राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड कहां स्थित है - raashtreey deyaree vikaas bord kahaan sthit hai

National Dairy Development Board (Statutory Body in India)

चित्र:National Dairy Development Board.gif
प्रकार Institute of National Importance
उद्योग डेरी विकास, डेरी सहकारिता
स्थापना 16 July 1965
संस्थापक Dr. Verghese Kurien
मुख्यालय Anand, Gujarat, India
वेबसाइट www.nddb.coop/hi

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। इसका मुख्यालय गुजरात के आनन्द शहर में है तथा क्षेत्रीय कार्यालय देश के विभिन्न नगरों में फैले हुए हैं।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की स्थापना उत्पादकों के स्वामित्व और उनके द्वारा नियंत्रित संगठनों को प्रोत्साहित करने और उन्हें आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कार्यक्रम और गतिविधियों का उद्देश्य कृषक सहकारी संस्थाओं को सुदृढ़ करना तथा उन राष्ट्रीय नीतियों का समर्थन करना है जो ऐसी संस्थाओं के विकास केअनुकूल हैं।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की स्थापना 1965 में शोषण के स्थान पर सशक्तिकरण, परम्परा के स्थान पर आधुनिकता और स्थिरता के स्थान पर विकास लाने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य डेरी उद्योग को भारत के ग्रामीण लोगों के विकास के साधन के रूप में परिवर्तित करना है।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने अपना कार्य लाखों साधारण दूध उत्पादकों के जीवन में डेरी उद्योग को बेहतर भविष्य का साधन बनाने के मिशन के रूप में शुरू किया। इस मिशन को “ऑपरेशन फ्लड” कार्यक्रम के द्वारा गति और दिशा मिली। यह कार्यक्रम 26 वर्षों से भी अधिक समय तक चला। विश्व बैंक की ऋण सहायता से चले इस कार्यक्रम के फलस्वरूप भारत विश्व का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाले देश के रूप में उभरा। ऑपरेशन फ्लड का तृतीय चरण 1996 में समाप्त हुआ। ऑपरेशन फ्लड की अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं।

मार्च 2019 की स्थिति के अनुसार, भारत की 1,90,500 ग्रामीण स्तर की सहकारी डेरियां 245 दुग्ध संघों तथा 22 महासंघों से जुड़ी हैं। इन्होंने प्रतिदिन औसतन, 508 लाख किलोग्राम दूध की अधिप्राप्ति की। वर्तमान में 1.69 करोड़ किसान ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों के सदस्य हैं।

अपने स्थापना काल से ही राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने भारत के डेरी उद्योग का आयोजन इस प्रकार किया है कि डेरी उद्योग के विकास की जिम्मेदारी दुग्ध उत्पादकों और उनके द्वारा रखे गए व्यावसायिकों को सौंपी है जो इनका संचालन करते हैं। साथ ही, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड अन्य पण्य -वस्तु आधारित सहकारी संस्थाओं, संबंधित उद्योगों और पशु चिकित्सा जैविकों को सघन एवं राष्ट्रव्यापी स्तर पर बढ़ावा देता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • दुग्ध क्रांति

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  • राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का मुख्यालय कहाँ पर स्थित है?

First Published: April 27, 2018

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का मुख्यालय गुजरात के आनंद में स्थित है| यह एक राष्ट्रीय निकाय है| इसकी स्थापना 1965 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी|

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राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड अधिनियम, 1987

(1987 का अधिनियम संख्यांक 37)

[15 सितंबर, 1987]

गुजरात राज्य में राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के रूप में ज्ञात संस्था को

राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित करने के लिए और उसके निगमन

का तथा निगमित निकाय द्वारा सारे देश में और अधिक प्रभावी

रूप से प्रशासित करने और उसके द्वारा किए जाने वाले

कृत्यों के पालन के लिए उपबंध करने की दृष्टि

से भारतीय डेरी निगम के उपक्रमों के उस

निगमित निकाय में निहित किए जाने

का तथा उससे संबंधित और उसके

आनुषंगिक विषयों का

उपबंध करने के लिए

अधिनियम

                नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड, जो सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का 21) के अधीन बनाई गई और रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी है, ग्रामीण जनता के आर्थिक विकास के लिए सहकारी योजना को, जो आनंद (गुजरात) में विकसित की गई योजना है, अंगीकार करके देश की सेवा कर रहा है और सहकारी प्रयास के माध्यम से जन जीवन की गुणता सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ;

