सीता को थका हुआ समझकर राम ने देर तक क्या किया? - seeta ko thaka hua samajhakar raam ne der tak kya kiya?

One Line Answer

राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?

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Solution

राम ने जब देखा कि सीता थक चुकी हैं, तो वह देर तक बैठकर पैरों से काँटे निकालने का अभिनय करते रहे, जिससे सीता को कुछ देर आराम करने का मौका मिल जाए और उनकी थकान कम हो जाए।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 6)

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Chapter 16: वन के मार्ग में - सवैया से [Page 116]

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NCERT Class 6 Hindi - Vasant Part 1

Chapter 16 वन के मार्ग में
सवैया से | Q 3 | Page 116

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वन के मार्ग में


प्रश्न 1: प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?
उत्तर 1: इस सवैया में कवि ने राम-सीता के उस प्रसंग का वर्णन अंकित किया है, जब राजा दशरथ द्वारा दिए गए चौदह वर्ष के वनवास को काटने के लिए वे वन की ओर प्रस्थान कर रहे थे। सीता जी मार्ग की मुश्किलों से व्याकुल हो रही थीं और श्री राम उनकी इस व्याकुलता को देखकर स्वयं भी व्याकुल हो रहे थे।


प्रश्न 2: वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखो।
उत्तर 2: वन मार्ग में जाते हुए सीता जी बुरी तरह थक गई थीं जिससे उनके माथे से पसीना गिरने लगा, प्यास के कारण उनके होंठ सूख गए थे। वन मार्ग की ओर चलते हुए उनके पैरों में काँटें चुभ गए थे।


प्रश्न 3: सीता की आतुरता देखकर राम की क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर 3: मार्ग में सीता को मिली मुश्किलों को देखकर श्री राम जी बहुत व्याकुल होते हैं। सीता जी को थका हुआ और प्यासा देखकर उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। इस बात से वो परेशान हो जाते हैं कि उनके कारण सीता को इतना कष्ट झेलना पड़ रहा है।


प्रश्न 4: राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे?
उत्तर 4: श्री राम ने देखा सीता जी बहुत चलने के कारण थकान से व्याकुल थीं। वह श्री राम को भी देखकर व्याकुल हो रही थीं। वो बार-बार उनसे कह रही थीं कि लक्ष्मण जी पानी लेने गए हैं; जब तक वो पानी लेकर आते हैं वो आराम से बैठ जाए। सीता की इस व्याकुलता को देखकर वो बैठ गए और आराम से पैरों से काँटें निकालने लगे क्योंकि उन्हें अभी आगे और भी चलना था। इसलिए वो देर तक काँटें निकालते रहे।


प्रश्न 5: सवैया के आधार पर बताओ कि दो कदम चलने के बाद सीता का ऐसा हाल क्यों हुआ?
उत्तर 5: सीता जी राजा जनक की बड़ी पुत्री थीं, वो बड़ी ही नाज़ुक व कोमल थीं, वन के कष्ट तो उन्होंने राजमहलों में कभी देखे ही नहीं थे। इसलिए उनका कोमल शरीर वन के उस कष्टपूर्ण मार्ग पर चलते हुए व्याकुल हो रहा था।


प्रश्न 6: ‘धरि- धीर दए’ का आशय क्या है ?
उत्तर 6: ‘धरि- धीर दए’ का आशय है; धीरज धारण करते हुए। अर्थात्‌ माता सीता, श्री राम के साथ वन मार्ग में चलते हुए, कष्टों को सहते हुए मन ही मन स्वयं को धीरज बंधा रही थीं।


प्रश्न 1: अपनी कल्पना से वन के मार्ग का वर्णन कीजिए।
उत्तर 1: वन बड़े-बड़े पेड़ों से घिरा होता है। जिसके रास्तों में छोटी- मोटी झाड़ियाँ, काँटें, पत्थर और ऊँचा- नीचा स्थान भी हो सकता है, जंगली जानवर भी होते हैं। सूरज की रोशनी बहुत कम अंदर पहुँचती है। अत: यह बहुत ही मुश्किल और भयंकर है।


NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 वन के मार्ग में are part of NCERT Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 वन के मार्ग में.

Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 6
Subject Hindi Vasant
Chapter Chapter 16
Chapter Name वन के मार्ग में
Number of Questions Solved 8
Category NCERT Solutions

प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से)

सवैया से

प्रश्न 1.
नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई?
उत्तर
नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता जल्दी ही थक जाती हैं। उन्हें पसीना आने लगता है तथा होंठ सूखने लगते हैं।

प्रश्न 2.
अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा-किसने, किससे पूछा और क्यों?
उत्तर
अब और कितनी दूर चलना है, और पर्णकुटी कहाँ बनाना है यह बात सीता जी ने श्रीराम से पूछा क्योंकि वे बहुत अधिक थक गई थीं।

प्रश्न 3.
राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?
उत्तर
राम थकी हुई सीता के पैरों से देर तक काँटे निकालते रहे, जिससे सीता को आराम करने का अधिकाधिक समय मिल जाए और उनकी थकान कम हो जाए।

प्रश्न 4.
दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर
पहले सवैये में यह बताया गया है कि जब सीता नगर से बाहर कदम रखती हैं तो कुछ दूर जाने के बाद वे काफी थक जाती हैं। उन्हें पसीना आने लगता है और होंठ सूखने लगते हैं। वे व्याकुलता में राम से पूछती हैं कि अभी और कितना चलना है तथा पर्णकुटी कहाँ बनाना है। इस सवैये में सीता की व्याकुलता को देखकर श्रीराम की आँखों में आँसू आ जाते हैं। दूसरे सवैये में यह बताया गया है कि सीता राम की व्याकुलता को देखकर कहती हैं कि जब तक लक्ष्मण पानी लेकर नहीं आ जाते तब तक पेड़ की छाया में विश्राम कर लें। श्रीराम पेड़ की छाया में बैठकर सीता के पैरों के काँटें निकालते हैं। यह देखकर सीता मन-ही-मन प्रियतम के प्यार में पुलकित हो उठती हैं।

प्रश्न 5.
पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो।
उत्तर
वन का रास्ता काँटों से भरा था। वैसे मार्ग पर सँभलकर चलना पड़ता था। रहने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं था। खाने की वस्तुएँ नहीं थीं। पानी कहीं नजर नहीं आता था। चारों तरफ सुनसान तथा असुरक्षा का वातावरण था।

अनुमान और कल्पना

गर्मी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाय और भूख लगने पर भोजन। तुम्हें भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि आवश्यकता पूरी होने के पहले तक तुम्हारे मन की दशा कैसी थी?
उत्तर
आवश्यकता पूरी होने के पहले तक मन बहुत विचलित रहता है। मन में बार-बार यह प्रश्न उठता है कि इच्छा पूरी होगी अन्यथा नहीं। मन में एक तरह की बेचैनी होती है कि जितना जल्दी हो सके आवश्यकता पूरी हो जाए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
लखि  –  देखकर
धरि  –  रखकर
पोंछि  –  पोंछकर
जानि  –  जानकर
ऊपर लिखे शब्दों और उनके अर्थों को ध्यान से देखो। हिन्दी में जिस उद्देश्य | के लिए हम क्रिया में ‘कर’ जोड़ते हैं, उसी के लिए अवधी में क्रिया में ि (इ) को जोड़ा जाता है, जैसे-अवधी में बैठ + ि = बैठि और हिंदी में बैठ + कर = बैठकर। तुम्हारी भाषा या बोली में क्या होता है? अपनी भाषा के लिए छह शब्द लिखो। उन्हें ध्यान से देखो और कक्षा में सुनाओ।
उत्तर
हमारी भाषा या बोली में भी हिंदी से थोड़ा-बहुत अंतर होता है। हमारी भाषा पंजाबी में ‘दी’ ‘दा’ जोड़कर तथा हिंदी में ‘ती’ ‘ता’ जोड़कर अर्थ बताने वाले कुछ शब्द निम्नलिखित हैं-
हिंदी शब्द – पंजाबी शब्द

