सूरदास जी हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के महान कवि थे। उन्होंने श्री कृष्ण की भक्ति में डूबकर कई रचनाएं कीं और कविताएं पद लिखें, उनकी कविताओं में श्री कृष्ण के प्रति उनका प्रेम भाव झलकता है, उन्होंने अपनी रचनाओं में श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन इस तरह किया है कि मानो खुद उन्होंने बाल गोपाल को देखा हो। Show हिन्दी साहित्य एक नई दिशा दिने देने वाले विद्धंत कवि सूरदास जी की रचनाओं में श्री कृष्ण का ऐसा रुप देखने को मिलता है कि कोई भी उन्हें पढ़कर कृष्ण भक्ति में डूब जाता है, तो आइए जानते हैं, दिल को छू जाने वाली सूरदास जी की कविताओं के बारे में- सूरदास जी के पद और कविताएं – Surdas Ke Padसूरदास जी की कविताएं – Surdas Poems in Hindiसूरदास जी भक्तिकाल के सगुण धारा के महान कवि होने के साथ-साथ महान संगीतकार भी थे। उन्होंने अपनी कृतियों श्री कृष्ण के सुंदर रुपों, बाल स्वरुप और उनकी महिमा को ममस्पर्शी वर्णन किया है। भक्ति और श्रंग्रार रस को मिलाकर सूरदास जी ने कई कविताएं और पद लिखे हैं, जिन्हें पढ़कर हर किसी का ह्र्दय भावभिवोर हो उठता है। यह सूरदास के पद Class 7, Class 8 Class 9 और Class 10 के कक्षा के पाठ्यक्रम में भी पठाए जाते हैं। सूरदास जी ने अपने जीवन में सवा लाख से भी ज्यादा पदों की रचनाएं की, लेकिन सूरदास द्धारा रचित पांच ग्रंथ प्रमुख माने जाते हैं, जिनमें सूरसागर, ब्याहलो, नल दमयंती, सुरसारावाली, साहित्य-लहरी प्रमुख हैं। मैया! मैं नहिं माखन खायो। मैया! मैं नहिं माखन खायो। ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो॥ देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो। हौं जु कहत नान्हें कर अपने मैं कैसें करि पायो॥ मुख दधि पोंछि बुद्धि इक कीन्हीं दोना पीठि दुरायो। डारि सांटि मुसुकाइ जशोदा स्यामहिं कंठ लगायो॥ बाल बिनोद मोद मन मोह्यो भक्ति प्राप दिखायो। सूरदास जसुमति को यह सुख सिव बिरंचि नहिं पायो॥ Surdas Ke Pad in Hindiश्री कृष्ण के प्रति गहरी आस्था रखने वाले महान कवि सूरदास जी के जन्म और मृत्यु दोनों को लेकर मतभेद हैं, लेकिन उनका जन्म 1478 ईसवी में रुनकता के पास किरोली गांव में माना जाता है। वे महान विद्दान वल्लभाचार्य के शिष्य थे, ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण वल्लभाचार्य जी ने भी सूरदास जी को श्री कृष्ण की भक्ति की तरफ अग्रसर किया था, जिसके बाद ही सूरदास जी ने खुद को पूरी तरह श्री कृष्ण भक्ति में समर्पित कर दिया और फिर श्री कृष्ण के प्रति अपनी भावनाओं का वर्णन दोहों पद, कविताओं आदि के माध्यम से किया है। उनकी ज्यादातर रचनाएं ब्रज भाषा में हैं। वहीं सूरदास जी की रचनाओं में भगवान कृष्ण की महिमा का दिल को छू जाने वाला वर्णन हैं, वहीं सूरदास जी की रचनाओं को आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट इंस्टागाम, व्हास्ऐप, फेसबुक आदि पर भी शेयर कर सकते हैं। जागो पीतम प्यारा लाल तुम जागो बन्सिवाला जागो पीतम प्यारा लाल तुम जागो बन्सिवाला । Surdas Ki Kavitaसूरदास जी ने अपनी कविताओं और पदों में श्री कृष्ण की बाला लीलाओं, उनके अत्यंत सुंदर रुप और उनकी महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने अपनी कल्पना शक्ति के बल श्री कृष्ण-राधा का मिलन, श्री कृष्ण की नगरी ब्रज की नगरी के महत्व समेत यशोदा मैया और श्री कृष्ण के अटूट प्रेम को दर्शाया है। उन्होंने इस तरह की ह्रदय स्पर्शी कविताओं को पढ़कर ऐसा लगता है कि इस तरह की कृति सिर्फ सूरदास जी जैसे श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहने वाले महान एवं उच्च कोटि के विद्धान ही कर सकते हैं। कन्हैया हालरू रे कन्हैया हालरू रे। Surdas Ki Poemसूरदास जी ने अपनी कविताओं और पदों में भक्ति और श्रंगार रस को मिलाकर श्री कृष्ण की लीलाओं का बेहद आर्कषक वर्णन किया है। उनकी कविताओं को पढ़कर हर कोई श्री कृष्ण की भक्ति के लिए प्रेरित होता है और उनकी कविताएं पाठकों के मन श्री कृष्ण के बाल स्वरुप की सुंदर छवि बनाती है, यशोदा मैया और नटखट कान्हा के अटूट प्रेम को दर्शाती हैं साथ ही गोपियों के साथ श्री कृष्ण की रास लीला को भी दर्शाती हैं। सूरदास जी द्धारा लिखित कविताएं एक निच्छल मनुष्य के मन में भी प्रेम और भक्ति का भाव प्रकट कर सकती हैं। कहां लौं बरनौं सुंदरताई कहां लौं बरनौं सुंदरताई। I hope these “Surdas Ke Pad in Hindi” will like you. If you like these “Surdas Poems in Hindi” then please like our Facebook page & share on Whatsapp. सूरदास का काव्य रूप क्या है?ब्रजभाषा की सृजनात्मकता सूरदास की काव्य-भाषा व्रज है। सूर की काव्यभाषा का निर्माण शास्त्र और लोक के सहज समन्वय से हुआ है। सूर की ब्रजभाषा में जीवन व्यवहार की, सामाजिक जीवन के विविध सन्दर्भों की और सूचनाओं की सम्पदा है। उनकी काव्य-भाषा में उस युग का समाज और संस्कृति का दर्शन होता है।
सूरदास के प्रमुख काव्य कृति कौन सी है?हिंदी काव्य
(1) सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है।
सूरसागर का काव्य रूप क्या है?सूरसागर, ब्रजभाषा में महाकवि सूरदास द्वारा रचे गए कीर्तनों-पदों का एक सुंदर संकलन है जो शब्दार्थ की दृष्टि से उपयुक्त और आदरणीय है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग "कृष्ण की बाल-लीला' और "भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
सूरदास ने कौन सी कविता लिखी है?सूरदास जी ने अपने जीवन में सवा लाख से भी ज्यादा पदों की रचनाएं की, लेकिन सूरदास द्धारा रचित पांच ग्रंथ प्रमुख माने जाते हैं, जिनमें सूरसागर, ब्याहलो, नल दमयंती, सुरसारावाली, साहित्य-लहरी प्रमुख हैं। मैया! मैं नहिं माखन खायो। मैया!
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