                और नेशनल डेरी डेवलपेंट बोर्ड के उद्देश्य ऐसे हैं कि उसे राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था बनाया जाए और उसे एक निगमित निकाय के रूप में गठित किया जाए ; 

                और इंडियन डेरी कारपोरेशन के, जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन बनाई गई और रजिस्ट्रीकृत कंपनी है, कृत्य और नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड के कृत्य एक दूसरे के पूरक हैं और उनका लक्ष्य एक समान उद्देश्य प्राप्त करना है ;

                और यह आवश्यक है कि नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड को अब तक उपलब्ध प्रचालन की स्वतंत्रता और सुनम्यता उसे उपलब्ध रहनी चाहिए ताकि वह अपने कृत्यों का अधिक प्रभावी रूप से पालन करने में समर्थ हो सके और राष्ट्र की सेवा करने में एक व्यापक और वर्धमान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके ;

                और इंडियन डेरी कारपोरेशन के उपक्रमों को नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड में निहित करना और नेशनल डेरी कारपोरेशन को उक्त निगमित निकाय द्वारा और अधिक प्रभावी रूप से प्रशासित करने और उसके द्वारा किए जाने वाले कृत्यों के पालन के लिए उपबंध करने की दृष्टि से विघटित करना आवश्यक समझा गया है ;

भारत गणराज्य के अड़तीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-

अध्याय 1

प्रारंभिक

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड अधिनियम, 1987 है ।

(2) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।

2. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था के रूप में घोषणा-गुजरात राज्य के आनंद में स्थित राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के उद्देश्य ऐसे हैं कि उसे राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था बनाया जाए, अतः यह घोषित किया जाता है कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था है ।

3. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) नियत दिन" से इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख अभिप्रेत है ;

(ख) बोर्ड" से राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड) का निदेशक बोर्ड अभिप्रेत है ;

(ग) अध्यक्ष" से राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का अध्यक्ष अभिप्रेत है ;

(घ) कंपनी अधिनियम" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) अभिप्रेत है ;

(ङ) निदेशक" से राष्ट्रीय डेरी बोर्ड का निदेशक अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत अध्यक्ष भी है ;

(च) खाद्य पदार्थ" से ऐसे खाद्य पदार्थ अभिप्रेत हैं जो आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10) की धारा 2 के खंड (क) में अंतर्विष्ट आवश्यक वस्तुओं की परिभाषा में सम्मिलित किए गए हैं ;

(छ) भारतीय डेरी निगम" से इंडियन डेरी कारपोरेशन जो कंपनी अधिनियम के अधीन बनाई गई और रजिस्ट्रीकृत कंपनी है, अभिप्रेत है और जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय गुजरात राज्य में बड़ौदा में स्थित है ;

(ज) दुग्ध उत्पाद" से निम्नलिखित अभिप्रेत हैं :-

                (i) निर्जीवाणुत, मानकीकृत, पुनः संयोजित, रवमय, दुहरा रबमय, मखनिया, सुरुचित या अम्िलत दुग्ध ; 

                (ii) आइसक्रीम ;

                (iii) क्रीम ;

                (iv) पनीर ;

                (v) मक्खन ;

                (vi) दुग्ध चूर्ण ;

                (vii) दुग्ध सहित दूध-छुड़ाई खाद्य और शिशु दुग्ध आहार ;

                (viii) कोको चूर्ण सहित या रहित माल्टमिश्रित दुग्ध आहार ;

                (ix) घी ;

                (x) निर्जल दुग्ध वसा और मक्खन तेल ;

                (xi) केसीन ;

                (xii) कोई अन्य उत्पाद, जिसमें दुग्ध या ऊपर विनिर्दिष्ट सभी दुग्ध उत्पाद या उनमें से कोई दुग्ध उत्पाद अंतर्विष्ट है, जिसे केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ;

(झ) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड" से धारा 4 के अधीन निगमित राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड अभिप्रेत है ; 

(ञ) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए विनियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;

(ट) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के संगठनात्मक और कृत्यशील स्थापन के संबंध में, पुनर्संरचना करना तथा सरल और कारगर बनाना" के अंतर्गत निम्नलिखित हैं :-

                (i) इकाइयों या कार्यालयों को खोला जाना या बंद किया जाना ;

