Show पदार्थ की अवस्थाएंपदार्थ की अवस्थाएं एवं पदार्थ को परिभाषित करने से पहले द्रव्य को समझना ज़रूरी है। द्रव्यद्रव्य वह सामग्री है जिसमें भार हो, जो स्थान घेरता हो, जो दबाव डाल सके, दबाव डालने पर अवरोध उत्पन्न कर सके, जिसमें जड़त्व हो और जिसे हम (उपकरणों की सहायता से या बिना सहायता के) अपनी ज्ञानेंद्रियों के द्वारा जान सकें। द्रव्य को विभाजित या विखंडित किया जा सकता है। द्रव्य की अवस्थाओं में परिवर्तन होता रहता है। पदार्थऐसे द्रव्य जो निश्चित गुणों और संघटन वाले होते हैं उन्हें पदार्थ कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो जाने पहचाने द्रव्यों को पदार्थ कहते हैं। कागज, लकड़ी, मिट्टी, कोयला, सोना, चांदी, आक्सीजन, जल, वायु आदि आदि द्रव्य पदार्थ हैं। वस्तुएंएक पदार्थ या एक से अधिक पदार्थों के मिश्रण से बनने वाली विशेष गुण वाली सामग्री को वस्तु कहते हैं जैसे, फोन, टी वी, बस, ब्लेड, चाकू, गिलास, घड़ी, कमीज आदि। वस्तुएं मानव निर्मित एवं उपयोगी होती हैं। पदार्थ के प्रकारपदार्थों को दो आधारों पर बांटा जाता है :-
पदार्थों की भौतिक अवस्थाएंभौतिक अवस्थाओं के आधार पर पदार्थों को तीन मुख्य वर्गों में रखा गया है। ठोस, द्रव और गैस। वैसे एक चौथी अवस्था प्लाज्मा भी मानी गई है। किसी पदार्थ की भौतिक अवस्थाएं उसके अणुओं के मध्य क्रियाशील आंतरिक बल पर निर्भर करती है। यदि अंतराण्विक बल अधिक होता है तो पदार्थ ठोस अवस्था में होता है। अगर अंतराण्विक बल कुछ कम हो तो पदार्थ द्रव होता। परंतु गैसीय अवस्था में यह बल सबसे कम होता है। ठोसपदार्थ की वह अवस्था जिसमें उसके आकार एवं आयतन निश्चित होते हैं। जैसे लोहा, सोना, लकड़ी, नमक, हीरा आदि। जब पदार्थ के अणुओं के बीच आकर्षण बल पृथककारी बल से सबल होता है तो पदार्थ ठोस अवस्था में रहता है। इस प्रकार ठोस पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल सबल होता है। सबल आकर्षण बल के कारण ठोस पदार्थों घने रूप से संघनित होते हैं अर्थात् बिल्कुल पास-पास होते हैं तथा उनकी स्थितियां निश्चित होती हैं। इन्हीं स्थितियों के आसपास ये सिर्फ अपने अंतर-आणविक अंतराल में कंपन करते रहते हैं, जब तक उन पर बाहर से कोई बल नहीं लगाया जाता है। इसी कारण से ठोस पदार्थों के आकार और आयतन निश्चित होते हैं। ठोस पदार्थों के कण आपस में अत्यधिक निकट होते हैं इस कारण उनमें उच्च घनत्व और असंपीड्यता होती है। ठोसों के कणों के उच्च क्रम में व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं। द्रवद्रव पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन निश्चित होता है परंतु आकार अनिश्चित होता है, जैसे; दूध, पानी, तेल, पारा आदि। द्रव का आकार उस पात्र के अनुसार होता है जिसमें वह रखा जाता है। द्रव पदार्थ की ऊपरी सतह सभी स्थितियों में समतल होती है। द्रव में तरलता होती है। बहने का गुण होता है। जब पदार्थ में आकर्षण बल पृथककारी बल से कुछ ही सबल होता है तो पदार्थ द्रव अवस्था में रहता है। इस तरह द्रव पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस अवस्था की अपेक्षा कमजोर होता है। इसी कारण द्रव पदार्थों में अणु कम घने रूप से संघनित होते हैं तथा गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। द्रव के अणुओं की पदार्थ के अंदर ही गति होती रहती है परंतु पदार्थ के बाहर गति नहीं कर सकते। द्रव पदार्थ के अणु ठोस पदार्थ की अपेक्षा दूर-दूर रहते हैं फिर भी इनके बीच की दूरी बहुत अधिक नहीं होती। द्रव पदार्थ अपना आकार आसानी से बदल सकते हैं परंतु उनका आयतन नहीं बदलता है। इस प्रकार द्रव पदार्थ का आयतन निश्चित परंतु आकार अनिश्चित होता है। द्रव पदार्थ का घनत्व गैस से अधिक किंतु ठोस से कम होता है। गैसहाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि गैसीय पदार्थ हैं। गैसीय अवस्था में पदार्थ का ना तो कोई आकार होता है और न कोई आयतन । गैसीय पदार्थ को जिस पात्र में रख दिया जाता है वह उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेता है गैस का कोई पृष्ठ तल नहीं होता। गैस भी द्रव की भांति एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डाली जा सकती है। जब पदार्थ के कणों में परस्पर आकर्षण बल पृथककारी बल की अपेक्षा काफी कमजोर होता है तो पदार्थ गैस अवस्था में रहता है। इस तरह किसी पदार्थ के कणों में परस्पर आकर्षण बल ठोस एवं द्रव पदार्थ दोनों की अपेक्षा कमजोर होता है। काफी कमजोर आकर्षण बल के कारण गैसीय पदार्थ के अणु ठोस एवं द्रव पदार्थों की तुलना में एक दूसरे से काफी दूर-दूर रहते हैं तथा सभी संभव दिशाओं में गति करने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। इसी कारण गैसीय पदार्थ को ना तो कोई