धारा 376 से कैसे बचा जा सकता है? - dhaara 376 se kaise bacha ja sakata hai?

आज हम आपको धारा 376 में जमानत कैसे होती है, झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय के विषय में जानकारी देंगे। जिसमें महिलाओं पर होने वाले दुष्कर्म को अर्थात बलात्कार को परिभाषित किया है। इस अपराध के लिए “धारा 376 में जमानत कैसे होती है इसके विषय में ही जानकारी देने जा रहे है..

Contents

  • 1 धारा 376 में जमानत कैसे होती है (IPC)
  • 2 झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय
  • 3 376 धारा क्या है (376 IPC in Hindi)
  • 4 आईपीसी 376 के अंतर्गत मिलने वाली सजा
  • 5 निष्कर्ष

धारा 376 में जमानत कैसे होती है (IPC)

अगर आपको 376 IPC के अपराध के बारे में किसी भी तरह की कोई सलाह या जमानत के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमें Whatsap 99142-53193 कर सकते हैं।

भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अंतर्गत आपको बता देना चाहते हैं कि इसमें शामिल होने वाला अपराध बलात्कार को परिभाषित करता है। इसमें यौन अपराधों से संबंधित धारा 376 को अपराधी पर लगाया जाता है। मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराध को इसमें बलात्कार और रेप माना गया है। इस अपराध के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता 376 में जमानत का बिल्कुल भी प्रावधान नहीं है और या यह कह सकते हैं कि जमानत के विषय में कोई जानकारी नहीं है।

धारा 376 से कैसे बचा जा सकता है? - dhaara 376 se kaise bacha ja sakata hai?

 इसके अलावा यह अपराध न्यायालय के द्वारा विचारणीय अपराध भी नहीं है। ना ही यह अपराध माफी देने योग्य माना जाता है। आज के समय के अनुसार अगर देखा जाए तो इस तरह के अपराधों को बहुत ही खतरनाक और संगीन अपराधों की श्रेणी में माना जाता है। इस तरह के अपराध के लिए सजा भी व्यक्ति को बहुत कठोर दी जाती है। जमानत के कोई चांस इसमें मिलते नहीं है, क्योंकि महिलाओं के ऊपर बलात्कार होने की स्थिति में आप जो कानून बनाए गए हैं। वह बहुत ही सख्त कानून बनाए गए हैं तो इस तरह के अपराध के लिए व्यक्ति को या तो 10 से 20 साल तक की सजा होती है या फिर आजीवन कारावास भी व्यक्ति को दिया जा सकता है या मृत्युदंड तो इस अपराध के लिए निश्चित मिलती ही है। इसीलिए जमानत के कोई चांस नहीं है।

हां अगर जमानत के चांस उस स्थिति में बनते हैं, जब कोई लड़की किसी झूठे केस के अंतर्गत व्यक्ति को फसाने की कोशिश करती है, और उस स्थिति में आप हाई कोर्ट के द्वारा अग्रिम जमानत दायर कर सकते हैं। लेकिन आपके पास में उस महिला के खिलाफ पूरे सबूत होने चाहिए। जिससे आप बेगुनाह साबित हो सके। उन्हीं के आधार पर आपको जमानत न्यायालय के द्वारा मिल जाएगी।

भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अंतर्गत बचने के उपाय कुछ इस तरह से हो सकते हैं..

झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय- आपने बहुत से मामले ऐसे देखे होंगे जिनमें कोई व्यक्ति शादी का झांसा देकर 4 साल तक महिला के साथ में दुष्कर्म कर रहा है इस तरह की खबरों को सोशल मीडिया पर या न्यूज़पेपर में देखा होगा, तो इस तरह के मामलों में हाई कोर्ट के द्वारा जो अभियुक्त है उसको पूरी तरह से रिहा कर दिया जा सकता है। कोर्ट का मानना यह होता है कि अगर लड़की बालिक है और साउंड माइंड है तो कोई भी अभियुक्त उसके साथ में जबरदस्ती किसी भी तरह की नहीं कर सकता है मेडिकल रिपोर्ट में साबित हो रहा है कि लड़की को किसी तरह की कोई चोट भी नहीं पहुंची है और आपसी सहमति से उन्होंने संबंध बनाए हैं और वह लड़की अगर जबरदस्ती आप को फसाने की कोशिश कर रही है तो रिपोर्ट में यह साबित हो जाता है कि इस तरह का कोई दुष्कर्म नहीं हुआ है।

धारा 376 से कैसे बचा जा सकता है? - dhaara 376 se kaise bacha ja sakata hai?

