टिटहरी के अंडे से क्या फायदा होता है? - titaharee ke ande se kya phaayada hota hai?

इस चिड़िया का अंडा मिलते ही आप बन जाएंगे लखपति

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करोड़पति बनने के लिए, लखपति बनने के लिए हम सभी लाखो जतन करते हैं, लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पता. बिना मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है, जब तक आप मेहनत नहीं करेंगे तब तक आप लखपति या करोड़पति नहीं बन सकते. यूँ ही कोई करोड़पति बन जाता तो बात ही क्या थी. करोड़पति बनने के लिए लाखो जतन, काफी मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर कोई करोड़पति या लखपति बनता है. अब अगर हम आपसे कहे कि आप बिना मेहनत के लखपति बन सकते हैं तो आप क्या करेंगे..? 

जी दरअसल हम सच कह रहे हैं, आज हम आपको एक ऐसे तरिके के बारे में बताने जा रहे है जिससे आप बिना मेहनत के लखपति बन जाएंगे, और आपको लखपति बनाएगा एक पक्षी का अंडा. अब कैसे ये भी आप सोच रहे होंगे तो आइए बताते हैं. हम जिस पक्षी की बात कर रहे हैं उसका नाम है टिटहरी.  टिटहरी दिखने में छोटी सी चिड़िया है और इसे अपने अलग ही और शानदार अंदाज के लिए जाना जाता है.

टिटहरी कभी अपना घोसला नहीं बनाती है और जब भी यह अंडे देती हैं तो जमीन पर ही देती है. कहा जाता है कि इसके टिटहरी के अंडे जिसको भी मिल जाए वह रातोरात अमीर बन जाता है. टिटहरी जब अंडे देती हैं तो उसपर बैठकर अपने अंडे फोड़ देती हैं. जानकारी के अनुसार टिटहरी अपने अंडो को तोड़ने के लिए पारस पत्थर का इस्तेमाल करती है और पारस पत्थर के बारे में यह कहा जाता है कि जब वह किसी लोहे को छू लेता है तो वह सोना बन जाता है, पारस पत्थर वैसे तो मिलता नहीं है लेकिन टिटहरी उसे लेकर आती है केवल अपने अंडो को तोड़ने के लिए.

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टिटहरी अंडे ऊंचाई पर रखे तो अच्छी बारिश और गड्ढे में अंडे हों तो पड़ता है सूखा

बागीदौरा (बांसवाड़ा)। ज्योतिषशास्त्र और मौसम विज्ञ आंकड़ों के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी करते हैं। वहीं प्रकृति में पाए जाने वाले जीव-जंतु भी भविष्य की सूचनाएं देने में पीछे नहीं हैं। मसलन टिटहरी के अंडे। वागड़ में लोकमान्यता के अनुसार टिटहरी द्वारा अंडे देना बारिश के लिहाज से शुभ संकेत माना जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक जितने अंडे दिए जाते हैं उतने ही महीने बारिश होती है। अच्छी बारिश की जगी आस .....

- इन दिनों बांसवाड़ा जिले के बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र में पाए जाने वाली टिटहरी द्वारा नाले के पास ऊंचाई पर एक खेत में टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं।

- इससे ग्रामीणों में आस है कि वागड़ में चारों महीने बारिश होगी।
ऐसा होता है मौसम का अनुमान

- पशु-पक्षियों में प्रकृति समझने और बदलाव को जानने की अद्भुत क्षमता होती है। ऐसी मान्यता है कि टिटहरी ऊंचाई या खेत की मेढ़ पर अंडे रखे तो ज्यादा बारिश होने की संभावना रहती है-

- यदि अंडों के मुंह जमीन की ओर हों तो मूसलाधार बारिश होती है।

- वहीं समतल जमीन पर अंडे रखते हैं तो औसत और किसी गड्ढे में अंडे दिखे तो सूखा पड़ने की भविष्यवाणी कर दी जाती है।

पशु-पक्षी प्रकृति में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील

- बर्ड एक्सपर्ट कमलेश शर्मा बडोदिया ने बताया कि पशु-पक्षी प्रकृति में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते हैं। उनका आचरण-व्यवहार भी प्रकृति के अनुरूप ही होता है।

- टिटहरी के अंडों से वर्षा के भविष्यवाणी का यही आधार है।

- मौसम विज्ञान के जन्म से पूर्व हमारे पुरखों के पास ऐसे तरीकों के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं था।