  • करती – करती
  • खाती – खांदी
  • पीता – पींदा
  • जाती – जांदी
  • आता – आंदा
  • बताता – दसदा

इसी प्रकार हमारी भाषा हिंदी खड़ी बोली है, पर पंजाबी में उपर्युक्त उद्देश्य के लिए क्रिया के साथ ‘के’ का प्रयोग करते हैं; जैसे-

  • लिख के
  • पढ़ के
  • सो के
  • खोल के
  • चल के

प्रश्न 2.
“मिट्टी का गहरा अंधकार, डूबा है उसमें एक बीज ।” उसमें एक बीज डूबा है।
जब हम किसी बात को कविता में कहते हैं तो वाक्य के शब्दों के क्रम में बदलाव | आता है, जैसे-“छाँह घरीक है ठाढ़े” को गद्य में ऐसे लिखा जा सकता है। “छाया में एक घड़ी खड़ा होकर” । उदाहरण के आधार पर नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को गद्य के शब्दक्रम में लिखो।

पुर ते निकसी रघुबीर-बधू,
पुट सूखि गए मधुराधर वै।
बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।
पर्नकुटी करिहौं कित है?
उत्तर
पुर ते निकसी रघुबीर-बधू,
सीताजी नगर से बाहर वन जाने के लिए निकलीं।

पुट सूख गए मधुराधर वै।।
मधुर होंठ सूख गए।

बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।
कुछ पल के लिए श्रीराम विश्राम किए और सीता के पैरों से देर तक काँटे निकालते रहे।

पर्नकुटी करिहौं कित है?
पत्तों की कुटिया अर्थात् पर्णकुटी कहाँ बनाएँगे।

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राम ने सीता को थका हुआ जान कर क्या किया?

राम ने जब देखा कि सीता थक चुकी हैं, तो वह देर तक बैठकर पैरों से काँटे निकालने का अभिनय करते रहे, जिससे सीता को कुछ देर आराम करने का मौका मिल जाए और उनकी थकान कम हो जाए।

राम ने सीता को थकता हुआ समझकर सीता की क्या सहायता की?

प्रश्न 16-3: राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की? उत्तर 16-3: राम ने थकी हुई सीता को देखकर लक्ष्मण को जल लेने के लिए भेज दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर अपने पैरों की धूल को साफ करने लगे तथा पैरों के कॉंटे धीरे-धीरे निकालने लगे जिससे सीता कुछ देर और विश्राम कर सकें।

श्रीराम देर तक क्या कार्य करते रहे?

वह श्री राम को भी देखकर व्याकुल हो रही थीं। वो बार-बार उनसे कह रही थीं कि लक्ष्मण जी पानी लेने गए हैं; जब तक वो पानी लेकर आते हैं वो आराम से बैठ जाए। सीता की इस व्याकुलता को देखकर वो बैठ गए और आराम से पैरों से काँटें निकालने लगे क्योंकि उन्हें अभी आगे और भी चलना था। इसलिए वो देर तक काँटें निकालते रहे

सीता राम को रोकने के लिए क्यों कहती है?

वह श्री राम को भी देखकर व्याकुल हो रही थीं। वो बार-बार उनसे कह रही थीं कि लक्ष्मण जी पानी लेने गए हैं; जब तक वो पानी लेकर आते हैं वो आराम से बैठ जाए। सीता की इस व्याकुलता को देखकर वो बैठ गए और आराम से पैरों से काँटें निकालने लगे क्योंकि उन्हें अभी आगे और भी चलना था। इसलिए वो देर तक काँटें निकालते रहे।