शनिवार को शनि देव पर क्या चढ़ाना चाहिए? - shanivaar ko shani dev par kya chadhaana chaahie?

शनिदेव की पूजा के दौरान भूल से भी तांबे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तांबा का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्यपुत्र होने के बावजूद शनिदेव सूर्य के परम शत्रु हैं। शनिदेव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।

शनिदेव की पूजा के दौरान नीले या काले रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। लाल रंग या लाल फूल का भी प्रयोग कतई न करें। लाल रंग मंगल का परिचायक है और मंगल भी शनि के शत्रु ग्रह हैं।

शनि देव की पूजा में दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। आमतौर पर पूर्व की तरफ मुख कर पूजा की जाती है, लेकिन शनिदेव की पूजा पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर करना चाहिए। इसका कारण यह है कि शनिदेव के पश्चिम दिशा का स्वामी माना गया है।

4: न देखें शनिदेव की आंखों में

शनिदेव की पूजा के वक्त उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर कभी प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। इतना ही नहीं उनकी आंखों में भी नहीं देखना चाहिए। प्रार्थना के वक्त इन बातों का ध्यान न रखने से उनकी दृष्टि सीधे आप पर पड़ती है और आप अनजाने ही शनिदेव के कोप के शिकार हो जाते हैं।

शनिदेव की पूजा के दौरान सफाई का ध्यान जरुरी है। उनकी पूजा कभी गंदगी भरे माहौल या गंदे कपड़े पहनकर नहीं करना चाहिए।

शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में उन्हें न्यायाधीश कहा जाता है। कर्णफल दाता शनि सभी को कर्मों के हिसाब से फल देते है। लेकिन अगर वो प्रसन्न हो जाएं तो हर किसी के झोली भी भर सकते हैं। इसीलिए शनिदेव की कृपा पाने के लिए विभिन्न तरह के उपाय अपनाते हैं, जिसमें से एक उपाय सरसों का तेल चढ़ाना भी है। 

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान शनि को सरसों का तेल चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं, जिससे आपको साढ़े साती, शनिदोष या फिर ढैया से छुटकारा मिल जाता है। भगवान शनि को सिर्फ सरसों का तेल चढ़ाया ही नहीं जाता है बल्कि सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। जानिए आखिर शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे क्या है पौराणिक कथा?

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भगवान हनुमान के कारण शुरू हुई ये प्रथा

रामायण की कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार लंकापति रावण ने शनिदेव को कैद कर लिया था। ऐसे में जब हनुमान जी माता सीता के खोज में लंका आए थे, तो उन्होंने शनिदेव को कैद में देखा। ऐसे में शनिदेव ने हनुमान जी से मुक्त करना का आग्रह किया। तब हनुमान जी ने शनिदेव को कैद से मुक्त करके लंका से बहुत दूर फेंक दिया था, जिससे वह सुरक्षित स्थान में पहुंच जाएं।

हनुमान जी द्वारा शनिदेव को इस तरह फेंकने से काफी चोट लग गई। ऐसे में हनुमान जी ने शनिदेव की पीड़ा कम करने के लिए सरसों के तेल को घाव में लगाया। इससे शनिदेव को काफी आराम मिला और वह काफी खुश हुए। ऐसे में शनिदेव ने कहा कि आने वाले समय में जो भक्त मुझे सरसों का तेल अर्पित करेगा उसके ऊपर हमेशा मेरी कृपा बनी रहेगी। 

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शनिदेव में इस तरह चढ़ाएं सरसों का तेल

भगवान शनि को सरसों का तेल चढ़ाने से कई तरह के दोषों से छुटकारा मिलता है। शनिदेव की कृपा से आपको सुख-समृद्धि, धन-दौलत के साथ हर काम में सफलता का वरदान मिलता है। 

  1. भगवान शनि को तेल चढ़ाने का सबसे अच्छा दिन शनिवार का माना जाता है। क्योंकि यह शनिदेव का दिन है। 
  2. शनिवार के दिन किसी भी समय शनि के मंदिर में जाकर तेल जढ़ा सकते हैं। तेल चढ़ाते समय ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करते रहें।
  3. शनि देव को सरसों के तेल में काले तिल,काली उड़द दाल चढ़ा सकते हैं। इससे आपके घर में सुख-शांति बनी रहेगी। 
  4. शनिदेव के सामने या फिर पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखें।  तेल चढ़ाने से पहले उस बर्तन में अपना चेहरा जरूर देख लें। संभव हो सके तो किसी गरीब को सरसों का तेल दान करें, इससे शनिदेव खुश होंगे और आपका भाग्य चमकने लगेगा। 
  5.  शनिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल के दीपक में थोड़ा सा तिल और एक सिक्का डालकर जला दें और सीधे घर चले आएं। 7-11 दिन करने से आपको शुभ फल मिलेगा। 

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Shani Dev Puja: शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है. वे व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. इनकी बुरी नजर से व्यक्ति पर बुरा असर पड़ता है. किन-किन उपायों से शनि देव की बुरी नजर से बचा जा सकता है. आइये जानें.

घर पर कैसे करें शनिदेव की पूजा

यदि किसी कारणवश आप शनिदेव महाराज के मंदिर व पीपल के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप शनिदेव की अराधना इस प्रकार घर पर कर सकते हैं। सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं. अब स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारंण करें. घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और गणेश जी के पूजन से पूजा प्रारंभ करें. भगवान शिव औऱ हनुमान जी को फल और फूल चढ़ाएं. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें. उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें.

शनिदेव पूजा के मंत्र

ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।।

तन्नो मंद: प्रचोदयात।।

शनि यंत्र स्थापित करें

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसका विधिपूर्वक पूजन करें. इसके बाद हर दिन शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजन करें और सरसों के तेल से दीपक जलाएं. तथा नीला या काला फूल चढ़ाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव खुश होते हैं.

सरसों के तेल का दीपक

शनिवार को शाम के वक्त बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। फिर दूध और धूप चढ़ाएं.

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शनिवार को शनि मंदिर में क्या चढ़ाना चाहिए?

शनिदेव में इस तरह चढ़ाएं सरसों का तेल क्योंकि यह शनिदेव का दिन है। शनिवार के दिन किसी भी समय शनि के मंदिर में जाकर तेल जढ़ा सकते हैं। तेल चढ़ाते समय ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करते रहें। शनि देव को सरसों के तेल में काले तिल,काली उड़द दाल चढ़ा सकते हैं।

शनिवार को कौन सा टोटका करें?

शनिवार की शाम को करें ये खास टोटके इसलिए शनिवार के दिन कंडे या अंगारे पर रख कर लोबान जलाएं और पूरे घर में घूमा दें। शनिवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है कि शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव भी प्रसन्न हो जाते हैं।

शनिवार को शनि देव की पूजा कैसे करते हैं?

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसका विधिपूर्वक पूजन करें. इसके बाद हर दिन शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजन करें और सरसों के तेल से दीपक जलाएं. तथा नीला या काला फूल चढ़ाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव खुश होते हैं.

शनिवार को क्या क्या चढ़ाना चाहिए?

प्रत्येक शनिवार के दिन काला कपड़ा, लोहे के बर्तन, काले तिल, कंबल, उड़द की दाल का दान करना चाहिए. इससे शनि की साढ़े साती का प्रभाव भी कम होता है. शनिदेव को नीले रंग के पुष्प अति​प्रिय हैं और इस दिन उनकी पूजा करते समय नीले पुष्प चढ़ाएं.