                (ii) संगठनात्मक और कृत्यशील स्थापन का पुनरीक्षण ;

                (iii) अपेक्षित कर्मचारिवृन्द की घोषणा ;

                (iv) पदों का एकीकरण, ज्येष्ठता और वेतनमानों का नियत किया जाना ;

                (v) पुनरीक्षित स्थापन में अपेक्षित कार्मिकों का एकीकरण और उस निमित्त नियुक्ति आदेशों का जारी किया जाना ;

                (vi) पदों से आनुषंगिक कर्तव्यों और उत्तरादायित्वों की घोषणा या उनका सीमांकन ;

                (vii) एक दूसरे के समतुल्य पदों की घोषणा, और

                (viii) कोई अन्य विषय जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की संगठनात्मक या कार्यकरण जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक या उससे आनुषंगिक हो ;

(ठ) सोसाइटी" से अभिप्रेत है नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड, जो सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का 21) के अधीन बनाई गई और रजिस्ट्रीकृत और नियत दिन के ठीक पूर्व उस रूप में कृत्य कर रही एक सोसाइटी है ;

(ड) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं किंतु कंपनी अधिनियम में परिभाषित हैं वही अर्थ हैं जो उस अधिनियम में हैं ।

अध्याय 2

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड

4. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का निगमन-(1) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का उसी नाम से एक निगमित निकाय के रूप में गठन किया जाता है और ऐसे निगमित निकाय के रूप में उसका शाश्वत उत्तराधिकार और एक सामान्य मुद्रा होगी, जिसे इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन करने की तथा संविदा करने की शक्ति होगी और उस नाम से यह वाद लाएगा और उस पर वाद लाया जाएगा ।

                (2) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का मुख्य कार्यालय गुजरात राज्य के आनंद में स्थित होगा ।

                (3) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, भारत में या भारत से बाहर किसी ऐसे स्थान पर जो वह आवश्यक समझे, इकाइयां, कार्यालय, शाखाएं या अभिकरण स्थापित कर सकेगा ।

5. भारतीय डेरी निगम के उपक्रमों का राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में निहित होना और भारतीय डेरी निगम का विघटन-(1) नियत दिन से ही, इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारतीय डेरी निगम के सभी उपक्रम राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को अंतरित और उसमें निहित हो जाएंगे ।

                (2) कंपनी अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, भारतीय डेरी निगम, नियत दिन से ही, इस अधिनियम के उपबंधों के आधार पर विघटित हो जाएगा ।

6. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के निगमन का प्रभाव-नियत दिन से ही,-

(क) सोसाइटी और भारतीय डेरी निगम (जिसे इसमें इसके पश्चात् विघटित कंपनी कहा गया है) की सभी स्थावर तथा जंगम संपत्तियां और आस्तियां, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में निहित हो जाएंगी ;

(ख) सोसाइटी और भारतीय डेरी निगम के सभी अधिकार, ऋण, दायित्व, हित, विशेषाधिकार और बाध्यताएं राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को अंतरित हो जाएंगी और उसके अधिकार, दायित्व, हित, विशेषाधिकार और बाध्यताएं हो जाएंगी ;

(ग) खंड (ख) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, नियत दिन के ठीक पूर्व सोसाइटी या विघटित कंपनी के प्रयोजनों के लिए या उनके संबंध में उसके द्वारा, उसके साथ या उसके लिए उपगत सभी ऋण, दायित्व और बाध्यताएं, की गई सभी संविदाएं और किए जाने के लिए वचनबद्ध सभी मामले और बातें राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा, उसके साथ या उसके लिए उपगत, की गई या किए जाने के लिए वचनबद्ध समझी जाएंगी ;

(घ) सोसाइटी और विघटित कंपनी को नियत दिन के ठीक पूर्व देय सभी धनराशियां, बोर्ड को देय समझी जाएंगी ;

(ङ) सोसाइटी और विघटित कंपनी की प्रत्येक समनुषंगी, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की समनुषंगी हो जाएगी ;

(च) ऐसे प्रत्येक संगठन का, जिसका प्रबंध नियत दिन के ठीक पूर्व, यथास्थिति, सोसाइटी या विघटित कंपनी द्वारा किया जा रहा था, प्रबंध, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा, ऐसी अवधि के लिए, ऐसे विस्तार तक और ऐसी रीति से किया जाएगा, जैसी परिस्थितियों से अपेक्षित हों ;

