सीखने के प्रतिफल शिक्षकों की मदद कैसे करते हैं? - seekhane ke pratiphal shikshakon kee madad kaise karate hain?

कक्षावार सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) के स्तर पर अपनी अधिक समझ बनाने के लिए आप नीचे सारणी में दिये गए link पर जा सकते हैं

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कक्षावार सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) के स्तर

प्राथमिक स्तरउच्च प्राथमिक स्तरकक्षा 1कक्षा 6कक्षा 2कक्षा 7कक्षा 3कक्षा 8कक्षा 4–कक्षा 5–कक्षावार सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes)

सीखने के प्रतिफल शिक्षकों की मदद कैसे करते हैं? - seekhane ke pratiphal shikshakon kee madad kaise karate hain?
कक्षावार सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes)

प्रारंभिक स्तर पर कक्षावार सीखने के प्रतिफल

आईये हम जानें प्राथमिक स्तर पर कक्षावार 1 से 8 तक लर्निंग आउटकम (LEARNING OUTCOME) पर आधारित माहवार प्रश्न क्या -क्या हो सकते है ? जिससे हम अपने शिक्षण को गुणवत्ता आधारित बना सकें …

प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्रतिफल
अधिगम परिणाम – 1-5 LOs (हिन्दी)
अधिगम परिणाम – 6 -8 LOs (हिन्दी)

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सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल

सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल-हिन्दी 
सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल-अंग्रेजी 
सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल

सीखने के प्रतिफल पालकों हेतु

कक्षा 1 (पालकों हेतु)
कक्षा 2 (पालकों हेतु)
कक्षा 3 (पालकों हेतु)
कक्षा 4 (पालकों हेतु)
कक्षा 5 (पालकों हेतु)
कक्षा 6 (पालकों हेतु)
कक्षा 7 (पालकों हेतु)
कक्षा 8 (पालकों हेतु)

Learning Outcomes – Poster (English)

सीखने का प्रतिफल – पोस्टर कक्षा 1-8 अंग्रेजी (33 पोस्टर)

सीखने के प्रतिफल – Poster (Hindi)

Class 1 English 
Class 2 English 
English Class III
English Class IV
English Class V
English Class VI
English Class VII
English Class VIII
EVS Class 3 to 5
Hindi Class I
Hindi Class II
Hindi Class III
Hindi Class IV
Hindi Class V
Hindi Class VI
Hindi Class VII
Hindi Class VIII
Mathematics_Class I-V
Science_Class VI-VIII
Social Science_Class VI-VIII

विद्यालयों में अध्यनरत छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर कई नए प्रयास किये जाते है.  इन सबका उद्देश्य विद्यालयी छात्रों में शैक्षिक गुणवत्ता का विकास और अच्छी उपलब्धि स्तर को हासिल करना  होता है.  जिससे छात्रों के समग्र मूल्यांकन के माध्यम से विकास की एक निश्चित योजना बनाकर उनका उन्नयन किया जा सके .

वास्तव में, सीखना एक सतत व व्यापक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है.

किसी विद्यार्थी के लिए पाठ्यक्रम में सीखने के दृष्टिगत जो लक्ष्य या दक्षतायें निर्धारित की जाती हैं तथा जिन्हें ध्यान में रखकर शिक्षक अपने दैनिक कक्षा शिक्षण को संपादित करते हैं और कक्षा के इतर अनेक सह शैक्षिक गतिविधियों को आयोजित करते हैं, उन्हें Learning outcomes कहते हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में पहली बार शिक्षकों को जहां सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बताई जाएगी, वहीं बच्चों को मिली शिक्षा को शिक्षण संबंधी परिणाम (लर्निंग आउटकम) के रूप में परखा जाएगा। शिक्षा विभाग ने कक्षा 1 से 8 तक प्रत्येक कक्षा के लर्निंग आउटकम के मानक तैयार किए हैं।

सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक अभी तक पाठ्यक्रम पूरा कराने और परीक्षा के आयोजन पर ही ध्यान देते थे। पढ़ाई से बच्चे के मानसिक स्तर, सामान्य ज्ञान और शैक्षिक ज्ञान में क्या सुधार हुआ, इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था। सरकार ने इस वर्ष पहल कर लर्निंग आउटकम के मापदंड तैयार किए हैं। किस कक्षा में शिक्षक बच्चे को किस तरह क्या-क्या पढ़ाएंगे और किस कक्षा में बच्चों को कितना ज्ञान होना चाहिए, यह निर्धारित किया गया है।

सीखने के प्रतिफल (LEARNING OUTCOME) क्या है?

अकसर शिक्षकों में इस बात की स्‍पष्‍टता नहीं होती कि,

  • किस प्रकार का सीखना आवश्यक है?
  • वे कौन से मापदड हैं  जिनसे इसे मापा जा सकता है?

