सप्तम भाव का चंद्रमा क्या फल देता है? - saptam bhaav ka chandrama kya phal deta hai?

सप्तम भाव का चंद्रमा क्या फल देता है? - saptam bhaav ka chandrama kya phal deta hai?

Post Date: March 3, 2020


चंद्रमा का सप्तम भाव में प्रभाव

चंद्रमा का सप्तम भाव में प्रभाव

कुंडली के सप्तम भाव से विवाह, स्त्री व्यापार, स्त्री व्यापार में साझेदारी, दीवानी मुकदमे, व्यभिचार इन सब बातों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
सप्तम भाव का विवाह से संबंध है। चंद्रमा स्त्री गह है। स्त्री का कारक ग्रह है। सप्तम भाव में स्त्री ग्रह व शुभ ग्रह चंद्रमा के स्थित होने से जातक की पत्नी दिखने में सुंदर होती हैं व जातक की पत्नी का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। चंद्रमा के प्रभाव से उसका स्वभाव सरल व शांत होगा।
सप्तम भाव में स्थित होने से जातक को पत्नी से वैवाहिक सुख मिलता है। महिला की पत्रिका हो तो पति से सुख मिलेगा। जातक की पत्नी स्वस्थ होती है। चंद्रमा सप्तम भावमें होने से पति-पत्नी दोनों सुंदर होते हैं। इनका आपस में परस्पर प्रेम होता है।
सप्तम भाव व्यापार साझेदारी का भी होता है। सप्तम भाव में चंद्रमा स्थित होने से जातक को चंद्रमा के कारकत्व वाले जलीय पदार्थो का व्यापार करने से लाभ होता है। दूध डेयरी, पेय पदार्थ, पेयजल, समुद्री रत्न, समुद्र पर पर्यटन व्यवसाय इन सबका चंद्रमा कारक ग्रह है। इन का व्यापार करने से जातक को लाभ होता है। सप्तम भाव में चंद्रमा स्थित होने से जातक धैर्यवान होता है। वह किसी भी काम को सोच समझकर करता है। वह कीर्तिमान व स्वभाव से शांत रहनेवाला होता है। उसे घूमना फिरना अच्छा लगता है। चंद्रमा सप्तम भाव में चंद्रमा के परिवर्तन शील गुण के प्रभाव से जातक की नौकरी में स्थिरता नहीं होती कई व्यवसाय करने पड़ते है। ऐसा जातक साझेदारी का व्यापार करे तो उसे लाभ मिलता है। सप्तम भाव में चंद्रमा पर अशुभ प्रभाव होने से स्त्रियों के संबंध में कष्ट उठाने पड़ते है। चंद्रमा पर शुभ प्रभाव होने से जातक सुखी, प्रसिद्ध होता है। मीठे पकवान (मिठाईया) खाने में उसकी रूचि होती है। वह दयालु व हमेशा प्रावस करनेवाला होता है तथा उसे स्त्री के वश में रहना पड़ता है।
सप्तम दृष्टि

चंद्रमा सप्तम भाव में स्थित होने से उसकी सप्तम पूर्ण दृष्टि प्रथम (लग्न) भाव पर पड़ती है। चंद्रमा की प्रथम भाव पर दृष्टि होने से जातक विनम्र और प्रभावशाली व्यक्तित्व का होता है। वह अति भावुक होता है।

चंद्रमा का सप्तम भाव में अपनी मित्र राशि में प्रभाव
चंद्रमा का सप्तम भाव में अपनी मित्र राशि में होने से जातक की पत्नी सुंदर और धार्मिक प्रकृति की व शांत स्वभाव का होती है।

चंद्रमा का सप्तम भाव में शत्रु राशि में प्रभाव
चंद्रमा सप्तम भाव में शत्रुराशि में स्थित होने से जातक को अपने जीवनसाथी से सुख नही मिलता। तथा जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद होते है। वैवाहिक सुख मध्यम होता है।