(छ) ऐसा प्रत्येक संगठन, जो नियत दिन के ठीक पूर्व, सोसाइटी या विघटित कंपनी से वित्तीय, प्रबंधकीय या तकनीकी सहायता प्राप्त कर रहा था, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड से, यथास्थिति, वित्तीय, प्रबंधकीय या तकनीकी सहायता, ऐसी अवधि के लिए, ऐसी सीमा तक और ऐसी रीति से प्राप्त करता रहेगा जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ठीक समझे ;

(ज) वह रकम, जो विघटित कंपनी की पूंजी स्वरूप है, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की निधि का भाग हो जाएगी ।

(झ) इस अधिनियम से भिन्न किसी अन्य विधि में या किसी संविदा या अन्य लिखत में सोसाइटी या विघटित कंपनी के प्रति किसी निर्देश को राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के प्रति निर्देश समझा जाएगा ।

7. विधिक कार्यवाहियों की व्यावृत्ति-यदि, नियत दिन को सोसाइटी या विघटित कंपनी द्वारा या उसके विरुद्ध कोई वाद, माध्यस्थम्, अपील या किसी भी प्रकार की अन्य विधिक कार्यवाही लंबित है तो, यथास्िथति, धारा 4 के अधीन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के निगमन या धारा 5 के अधीन भारतीय डेरी निगम के विघटन के कारण, उसका उपशमन नहीं होगा, वह बंद नहीं होगी या उस पर किसी भी रूप में प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा किंतु कोई वाद, माध्यस्थम्, अपील या अन्य कार्यवाहियां राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा या उसके विरुद्ध उसी रीति से और उसी सीमा तक चालू रखी जा सकेंगी, चलाई जा सकेंगी और प्रवर्तित की जा सकेंगी जिस प्रकार वे, यथास्थिति, सोसाइटी या विघटित कंपनी द्वारा या उसके विरुद्ध तब चालू रखी जातीं या जा सकतीं, चलाई जातीं या जा सकतीं और प्रवर्तित की जातीं या जा सकतीं यदि यह अधिनियम पारित नहीं हुआ होता ।

अध्याय 3

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का प्रबंध

8. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का प्रबंध और उसके निदेशक बोर्ड की संरचना-(1) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कार्यकलाप और कारबार का साधारण अधीक्षण, निदेशन, नियंत्रण और प्रबंध एक निदेशक बोर्ड में निहित होगा जो ऐसी सभी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे सब कार्य और बातें करेगा जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा प्रयोग किया जा सकता है या की जा सकती है ।

                (2) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का निदेशक बोर्ड निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगा, अर्थात् :-

                                (क) एक अध्यक्ष ;

                                (ख) केंद्रीय सरकार के पदाधारियों में से एक निदेशक ;

                                (ग) राज्य सहकारी डेरी परिसंघों के अध्यक्षों में से दो निदेशक ;

                                (घ) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के उच्चतम श्रेणी के कार्यपालकों में से तीन से अनधिक पूर्णकालिक निदेशक ;

                                (ङ) एक निदेशक, जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड से बाहर का कोई विशेषज्ञ हो ।

                (3) उपधारा (2) के खंड (ख) में निर्दिष्ट अध्यक्ष और निदेशक केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्देशित किए जाएंगे और उपधारा (2) के खंड (ग), खंड (घ) और खंड (ङ) में निर्दिष्ट निदेशकों को केंद्रीय सरकार द्वारा अध्यक्ष से परामर्श के पश्चात् नामनिर्देशित किया जाएगा :

परंतु उपधारा (2) के खंड (ङ) में निर्दिष्ट अध्यक्ष और निदेशक, एक या अधिक विशिष्ट विषय, अर्थात् डेरी उद्योग, पशुपालन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ग्रामीण विकास, कारबार प्रशासन या बैंकिंग में वृत्तिक रूप से अर्हित व्यक्ति होंगे ।

                (4) बोर्ड अपने साथ किसी ऐसे व्यक्ति को, ऐसी रीति से, ऐसी शर्तों पर और ऐसे प्रयोजनों के लिए, जो वह ठीक समझे, सहयोजित कर सकेगा जिसकी सहायता या सलाह वह इस अधिनियम के किसी उपबंध का अनुपालन करने के लिए लेना चाहता है और इस प्रकार सहयोजित व्यक्ति को उन प्रयोजनों से, जिनके लिए उसे सहयोजित किया जाता है, सुसंगत बोर्ड के विचार-विमर्श में भाग लेने का अधिकार होगा किंतु उसे मत देने का अधिकार नहीं होगा ।

