Show रीतिसिद्ध कविजिन कवियों ने लक्षण और उदाहरण शैली पर काव्य सृजन तो नहीं किया परंतु रचना करते समय उनका झुकाव लक्षण ग्रंथों पर अवश्य रहा, उन्हें रीतिसिद्ध की श्रेणी में रखा गया है। बिहारी, बेनी वाजपेयी, कृष्णकवि, रसनिधि, नृप शंभुनाथ सिंह सोलंकी, नेवाज, हठी जी, रामसहाय दास ‘भगत’, पजनेस, द्विजदेव, सेनापति, वृंद तथा विक्रमादित्य आदि रीतिसिद्ध कवि हैं। रीतिसिद्ध कवि कवि और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- बिहारी लालबिहारी लाल का संक्षिप्त जीवन वृत्त निम्नांकित है-
“सत सैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर। देखन में छोटे लगें, बेधैं सकल सरीर॥”
“नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल। अली कली ही सौं विन्धौं आगे कौन हवाल।।”
रामचन्द्र शुक्ल ने बिहारी के सन्दर्भ में निम्न बातें लिखी हैं-
बिहारी सतसई के टीकाकार‘बिहारी सतसई’ पर पचासों टीकाएँ लिखी गई है। सर्वप्रथम बिहारीलाल के पुत्र कृष्णलाल कवि ने बिहारी सतसई का काव्यात्मक टीका (सवैया छंद में) ब्रजभाषा में लिखी। बिहारी सतसई के अन्य टीकाकार निम्नांकित हैं
बिहारी सतसई का अन्य भाषा में किया गया अनुवादबिहारी सतसई का अन्य भाषा में किया गया अनुवाद निम्नलिखित है-
बिहारी पर लिखी गई प्रमुख आलोचनात्मक ग्रंथबिहारी पर लिखी गई प्रमुख आलोचनात्मक ग्रंथ निम्नलिखित हैं-
वृंद
वृंद की प्रमुख रचनाएँ काल क्रमानुसार निम्नांकित हैं-
सेनापति
रीतिसिद्ध काव्यधारा के अन्य कवि और उनकी रचनाएँरीतिसिद्ध काव्यधारा के अन्य कवियों की रचनाएँ निम्न हैं-
1. ब्रजभाषा के श्रृंगारी कवियों की परम्परा इन्हें अन्तिम प्रसिद्ध कवि समझना चाहिए। जिस प्रकार लक्षण ग्रन्थ लिखने वाले कवियों में पद्माकर अन्तिम प्रसिद्ध कवि हैं उसी प्रकार समूची श्रृंगार परम्परा में ये इनकी सी सरस और भावमयी फुटकल श्रृंगारी कविता फिर दुर्लभ हो गई। 2. ऋतु वर्णनों में इनके हृदय का उल्लास उमड़ पड़ता है।
रीतिकाल में बिहारी का काव्य सर्वाधिक लोकप्रिय क्यों है?बिहारी सतसई की प्रसिद्ध का प्रमुख कारण कल्पना की समाहार शक्ति है। बिहारी सतसई एक मुक्तक काव्य है। बिहारीलाल की एकमात्र रचना 'बिहारी सतसई' दोहा छंद में रचित है। इसकी भाषा परिनिष्ठित साहित्यिक ब्रजभाषा है।
रीतिकाल में बिहारी का योगदान क्या है?कविवर बिहारी जिन्हें बिहारी लाल और बिहारी लाल चौबे के नाम से भी जाना जाता है, ये रीतिकाल के महान और प्रमुख कवि थे। कविवर बिहारी द्वारा रचित दोहे का संग्रह सतसई के नाम से जाना जाता है। इनकी रचना की विशेषता है कि कम शब्दों में इनकी रचनाएँ ढेरों भाव छोड़ जाती हैं।
बिहारी के काव्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता कौन सी है?काव्यगत विशेषताएं. वर्ण्य विषय बिहारी की कविता का मुख्य विषय श्रृंगार है। ... . भक्ति-भावना बिहारी मूलतः श्रृंगारी कवि हैं। ... . प्रकृति-चित्रण प्रकृति-चित्रण में बिहारी किसी से पीछे नहीं रहे हैं। ... . बहुज्ञता बिहारी को ज्योतिष, वैद्यक, गणित, विज्ञान आदि विविध विषयों का बड़ा ज्ञान था।. बिहारी के काव्य की मुख्य विशेषता क्या है?बिहारी एक रससिद्ध कवि है। उनके काव्य में रस सिद्धता का प्रमाणिकता करने वाले उपादनों में श्रृंगार रस के दोनों पक्षों का निरूपण , नायक नायिकाओं की स्थिति का विवेचन , हाव भाव और अनुभवों का चित्रण किया है। इसलिए बिहरी को रससिद्ध कवी कहा जाता है।
|