लोहा मानना मुहावरे का अर्थ क्या है? - loha maanana muhaavare ka arth kya hai?

लोहा मानना मुहावरे का अर्थ loha maanana muhaavare ka arth -श्रेष्ठता स्वीकार करना या शक्तिशाली समझना ।

दोस्तो अगर कोई आपकी नजर मे सबसे शक्तिशाली है जो हर मुश्किल से अकेला ही निपट जाए या फिर अकेला ही अनेक लोगो को मार गिराए तो आप उसे लोहा मानेगे । जिस तरह से एक पहलवान जो अनेक ‌‌‌पहलवानो को आकेले ही हरा सकता है तो वह लोहा माना जाएगा । इस तरह के लोग बहुत कम देखने को मिलते है । ऐसे लोगो को समय ‌‌‌बितने के बाद भी लोहा समझा जाता है ।

लोहा मानना मुहावरे का अर्थ क्या है? - loha maanana muhaavare ka arth kya hai?

लोहामाननामुहावरेका वाक्यमेप्रयोग

  • ‌‌‌रामगोपाल शात्री ऐसे आदमी थे जिनको अच्छे अच्छे विद्वान भी लोहा मानते थे ।
  • हनुमान को अच्छे अच्छे लोग लोहा मानते थे ।
  • अगर राजेश मेदान मे उतर जाता तो सभी पिछे हट जाया करते थे क्योकी उन्हे अच्छे अच्छे पहलवान भी लोहा मनते थे ।
  • लक्ष्मी बाई के बारे मे सुनकर आज भी उसे लोहा मनते है ।

लोहामाननामुहावरेपरकहानी

एक बार की बात है मोहन नाम का एक पहलवान था जो बचपन से ही पहलवानी करने का सोक था इस कारण वह स्कुल जाने के समय पहलवानो को देखकर पहलवानी सिखने लगा था । उसे पिता को यह बात मालुम नही था की उसका बेटा स्कुल न जाकर पहलवानी सिखता है और वह भी चोरी छुपे ।

मोहन को उसका पिता ‌‌‌स्कुल छोडकर अपने काम पर जाया करता था । अपने पिता के जाने के बाद मे मोहन स्कुल मे न जाकर स्कुल से कुछ आगे पहलवानी के अक्खाडे कि और जाया करता था । वहा पर जाकर वह चुपके से पहलवानो को देखता और उनसे सिखता रहता था ।एक दिन एक पहलवान ने उसे देख लिया कि मोहन चोरी छुपे पहलवानी देखता है ।

पहलवान ने ‌‌‌मोहन से उसका नाम पुछ और पुछा की तुम्हे पहलवानी पसन्द है क्या । मोहन घबरा गया तब पहलवान ने कहा की बेटे घबराना तो नही है तुम मुझे बता सकते हो । तब मोहन ने कहा की मुझे पहलवान बनना है पर मेरे पिता मुझे स्कुल मे भेजते है । तो मै स्कुल न जाकर आपकी पहलवानी देखने के लिए आ जाता हूं ।

यह सुनकर पहलवान ‌‌‌ने कहा की बेटा तुम अगर पहलवानी सिखना चहाते हो तो तुम पहले स्कुल जाना और बाद मे मेरे पास आ जाना मै तुम्हे पहलवानी सिखाउगा । पहलवान की बात सुनकर मोहन बहुत ही खुश हुआ और रोजाना स्कुल जाने लगा । स्कुल की छुट्टी हाने पर मोहन पहलवान के पास पहलवानी सिखने के लिए चला जाता था ।

तिन वर्ष ‌‌‌तक मोहन के पिता को पता भी नही चला की मोहन पहलवानी सिख रहा है । जब तिन वर्ष हो गए तो पहलवान ने मोहन को पहलवानी लडने के लिए अक्खाडे मे उतारा ।गाव के लोगो को पता भी नही चला की मोहन ‌‌‌को पहलवानी भी आती है । और वह सभी पहलवानो को धुल चटाकर जित गया ।

मोहन के पिता ‌‌‌जब भी लोगो के सामने आते तो लोग कहते ‌‌‌हमको पता भी नही चला की आपने मोहन को पहलवानी भी सिखाई है वह अपने आस पास के गावो मे सबसे अवल पर आया है । यह सुनकर मोहन के पिता भी सोच मे पड गए की मेरे बेटे को पहलवानी भी आती है और मुझे पता भी नही है । मोहन के पिता को विश्वास नही हुआ की मोहन को पहलवानी आती है ।

जब अनेक लोगो के मुख से सुना की मोहन ‌‌‌पहलवानी मे अपने आस पास के गावो मे से सबसे जित कर हमारे गाव का नाम रोसन किया है । तब जाकर मोहन के पिता को विश्वास हुआ की मोहन पहलवानी जानता है । अब उसके पिता भी बहुत खुश थे कि अपना बेटा गाव का नाम रोसन करेगा । मोहन के पिता सोचने लगे की इसे आगे पहलवानी और करनी चाहिए ।