9. अध्यक्ष और निदेशकों का कार्यकाल और सेवा की शर्तें, आदि-(1) अध्यक्ष, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का मुख्य कार्यपालक होगा और ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेगा जो केंद्रीय सरकार अवधारित करे और इस प्रकार नामनिर्देशित कोई व्यक्ति पुनः नामनिर्देशित किए जाने का पात्र होगा ।

                (2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, केंद्रीय सरकार को, उस उपधारा के अधीन अवधारित अवधि के अवसान के पूर्व किसी भी समय उसे लिखित रूप में तीन मास से अन्यून की सूचना देकर या उसके बदले में तीन मास का वेतन और भत्ते देकर, अध्यक्ष की सेवा समाप्त कर देने का अधिकार होगा और अध्यक्ष को भी, उस उपधारा के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि के अवसान के पूर्व किसी भी समय केंद्रीय सरकार को लिखित रूप में तीन मास से अन्यून की सूचना देकर अपना पद छोड़ने का अधिकार होगा ।

                (3) अध्यक्ष ऐसा वेतन और भत्ते प्राप्त करेगा जो केंद्रीय सरकार अवधारित करे ।

                (4) जहां राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के किसी कार्यपालक को, धारा 8 के अधीन, उसके पूर्णाकालिक निदेशक के रूप में नामनिर्देशित किया गया है वहां ऐसा नामनिर्देशन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कार्यपालक के रूप में उसकी निरंतरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा और निदेशक न रह जाने पर वह ऐसे कार्यपालक के रूप में बना रह सकेगा ।

                (5) धारा 8 की उपधारा (2) के खंड (ग) के अधीन नामनिर्देशित निदेशक, एक बार में, एक वर्ष से अनधिक ऐसी अवधि के लिए, जो केंद्रीय सरकार अवधारित करे, पद धारण करेंगे, और धारा 8 की उपधारा (2) के खंड (घ) और खंड (ङ) के अधीन नामनिर्देशित निदेशक ऐसी अवधि के लिए जो केंद्रीय सरकार अवधारित करे, पद धारण करेंगे ।

                (6) अध्यक्ष से भिन्न, प्रत्येक निदेशक केंद्रीय सरकार के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा ।

                (7) धारा 8 की उपधारा (1) के खंड (ख), खंड (ग) और खंड (ङ) में निर्दिष्ट निदेशकों को ऐसे भत्तों का संदाय किया जाएगा जो केंद्रीय सरकार अवधारित करे ।

10. बोर्ड की बैठकें-(1) बोर्ड, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के प्रधान कार्यालय, या उसके किसी अन्य कार्यालय में, ऐसे समयों पर जो अध्यक्ष निदेश दे, बैठक करेगा और अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार की बाबत (जिसके अंतर्गत उसकी बैठकों में गणपूर्ति भी है) प्रक्रिया के ऐसे नियमों का अनुपालन करेगा जो विहित किए जाएं ।

                (2) अध्यक्ष, या यदि वह बोर्ड की बैठक में उपस्थित होने में असमर्थ है तो उसके द्वारा इस निमित्त नामनिर्देशित कोई अन्य निदेशक, और ऐसे नामनिर्देशन के अभाव में या जहां अध्यक्ष नहीं है वहां उपस्थित निदेशकों द्वारा अपने में से चुना गया कोई निदेशक, बैठक की अध्यक्षता करेगा ।

                (3) ऐसे सभी प्रश्नों का, जो बोर्ड की किसी बैठक में उठते हैं, विनिश्चय उपस्थित और मत देने वाले निदेशकों के बहुमत से किया जाएगा और मतों के बराबर होने की दशा में, अध्यक्ष या पीठासीन व्यक्ति को द्वितीय या निर्णायक मत देने का अधिकार होगा ।

                (4) उपधारा (3) में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, बोर्ड के प्रत्येक निदेशक का एक मत होगा ।

11. बोर्ड के कारबार के संव्यवहार की रीति-(1) बोर्ड, इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपने कृत्यों के निर्वहन में, लोक हित का सम्यक् ध्यान रखते हुए, ठोस कारबारी सिद्धांतों पर कार्य करेगा ।

