वर दे वीणावादिनी में कवि ने क्या हर लेने की प्रार्थना की है - var de veenaavaadinee mein kavi ne kya har lene kee praarthana kee hai

वर दे वीणावादिनी में कवि ने क्या हर लेने की प्रार्थना की है - var de veenaavaadinee mein kavi ne kya har lene kee praarthana kee hai

  • BY:RF Temre
  • 3759
  • 1
  • Copy
  • Share

वर दे, वीणावादिनि, वर दे।
प्रिय स्वतन्त्र रव, अमृत मन्त्र नव
भारत में भर दे !

काट अन्ध उर के बन्धन स्तर,
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष भेद, तम हर, प्रकाश भर,
जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव,
नवल कंठ, नव जलद मन्द्र रव,
नव नभ के नव विहग वृन्द को
नव पर, नव स्वर दे!

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

कविता का अर्थ

पद 1. वर दे, वीणावादिनि, वर दे।
प्रिय स्वतन्त्र रव, अमृत मन्त्र नव
भारत में भर दे !

प्रसंग- प्रस्तुत पद्य हिन्दी पाठ्य पुस्तक भाषा-भारती के पाठ 1 'वर दे' कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' हैं।

संदर्भ- उक्त पद में कवि माता सरस्वती से स्वतंत्रता का अमृत मन्त्र प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।

व्याख्या- कवि माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे वीणा का वादन करने वाली माँ सरस्वती ! तुम हमें ऐसा वरदान दो एवं मेरे देश भारत के नागरिकों में स्वतन्त्रता की भावना का अमृत (अमर) मन्त्र भर दो।

इस 👇 कविता के अर्थ को भी जानें।
'मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है।'

पद 2. काट अन्ध उर के बन्धन स्तर,
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष भेद, तम हर, प्रकाश भर,
जगमग जग कर दे !

प्रसंग- उपरोक्तानुसार।

संदर्भ- उपरोक्त पंक्तियों में कवि सरस्वती माता की वंदना करते हुए अज्ञानता को दूर कर ज्ञान भरने का आह्वान करते हैं।

व्याख्या- कवि माता सरस्वती की वंदना करते हुए कहते हैं कि हे माँ सरस्वती ! तुम भारतवासियों के अन्धकार अर्थात अज्ञानता से भरें हृदय के सभी बन्धनों की तहों को काट दो अर्थात दूर कर दो और ज्ञान का स्रोत बहा दो। हमारे अन्दर जितने क्लेश रुपी दोष और अज्ञानता हैं, उन्हें दूर कर दो। हमारे हृदय में ज्ञान रुपी प्रकाश भर दो। इस समूचे संसार को जगमगा दो।

इस 👇 कविता के अर्थ को भी जानें।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का अर्थ

पद 3. नव गति, नव लय, ताल-छंद नव,
नवल कंठ, नव जलद मन्द्र रव,
नव नभ के नव विहग वृन्द को
नव पर, नव स्वर दे!

प्रसंग- उपरोक्तानुसार

संदर्भ- कवि उक्त पद्य में माता सरस्वती से इस संसार में नवीनता प्रदान करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

व्याख्या- कवि प्रार्थना करता है कि हे माता सरस्वती ! तुम हम सभी भारतवासियों को नवीन उन्नति (गति), नवीन तान (लय), नवीन ताल एवं नवीन गीत (छन्द), नवीन स्वर और मेघ के समान गम्भीर स्वरूप को प्रदान कर दो। तुम इस नवीन आसमान में विचरण अर्थात उड़ने वाले इन नए-नए पक्षियों को नवीन पंख प्रदान कर नवीन कलरव (स्वर) को प्रदान करो।
हे माँ सरस्वती! आप हम सबको ऐसा वरदान दो।

कविता का अर्थ जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को भी अवश्य देखें। आशा है, आपको इस कविता का अर्थ समझ आया होगा और आप आसानी के साथ अभ्यास के प्रश्नों को हल भी कर सकते हैं।
धन्यवाद।

RF Temre
infosrf.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)

Watch related information below
(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,31,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,6,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",5,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,16,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,31,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,10,कमलेश्वर,5,कविता,1283,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,1,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,47,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,131,गजानन माधव "मुक्तिबोध",13,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,1,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,14,जयशंकर प्रसाद,26,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,58,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,4,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,10,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,4,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,20,नाटक,1,निराला,34,निर्मल वर्मा,1,निर्मला,26,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,201,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,114,प्रयोजनमूलक हिंदी,10,प्रेमचंद,28,प्रेमचंद की कहानियाँ,90,प्रेरक कहानी,15,फणीश्वर नाथ रेणु,2,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,1,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,1,भक्ति साहित्य,130,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,60,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,7,भीष्म साहनी,5,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,2,महादेवी वर्मा,15,महावीरप्रसाद द्विवेदी,1,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,10,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,13,रंगराज अयंगर,42,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,64,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,1,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,106,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,31,विद्यापति,4,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,44,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,13,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,29,समसामयिक हिंदी लेख,129,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,15,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,40,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",7,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,19,सूरदास,6,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,27,हरिशंकर परसाई,23,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,278,हिंदी लेख,475,हिंदी समाचार,142,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,82,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,14,hindi essay,270,hindi grammar,51,Hindi Sahitya Ka Itihas,67,hindi stories,611,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,15,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,15,sponsored news,2,Syllabus,7,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,

वर दे वीणा वादिनी में कवि ने क्या हर लेने की प्रार्थना की है?

संदर्भ- उक्त पद में कवि माता सरस्वती से स्वतंत्रता का अमृत मन्त्र प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। व्याख्या- कवि माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे वीणा का वादन करने वाली माँ सरस्वती ! तुम हमें ऐसा वरदान दो एवं मेरे देश भारत के नागरिकों में स्वतन्त्रता की भावना का अमृत (अमर) मन्त्र भर दो।

वर दे वीणा वादिनी में कौन सा अलंकार है?

उत्प्रेक्षा अलंकार​ See what the community says and unlock a badge.

वर दे वीणावादिनी वर दे किसकी कविता है?

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला वर दे, वीणावादिनि वरदे! भारत में भर दे! जगमग जग कर दे! नव पर, नव स्वर दे!

अमृत मंत्र से कवि का क्या आशय है?

अमृत-मन्त्र = ऐसे मन्त्र जो अमरत्व की ओर ले जाएँ, कल्याणकारी मन्त्र। 'मंजरी' के 'वीणावादिनि वर दे' नामक कविता से ली गई है। इस पाठ के रचयिता सुविख्यात कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला' हैं। प्रसंग-इसमें कवि ने सरस्वती माँ की वन्दना की है।