निश्चित आकार होता है और ना ही निश्चित आयतन। प्लाजमाप्लाजमा पदार्थ की चौथी अवस्था है, इसमें तत्व अत्यंत उच्च तापमान पर आयनीय अवस्था में रहते हैं। पदार्थ के तापमान में परिवर्तन करने से एक सीमा के बाद उसकी अवस्था में परिवर्तन होता है। जैसे बर्फ ठोस होती है। उसे गर्म करने से पानी बनता है और पानी को गर्म करने से भाप बनती है जो गैसीय अवस्था में होती है। पदार्थों की रासायनिक संघटन : तत्व, यौगिक और मिश्रणरासायनिक संघटन के आधार पर संसार के समस्त पदार्थों को तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, तत्व, योगिक और मिश्रण। तत्ववे पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं तत्व कहलाते हैं। तत्व मौलिक पदार्थ होते हैं। इन्हें भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा एक से अधिक पदार्थों या तत्वों में विभाजित नहीं किया जा सकता। केवल भारी नाभिक वाले तत्वों के परमाणुओं को नाभिकीय विखंडन द्वारा दूसरे तत्वों में बदला जा सकता है। तत्व दो प्रकार के होते हैं, धातु और अधातु। धातु तत्व ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं तथा वे प्रायः ठोस अवस्था में होते हैं। धातु आघातवर्धनीय होते हैं अर्थात् पीटने पर फैल जाते हैं। धातुओं में तन्यता का भी गुण होता है अर्थात इन्हें तान कर तार बनाया जा सकता है। लोहा, तांबा, चांदी, सोना, प्लैटिनम आदि धातु तत्व हैं। अधातु तत्व विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। अधातु भुरभुरे होते हैं और प्रहार करने पर चूर-चूर हो जाते हैं। इस गुण को भंगुरता कहते हैं। गंधक, फास्फोरस, ऑक्सीजन, ब्रोमीन, हाइड्रोजन आदि तत्व अधातु की श्रेणी में आते हैं। अब तक 112 तत्वों की खोज की जा चुकी है, इनमें से 92 तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं जबकि शेष अन्य तत्व वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशाला में बनाए गए हैं। यौगिकयौगिक या कंपाउंड वह शुद्ध पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बनता है और जिसे उचित रासायनिक विधियों द्वारा दो या दो से अधिक सर्वथा भिन्न गुणों वाले अवयवों में विभक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए जल एक यौगिक है। जल का प्रत्येक अणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं तथा ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना होता है। किसी भी स्रोत से प्राप्त जल या किसी भी विधि से निर्मित जल के प्रत्येक अणु में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के परमाणु संख्या की दृष्टि से 2:1 के अनुपात में होते हैं। भार के विचार से यह अनुपात 1:8 होता है। जल के भौतिक और रासायनिक गुण इसके अवयव तत्वों हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के गुणों से सर्वथा भिन्न होते हैं। मिश्रणमिश्रण वह अशुद्ध पदार्थ है जो दो या दो से अधिक शुद्ध पदार्थों (तत्व या यौगिक या दोनों) के किसी भी अनुपात में बिना रासायनिक संयोग के मिलने से बनता है तथा जिसके अवयवी पदार्थों को सरल यांत्रिक या भौतिक विधियों द्वारा अलग-अलग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए वायु अनेक गैसों का मिश्रण है। वायु में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प प्रमुख हैं। समुद्री जल कई लवणों का जल में घुलने से बना मिश्रण है, जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रमुख लवण है। सार संक्षेप
द्रव्य की अवस्थाएं कितनी होती है?“यह सर्वविदित है कि द्रव्य तीन रूप में विद्यमान होते हैं - ठोस, द्रव और गैस।”
द्रव की पांचवी अवस्था क्या है?कब बनती है पदार्थ की पांचवीं अवस्था? पदार्थ की यह अवस्था तब बनती है, जब किसी तत्व के परमाणुओं को परम शून्य ( जीरो डिग्री केल्विन या माइनस 273.15 डिग्री सेल्सियस) तक ठंडा किया जाता है। इसके चलते उस तत्व के सारे परमाणु मिलकर एक हो जाते हैं यानी सुपर एटम बनता है। इसे ही पदार्थ की पांचवी अवस्था कहते है।
द्रव की अवस्था क्या होती है?द्रव की परिभाषा
“एक ऐसा पदार्थ जिसका कोई आकार नही होता, लेकिन आयतन होता है, उसे द्रव कहते हैं। यह जगह के हिसाब से स्वतंत्र रूप से बह सकता है। अर्थात इसे जिस आकार के बर्तन मे रखेंगे, उस आकार का रूप ले लेता है।” उदाहरण : दूध, पानी, पारा, खून, पेशाब, शराब, खनिज तेल आदि।
द्रव अवस्था के उदाहरण कौन कौन से हैं?द्रव का घनत्व ठोस से कम परंतु गैस से अधिक होता है। गैस का घनत्व ठोस और द्रव दोनों से कम होता है। पत्थर, लोहा, तांबा, लकड़ी, मोम, बर्फ तथा कोयला आदि ठोस के उदाहरण हैं। पानी, ग्लिसरीन, दूध, पेट्रोल, डीजल, ब्रोमीन आदि द्रव के उदाहरण हैं।
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