                (2) जैसा अन्यथा विहित है उसके सिवाय, अध्यक्ष को राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कार्यकलाप और कारबार का साधारण अधीक्षण, निदेशन, नियंत्रण और प्रबंध करने की शक्ति होगी और वह ऐसी सभी अन्य शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा और वे सब कार्य और बातें कर सकेगा जिनका प्रयोग, या जिन्हें बोर्ड कर सकता है ।

                (3) जब अध्यक्ष बाहर होने के कारण या अन्यथा अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो, तो वह किसी भी पूर्णकालिक निदेशक को किसी अस्थायी अवधि के लिए अपने सभी या किन्हीं कृत्यों का निर्वहन करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगा ।

                (4) अध्यक्ष और उपधारा (3) में यथानिर्दिष्ट प्राधिकृत पूर्णकालिक निदेशक की किसी भी कारण से अनुपस्थिति की दशा में, अध्यक्ष की शक्तियों का प्रयोग धारा 8 की उपधारा (2) के खंड (घ) में विनिर्दिष्ट पूर्णकालिक निदेशकों में से ज्येठतम निदेशक द्वारा किया जा सकेगा ।

12. प्रबंध समितियां-(1) बोर्ड, अपने कृत्यों का दक्षतापूर्वक निर्वहन करने में सहायता देने के प्रयोजन के लिए, समय-समय पर, उतनी प्रबंध समितियों का गठन कर सकेगा जितनी वह ठीक समझे ।

                (2) प्रबंध समिति में उसके सदस्यों के रूप में उतने व्यक्ति (निदेशक के रूप में या अन्यथा) होंगे जितने बोर्ड अवधारित करे किंतु शर्त यह है कि ऐसी प्रत्येक समिति में या तो अध्यक्ष या एक पूर्णकालिक निदेशक उसका एक सदस्य होगा ।

                (3) प्रत्येक प्रबंध समिति, बोर्ड के साधारण नियंत्रण, निदेशन और अधीक्षण के अधीन, और ऐसी अवधि के लिए और ऐसी रीति से, कृत्य करेगी जो बोर्ड निदेश दे ।

                (4) प्रबंध समितियों की प्रत्येक बैठक का कार्यवृत्त, यथाशक्यशीघ्र, बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा ।

13. प्रबंध समितियों के सदस्यों के भत्ते, आदि-(1) अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों से भिन्न, किसी प्रबंध समिति के सदस्यों को, प्रबंध समिति की बैठकों में उपस्थित होने के लिए या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के किसी अन्य कार्य को करने के लिए ऐसे भत्तों का, यदि कोई हों, संदाय किया जा सकेगा जो विहित किए जाएं ।

                (2) प्रबंध समितियों की कार्यवाहियों के संचालन से संबंधित अन्य सभी विषय वे होंगे जो अवधारित किए जाएं ।

14. प्रबंध समितियों, आदि को शक्तियों का प्रत्यायोजन-(1) बोर्ड, इस अधिनियम के अधीन अपनी ऐसी शक्तियों और कृत्यों को, जिन्हें वह उसके कृत्यों के दक्षतापूर्ण निर्वहन के लिए आवश्यक समझता है, किसी प्रबंध समिति को या उसके किसी सदस्य को या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के किसी अधिकारी को, ऐसी शर्तों और सीमाओं के, यदि कोई हैं, अधीन रहते हुए प्रत्यायोजित कर सकेगा जो बोर्ड द्वारा विनिर्दिष्ट की जाएं ।

                (2) बोर्ड, यदि वह लोक हित में ऐसा करना आवश्यक समझता है तो, अपनी किन्हीं शक्तियों और कृत्यों को राष्ट्रीय या राज्य स्तर के किसी सहकारी परिसंघ को, या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के स्वामित्व, प्रबंध, नियंत्रण के अधीन, या उससे सहायताप्राप्त किसी संगठन को, ऐसी शर्तों और सीमाओं के, यदि कोई हैं, अधीन रहते हुए, प्रत्यायोजित कर सकेगा जो उसके द्वारा विनिर्दिष्ट की जाएं ।

