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झंकार / मैथिलीशरण गुप्तKavita Kosh से झंकार
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इस शरीर की सकल शिराएँ मैथिलीशरण गुप्त हिंदी खड़ बोली के महत्वपूर्ण और प्रसिद्धि कवि थे। उनकी कला और राष्ट्र प्रेम के कारण उन्हें राष्ट्र कवि का दर्जा प्राप्त है | उनकी कविताओं की विशेष बात ये भी थी वे खड़ी बोली में लिखने वाले पहले कवि थे जिसकी वजह से कवियों में उनका एक अलग स्थान रहा। मैथिलीशरण गुप्त की कविताओं ने स्वतंत्रा में बहुत बड़ा योगदान दिया है उनका देश के प्रति इसी अपार प्रेम के कारण उनके जन्म दिवस को राष्ट्र कवि दिवस के रूप मनाया जाता है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से मैथिलीशरण गुप्त के जीवन परिचय , उनकी साहित्यिक और काव्यगत विशेषताएँ , मैथिलीशरण गुप्त कविताएं और उनकी रचनाओं के बारे में जानेंगे। मैथिलीशरण गुप्त बारे में यह सभी बातें जानने के लिए हमारे ब्लॉग को आखिर तक पढ़ें। This Blog Includes:
ये भी पढ़ें : बड़े भाई साहब कक्षा 10 मैथिलीशरण गुप्त जीवन परिचयराष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झाँसी के चिरगाँव में 3 अगस्त, सन 1866 ई० में हुआ था। इनके पिताजी भी एक बेहतरीन कवी थे जिनसे प्रेरित होकर बचपन से ही मैथिलीशरण गुप्त की लेखन में रूचि हुई। मैथिलीशरण गुप्त की पढाई घर पर ही हुई जिसके साथ ही उन्होंने अपना लेखन भी जारी रखा। इन्होने हिंदी के अतिरिक्त बंगला ,मराठी भाषाओं का भी अध्ययन किया। जैसे जैसे समय बीता महावीर प्रसाद उनके प्रेरणास्तोत्र बन गए जिसकी झलक आपको उनके लेखन में भी देखने को मिल सकती है। मैथिलीशरण गुप्त ने अपने जीवन काल में अपने लेखन द्वारा कई लोगो को देश प्रेम के लिए प्रेरित किया और एक मज़बूत प्रभाव डाला। सन 1907 में अपनी पत्रिका सरस्वती में उनका पहली बार खड़ी बोली में “हेमंत शीर्षक” से प्रकाशित हुआ। ‘भारत-भारती’ उनकी बेहतरीन देश प्रेम में से एक है जो गुप्ता जी के स्वदेश प्रेम को दर्शाती है। मैथिलीशरण गुप्त जी की मृत्यु 12 दिसंबर 1964 को हृदय गति रुकने से हो गयी। इस प्रकार 78 वर्ष की अवस्था में हिन्दी साहित्य का जगमगाता सितारा सदा-सदा के लिए आस्थाचाल की ओट में छिप गया। साहित्यिक विशेषताएँ
“अबला जीवन हाय तेरी यही कहानी | ये भी पढ़ें: मैं क्यों लिखता हूँ कक्षा 10वीं मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ
मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-1भावार्थ :- जब सिद्धार्थ ज्ञान प्राप्ति के कारण यशोधरा और अपने पुत्र राहुल को रात्रि में सोता हुआ छोड़ जाते है। इसकी कविता में यशोधरा अपनी सखी से कहती है कि अगर वो मुझे बताकर जाते तो मै उनके मार्ग में कभी बाधा नहीं डालती। उसे दुःख है कि उसे बताकर जाते तो वो सहयोग करती। उसका कहना है उनके वन जाकर सिद्धि पाने का निर्णय अच्छा था। यशोधरा कहती है कि वो जानती है कि वो वापस आएंगे। ये भी पढ़ें : दसवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-2भावार्थ :- कवि कहना चाहता है कि प्यार की उत्पत्ति न केवल एक तरफ है, दोनों लोगों के बीच प्यार दोनों पक्षों से जागृत हो गया है। पतंग और कवि रोशनी के उदाहरण दें, “कैटरपिलर जो रोशनी में अपना जीवन देते समय अपने जीवन की परवाह नहीं करता है, वैसे ही रोशनी आ जाएगी और अपनी रुचि को जानने के बाद मर जाएगी। कवि कहते हैं कि यह वास्तविक दुनिया में होता है| ये भी पढ़े : बालगोबिनभगत कक्षा 10वीं मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-3भावार्थ:- मनुष्यता कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने उसी व्यक्ति को मनुष्य माना है, जो केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित के लिए भी जीते-मरते हैं। ऐसे मनुष्य को मृत्यु के बाद भी उसके अच्छे कर्मों के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता है, इस प्रकार, परोपकारी मनुष्य मर कर भी दुनिया में अमर हो जाता है। ये भी पढ़ें: तुलसीदास की बेहतरीन कविताएं और चर्चित रचनाएं मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-4भावार्थ:-कवी कहते है की चन्द्रम की सुन्दर किरणे जल थल में फैली हुई है। जिसे देखर ऐसा लगता है जैसे कोई मोती के समान चादर बिछी हुई है। धरती पर फैली हरी घास तिनको के माध्यम से अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रही है। धीमी सुगन्धित वायु चल रही है जिसके कारण पेड़ धीरे – धीरे हिल रहे है। लक्ष्मण