झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

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झंकार / मैथिलीशरण गुप्त

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झंकार

झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त
प्रकाशक साहित्य सदन, चिरगाँव, झाँसी
वर्ष अप्रैल २०, २००२
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 102
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विविध

इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

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मैथिलीशरण गुप्त » झंकार »

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इस शरीर की सकल शिराएँ
हों तेरी तन्त्री के तार,
आघातों की क्या चिन्ता है,
उठने दे ऊँची झंकार।
नाचे नियति, प्रकृति सुर साधे,
सब सुर हों सजीव, साकार,
देश देश में, काल काल में
उठे गमक गहरी गुंजार।
कर प्रहार, हाँ, कर प्रहार तू
मार नहीं यह तो है प्यार,
प्यारे, और कहूँ क्या तुझसे,
प्रस्तुत हूँ मैं, हूँ तैयार।
मेरे तार तार से तेरी
तान तान का हो बिस्तार।
अपनी अंगुली के धक्के से
खोल अखिल श्रुतियों के द्वार।
ताल ताल पर भाल झुका कर
मोहित हों सब बारम्बार,
लय बँध जाय और क्रम क्रम से
सम में समा जाय संसार।।

 मैथिलीशरण गुप्त हिंदी खड़ बोली के महत्वपूर्ण और प्रसिद्धि कवि थे। उनकी कला और राष्ट्र प्रेम के कारण उन्हें राष्ट्र कवि का दर्जा प्राप्त है | उनकी कविताओं की विशेष बात ये भी थी वे खड़ी बोली में लिखने वाले पहले कवि थे जिसकी वजह से कवियों में उनका एक अलग स्थान रहा। मैथिलीशरण गुप्त की कविताओं ने स्वतंत्रा में बहुत बड़ा योगदान दिया है उनका देश के प्रति इसी अपार प्रेम के कारण उनके जन्म दिवस को राष्ट्र कवि दिवस के रूप मनाया जाता है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से मैथिलीशरण गुप्त के जीवन परिचय , उनकी साहित्यिक और काव्यगत विशेषताएँ , मैथिलीशरण गुप्त कविताएं और उनकी रचनाओं के बारे में जानेंगे। मैथिलीशरण गुप्त बारे में यह सभी बातें जानने के लिए हमारे ब्लॉग को आखिर तक पढ़ें।

This Blog Includes:
  1. मैथिलीशरण गुप्त जीवन परिचय 
  2. साहित्यिक विशेषताएँ
  3. मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ
  4. मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-1
  5. मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-2
  6. मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-3
  7. मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-4
  8. मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-5
  9. FAQ

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मैथिलीशरण गुप्त जीवन परिचय 

राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झाँसी के चिरगाँव में 3 अगस्त, सन 1866 ई० में हुआ था। इनके पिताजी भी एक बेहतरीन कवी थे जिनसे प्रेरित होकर बचपन से ही मैथिलीशरण गुप्त की लेखन में रूचि हुई। मैथिलीशरण गुप्त की पढाई घर पर ही हुई जिसके साथ ही उन्होंने अपना लेखन भी जारी रखा। इन्होने हिंदी के अतिरिक्त बंगला ,मराठी भाषाओं का भी अध्ययन किया। जैसे जैसे समय बीता महावीर प्रसाद उनके प्रेरणास्तोत्र बन गए जिसकी झलक आपको उनके लेखन में भी देखने को मिल सकती है। मैथिलीशरण गुप्त ने अपने जीवन काल में अपने लेखन द्वारा कई लोगो को देश प्रेम के लिए प्रेरित किया और एक मज़बूत प्रभाव डाला। सन 1907 में अपनी पत्रिका सरस्वती में उनका पहली बार खड़ी बोली में “हेमंत शीर्षक” से प्रकाशित हुआ। ‘भारत-भारती’ उनकी बेहतरीन देश प्रेम में से एक है जो गुप्ता जी के स्वदेश प्रेम को दर्शाती है। मैथिलीशरण गुप्त जी की मृत्यु 12 दिसंबर 1964 को हृदय गति रुकने से हो गयी। इस प्रकार 78 वर्ष की अवस्था में हिन्दी साहित्य का जगमगाता सितारा सदा-सदा के लिए आस्थाचाल की ओट में छिप गया।  

