ओउम् (ॐ) शब्द में पूरी सृष्टि समाई हुई है. ओउम् की ध्वनि बिना किसी संयोग या टकराव के पूरे ब्रह्मांण्ड में गूंजती रहती है, इसीलिए इसके उच्चारण से आपके इर्द-गिर्द सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. ये ध्वनि इंसान की सुनने की क्षमता से बहुत ऊपर है. लेकिन जो लोग ध्यान की गहराइयों में उतरना जानते हैं, वो इस चमत्कारी ध्वनि को सुन सकते हैं. Show ओउम् की महिमा ओउम् की ध्वनि इतनी पवित्र है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने हर मंत्र के पहले ॐ जोड़ दिया. कहते हैं कि ॐ के साथ जुड़ते ही मंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है, लेकिन इस ईश्वरीय शब्द के उच्चारण के भी कुछ नियम और सावधानियां हैं. ॐ का सही उच्चारण ॐ का सटीक और सरल प्रयोग ऐसे भी मिलेगा लाभ हिन्दू धर्म शास्त्रों में आपको हजारों मंत्र मिलेंगे। हर देवी और देवता का अपना एक अगल मंत्र है। मंत्र तीन प्रकार के होते हैं- वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र और शाबर मंत्र। सभी मंत्रों की शक्ति और साधना अलग अलग होती है। इसे तीन तरह से जपा जाता है- वाचिक, उपांशु और मानस। वाचिक यानी मुंह से, उपांशु यानी मंद स्वर में और मानस यानी मन में। आओ जानते हैं कि इन 10 में से दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन-सा है। 1. पहला गायत्री मंत्र- यह दुनिया का पहला मंत्र है। ।।ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।- यह मंत्र ईश्वर और सूर्य को समर्पित है। 2. दूसरा महामृत्युंजय मंत्र है- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। 3. तीसरा शिव मंत्र है- ॐ नम: शिवाय। यही पंचाक्षरी मंत्र है। 7. सातवां कृष्ण मंत्र है- ॐ श्रीकृष्णाय शरणं मम। 9. नौवां मंत्र है- ॐ ओम को प्रणव मंत्र भी कहते हैं। 10. दसवां राम और कृष्ण मंत्र है- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। इस राम और कृष्ण मंत्र में हरे शब्द श्री विष्णु और भगवान शिव का संबोधन माना जाता है। विष्णु जी को हरि और शिवजी को हर कहते हैं। उपरोक्त 10 मंत्रों में से छठा मंत्र 'राम' और दसवां राम और कृष्ण मंत्र अर्थात हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे को महामंत्र कहा गया है। लेकिन इन दोनों मंत्रों में सबसे शक्तिशाली मंत्र है- राम। राम के आगे न तो ॐ है और इसके पीछे न ही नम: है। इस मंत्र को शिवजी और हनुमानजी सहित सभी देवी एवं देवता जपते हैं। इस मंत्र पर कई रिसर्च हो चुके हैं। कहते हैं कि बलशालियों में महाबलशाली राम है और रामजी से भी बढ़कर श्री राम जी का नाम है। जय श्रीराम। मंत्र 3 प्रकार के हैं- सात्विक, तांत्रिक और साबर। सभी मंत्रों का अपना-अलग महत्व है। प्रतिदिन जपने वाले मंत्रों को सात्विक मंत्र माना जाता है। आओ जानते हैं ऐसे कौन से मंत्र हैं जिनमें से किसी एक को प्रतिदिन जपना चाहिए जिससे मन की शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी मिलती है। इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतारकर इन मंत्र और देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को जरूर बढ़ाने वाले साबित होंगे। क्लेशनाशक मंत्र : कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥ मंत्र प्रभाव : इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं। शांतिदायक मंत्र : श्री राम, जय राम, जय जय राम मंत्र प्रभाव : चिंता मुक्ति मंत्र : ॐ नम: शिवाय। मंत्र प्रभाव : इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से चिंतामुक्त जीवन मिलता है। यह मंत्र जीवन में शांति और शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए यह शिव मंत्र बोलें व रुद्राक्ष की माला से जप भी करें। तीन शब्दों का यह मंत्र महामंत्र है। संकटमोचन मंत्र : ॐ हं हनुमते नम:। मंत्र प्रभाव : यदि दिल में किसी भी प्रकार की घबराहट, डर या आशंका है तो निरंतर प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें और फिर निश्चिंत हो जाएं। किसी भी कार्य की सफलता और विजयी होने के लिए इसका निरंतर जप करना चाहिए। यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है। हनुमानजी को सिंदूर, गुड़-चना चढ़ाकर इस मंत्र का नित्य स्मरण या जप सफलता व यश देने वाला माना गया है। यदि मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा है, तो इस मंत्र का तुरंत ही जप करना चाहिए। शांति, सुख और समृद्धि हेतु : भगवान विष्णु के वैसे तो बहुत मंत्र हैं, लेकिन यहां कुछ प्रमुख प्रस्तुत हैं। *ॐ नमो नारायण। या