घर पर सुबह पूजा करने का सही समय क्या है? - ghar par subah pooja karane ka sahee samay kya hai?

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पूजा का सही समय प्रातः ब्रह्मवर्त 3:30 से 4:30 के बीच रहता है इसे शुभ माना गया है अभी तो किसी व्यक्ति को का कुछ सुख कोई 6:00 बजे का जाता है उस व्यक्ति को 10:00 बजे के अंदर 10 पूजा करनी चाहिए ब्रह्म मुहूर्त अमृतवेला घर में पूजा करने के बाद कई गुना पल रहे होता है और इस घड़ी में नाम जप ध्यान करने का फल कई गुना होता है इसलिए पूजा करने का सही समय ब्रह्म मुहूर्त में अभी पूजा कर सकते हैं और यही श्रेष्ठ समय है

puja ka sahi samay pratah brahmavart 3 30 se 4 30 ke beech rehta hai ise shubha mana gaya hai abhi toh kisi vyakti ko ka kuch sukh koi 6 00 baje ka jata hai us vyakti ko 10 00 baje ke andar 10 puja karni chahiye Brahma muhurt amritvela ghar me puja karne ke baad kai guna pal rahe hota hai aur is ghadi me naam jap dhyan karne ka fal kai guna hota hai isliye puja karne ka sahi samay Brahma muhurt me abhi puja kar sakte hain aur yahi shreshtha samay hai

कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले या फिर किसी काम में सफलता हासिल करने के लिए लोग अक्सर घर में पूजा पाठ करवाते हैं ताकि उन्हें अपने लक्ष्य में सफलता मिल सके. पर क्या आप जानते हैं आपकी मनोकामना जल्दी पूरी हो सके इसके लिए घर में पूजा पाठ और मांगलिक उत्सव करने का क्या है सही तरीका. आइए जानते हैं पूजा पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

घर में पूजा पाठ का सही स्थान क्या हो-

- घर में हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में ही मंदिर का स्थान रखें.

- घर का मंदिर हमेशा लकड़ी का बना होना चाहिए.

- घर के मंदिर के आसपास कोई गंदगी ना हो. उसे हमेशा साफ सुथरा रखें.

-घर के मंदिर का मुख्य रंग क्या हो-

- मंदिर का सही रंग हल्का पीला या नारंगी होना चाहिए.

- घर के मंदिर में हमेशा हल्की पीली लाइट का प्रयोग करना चाहिए.

- मंदिर में गहरे नीले रंग का प्रयोग ना करें.

घर के मंदिर में क्या-क्या रखना चाहिए-

- घर के मंदिर में हलके पीले रंग का या लाल रंग का वस्त्र बिछायें.

- भगवान गणपति और महालक्ष्मी का स्वरूप रखें.

-  अपने इष्ट और अपने कुल गुरु का चित्र अवश्य रखें.

- एक तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर रखें.

घर का मंदिर बनाते समय क्या क्या सावधानी बरतें-

- घर का मंदिर दक्षिण पश्चिम दिशा में ना बनाएं.

- मंदिर के आसपास कोई गंदगी ना हो.

- मंदिर शौचालय के पास बिल्कुल ना बनाएं.

- मंदिर के आसपास जूते चप्पल ना रखें.

कौन सी दिशा में बैठकर भजन कीर्तन जाप किया जाए-

- हमेशा भजन कीर्तन पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके किया जाए तो सर्वोत्तम रहता है अन्य किसी दिशा में किया गया भजन कीर्तन मन में उत्साह नहीं ला पाता.

- भजन कीर्तन  करने से पहले भगवान मंगल मूर्ति के चित्र को हमेशा स्थापित करें उसके बाद ही भजन कीर्तन शुरू करें.

- जिस देवी देवता का भजन किया जा रहा है उसके चित्र के सामने गाय के घी का दीपक और धूप अवश्य जलाएं जल का पात्र भी रखें.

भजन कीर्तन में बरतें ये सावधानियां-

- भजन कीर्तन करते समय इधर-उधर की बातों में ध्यान ना दें.

- हमेशा शुद्ध और साफ वस्त्र पहनकर ही भजन कीर्तन करें.

- भजन कीर्तन में शुद्ध मिठाई और साफ-सुथरे फलों का प्रयोग करें.

- हमेशा भजन कीर्तन में गाय के घी का दीपक और कलावे की बाती का प्रयोग करें.

घर में पूजा पाठ और जाप का पूरा फल पाने के लिए करें उपाय-

- घर में पूजा पाठ करते समय श्वेत गुलाबी या हल्के पीले वस्त्र पहनकर ही पूजा करें.

- हमेशा लाल या पीले आसन पर बैठकर ही मंत्र जाप करें.

- जाप हमेशा लाल चंदन की माला या रुद्राक्ष की माला से करें.

- जाप शुरू करने से पहले भगवान गणपति व गुरु और अपने इष्ट का ध्यान करना चाहिए.उसके बाद ही जाप शुरू करें.