तब मोहन के पिता मोहन ‌‌‌को आगे पहलवानी करने के लिए भेजते चले जा रहे थे पर विश्व स्थिर पर मोहन को खेलने के लिए बहुत रुपयो की जरुरत पडने लगी तो उसे पिता ने मोहन से कहा की बेटा अब मेरे पास पैसे नही है तुम अब पहलवानी छोड दो और कोई काम कर लो जिससे हम अपना पेट भर सके ।

‌‌‌मोहन अपने पिता के मुख से यह सुनकर बहुत दुखी हो गया पर वह कर भी क्या सकता था । विश्व स्थिर पर खेलने के लिए बहुत रुपयो की जरुरत पडती है जो उसके पास नही ‌‌‌थे। इस कारण मोहन ने पहलवानी को छोड दिया और अपने गाव मे ही छोटा मोटा काम करने लगा ।

लोहा मानना मुहावरे का अर्थ क्या है? - loha maanana muhaavare ka arth kya hai?

मोहन को अच्छे अच्छे पहलवान भी लोहा मानने लगे थे पर वह ‌‌‌आगे नही खेल सका और अपना काम करने लगा । धिरे धिरे समय बितता गया और मोहन की उर्म भी बढती गई । एक दिन एक पहलवान ने मोहन को अखाडे मे वापस आने के लिए कहा पर मोहन कहने लगा की अब आकर मै क्या कर लुगा ।

अब पहले वाली बात नही रही है पर मोहन को आज भी अच्छे अच्छे पहलवान लोहा मानते ‌‌‌है जिसके कारण उसे ‌‌‌अखाडे मे उतारना चहाते थे । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस कहानी का अर्थ क्या है ।

लोहा मानना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌साथियो अगर कोई इतना ‌‌‌विद्वान है की उसे अच्छे अच्छे ‌‌‌विद्वान भी अपने आप से श्रेठ समझते है । तो वह लोगो की नजर मे लोहा माना जाता है । अगर किसी के पास इतना बल है या शक्ति है की लोग उसे हराने के बारे मे सोच भी नही सकते ऐसे लोग ही लोहा मानने के लायक होते है ।

इन लोगो को लोहा ऐसे ही नही माना जाता ‌‌‌लोहा बनने के लिए बचपन से ही तैयारी करनी पडती है । अगर किसी को पढाई करने मे आनन्द आता है तो वह पढाई कर कर इतना ‌‌‌विद्वान बन जाता है की उसे अच्छे अच्छे विदवानो से भी श्रेठ समझने लगे । उसका मुकाबला कोई नही कर सकता है ।

  • आँखें चुराना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
  • आंखों में खटकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
  • आँख भर आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
  • आँखें चार होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
  • अंगारे बरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अगर कोई अपनी भुजाओ के बल से श्रेठ बन जाता है तो उसे दिन व रात अपने शरीर ‌‌‌पर ध्यान रखकर अपने आप श्रेठ बनाने मे लग जाता है और वह अच्छे अच्छे पहलवानो को भी पिछे छोड देता है तो उसे पहलवानो मे से लोहा माना जाता है । अगर हम ‌‌‌जो काम करते है उसमे श्रेठ बन जाते है तो हम भी उस काम के लिए लोहा माने जाने लगेगे ।

इस मुहावरे का सही अर्थ तो यही है की जो भी कार्य हो जिसे हम करना चहाते है बस उस कार्य मे हमसे अच्छा और कोई भी न होगा तो हमे ही लोहा माना ‌‌‌जाएगा । इस तरहे से आप समझ गए होगे की लोहा मानना मुहावरे का अर्थ क्या है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।

लोहा मानना का मुहावरा क्या होता है?

Solution : लोहा मानना. का अर्थ है किसी के प्रभाव में आना, अर्थात् किसी के वर्चस्व को स्वीकार कर लेना।

लोहा मानना वाक्यों में प्रयोग कीजिए?

लोहा मानना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोगवाक्य प्रयोग – वह ऐसे प्रतिभावान थे कि अच्छे-अच्छे विद्वान् उनका लोहा मानते थे। वाक्य प्रयोग – गामा पहलवान का आज भी लोग लोहा मानते हैं। वाक्य प्रयोग – ईमानदार और मेहनती व्यक्ति का सब लोहा मानते हैं।

हार न मानना मुहावरे का अर्थ क्या है?

मुहावरा : हार कर भी हार न माननाअर्थ : असफल होने पर भी हिम्मत नहीं हारना।

उसको मनाने में लोहे लग गए थे क्या भाव निकलता है?

अर्थ = किसी की श्रेष्ठता या उसके महत्व को हुए दिल से स्वीकार करना।