हम हमारे दैनिक जीवन में अक्सर संसाधन शब्द का उपयोग करते रहते हैं। हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी में अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई अलग-अलग तरह के संसाधन का प्रयोग करते हैं। हम इन संसाधनों का उपयोग तो करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि संसाधन किसे कहते हैं या Sansadhan kitane prakar ke hote hain? यदि नहीं तो आप आज के हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। Show
आज के इस लेख में हम आपको संसाधन के प्रकार के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने वाले हैं। इस लेख के द्वारा आपको संसाधन से संबंधित सभी जानकारी मिल पाएगी। संसाधन किसे कहते हैं? (What is Resourses)संसाधन एक ऐसी चीज होती है जिसका उपयोग कोई भी व्यक्ति अपनी लाभ के लिए करता है। ऐसी सभी वस्तुएं जिनका उपयोग मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करता है संसाधन कहलाता है। पर्यावरण में उपलब्ध सभी चीजें जो भी मनुष्य के लिए उपयोगी है वह एक संसाधन है। जैसे वायु, जल, भूमि इत्यादि। संसाधन कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Resources)संसाधनों को विभिन्न आधारों पर अलग-अलग रूप में वर्गीकृत किया गया है। चलिए हम सभी आधारों को विस्तार पूर्वक समझते हैं।
1. उत्पत्ति के आधार पर संसाधनअगर हम बात करे उत्पत्ति के आधार पर संसाधन के प्रकार की तो
जैव संसाधनहमारी दुनिया के पर्यावरण में उपस्थित वह सभी वस्तुएं एवं जीव जिनमें जीवन होता है, जैव संसाधन कहलाती है। उदाहरण के लिए, मनुष्य, जीव-जंतु, पक्षी इत्यादि। अजैव संसाधन 2. समाप्यता के आधार पर संसाधनसमाप्यता के आधार पर संसाधन को दो भागों में विभाजित किया गया है – 3. नवीनकरण योग्यनवीनीकरण योग्य संसाधन का अर्थ है कि ऐसे संसाधन जिनको उपयोग करने के बाद उन्हें वापस से कोई नया रूप दिया जा सके। नवीनीकरण योग्य साधन उन्हें भी कहा जाता है, जो हमारे पर्यावरण में उपस्थित हैं और कभी नष्ट नहीं होते। जैसे– पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जल, वन इत्यादि। 4. अनवीनकरण योग्य संसाधनहमारे वातावरण में उपस्थित ऐसे संसाधन जिनका उपयोग करने के बाद पुनः उनका निर्माण नहीं किया जा सकता है। साथ ही जिनके निर्माण में करोड़ों वर्षों का समय लगता है, उन्हें अनवीनकरण योग्य संसाधन कहते हैं। उदाहरण के लिए मिट्टी, जीवाश्म ईंधन, धातु इत्यादि। 3. स्वामित्व के आधार पर संसाधनअगर बात की जाए स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को बांटने कि तो स्वामित्व के आधार पर संसाधन को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है- व्यक्तिगत संसाधनऐसे संसाधन जिसके ऊपर व्यक्तिगत रूप से मनुष्य का मालिकाना हक होता है, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। जैसे- घर, जमीन इत्यादि। प्राकृतिक संसाधनजो संसाधन हमें प्रकृति और पर्यावरण प्रदान करते हैं, उन्हें प्राकृतिक संसाधन करते हैं। जैसे – भूमि, जल, वायु इत्यादि। मानव संसाधनजिन्हें मानव द्वारा निर्मित किया जाता है, उन्हें मानव संसाधन करते हैं जैसे- गाड़ी, ब्रिज, सीमेंट इत्यादि। सामुदायिक संसाधनऐसे संसाधन जिनका उपयोग समाज या समुदाय में रहने वाले सभी लोगों के द्वारा किया जाता है, सामुदायिक संसाधन कहलाते हैं। जैसे– पार्क, नदी, तालाब इत्यादि। राष्ट्रीय संसाधनऐसे संसाधन जिस पर पूरे राष्ट्र का स्वामित्व होता है राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सड़कें, खनन वाले क्षेत्र, तेल उत्पादन वाले क्षेत्र इत्यादि। ऐसे कहा जाए तो एक राष्ट्र में जितने भी संसाधन उपलब्ध हैं उन सभी पर राष्ट्र का ही हक होता है। अंतरराष्ट्रीय संसाधनऐसे संसाधन जिन पर केवल अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का ही स्वामित्व होता है, अंतरराष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संसाधन के अंतर्गत कुछ खुले महासागरों तथा उसके आसपास के संसाधनों को शामिल किया गया है। इन महासागरों एवं संसाधनों का स्वामित्व अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को ही दिया गया है। इन संस्थानों के बिना अनुमति के इन संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। 4. विकास के आधार पर संसाधनअगर हम बात करे विकास के आधार पर संसाधनों को कितने भाग में बांटा गया है तो विकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में विभाजित किया गया है- संभावी संसाधनऐसे संसाधन जो हमारे पर्यावरण में उपस्थित हैं परंतु उनके उपयोग से संबंधित सही ज्ञान एवं तकनीक नहीं होने के कारण उन संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे- गुजरात में सौर ऊर्जा बहुत ही अधिक मात्रा में विकसित की जा सकती है, लेकिन इसकी सही तकनीक मालूम ना होने के कारण हम इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। विकसित संसाधनऐसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए हमारे पास सभी तकनीक है और हम उनका उपयोग सही तरीके से कर पा रहे हैं, विकसित संसाधन कहलाते हैं। भंडारऐसे संसाधन जो पर्यावरण में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं परंतु उनके उपयोग के लिए सही तकनीकी विकसित ना हो पाने के कारण उनका उपयोग नहीं किया जा रहा हो, भंडार कहलाते हैं। जैसे- हमारे वायुमंडल में हाइड्रोजन गैस अधिक मात्रा में पाया जाता है परंतु इस गैस का इस्तेमाल करने के लिए अभी सही तकनीक नहीं आ पाई है जिसके कारण हम हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। संचित कोषऐसे संसाधन जो हमारे वायुमंडल में उपस्थित हैं और उनके उपयोग से संबंधित हमारे पास सही ज्ञान भी है। सही तकनीक होने के कारण भी हम उन संसाधनों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं उन्हें संचित कोष कहा जाता है। जैसे, हमारे देश में कई ऐसे पहाड़ एवं नदियां हैं जिनका उपयोग अभी मानवता को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जा रहा है। निष्कर्षआज के इस लेख में हमने आपको बताया कि Sansadhan kitane prakar ke hote hain? आशा करते हैं कि आपको संसाधन से संबंधित सही ज्ञान मिल पाया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें और प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करें। संसाधन मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं?संसाधन दो प्रकार के होते हैं- प्राकृतिक संसाधन और मानव निर्मित संसाधन।
संसाधन क्या है उसके प्रकार?संसाधन दो प्रकार के होते हैं- प्राकृतिक संसाधन और मानव निर्मित संसाधन।
संसाधन को कितने भागों में बांटा जा सकता है?विकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में बाँटा गया है।
संसाधन के कितने अंग होते हैं?भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है, राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा होते हैं तीन अंग | Everything You Need To Know About Parliament of India - Dainik Bhaskar.
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