जिसमें यह भी माना गया है कि दुष्कर्म किया है तो इस तरह के केस में ट्रायल कोर्ट के द्वारा अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज कर सकते हैं। लेकिन अगर किसी अपराधी व्यक्ति के पास में उसके बचाव के कोई भी प्रूफ मौजूद है उसके रिकॉर्डिंग या कोई पिक्चर किसी तरह की कोई भी डॉक्यूमेंट अगर अभियुक्त के पास में मौजूद है तो वह अपने बचाव के लिए उनको न्यायालय में पेश कर सकता है।और अपना पूरी तरह से बचाव कर सकता है।

धारा 376 से बचाव- दूसरा बात इसमें यह है कि झूठा दुष्कर्म का मुकदमा अगर किसी अभियुक्त पर चलाया गया है ऐसे में बहुत से ऐसे पीड़ित व्यक्ति होते हैं जो अपने पक्ष में बहुत से मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय के द्वारा फैसले सुना दिए जाते हैं तो इस तरह के झूठे मुकदमों में लोग फंस जाते हैं और कई बार इस तरह के सबूतों के आधार पर बरी भी हो जाते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके ऊपर बलात्कार का मुकदमा दर्ज अगर हो चुका है और पुलिस आप को पकड़ने के लिए घूम रही है तो आपको अगर लग रहा है कि लड़की ने आपको झूठे केस में सिर्फ पैसों के लालच के लिए फसाया है तो आपको अपने बचाव के लिए कुछ ऐसे सबूत अदालत में पेश करने होंगे। जिससे यह साबित हो सके कि आप को फंसाने का काम लड़की ने पैसों के लिए किया है।

ऐसे में आप FIR को भी कर सकते हैं। FIR को करवाने के लिए आईपीसी सेक्शन 482 के अंतर्गत हाईकोर्ट में आपको एक प्रार्थना पत्र दायर करना होगा।उसके साथ आपको सभी प्रूफ को अटैच करने होंगे।उसके आधार पर आपको हाई कोर्ट से FIR कुवश कर सकता है। बस आपके पास सबूत होने चाहिए।

376 धारा क्या है (376 IPC in Hindi)

आईपीसी सेक्शन 376 के अंतर्गत बलात्कार को परिभाषित किया है एक तरह से धारा 375 यौन अपराधों से संबंधित धारा है इस अपराध में कोई भी मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाला अपराध अगर करता है उस अपराध को बलात्कार या फिर रेप माना जाता है। आईपीसी सेक्शन 376 में इसका पूरा विस्तारपूर्वक वर्णन भी बताया गया है।

क्या कहता है IPC 376,

(1) जो कोई, उपधारा (2) में उपबंधित मामलों के सिवाय, बलात्संग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कठोर कारावास से, “जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा”

कोई भी व्यक्ति या कोई पुरुष किसी महिला के मुंह में या फिर उस के प्राइवेट पार्ट में अपना लिंग डालता है या किसी अन्य स्त्री के साथ में वह किसी भी तरह का दुष्कर्म करता है या फिर अपने शरीर का हिस्सा महिला की योनि भाग में डालता है और उसके मूत्रमार्ग में वह अपना मुंह भी लगाता है तो इस तरह के घिनौने अपराध को बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया है।

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आईपीसी 376 के अंतर्गत मिलने वाली सजा

376. बलात्संग के लिए दण्ड – (1) जो कोई, उपधारा (2) में उपबंधित मामलों के सिवाय, बलात्संग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कठोर कारावास से, “जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा”।

(3) जो कोई सोलह वर्ष की कम आयु की किसी स्त्री से बलात्संग करेगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा, तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा :
परंतु ऐसा जुर्माना पीड़ित की चिकित्सा व्ययों और पुनर्वास की पूर्ति करने के लिए न्यायोचित और युक्‍क्तियुकत होगा :
परंतु यह और कि इस उपधारा के अधीन अधिरोपित किसी भी जुर्माने का संदाय पीड़ित को किया जाएगा।

आईपीसी 376 में 1860 के अंतर्गत व्यक्ति को बलात्कार का दोषी माने जाने पर बहुत कड़ी सजा का प्रावधान बताया गया है, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां सामने आ जाती है उसी स्थिति में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 के अंतर्गत कुछ और भी धाराओं का इसमें वर्णन किया गया है। जिसमें अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ में बलात्कार जैसे संगीन अपराध को करता है तो इस तरह के अपराध से वह व्यक्ति नहीं बच पाएगा और न्यायालय के द्वारा भी उस को कड़ी सजा दी जाएगी। धारा 376 के अतिरिक्त भी कौन-कौन सी धाराएं आईपीसी में वर्णित है आइए जानते हैं..

