सुवरण कलस सुरा भरा में कौन सा अलंकार है? - suvaran kalas sura bhara mein kaun sa alankaar hai?

ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होई।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोइ ।

भावार्थ : कबीर कहते हैं कि ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई ऊँचा नहीं कहलाता। ऊँचा अर्थात् बड़ा बनने के लिए उसे अच्छे कर्म करने ही पड़ते हैं। उसमें कुल की कोई भूमिका नहीं होती है। दृष्टांत देते हुए वे कहते हैं कि जिस प्रकार शराब यदि सोने के पात्र में भरी हो तो सज्जनों के लिए पेय नहीं बन जाती है। सज्जन उसकी निन्दा ही करते हैं। ठीक उसी तरह ऊँचे कुल में जन्म लेकर यदि व्यक्ति नीच कर्म करता है तो वह निन्दा का ही पात्र है।

1. कवि ने किसे ऊँचा कहा है ?

2. सोने का पात्र कब निन्दनीय हो जाता है ?

3. ऊँचे कुल से कवि का क्या आशय है ?

4. दोहे में किसे महत्त्वपूर्ण बताया गया है ?

5. सज्जन किसकी निन्दा करते हैं ?

6. ‘सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोई’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?

 ऊँचे कुल का जनमिया दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या 

सुवरण कलस सुरा भरा में कौन सा अलंकार है? - suvaran kalas sura bhara mein kaun sa alankaar hai?

ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँच न होइ । 

सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदै सोइ ।।

दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या 

कबीर कहते हैं कि अगर अच्छे घर-ख़ानदान में पैदा हुए व्यक्ति का व्यवहार और उसके कर्म अच्छे न हों, तो वह उसी प्रकार निंदा का पात्र होता है, जिस प्रकार शराब भरे सोने के कलश को सज्जन निंदनीय समझते हैं। 

कहने का मतलब है कि जिस प्रकार सोने का घड़ा भी अपने अंदर शराब जैसी वस्तु भरी होने के कारण अपनी महत्ता खो देता है और बुराई का पात्र बनता है,उसी प्रकार अच्छे कुल या परिवार में  जन्म लेने वाले व्यक्ति का आचरण अगर अच्छा न हो, तो वह भी लोगों की तारीफ़ का नहीं, बल्कि निंदा का पात्र बन जाता है।

इस दोहे में कवि ने बताया है कि आदमी की पहचान उसके घर ख़ानदान से, उसके वर्ण और जाति से, उसके धनवान और निर्धन होने से नहीं, बल्कि उसके आचरण, उसके व्यवहार और चाल-चलन से होती है। अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति की प्रशंसा की जाती है और बुरे कर्म करने वाले की निंदा होती है।

टिप्पणी

1. मनुष्य के बारे में अपनी बात को अधिक स्पष्ट करने के लिए कबीर ने इस दोहे में सोने के कलश का उदाहरण दिया है। जब किसी बात को समझाने के लिए जीवन-जगत् के किसी दूसरे व्यवहार को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे दृष्टांत कहते हैं। अतः यहाँ दृष्टांत अलंकार का प्रयोग है।

2. मनुष्य का तन सोने के घड़े जैसा है। ऐसा तन पाकर उसमें अच्छाई का विकास करने की जगह उसे बुराइयों का घर बनाना किसी भी तरह प्रशंसा की बात नहीं हो सकती।

3. बहुत आसान तरीके से अच्छे कर्म करने की बात कही गई है।

सुवरण कलस सुरा भरा में कौन सा अलंकार है? - suvaran kalas sura bhara mein kaun sa alankaar hai?

ऊंचे कुल क्या जनमिया जे करनी ऊंच न होय। सुबरन कलस सुरा भरा साधू निन्दै सोय ॥


अर्थ: यदि कार्य उच्च कोटि के नहीं हैं तो उच्च कुल में जन्म लेने से क्या लाभ? सोने का कलश यदि सुरा से भरा है तो साधु उसकी निंदा ही करेंगे. 

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