वे पाठ्यपुस्तक को संपूर्ण पाठ्यक्रम मानकर पाठों के अत में दिए गए प्रश्‍नों के आधार पर मूल्यांकन करते हैं। पाठ्यसामग्री के संदर्भ की भिन्नताओ तथा पढ़ाने के विभिन्न सिद्धांतों को वे ध्यान में नहीं रखते। पठन सामग्री में संदर्भानुसार भिन्‍नताएँ और अपनाई गई शिक्षण तकनीक में विविधता पर सामान्‍यतया ध्‍यान नहीं जाता है, क्‍योंकि इनके आकलन की कोई कसौटी नहीं है।

प्रत्येक कक्षा के सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को केवल शिक्षा के वांछित तरीके अपनाने में ही सहायक नहीं है.  बल्‍कि अन्य साझेदारों, जैसे– संरक्षक, माता-पिता, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, समुदाय तथा राज्य स्तर के शिक्षा अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका के प्रति सर्तक और ज़िम्‍मेदार भी बनाता है।

स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए ,

सीखने के प्रतिफल विभिन्न साझेदारों की जि़म्‍मेदारी तथा उत्तरदायित्वों को सुनिश्चित करते हुए और दिशा-निर्देश दे सकता है ताकि विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र से अपेक्षाओं की पूर्ति हो सके.

सीखने के प्रतिफल (LEARNING OUTCOME) क्यों ?

  • प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी के सीखने के बारे में जानने और उसके अनुसार बच्चों के सीखने सम्बन्धी प्रगति पर नज़र बनाये रखने की जरुरत है | इसके लिए आवश्यकता है की शिक्षको को कुछ मानदंड उपलब्ध करवाए जाये जिनकी सहायता से आपेक्षित सीखने के स्तर का आकलन किया जा सके |
  • सीखने की निरन्तरता को ध्यान में रखते हुए शिक्षक एवं शिक्षा व्यवस्थासे जुड़े सभी अधिकारियो एवं अभिभावकों यह जानना आवश्यक है कि बच्चे ने सटीक रुप से कक्षा में क्या सीखा? इन्ही मापदंडो को “सीखने का प्रतिफल ” के रुप में परिभाषित किया गया है | अर्थात जो कुछ भी बच्चे ने सीखाहै उसको जाचने अथवा उस परिणाम को देखने के मापदंड को अधिगमप्रीत प्रतिफल के रुप में देखा जा सकता है

सीखने के प्रतिफल (LEARNING OUTCOME) की आवश्यकता :

  • निः शुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की क्रियान्वित अंतर्गत प्रत्येक विद्यार्थी की गुणवत्तायुक्त शिक्षा को सुनिश्चित करने हेतु |
  • आयु अनुररोप अपेक्षित स्तर , कौशल विकास एवं गुणवक्तायुक्त शिक्षा को परिभाषित करने हेतु |
  • शैक्षिक उदेश्यो की पूर्ति की सटीक जॉच हेतु |
  • राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक आकांक्षाओं की क्रियान्वयन हेतु समन्वित प्रयास अन्तर्गत |
  • राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर उच्च पायदान पर अवस्थित करने के प्रयास के क्रम में |

NAS (National Achievement Survey) के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करे |

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सीखने के प्रतिफल से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित?

सीखने के प्रतिफल ज्ञान और कौशल से परिपूर्ण ऐसे कथन हैं जिन्हें बच्चों को एक विशेष कक्षा या पाठ्यक्रम के अंत तक प्राप्त करने की आवश्यकता है और यह अधिगम संवर्धन की उन शिक्षणशास्त्रीय विधियों से समर्थित हैं जिनका क्रियान्वयन शिक्षकों द्वारा करने की आवश्यकता है।

सीखने की प्रतिफल क्या है?

सीखने के प्रतिफल को छात्रो के गुणात्मक एवं मात्रात्मक रूप से परे देखा जा सकता हैं। प्रतिफल एक बच्चे के विकास के अपेक्षाकृत संपूर्ण सीखने के अनुसार बच्चे की बढ़ोतरी का आकलन करते हैं। सीखने के प्रतिफल वे दक्षताएँ जिन्हें शिक्षार्थी द्वारा किसी पाठ्यक्रम के अन्त में प्राप्त कर लेना चाहिए या प्रदर्शित करना चाहिए।

सीखने में बच्चों की मदद कैसे करें?

बच्चों को सीखने के उद्देश्यों के निर्माण में भाग लेने के लिए भी प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी प्राथमिकताएं और भविष्य की महत्वाकांक्षाएं संरेखित हैं। भी गतिविधि को तैयार करने के लिए शिक्षक यह अवश्य तय कर लें कि जिस विषय का परिचय देना है, बच्चे उसके बारे में पहले से क्या जानते हैं।

शिक्षक तथा सीखने की क्रिया का क्या संबंध है?

शिक्षण व अधिगम के मध्य सम्बन्ध - शिक्षण ही अधिगम को उद्दीप्त, निर्देशित एवं प्रोत्साहित करता है और विद्यार्थी के प्रभावशाली समायोजन में सहायता करता है। वस्तुतः अधिगम समायोजन का ही दूसरा नाम है। शिक्षण विद्यार्थी की क्रिया का निर्देशन एवं संवेगों का प्रशिक्षण है। जिससे सीखने का विकास होता है।