चंद्रमा का सप्तम भाव में स्वराशि, उच्च राशि व नीचराशि में प्रभाव
चंद्रमा का सप्तम भाव में अपनी स्वराशि कर्क में स्थित होने से जातक सुखी होता है। तथा जातक की पत्नी सुंदर और धार्मिक मिचारों वाली होती है।

चंद्रमा सप्तम भाव में अपनी उच्च राशि वृषभ में स्थित होने से विवाह के बाद जातक का भाग्योदय होता है।

चंद्रमा सप्तम भाव में अपनी नीच राशि वृश्चिक में स्थित होने से जातक का (व्यभिचारी) चरित्र अच्छा नहीं होता। उसको वैवाहिक जीवन से सुख नहीं मिलता वह किसी भी विषय पर बहुत देर तक सोचता रहता है।

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सप्तम भाव का चंद्रमा क्या फल देता है? - saptam bhaav ka chandrama kya phal deta hai?

Vedic Astrology & Vastu Consultant, Serving PAN India, UK, USA & Europe.


ज्योतिष में ग्रह

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वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व

सप्तम भाव का चंद्रमा क्या फल देता है? - saptam bhaav ka chandrama kya phal deta hai?
चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आँख, छाती आदि का कारक होता है। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है परंतु इसकी गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। चंद्र ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्र राशि कहलाती है। लाल के किताब के अनुसार चंद्र एक शुभ ग्रह है। यह सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष में चंद्र ग्रह को स्त्री ग्रह कहा गया है।

ज्योतिष के अनुसार मनुष्य जीवन पर चंद्रमा का प्रभाव

शारीरिक बनावट एवं स्वभाव - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति के लग्न भाव में चंद्रमा होता है, वह व्यक्ति देखने में सुंदर और आकर्षक होता है और स्वभाव से साहसी होता है। चंद्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अपने सिद्धांतों को महत्व देता है। व्यक्ति की यात्रा करने में रुचि होती है। लग्न भाव में स्थित चंद्रमा व्यक्ति को प्रबल कल्पनाशील व्यक्ति बनाता है। इसके साथ ही व्यक्ति अधिक संवेदनशील और भावुक होता है। यदि व्यक्ति के आर्थिक जीवन की बात करें तो धन संचय में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

बली चंद्रमा के प्रभाव - यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा बली हो तो जातक को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते है। बली चंद्रमा के कारण जातक मानसिक रूप से सुखी रहता है। उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा उसकी कल्पना शक्ति भी मजबूत होती है। बली चंद्रमा के कारण जातक के माता जी संबंध मधुर होते हैं और माता जी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

पीड़ित चंद्रमा के प्रभाव: पीड़ित चंद्रमा के कारण व्यक्ति को मानसिक पीड़ा होती है। इस दौरान व्यक्ति की स्मृति कमज़ोर हो जाती है। माता जी को किसी न किसी प्रकार की दिक्कत बनी रहती है। वहीं घर में पानी की कमी हो जाती है। कई बार जातक इस दौरान आत्महत्या करनी की कोशिश करता है।

रोग - यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा किसी क्रूर अथवा पापी ग्रह से पीड़ित होता है तो जातक की सेहत पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इससे जातक को मस्तिष्क पीड़ा, सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, भय, घबराहट, दमा, रक्त से संबंधित विकार, मिर्गी के दौरे, पागलपन अथवा बेहोशी आदि की समस्या होती है।

कार्यक्षेत्र - ज्योतिष में चंद्र ग्रह से सिंचाई, जल से संबंधित कार्य, पेय पदार्थ, दूध, दुग्ध उत्पाद (दही, घी, मक्खन) खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, मछली, नौसेना, टूरिज्म, आईसक्रीम, ऐनीमेशन आदि का कारोबार देखा जाता है।

उत्पाद - सभी रसदार फल तथा सब्जी, गन्ना, शकरकंद, केसर, मक्का, चांदी, मोती, कपूर जैसी वस्तुए चंद्रमा के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।

स्थान - ज्योतिष में चंद्र ग्रह हिल स्टेशन, पानी से जुड़े स्थान, टंकियाँ, कुएं, जंगल, डेयरी, तबेला, फ्रिज आदि को दर्शाता है।

