा में प्याज का रस मिलाकर चाटना ही चाहिए। सर्दियों में यह प्रयोग दिन भर में चाहें 4 बार करें किन्तु गर्मियों में मात्र 1 बार, वह भी सूर्योदय से पूर्व ही सेवन करना चाहिए। यदि मन चाहे ढंग से स्तम्भन चाहें तो प्याज, उदड़ की दाल, और भैंस का दूध-घी अधिक प्रयोग करें। 9) एक किलो प्याज के रस में उड़द की धुली हुई अर्थात छिलका रहित आधा किलो दाल की पीठी बनाकर सुखा लें। सूख जाने पर पीठी को पुनः एक किलो प्याज के रस में दुबारा पीसें और दुबारा सुखा लें। तत्पश्चात इसमें से 10 ग्राम पीठी लेकर भैंस के दूध में पकायें और इच्छानुसार मीठा डालकर पी जायें। 40 दिन के इस प्रयोग से ब्रह्मचर्य का पालन कर दिन में दो बार इस विधि से प्याज का यह योग लेने पर ‘स्तम्भ’ के समान ही ‘सतम्भन शक्ति’ आ जायेगी। 10) वीर्य शक्ति बढ़ाने में प्याज अमृततुल्य रसायन है। प्याज की 30 गाँठों को एक बर्तन में रखकर उस पर ताजा दूध इतना डालें कि वह प्याज के ऊपर चार अंगुल तक भर जाये। फिर उसको पकाएँ। जब गल जाये तब आग से नीचे उतार कर रख लें। फिर प्याज के बराबर घी और उतना ही शहद उसमें डालकर थोड़ी देर पकाएँ। फिर शकाकुल और कुलंजन दोनों को 60-60 ग्राम का मात्रा में मिला दें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खायें। यह औषधि अत्यन्त वीर्य शक्ति बर्द्धक है। 11) मूत्र के साथ वीर्य बहने तथा मूत्रमार्ग से स्राव जारी रहने से पुरुष ग्रहथ जीवन के योग्य नहीं रह जाता है। प्याज के सवेन से इस विकार को सरलता पूर्वक दूर किया जा सकता है। ऐसे रोगी को कब्ज़ से बचाव रखना चाहिए तथा उत्तेजक खान-पान, अश्लील साहित्य पढ़ना या अश्लीलफिल्मों आदि से बचना चाहिए। इन सब बातों का परहेज रखते हुए प्याज का रस सेवन करना चाहिए प्याज गर्म है, किन्तु यह वीर्य बर्द्धक, कब्ज नाशक, बल-पुष्टि दायक होने के अनुकूल प्रभाव डालती है। प्याज का उत्तेजक अंश शान्त रखने के लिए शहद और प्याज के रस में गुलाब जल भी सम्मिलित कर लेना चाहिए। नीबू का रस डालकर प्याज की घुटी हुई चटनी भी ‘घात आना’ रोग में उपयोगी है। आइये जाने वीर्य वर्धक आयुर्वेदिक दवा : virya badhane ki dawa (medicine)अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित धातु दुर्बलता को दूर कर वीर्य बढ़ाने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां | 1) अश्वगंधा पाक (Achyutaya Hariom Ashwagandha Pak) प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |
धातु रोग को जड़ से खत्म कैसे करें?इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए मेथी का प्रयोग करें. यह हार्मोन को असंतुलन करने वाली दिक्कतों के इलाज में असरदार है. यह पाचन भी ठीक रखता है. इसके अलावा सोने से आधे घंटे पहले मेथी का रस और शहद मिलाकर पीना भी फायदेमंद है.
क्या खाने से धातु बढ़ता है?शुक्र धातु कैसे बढ़ाये. मिश्री युक्त गाय का दूध. मक्खन / घी. चावल की खीर. उड़द की दाल. तुलसी के बीज. धातु मोटा करने के लिए क्या खाना चाहिए?कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से आप अपने वीर्य को गाढ़ा बना सकते हैं। इसमें शामिल है दही, बादाम, लहसुन, अनार, राजमा, ग्रीन टी, केला, नींबू, साबुत अनाज व दालें, डार्क चॉकलेट, दूध वाले पदार्थ और हल्दी आदि।
धात गिरने के लक्षण क्या है?धात रोग के लक्षण क्या है? - Symptoms of Dhat Syndrome in Hindi. लिंग के मुख से लार का टपकना!. पौरुष वीर्य का पानी जैसा पतला होना!. शरीर में कमजोरी आना!. छोटी सी बात पर तनाव में आ जाना!. हाथ पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में कंपन या कपकपी होना!. पेट रोग से परेशान रहना या साफ़ न होना, कब्ज होना!. |