1. IPC 376 A

जो कोई, धारा 376 की उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन दण्डनीय कोई अपराध करता है और ऐसे अपराध के दौरान ऐसी कोई क्षति पहुंचाता है जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो जाती है या जिसके कारण उस स्त्री की दशा लगातार विकृतशील हो जाती है, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा।

सजा 20 वर्ष, आजीवन कारावास की और आर्थिक दंड से भी अपराधी दंडनीय होगा।

2. IPC 376 B

जो कोई, अपनी पत्नी के साथ, जो पृथक्करण की डिक्री के अधीन या अन्यथा, पृथक रह रही है, उसकी सम्मति के बिना मैथुन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

2 साल का कठोर कारावास और आर्थिक दंड से भी दंडनीय होगा।

3. IPC 376 C

जो कोई, –

(क) प्राधिकार की किसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध रखते हुए; या

(ख) कोई लोक सेवक होते हुए; या

(ग) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी जेल, प्रतिप्रेषण-गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान का या स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था का अधीक्षक या प्रबंधक होते हुए; या

(घ) अस्पताल के प्रबंधतंत्र या किसी अस्पताल का कर्मचारिवृन्द होते हुए,

ऐसी किसी स्त्री को, जो उसकी अभिरक्षा में है या उसके भारसाधन के अधीन है या परिसर में उपस्थित है, अपने साथ मैथुन करने हेतु, जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता है, उत्प्रेरित या विलुब्ध करने के लिए ऐसी स्थिति या वैश्वासिक संबंध का दुरुपयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा किन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

10 साल तक का कठोर कारावास और आर्थिक दंड से भी दंडनीय रहेगा।

4. IPC 376 D

जहां किसी स्त्री से, एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा, एक समूह गठित करके या सामान्य आशय को अग्रसर करने में कार्य करते हुए बलात्संग किया जाता है, वहां उन व्यक्तियों में से प्रत्येक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने बलात्संग का अपराध किया है और वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा:

परंतु ऐसा जुर्माना पीड़िता के चिकित्सकीय खर्चे को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा:

परंतु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़िता को संदत्त किया जाएगा।

20 साल का कठोर कारावास या आजीवन कारावास

निष्कर्ष

आज हमने आपको इस आर्टिकल में “धारा 376 में जमानत कैसे होती है- झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय इसके विषय में जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि आपको जो भी इंफॉर्मेशन इस लेख में है। वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आप इसी तरह की इंफॉर्मेशन से जुड़े रहना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट पर कंटिन्यू विजिट कर सकते हैं और इस धारा से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए आप कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके भी पूछ सकते हैं।

झूठा आरोप लगाने पर क्या करें?

दिल्‍ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली अधिवक्‍ता शुभम भारती ने बताया कि आईपीसी की धारा 482 के तहत झूठी एफआईआर को चैलेंज किया जा सकता है. अगर आपके खिलाफ या आपके जाननेवाले के खिलाफ कोई झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है तो धारा 482 के तहत उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है.

धारा 376 में कितने दिन में जमानत हो जाती है?

इस अपराध के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता 376 में जमानत का बिल्कुल भी प्रावधान नहीं है और या यह कह सकते हैं कि जमानत के विषय में कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा यह अपराध न्यायालय के द्वारा विचारणीय अपराध भी नहीं है। ना ही यह अपराध माफी देने योग्य माना जाता है।

376D में जमानत कैसे होती है?

जमानत (Bail) का प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 376D अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नही मिल सकेगी।

धारा 376 में कितने साल की सजा होती है?

ऐसे में दोषी अपराधियों को न्यायलय द्वारा दण्डित किया जायेगा, जो की बीस साल की कारावास की सजा या आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने के साथ भी दण्डित किया जाएगा।