जानवर तथा पक्षी - कुत्ता, बिल्लू, सफेद चूहे, बत्तक, कछुआ, मछली आदि पशु पक्षी ज्योतिष में चंद्र ग्रह द्वारा दर्शायी जाती हैं।

जड़ - खिरनी।

रत्न - मोती।

रुद्राक्ष - दो मुखी रुद्राक्ष।

यंत्र - चंद्र यंत्र।

रंग - सफेद

चंद्र ग्रह के उपाय के तहत व्यक्ति को सोमवार का व्रत धारण और चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

चंद्र ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य
पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।

चंद्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः

चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः


खगोल विज्ञान में चंद्रमा का महत्व

खगोल शास्त्र में चंद्रमा को पृथ्वी ग्रह का उपग्रह माना गया है। जिस प्रकार धरती सूर्य के चक्कर लगाती है ठीक उसी प्रकार चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। पृथ्वी पर स्थित जल में होने वाली हलचल चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण होती है। सूर्य के बाद आसमान पर सबसे चमकीला चंद्रमा ही है। जब चंद्रमा परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो यह सूर्य को क लेता है तो उस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

चंद्रमा का पौराणिक महत्व

हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रह को चंद्र देवता के रूप में पूजा जाता है। सनातन धर्म के अनुसार चंद्रमा जल तत्व के देव हैं। चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया है। सोमवार का दिन चंद्र देव का दिन होता है। शास्त्रों में भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना जाता है। अतः जो व्यक्ति भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन्हें चंद्र देव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। श्रीमद्भगवत के अनुसार, चंद्र देव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त हैं। पौराणिक शास्त्रों में चंद्रमा को बुध का पिता कहा जाता है और दिशाओं में यह वायव्य दिशा का स्वामी होता है।

इस प्रकार आप देख सकते हैं कि हिन्दू ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व कितना व्यापक है। मनुष्य के शरीर में 60 प्रतिशत से भी अधिक पानी होता है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि चंद्रमा मनुष्य पर किस तरह का प्रभाव डालता होगा।

यदि चंद्रमा सातवें भाव में हो तो क्या होता है?

सप्‍तम भाव में चंद्रमा चंद्रमा के कुंडली के सातवें भाव में होने से जातक सभ्य, धैर्यवान और पेशे से व्यापारी या फिर वकील हो सकते हैं। ये लोग स्वभाव से शांत और सभ्य होते हैं। ऐसे लोगों की पत्‍नी काफी सुन्दर और धार्मिक होती है। जातक के व्यक्तित्व में एक आकर्षण होता है।

कुंडली में चंद्रमा मजबूत हो तो क्या होता है?

कहते हैं कि कुंडली में चंद्र के मजबूत होने से शुक्र और बुध ग्रह स्वत: ही मजबूत हो जाते हैं। यदि चंद्र कमजोर है तो व्यक्ति में घबराहट, बैचेनी और भय बना रहता है और साथ ही धन की कमी भी पैदा हो जाती है। यह भी कहा जाता है कि इसके दूषित होने से सर्दि जुकाम के साथ ही कई गंभीर रोग भी हो जाते हैं।

सप्तम भाव का स्वामी कौन है?

सप्तम भाव जीवनसाथी का होता है, इस भाव का स्वामी राहु से पीडि़त हो तो दाम्पत्य जीवन बाधित रहेगा। इस भाव में भावेश के साथ शनि-मंगल हो तो द्वितीय विवाह होता है या दाम्पत्य जीवन में बाधा रहती है। सप्तमेश एक घर पीछे यानी (छठवें भाव) सप्तम से द्वादश होगा ऐसी स्थिति भी बाधा का कारण बनती है।

कुंडली में 7 घर किसका होता है?

जन्म कुंडली में सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी तथा पार्टनर के विषय का बोध कराता है। यह नैतिक, अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है। शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें काम का संबंध सप्तम भाव से होता है।