पूजा-पाठ के लिए दोपहर के समय को उपयुक्त नहीं माना जाता है। आइए जानें इसके धार्मिक और ज्योतिष कारणों के बारे में। 

हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा करने के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नियमों का पालन आपके घर की सुख समृद्धि को बनाए रखने में मदद करता है। पूजा पाठ एक धार्मिक प्रथा है जिसका मुख्य रूप से दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा पालन किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि पूजा देवताओं के सम्मान में की जाती है और किसी विशेष अवसर पर या निश्चित समय पर की गई पूजा देवताओं द्वारा भी स्वीकार्य होती है। वहीं इससे जुड़े कुछ विशेष नियम भी हैं जिनका हिन्दू धर्म में पालन किया जाता है।

ऐसे ही पूजा के एक नियमों में से है दोपहर के समय पूजन न करना। ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय पूजा-पाठ देवताओं को स्वीकार्य नहीं होता है। इस बात का पता लगाने के लिए हमने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें कि दोपहर के समय पूजन क्यों नहीं करना चाहिए। 

हिंदू धर्म में पूजा का महत्व

puja significance in hindi

पूजा पाठ हिन्दू धर्म के लिए दिन की आवश्यक प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है। ऐसा करने से मन को शांत करने में मदद मिलती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। पूजा करने से मन को शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है और घर में भी शांत वातावरण बनता है।

पूजा एक ऐसा आयोजन है जिसमें फूल चढ़ाने से लेकर, धूप प्रज्ज्वलित करने और भोग अर्पित करने की प्रक्रिया का पालन किया जाता है। पूजा करते समय (पूजा के समय रखें इन बातों का ध्यान), श्लोकों का उच्चारण करने से मन की शांति मिलती है। पूजा -पाठ एक निश्चित दिनचर्या का पालन करने में आपकी मदद करता है। 

पूजा करने का सबसे अच्छा समय

when we should do puja

वेद शास्त्रों के अनुसार पूजा करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः काल को माना गया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय तन और मन दोनों पवित्र होते हैं और हम पूरी तरह से ईश्वर में ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इस समय का पूजन सीधे ईश्वर तक जाता है और मन की शुद्धि में मदद करता है। ज्योतिष की मानें तो दिन में 5 बार पूजा की जा सकती है।  

  • पहली पूजा -ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 4:30 से 5:00 बजे के बीच
  • दूसरी पूजा प्रातः 9 बजे तक 
  • मध्याह्न पूजा- दोपहर 12 बजे
  • संध्या पूजा-शाम को 4:30 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच 
  • शयन पूजा -रात 9:00 बजे 

हालांकि व्यस्त जीवनशैली के बीच दिन में 5 बार पूजा करना कठिन है, इसलिए दिन में कम से कम दो बार ईश्वर का ध्यान ही आपको कष्टों से मुक्ति दिला सकता है। 

इसे जरूर पढ़ें: घर के मंदिर में दीपक जलाते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं मिलेगा पूजा का पूर्ण फल

दोपहर के समय देवताओं का पूजन क्यों न करें 

यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है। 

दैनिक पूजा की सही विधि 

puja rules for prosperity

शास्त्रों के अनुसार नियमित प्रातः काल पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है। सुबह का शांतिपूर्ण वातावरण व्यक्ति के आभा मंडल को बढ़ाने में और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

  • प्रातः काल पूजा से पहले स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें। 
  • ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने आराध्य को ध्यान में रखकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और सभी देवताओं को स्नान कराएं। 
  • पूजा के स्थान पर दीपक (अखंड दीपक जलाने की सही विधि) प्रज्वलित करें और पूजन श्रद्धानुसार पूजा आरंभ करें। 
  • सभी देवताओं का ध्यान करते हुए पूजन करें और दिन की शुभ शुरुआत करें। 

शास्त्रों की मान्यतानुसार दोपहर के समय ईश्वर का पूजन न करने की सलाह दी जाती है, यदि आप ज्योतिष की न भी मानें तब भी कुछ विशेष समय में ईश्वर को आराम देने के लिए भी इस समय पूजन न करें। 

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Image Credit: freepik.com 

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सुबह कितने बजे पूजा पाठ करना चाहिए?

कुछ लोग पूजा सुबह 6:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच में करने को सही समय मानते हैं. तो बता दे कि भगवान की पूजा सुबह 8:00 बजे के बाद में भी की जा सकती है. पूजा करने का नियमित समय सुबह 10:00 बजे तक का होता है, इसके बाद भगवान की पूजा करना अशुभ माना जाता है.

घर में पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

पूजा करने का सबसे अच्छा समय.
पहली पूजा -ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 4:30 से 5:00 बजे के बीच.
दूसरी पूजा प्रातः 9 बजे तक.
मध्याह्न पूजा- दोपहर 12 बजे.
संध्या पूजा-शाम को 4:30 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच.
शयन पूजा -रात 9:00 बजे.

सुबह 4 00 बजे पूजा करने से क्या होता है?

इसी बात को ध्यान में रखते हुए ब्रह्म मुहूर्त को पूजादि कर्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। जब पूजा शांत मन से धैर्य के साथ की जाती है तो भगवान भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। सुबह-सुबह ध्यान करने से मानसिक तनाव दूर होता है, मंत्र जाप करने से बुद्धि तेज होती है।

रोज सुबह की पूजा कैसे करें?

ये हैं दैनिक पूजा के जरूरी नियम - दैनिक पूजा का समय निश्चित करें और रोजाना उसकी समय पर पूजा करें. - हमेशा स्‍नान करके, साफ कपड़े पहनकर, साफ जमीन पर आसन बिछाकर उस पर बैठें. कभी भी जमीन पर सीधे बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए. हो सके तो ऊनी आसन पर बैठें.