साहित्यिक विशेषताएँ

  1. राष्ट्र भावना  :  मैथिलीशरण गुप्त जी का राष्ट्र प्रेम उनकी कविताओं में प्रदर्शित होता है। उन्होंने अपनी कविताओं में देश के गौरव, सौंदर्य का सुन्दर वर्णन किया है साथ ही वर्तमान की चुनौतियों के बारे में बताया है। यहाँ तक की उनकी ‘भारत भारती’ रचना भी इसी परिपेक्ष में है। इसी प्रकार ‘किसान’ कविता में उन्होंने देश के किसानों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला गया है | वे देश के युवाओं को राष्ट्रीय आंदोलन के लिए भी प्रेरित करते हैं |   
  1. नारी के प्रति दृष्टिकोण : मैथिलीशरण गुप्त जी का नारी को लेकर एक अलग दृष्टिकोण था जिसकी झलक उनके लेख द्वारा हमें देखने को मिलती है। उन्होंने अपनी अनेकों कविताओं में भारतीय नारियों को विशेष रूप से स्थान दिया है। जिसमें उन्होंने यशोधरा, उर्मिला व कैकयी जैसी उपेक्षित नारियों को भी अपने काव्य में स्थान दिया और उनको अलग प्रकार से चित्रित किया है। मैथिलीशरण गुप्त जी अपने काव्य में नारी के माँ, बहन और पत्नी के रूपों का वर्णन अधिक किया है। मैथिलीशरण गुप्त जी नारी के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए कहते हैं –

“अबला जीवन हाय तेरी यही कहानी |
आंचल में है दूध और आँखों में पानी ||”

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मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ

प्रमुख रचनाएँ प्रकाशन वर्ष 
रंग में भंग 1909 ई.
जयद्रथवध 1910 ई.
भारत भारती 1912 ई.
किसान 1917 ई.
शकुन्तला 1923 ई.
पंचवटी 1925 ई.
अनघ 1925 ई.
हिन्दू 1927 ई.
त्रिपथगा 1928 ई.
शक्ति 1928 ई.
गुरुकुल 1929 ई.
विकट भट 1929 ई.
साकेत 1931 ई.
यशोधरा 1933 ई.
द्वापर 1936 ई.
सिद्धराज 1936 ई.
नहुष 1940 ई.
कुणालगीत 1942 ई.
काबा और कर्बला 1942 ई.
पृथ्वीपुत्र 1950 ई.
प्रदक्षिणा 1950 ई.
जयभारत 1952 ई.
विष्णुप्रिया 1957 ई.
अर्जन और विसर्जन 1942 ई.
झंकार 1929 ई

मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-1

झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

भावार्थ :- जब सिद्धार्थ ज्ञान प्राप्ति के कारण यशोधरा और अपने पुत्र राहुल को रात्रि में सोता हुआ छोड़ जाते है। इसकी कविता में यशोधरा अपनी सखी से कहती है कि अगर वो मुझे बताकर जाते तो मै उनके मार्ग में कभी बाधा नहीं डालती।  उसे दुःख है कि उसे बताकर जाते तो वो सहयोग करती। उसका कहना है उनके वन जाकर सिद्धि पाने का निर्णय अच्छा था। यशोधरा कहती है कि वो जानती है कि वो वापस आएंगे।

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मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-2

झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

भावार्थ :- कवि कहना चाहता है कि प्यार की उत्पत्ति न केवल एक तरफ है, दोनों लोगों के बीच प्यार दोनों पक्षों से जागृत हो गया है। पतंग और कवि रोशनी के उदाहरण दें, “कैटरपिलर जो रोशनी में अपना जीवन देते समय अपने जीवन की परवाह नहीं करता है, वैसे ही रोशनी आ जाएगी और अपनी रुचि को जानने के बाद मर जाएगी। कवि कहते हैं कि यह वास्तविक दुनिया में होता है|

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मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-3

झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

भावार्थ:- मनुष्यता कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने उसी व्यक्ति को मनुष्य माना है, जो केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित के लिए भी जीते-मरते हैं। ऐसे मनुष्य को मृत्यु के बाद भी उसके अच्छे कर्मों के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता है, इस प्रकार, परोपकारी मनुष्य मर कर भी दुनिया में अमर हो जाता है।

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मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-4

झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

भावार्थ:-कवी कहते है की चन्द्रम की सुन्दर किरणे जल थल में फैली हुई है। जिसे देखर ऐसा लगता है जैसे कोई मोती के समान चादर बिछी हुई है। धरती पर फैली हरी घास तिनको के माध्यम से अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रही है। धीमी सुगन्धित वायु चल रही है जिसके कारण पेड़ धीरे – धीरे हिल रहे है। लक्ष्मण को देखते हुए, कवि ने कहा कि इस युवा व्यक्ति जिसने बहादुर व्यक्ति को अपनी नींद की कीमत पर साधना में अवशोषित किया था? इस कुटीर की रक्षा के लिए शरीर की देखभाल नहीं कर रहा है, अर्थात् उसका शरीर आराम नहीं करता है और सभी प्रकार से अपने दिमाग को इस कुटि की रक्षा करने के लिए झोंक दिया है। लक्ष्मण ने पंचवती की प्रकृति की सुंदरता को देखते हुए अपने दिमाग में सोचा कि यहां एक साफ और उज्ज्वल चांदनी थी और रात बहुत शांत थी। साफ, सुगंधित धीमी हवा है।

Source –
Hindi Kavita

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मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-5

झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन है - jhankaar sheershak kavita ke rachanaakaar kaun hai

भावार्थ: इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों से कवी कहते हैं-अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस विश्व में नाम हो। तुम्हारे जीवन का क्या उद्देश्य है उसे समझो। बैठे बैठे अपने जीवन की यूं ना गवाओ। अच्छा काम हमेश लाभ ही पहुँचाता है। निराश होकर यूं ना बैठो बल्कि और सपनों की दुनिया से बाहर निकालो और कुछ काम करो। भगवान तुम्हारे साथ है। जब तुम्हारे पास सभी साधन है तो सफलता की नई कहानी लिखो। अपने आत्म सम्मान को समझो और कुछ ऐसा काम कर जाओ की मृत्यु के बाद भी तुम्हारा नाम इस संसार में अमर हो। भाग्य के भरोसे मत बैठो। लगातार अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास जारी रखो। क्योंकी प्रयास की एक मात्र रास्ता है। निष्क्रिय जीवन एक अभिशाप है।     

Source – NCERT OFFICIAL

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FAQ

मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है?

जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, बक संहार, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जयभारत, हिडिम्बा, विष्णुप्रिया एवं रत्नावली आदि रचनाएं इसके उदाहरण हैं।

मैथिलीशरण गुप्त का प्रथम खंडकाव्य कौन सा है?

प्रथम काव्य संग्रह “रंग में भंग” तथा बाद में “जयद्रथ वध” प्रकाशित हुई। उन्होंने बंगाली के काव्य ग्रन्थ “मेघनाथ वध”, “ब्रजांगना” का अनुवाद भी किया।

मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि क्यों कहा जाता है मैथिलीशरण गुप्त के राष्ट्रप्रेम पर प्रकाश डालिए?

गुप्त राष्ट्रकवि केवल इसलिए नहीं हुए कि देश की आजादी के पहले राष्ट्रीयता की भावना से लिखते रहे। वह देश के कवि बने क्योंकि वह हमारी चेतना, हमारी बातचीत, हमारे आंदोलनों की भाषा बन गए। व्यक्तिगत सत्याग्रह के कारण उन्हें 1941 में जेल जाना पड़ा. तब तक वह हिंदी के सबसे प्रतिष्ठित कवि बन चुके थे।

हिन्दी साहित्य को मैथिलीशरण गुप्त जी का क्या योगदान स्पष्ट करें?

हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। घासीराम व्यास जी उनके मित्र थे। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो ‘पंचवटी’ से लेकर ‘जयद्रथ वध’, ‘यशोधरा’ और ‘साकेत’ तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। ‘साकेत’ उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है।

मैथिलि शरण गुप्त का जनम कब और कहाँ हुआ?

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 में पिता सेठ रामचरण कनकने और माता काशी बाई की तीसरी संतान के रूप में उत्तर प्रदेश में झांसी के पास चिरगांव में हुआ। माता और पिता दोनों ही वैष्णव थे।

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झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन हैं?

झंकार / मैथिलीशरण गुप्त - कविता कोश

झंकार कविता का उद्देश्य क्या है?

'झंकार' कविता आत्म-परमात्मा के बीच निहित सम्बन्ध की व्याख्या करती है। इसमें कवि यह कहना चाहता है कि उसे ईश्वर अपना वाद्य यन्त्र बनने का गौरव दें।

मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है?

मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है? जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, बक संहार, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जयभारत, हिडिम्बा, विष्णुप्रिया एवं रत्नावली आदि रचनाएं इसके उदाहरण हैं।

मैथिलीशरण गुप्त की प्रथम पुस्तक कौन सी है?

प्रथम काव्य संग्रह "रंग में भंग" तथा बाद में "जयद्रथ वध" प्रकाशित हुई। उन्होंने बंगाली के काव्य ग्रन्थ "मेघनाथ वध", "ब्रजांगना" का अनुवाद भी किया।