- हम आज भी मौसम विज्ञानियों की भविष्यवाणियों से इतर उस चिरंतन पद्धति का अनुसरण कर रहे हैं।

जून तक देती है अंडे

- पर्यावरणविद डॉ. दीपक द्विवेदी ने बताया कि कई बार टिटहरी के अंडों से पूर्वानुमान में की गई भविष्यवाणियां सटीक भी रही हैं। अभी अंडे देने की शुरूआत है। यह प्रक्रिया जून तक चलेगी।

- टिटहरी द्वारा इस बार जल्द अंडे देने का मतलब है समय पूर्व मानसून की संभावना।

- खासकर ग्रामीण इन दिनों अंडों पर विशेष निगाह रखते हैं ताकि बारिश का अनुमान लगाया जा सके।

अगली स्लाइड में जानिए बहुत चालाक व चौकन्ना पक्षी है टिटहरी

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ऐसी मान्यता है कि, टिटहरी जिस दिन वृक्ष पर रहने लगे समझो कि धरती पर भूकंप आ जाएगा। टिटहरी कभी भी वृक्ष पर अपना घर नहीं बनाती है। वह भूमि पर ही अंडे देती है और भूमि पर ही रहती है। कोई भी अन्य पक्षी जब भी अंडा देता हैं तो उस पर बैठकर उसको गर्म करके उसको तोड़ता है लेकिन टिटहरी ये सब से अलग है और ऐसा बिलकुल भी नहीं करता है। कहा जाता है कि, टिटहरी जब भी जमीन पर अंडा देता है तो उसे तोड़ने के लिए उसको पारस पत्थर की जरूरत पड़ती है। कहा जाता है कि अगर पारस अगर लोहे को भी छू ले तो वह सोना बन जाती है। आपको बता दे कि यह एक रहस्यमई पत्थर है जो कि हर किसी को आसानी से नहीं मिलता लेकिन टिटहरी इससे ना जाने कहां से ढूंढ लेती है। पारस बहुत ही कीमती पत्थर है जो बहुत ही दुर्लभ है।

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शास्त्रों की कहानियां बताती हैं कि हिमालय के जंगलों में बड़ी आसानी से पारस मणि मिल जाती है, बस कोई व्यक्ति उनकी पहचान करना जानता हो। कहानियों के अंदर जिक्र आता है कि कई संत पारस मणि खोजकर लाते थे और अपने भक्तों को दे देते थे। यह मणि हिमालय के आस-पास ही पाई जाती है।

टिटहरी के अंडे मिल जाए तो क्या करें?

कहा जाता है कि, टिटहरी जब भी जमीन पर अंडा देता है तो उसे तोड़ने के लिए उसको पारस पत्थर की जरूरत पड़ती है। कहा जाता है कि अगर पारस अगर लोहे को भी छू ले तो वह सोना बन जाती है।

टिटहरी के अंडे घर में रखने से क्या होता है?

वागड़ में लोकमान्यता के अनुसार टिटहरी द्वारा अंडे देना बारिश के लिहाज से शुभ संकेत माना जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक जितने अंडे दिए जाते हैं उतने ही महीने बारिश होती है। अच्छी बारिश की जगी आस .....

टिटोडी के अंडे से क्या होता है?

लोकमान्यता के अनुसार टिटोडी का अंडे देना बारिश के लिहाज से शुभ संकेत माना जाता है। ग्रामीण मानते है कि टिटोडी जितने अंडे देती है उतने ही महीने बारिश होती है। टिटोडी एक ऐसा पक्षी होता है जो गर्मी के दिनों में मानसून से पूर्व अंडे देती है। इससे किसान ये अंदाजा लगा पाते है कि मानसून किस प्रकार का रहेगा।

टिटहरी अंडा कब देती है?

ये धरती पर मामूली सा खोदकर अथवा थोड़े से कंकरों और बालू से घिरे गढ्डे में घोंसला बनाते हैं। इनका प्रजनन बरसात के समय मार्च से अगस्त के दौरान होता है। ये सामान्यत: दो से पांच नाशपाती के आकार के (पृष्ठभूमि से बिल्कुल मिलते-जुलते, पत्थर के रंग के हल्के पीले पर स्लेटी-भूरे, गहरे भूरे या बैंगनी धब्बों वाले) अंडे देती हैं।

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