एक तिनका का सार, एक तिनका का सारांश , एक तिनका कविता का सार , एक तिनका कविता का सारांश ,एक तिनका पाठ का सार , एक तिनका पाठ का सारांश'एक तिनका' कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध द्वारा लिखित श्रेष्ठ कविता हैं। इस कविता में कवि ने यह दर्शाया है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि जिसको छोटा समझकर हम घमंड करते हैं कभी-कभी वही हमारे घमंड को तोड़ देता है। कवि कहता है कि एक दिन मैं अपने छत के किनारे खड़ा था तभी अचानक दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और मेरे आंख में पड़ गया । मैं दर्द से कराहने लगा और बहुत परेशान हो गया। जब लोगों ने कपड़े की मूँठ बनाकर मेरे आंख पर लगाया तब तिनका निकला और दर्द कुछ कम हुआ। अर्थात मेरे घमंड को एक छोटे से तिनके ने चूर-चूर कर दिया। Show
एक तिनका का भावार्थ , एक तिनका कविता का भावार्थ , ,एक तिनका पाठ का भावार्थ,मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ, एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। एक दिन कवि अपने छत की दीवार के निकट बैठकर स्वयं पर घमंड कर रहा था। वह संसार में खुद को सबसे बड़ा समझ रहा था। उसे अपने बड़े और शक्तिशाली होने का घमंड था। वह सोच रहा था कि दुनिया में उसे कष्ट देने वाला या आहत करने वाला कोई नहीं है। तभी अचानक हवा के एक झोंके से उड़कर एक तिनका उसकी आँख में आकर पड़ गया। मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा, लाल होकर आँख भी दुखने लगी। मूँठ देने लोग कपड़े की लगे, ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी। आँख में तिनका पड़ते ही कवि को बहुत पीड़ा हुई। वह दर्द से दुखी हो उठा। उससे अपनी बेचैनी सही नहीं जा रही थी। दर्द की अधिकता से उसकी आँखें भी लाल हो उठीं। कवि का अपने बड़े और शक्तिशाली होने का झूठा घमंड टूट गया। तब उसने पाया कि वह अन्य लोगों की सहायता के बिना अपनी रक्षा करने में असमर्थ है। यह अनुभव होते ही उसका घमंड दूर हो गया। तब वह विवश होकर अपने आस-पास के लोगों से सहायता की याचना करने लगा। लोगों ने कपड़े के मूँठ की सहायता से उसकी आँख से तिनका निकालने का प्रयास किया। जब किसी ढब से निकल तिनका गया, तब 'समझ' ने यो मुझे ताने दिए। ऐंठता तू किसलिए इतना रहा, एक तिनका है बहुत तेरे लिए। अनेक प्रयासों से लोगों की सहायता लेने के बाद तिनका जब कवि की आँख से निकल गया, तब कवि को समझ आ चुकी थी कि दुनिया में कोई बड़ा या छोटा नहीं है। जो व्यक्ति स्वयं पर घमंड करता है उसका घमंड चूर करने के लिए छोटी-से-छोटी वस्तु ही पर्याप्त है। कहने का तात्पर्य यह कि मनुष्य को कभी भी स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक तिनका का प्रश्न उत्तर एक तिनका कविता का प्रश्न उत्तर एक तिनका पाठ का प्रश्न उत्तर1. नीचे दी गई कविता की पक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए। जैसे- एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा। मूँठ देने लोग कपड़े की लगे लोग- कपड़े की मूँठ देने लगे।(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा-उत्तर-एक दिन जब मैं छत की मुंडेर पर खड़ा था। (ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी-उत्तर- आँख लाल हो गई और दर्द करने लगी। (ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगीउत्तर- मेरे अंदर जो घमंड के भाव थे चुपके से भाग गए।अर्थात् मेरा घमंड दूर हो गया। (घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गयाउत्तर- जब किसी तरह से तिनका निकल गया। 2. 'एक तिनका' कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?उत्तर- एक तिनका कविता में कवि ने एक छोटे से तिनके का जिक्र करते हुए बताया है कि एक दिन जब वह अपनी छत पर खड़ा था तो एक तिनका उड़कर आया और उसकी आँख में पड़ गया कवि को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था वह बहुत प्रयास किया लेकिन तिनका नहीं निकला ।जब लोगों के सहयोग से तिनका निकला तब कवि का घमंड दूर हो गया। 3. आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?उत्तर- आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी को बहुत कष्ट हुआ। घमंडी कवि की आँख लाल होकर दुखने लगी और वह दर्द से बेचैन हो गया। 4. घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?उत्तर- घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए लोगों ने कपड़े की मूँठ बनाकर आँख में से तिनका निकाला। इस तरह से घमंडी लेखक की सारी एँठ निकल गई। 5. 'एक तिनका' कविता में घमंडी को उसकी 'समझ' ने चेतावनी दीऐंठता तू किसलिए इतना रहा. |