श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि। *ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। *त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। *शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।। लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। मंत्र प्रभाव : भगवान विष्णु को जगतपालक माना जाता है। वे ही हम सभी के पालनहार हैं इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर उक्त किसी एक मंत्र से उनका स्मरण करते रहेंगे, तो जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होकर जीवन खुशहाल बन जाएगा। विष्णु और लक्ष्मी की पूजा एवं प्रार्थना करते रहने से सुख और समृद्धि का विकास होता है। मृत्यु पर विजय के लिए महामृंत्युजय मंत्र : ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। मंत्र प्रभाव : शिव का महामृंत्युजय मंत्र मृत्यु व काल को टालने वाला माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर दूध मिला जल, धतूरा चढ़ाकर यह मंत्र हर रोज बोलना संकटमोचक होता है। यदि आपके घर का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती है या बहुत ज्यादा बीमार है तो नियमपूर्वक इस मंत्र का सहारा लें। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है। सिद्धि और मोक्षदायी गायत्री मंत्र : ।।ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।। अर्थ : उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। मंत्र प्रभाव : यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंत्र है, जो ईश्वर के प्रति, ईश्वर का साक्षी और ईश्वर के लिए है। यह मंत्रों का मंत्र सभी हिन्दू शास्त्रों में प्रथम और 'महामंत्र' कहा गया है। हर समस्या के लिए मात्र यह एक ही मंत्र कारगर है। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है। समृद्धिदायक मंत्र : ॐ गं गणपते नम:। मंत्र प्रभाव : भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना गया है। सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत में श्री गणेशाय नम: मंत्र का उत्चारण किया जाता है। उक्त दोनों मंत्रों का गणेशजी को दूर्वा व चुटकीभर सिंदूर व घी चढ़ाकर कम से कम 108 बार जप करें। इससे जीवन में सभी तरह के शुभ और लाभ की शुरुआत होगी। अचानक आए संकट से मुक्ति हेतु : कालिका का यह अचूक मंत्र है। इसे माता जल्द से सुन लेती हैं, लेकिन आपको इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है। आजमाने के लिए मंत्र का इस्तेमाल न करें। यदि आप काली के भक्त हैं तो ही करें। 2 : ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा। मंत्र प्रभाव : इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से आर्थिक लाभ मिलता है। इससे धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती है। माता काली की कृपा से सब काम संभव हो जाते हैं। 15 दिन में एक बार किसी भी मंगलवार या शुक्रवार के दिन काली माता को मीठा पान व मिठाई का भोग लगाते रहें। दरिद्रतानाशक मंत्र : ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:। मंत्र प्रभाव : इस मंत्र की 11 माला सुबह शुद्ध भावना से दीप जलाकर और धूप देकर जपने से धन, सुख, शांति प्राप्त होती है। खासकर धन के अभाव को दूर करने के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए। कलयुग में श्रेष्ठ मंत्र कौन सा है?कलियुग में समय के अभाव के कारण सभी पंचाक्षर मंत्र श्रेष्ठ माना जाता है। जय श्रीराम, ॐ नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, जय श्री गणेश, जय माँ लक्ष्मी, जय माँ सरस्वती, जय माँ दुर्गे, … यथासंभव इन मंत्रो का मनम करना चाहिए। विवेकपूर्ण कर्म।
कौन सा मंत्र शक्तिशाली है?शास्त्रों में गायत्री मंत्र को बेहद शक्तिशाली बताया गया है. यही नहीं इसे महामंत्र कहा गया है. गायत्री मंत्र 'ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्' 24 अक्षरों से बना है.
दुनिया का सबसे पुराना मंत्र कौन सा है?ॐ स्वयं एक मंत्र है और ऐसा माना जाता है कि यह पृथ्वी पर उत्पन्न प्रथम ध्वनि है।
महा मंत्र कौन सा है?सभी हिन्दू शास्त्रों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र है गायत्री मंत्र। यह प्रथम इसलिए कि विश्व की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत ही इस मंत्र से होती है। माना जाता है कि भृगु ऋषि ने इस मंत्र की रचना की है। यह मंत्र इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
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