को देखते हुए, कवि ने कहा कि इस युवा व्यक्ति जिसने बहादुर व्यक्ति को अपनी नींद की कीमत पर साधना में अवशोषित किया था? इस कुटीर की रक्षा के लिए शरीर की देखभाल नहीं कर रहा है, अर्थात् उसका शरीर आराम नहीं करता है और सभी प्रकार से अपने दिमाग को इस कुटि की रक्षा करने के लिए झोंक दिया है। लक्ष्मण ने पंचवती की प्रकृति की सुंदरता को देखते हुए अपने दिमाग में सोचा कि यहां एक साफ और उज्ज्वल चांदनी थी और रात बहुत शांत थी। साफ, सुगंधित धीमी हवा है। Hindi Kavita ये हैं 10 मोटिवेशनल बुक्स जो देगी आपको आत्मविश्वास मैथिलीशरण गुप्त कविताएं-5भावार्थ: इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों से कवी कहते हैं-अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस विश्व में नाम हो। तुम्हारे जीवन का क्या उद्देश्य है उसे समझो। बैठे बैठे अपने जीवन की यूं ना गवाओ। अच्छा काम हमेश लाभ ही पहुँचाता है। निराश होकर यूं ना बैठो बल्कि और सपनों की दुनिया से बाहर निकालो और कुछ काम करो। भगवान तुम्हारे साथ है। जब तुम्हारे पास सभी साधन है तो सफलता की नई कहानी लिखो। अपने आत्म सम्मान को समझो और कुछ ऐसा काम कर जाओ की मृत्यु के बाद भी तुम्हारा नाम इस संसार में अमर हो। भाग्य के भरोसे मत बैठो। लगातार अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास जारी रखो। क्योंकी प्रयास की एक मात्र रास्ता है। निष्क्रिय जीवन एक अभिशाप है। Source – NCERT OFFICIALये भी पढ़ें : कुछ ऐसे कोट्स जो बदल देंगे आपका जीवन FAQमैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है? जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, बक संहार, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जयभारत, हिडिम्बा, विष्णुप्रिया एवं रत्नावली आदि रचनाएं इसके उदाहरण हैं। मैथिलीशरण गुप्त का प्रथम खंडकाव्य कौन सा है? प्रथम काव्य संग्रह “रंग में भंग” तथा बाद में “जयद्रथ वध” प्रकाशित हुई। उन्होंने बंगाली के काव्य ग्रन्थ “मेघनाथ वध”, “ब्रजांगना” का अनुवाद भी किया। मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि क्यों कहा जाता है मैथिलीशरण गुप्त के राष्ट्रप्रेम पर प्रकाश डालिए? गुप्त राष्ट्रकवि केवल इसलिए नहीं हुए कि देश की आजादी के पहले राष्ट्रीयता की भावना से लिखते रहे। वह देश के कवि बने क्योंकि वह हमारी चेतना, हमारी बातचीत, हमारे आंदोलनों की भाषा बन गए। व्यक्तिगत सत्याग्रह के कारण उन्हें 1941 में जेल जाना पड़ा. तब तक वह हिंदी के सबसे प्रतिष्ठित कवि बन चुके थे। हिन्दी साहित्य को मैथिलीशरण गुप्त जी का क्या योगदान स्पष्ट करें? हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। घासीराम व्यास जी उनके मित्र थे। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो ‘पंचवटी’ से लेकर ‘जयद्रथ वध’, ‘यशोधरा’ और ‘साकेत’ तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। ‘साकेत’ उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। मैथिलि शरण गुप्त का जनम कब और कहाँ हुआ? मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 में पिता सेठ रामचरण कनकने और माता काशी बाई की तीसरी संतान के रूप में उत्तर प्रदेश में झांसी के पास चिरगांव में हुआ। माता और पिता दोनों ही वैष्णव थे। उम्मीद है आपको हमारा ‘मैथिलीशरण गुप्त कविताएं’ पर ब्लॉग पसंद आया होगा। यदि आप विदेश में पढ़ना चाहते हैं तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर कांटेक्ट कर आज ही 30 मिनट्स का फ्री सेशन बुक कीजिए। झंकार शीर्षक कविता के रचनाकार कौन हैं?झंकार / मैथिलीशरण गुप्त - कविता कोश
झंकार कविता का उद्देश्य क्या है?'झंकार' कविता आत्म-परमात्मा के बीच निहित सम्बन्ध की व्याख्या करती है। इसमें कवि यह कहना चाहता है कि उसे ईश्वर अपना वाद्य यन्त्र बनने का गौरव दें।
मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है?मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है? जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, बक संहार, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जयभारत, हिडिम्बा, विष्णुप्रिया एवं रत्नावली आदि रचनाएं इसके उदाहरण हैं।
मैथिलीशरण गुप्त की प्रथम पुस्तक कौन सी है?प्रथम काव्य संग्रह "रंग में भंग" तथा बाद में "जयद्रथ वध" प्रकाशित हुई। उन्होंने बंगाली के काव्य ग्रन्थ "मेघनाथ वध", "ब्रजांगना" का अनुवाद भी किया।
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