नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ
CBSE Class 9 Hindi Sparsh Lesson 13 summary with a detailed explanation of the poem ‘Naye Ilake Mein, Khushboo Rachte Hain Haath’ along with meanings of difficult words.
Given here is the complete explanation of the poem, along with a summary and all the exercises, Question, and Answers given at the back of the lesson. कक्षा 9 स्पर्श भाग 1 पाठ 13 “नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ”यहाँ हम हिंदी कक्षा 9 ”स्पर्श – भाग 1” के काव्य खण्ड पाठ 13 “नए इलाके में” और “खुशबू रचते हैं हाथ” के पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ, अतिरिक्त प्रश्न और NCERT पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इन सभी बारे में जानेंगे – See Video Explanation of Chapter 13 Naye Ilake Mein, Khushboo Rachte Hain Haath कक्षा 9 हिंदी (स्पर्श भाग 1)पाठ 13 नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथBy Shiksha Sambra कवि परिचयकवि – अरुण कमल नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ पाठ प्रवेशप्रस्तुत पाठ की पहली कविता ‘नए इलाके में’ में कवि ने एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करने के आमंत्राण का उल्लेख किया है, जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। इस कविता के आधार पर कवि इस बात का ज्ञान देना चाहता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता अर्थात कोई भी वस्तु या जीव हमेशा के लिए नहीं रहते। इस पल-पल बनती और बिगड़ती दुनिया में किसी की भी यादों के भरोसे नहीं जिया जा सकता। इस पाठ की दूसरी कविता ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। इस कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि यह किसकी और कैसी कारस्तानी है कि जो वर्ग समाज को सुंदर बनाने में लगा हुआ है और उसे खुशहाल बना रहा है, वही वर्ग अभाव में, गंदगी में जीवन बिता कर रहा है? लोगों के जीवन में सुगंध बिखेरने वाले हाथ बहुत ही भयानक स्थितियों में अपना जीवन बिताने पर मजबूर हैं! क्या विडंबना है कि खुशबू रचने वाले ये हाथ दूरदराज़ के सबसे गंदे और बदबूदार इलाकों में जीवन बिता रहे हैं। स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान करने वाले ये लोग इतने उपेक्षित हैं! कवि यहाँ प्रश्न कर रहा है कि आखिर कब तक ऐसा चलने वाला है? Naye Ilake Mein, Khushboo Rachte Hain Haath Class 9 Video ExplanationTop नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ पाठ सारप्रस्तुत पाठ की पहली कविता ‘नए इलाके में’ में कवि ने एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करने के आमंत्राण का उल्लेख किया है, जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। इस कविता के आधार पर कवि इस बात का ज्ञान देना चाहता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता अर्थात कोई भी वस्तु या जीव हमेशा के लिए नहीं रहते। कवि के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह अपना रास्ता ढूँढ़ने के लिए पीपल के पेड़ को खोजता है परन्तु हर जगह मकानों के बनने के कारण उस पीपल के पेड़ को काट दिया गया है। फिर कवि पुराने गिरे हुए मकान को ढूँढ़ता है परन्तु वह भी उसे अब कही नहीं दिखता। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि को अब बहुत से मकानों के बन जाने से घर का रास्ता ढूँढ़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कवि कहता है जहाँ पर रोज ही कुछ नया बन रहा हो और कुछ मिटाया जा रहा हो, वहाँ पर अपने घर का रास्ता ढ़ूँढ़ने के लिए आप अपनी याददाश्त पर भरोसा नहीं कर सकते। कवि कहता है कि एक ही दिन में सबकुछ इतना बदल जाता है कि एक दिन पहले की दुनिया पुरानी लगने लगती है। ऐसा लगता है जैसे महीनों बाद लौटा हूँ। कवि कहता है कि अब सही घर ढ़ूँढ़ने का एक ही उपाय है कि हर दरवाजे को खटखटा कर पूछो कि क्या वह सही घर है। इस पाठ की दूसरी कविता ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। इस
कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं। कवि कहता है कि यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है। Top नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ पाठ व्याख्याइन नए बसते इलाकों में शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि शहर में नये मुहल्ले रोज ही बसते हैं। ऐसी जगहों पर रोज नये-नये मकान बनते हैं। रोज-रोज नये बनते मकानों के कारण कोई भी व्यक्ति ऐसे इलाके में रास्ता भूल सकता है। कवि को भी यही परेशानी होती है। वह भी इन मकानों के बीच अपना रास्ता हमेशा भूल जाता है। धोखा दे जाते हैं पुराने निशान शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि जो पुराने निशान हैं वे धोखा दे जाते हैं क्योंकि कुछ पुराने निशान तो सदा के लिए मिट जाते हैं। कवि के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह अपना रास्ता ढूँढ़ने के लिए पीपल के पेड़ को खोजता है परन्तु हर जगह मकानों के बनने के कारण उस पीपल के पेड़ को काट दिया गया है। फिर कवि पुराने गिरे हुए मकान को ढूँढ़ता है परन्तु वह भी उसे अब कही नहीं दिखता। कवि कहता है कि पहले तो उसे घर का रास्ता ढूँढ़ने के लिए जमीन के खाली टुकड़े के पास से बाएँ मुड़ना पड़ता था और उसके बाद दो मकान के बाद बिना रंगवाले लोहे के दरवाजे वाले इकमंजिले मकान में जाना होता था। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि को अब बहुत से मकानों के बन जाने से घर का रास्ता ढूँढ़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। और मैं हर बार एक घर पीछे शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि अपने घर जाते हुए वह हर बार या तो अपने घर से एक घर पीछे ठहर जाता है या डगमगाते हुए अपने घर से दो घर आगे ही बढ़ जाता है। कवि कहता है जहाँ पर रोज ही कुछ नया बन रहा हो और कुछ मिटाया जा रहा हो, वहाँ पर अपने घर का रास्ता ढ़ूँढ़ने के लिए आप अपनी याददाश्त पर भरोसा नहीं कर सकते। एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि एक ही दिन
में सबकुछ इतना बदल जाता है कि एक दिन पहले की दुनिया पुरानी लगने लगती है। ऐसा लगता है जैसे महीनों बाद लौटा हूँ। ऐसा लगता है जैसे घर से बसंत ऋतु में बाहर गया था और पतझड़ ऋतु में लौट कर आया हूँ। पाठ व्याख्या – (खुशबू रचते हैं हाथ)नई गलियों के बीच शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। अगरबत्ती हालाँकि पूजा पाठ में इस्तेमाल होती है लेकिन इसकी खुशबू ही शायद वह वजह होती है कि लोग इसे प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं। उभरी नसोंवाले हाथ शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ तरह-तरह के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ बच्चे भी काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नये पत्तों की तरह कोमल होते हैं। कुछ कम उम्र की लड़कियाँ भी होती हैं जिनके हाथ जूही के फूल की डाल की तरह खुशबूदार होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं। यहीं
इस गली में बनती हैं शब्दार्थ – व्याख्या – कवि कहता है कि इसी तंग गली में पूरे देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ बनती हैं। उस गंदे मुहल्ले के गंदे लोग (गरीब लोग) ही केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनाते हैं। यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है। Top नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ प्रश्न अभ्यासनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए – प्रश्न 1 – नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है? उत्तर – नये बसते इलाके में रोज रोज नये-नये मकान बनते हैं। कवि के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह अपना रास्ता ढूँढ़ने के लिए पीपल के पेड़ को खोजता है परन्तु हर जगह मकानों के बनने के कारण उस पीपल के पेड़ को काट दिया गया है। इससे आसपास का नजारा बदल जाता है और पुराने निशान गायब हो जाते हैं। इसलिए कवि रास्ता भूल जाता है। प्रश्न 2 – कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है? उत्तर – पीपल का पेड़, ढ़हा हुआ मकान, लोहे का बिना रंगवाला गेट प्रश्न 3 – कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है? उत्तर – कवि हर दिन नए-नए घर बन जाने से अपने घर को नहीं ढ़ूँढ़ पाता है और इसलिए एक घर पीछे या दो घर आगे चल देता है। प्रश्न 4 – ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है? उत्तर – ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से अभिप्राय महीनों बाद लौटने से है। प्रश्न 5 – कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर क्यों इशारा किया है? उत्तर – जल्दी से सही पता न मिलने पर हो सकता है कि कवि की परेशानियाँ बढ़ जाएँ। हो सकता है उसे बिना वजह किसी होटल में किराये पर कमरा लेना पड़े, या प्लेटफॉर्म पर रात बितानी पड़े। हो सकता है कि कवी के घर में कोई महत्वपूर्ण काम चल रहा हो। इसलिए कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर इशारा किया है। प्रश्न 6 – इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है? उत्तर – इस कविता में कवि ने शहरों के लगातार बदलते स्वरूप की ओर संकेत किया है। शहर में कुछ भी स्थाई नहीं होता। सब कुछ इतनी तेजी से बदलता है कि लोग हक्के बक्के रह जाते हैं और अपने घर का रास्ता भी भूल जाते हैं। व्याख्या कीजिए – प्रश्न 1 – यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं, एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया उत्तर – एक ही दिन में सबकुछ इतना बदल जाता है कि एक दिन पहले की दुनिया पुरानी लगने लगती है। ऐसे में कोई पता ढ़ूँढ़ने के लिए याददाश्त पर भरोसा करने से कोई लाभ नहीं होता। प्रश्न 2 – समय बहुत कम है तुम्हारे पास, आ चला पानी ढ़हा आ रहा अकास, शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर उत्तर – जल्दी से सही पता न मिलने पर हो सकता है कि कवि की परेशानियाँ बढ़ जाएँ। हो सकता है उसे बिलावजह किसी होटल में किराये पर कमरा लेना पड़े, या प्लेटफॉर्म पर रात बितानी पड़े। हो सकता है कि कवी के घर में कोई महत्वपूर्ण काम चल रहा हो। ऐसे में यदि कोई परिचित देख ले और आवाज लगा दे तो कवि का काम आसान हो जाएगा। प्रश्न अभ्यास (खुशबू रचते हैं हाथ)-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए – प्रश्न 1 – ‘खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ कहाँ रहते हैं? उत्तर – ‘खुशबू रचनेवाले हाथ’ अर्थात अगरबत्ती बनाने वाले गरीब तबके के लोग होते हैं। ऐसे लोग तंग गलियों में, बदबूदार नाले के किनारे और कूड़े के ढ़ेर के बीच रहते हैं। बड़े शहरों की किसी भी झोपड़पट्टी में आपको ऐसा ही नजारा आसानी से देखने को मिलेगा। प्रश्न 2 – कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है? उत्तर – अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ तरह-तरह के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ बच्चे भी काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नये पत्तों की तरह कोमल होते हैं। कुछ कम उम्र की लड़कियाँ भी होती हैं जिनके हाथ जूही के फूल की डाल की तरह खुशबूदार होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। प्रश्न 3 – कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’? उत्तर – अगरबत्ती का काम है खुशबू फैलाना। ये अगरबत्तियाँ हाथों से बनाई जाती हैं। इसलिए कवि ने कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’। प्रश्न 4 – जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है? उत्तर – जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल अगरबत्ती की मोहक खुशबू के ठीक विपरीत होता है। अगरबत्ती निर्माण एक कुटीर उद्योग है। ज्यादातर कारीगर किसी झोपड़पट्टी में रहते हैं; जहाँ बहुत ज्यादा गंदगी और बदबू होती है। प्रश्न 5 – इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है? उत्तर – इस कविता के माध्यम से कवि ने कामगारों और मजदूरों की भयावह जिंदगी को उजागर किया है। कवि ने यह दिखाने की कोशिश की है कि ऐसे मजदूर जो दूसरों के लिए खुशबू या खुशहाली का निर्माण करते हैं खुद कितनी बदहाली में रहते हैं और कितनी विषम परिस्थिति में काम करते हैं। व्याख्या कीजिए – प्रश्न 1 – पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ, जूही की डाल से खुशबूदार हाथ उत्तर – अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ तरह-तरह के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ बच्चे भी काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नये पत्तों की तरह कोमल होते हैं। कुछ कम उम्र की लड़कियाँ भी होती हैं जिनके हाथ जूही के फूल की डाल की तरह खुशबूदार होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। प्रश्न 2 – दुनिया की सारी गंदगी के बीच, दुनिया की सारी खुशबू रचते रहते हैं हाथ उत्तर – जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल अगरबत्ती की मोहक खुशबू के ठीक विपरीत होती है। यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है। प्रश्न 3 – कवि ने इस कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है? उत्तर – अगरबत्ती हम जब भी खरीदते हैं तो हम कभी एक अगरबत्ती नहीं बल्कि एक पूरा अगरबत्ती का पैकेट खरीदते हैं। उसी तरह, अगरबत्ती बनाने वाले झुंड में काम करते हैं। उनकी समस्याएँ भी अनेक होती हैं। इसलिए कवि ने इस कविता में बहुवचन का प्रयोग अधिक किया है। प्रश्न 4 – कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है? उत्तर – अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ किस्म किस्म के होते हैं और उनका वर्णन करने के लिए कवि ने तरह तरह के विशेषणों का उपयोग किया है। कवि ने किसी हाथ की उभरी हुई नसें दिखाई है, तो किसी के घिसे नाखून। किसी हाथ की कोमलता दिखाई है तो किसी की कठोरता। Top Check out – Class 9 Hindi Sparsh and Sanchayan Book Chapter-wise Explanation
खुशबू रचते हाथ कविता के कवि कौन?'खुशबू रचते हाथ' कविता के कवि कौन हैं? (b) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।
खुशबू रचते हैं हाथ कविता का भाव क्या है?इस पाठ की दूसरी कविता 'खुशबू रचते हैं हाथ' में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। इस कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है।
क खुशबू रचते हैं हाथ कविता लिखने का उद्देश्य क्या है?उत्तर:- इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य समाज के उपेक्षित मजदूर वर्ग की दयनीय दशा की ओर ध्यान आकर्षित करना है। कवि का उद्देश्य यह है कि जो समाज हमारे लिए सुन्दर-सुन्दर वस्तुओं का निर्माण करती है वो स्वयं इस प्रकार का उपेक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर क्यों है?
खुशबू रचते हैं हाथ का क्या अर्थ है?उत्तर– ” खुशबू रचते हैं हाथ ” से तात्पर्य है खुशबूदार विविध प्रकार की अगरबतियाँ बनाने वाले लोग ।
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