15. पूर्णकालिक निदेशकों, आदि को शक्तियों का प्रत्यायोजन-बोर्ड, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के किसी कर्मचारी की नियुक्ति, सेवा के समापन, उसके निलंबन और हटाए जाने की शक्ति समय-समय पर आदेश द्वारा, ऐसी साधारण और विशेष शर्तों के अधीन रहते हुए, जिन्हें वह अधिरोपित करना ठीक समझे, निम्नवत् प्रत्यायोजित कर सकेगा, अर्थात्: -

                (क) ऐसी उच्चतर श्रेणी में, जो विहित की जाएं, वेतन पाने वाले की दशा में, पूर्णकालिक निदेशक को; और

                (ख) खंड (क) के अधीन विहित उच्चतर श्रेणी से भिन्न किसी श्रेणी में वेतन पाने वाले की दशा में, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के ऐसे अधिकारी को, जिसे वह ठीक समझे:

                परंतु खंड (ख) के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों की दशा में, अध्यक्ष, यदि वह ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझता है तो, इस धारा के अधीन बोर्ड के कृत्यों का पालन कर सकेगा ।

अध्याय 4

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की शक्तियां और उसके कृत्य

16. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की शक्तियां और उसके कृत्य-(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, -

(क) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का गठन और राष्ट्रव्यापी आधार पर डेरी और अन्य कृषि पर आधारित तथा सहबद्ध उद्योगों और जैविकों के विकास के प्रयोजनों के लिए योजना का संवर्तन करना तथा कार्यक्रमों का आयोजन करना और ऐसे कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सहायता देना राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का कर्तव्य और कृत्य होगा;

(ख) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का गठन और राष्ट्रव्यापी स्तर पर अधिक प्रभावी रीति से सहकारी नीति अंगीकृत करना और पूर्वोक्त प्रयोजनों के लिए ऐसे उपाय करना जो आवश्यक हों, उत्तरदायित्व होगा; और

(ग) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड उक्त प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए और इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपने कृत्यों और उत्तरदायित्वों के पालन के लिए ऐसे अध्युपाय कर सकेगा जिन्हें वह आवश्यक   समझे ।

                (2) विशिष्टितया, और पूर्वगामी उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उसमें निर्दिष्ट अध्युपायों में निम्नलिखित के लिए उपबंध किया जा सकेगा-

(क) डेरी, प्रतिरक्षा-विज्ञान, पशुपालन, कृषि और बागवानी के क्षेत्रों में अनुसंधान और संप्रवर्तन संबंधी क्रियाकलापों को सुकर बनाना;

(ख) सहकारी या पब्लिक सेक्टर के ऐसे संगठनों को, जो दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के उत्पादन, उपापन, परिरक्षण या विपणन में लगे हुए हैं, प्रौद्योगिकी व्यवहार-ज्ञान प्रदान करना;

(ग) उस तकनीकी व्यवहार-ज्ञान को, जो कार्मिक को प्रदान कराया जाए, आत्मसात् और उपयोग करने के लिए कार्मिक का प्रशिक्षण सुकर बनाना;

(घ) डेरी उद्योगों की परिकल्पना करना, योजना बनाना, उसका संप्रवर्तन करना, विकास करना, निर्माण करना, उसे प्रायोजित और स्थापित करना और कोई अन्य संबंधित संप्रवर्तन संबंधी क्रियाकलाप चलाना, जिसके अंतर्गत उसका वित्तपोषण भी है;

(ङ) परामर्शी और प्रबंधकीय सेवाएं उपलब्ध कराना, और दायित्वपूर्ण आधार पर या अन्यथा किसी परियोजना का निष्पादन करना, दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के भंडारकरण, परिवहन, प्रसंस्करण, वितरण जैसी अनिवार्य सेवाएं देना तथा दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के संबंध में प्रमुख संस्था के रूप में कार्य करना;

(च) निम्नलिखित के लिए ऐसे अध्युपाय अंगीकृत करना जो व्यवहार्य हों-

                (i) सभी प्रक्रमों पर या अन्यथा, अपशिष्ट का परिवर्जन करके दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का संरक्षण;

(ii) दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के प्राथमिक उत्पादकों और सहकारी तथा पब्लिक सेक्टर के व्यक्तियों को प्रोत्साहन कीमत प्राप्त करने में सहायता; और

(iii) एक राष्ट्रीय दुग्धग्रिड की रचना;

(छ) जब भी आवश्यक हो, दुग्ध के क्रय या विक्रय के लिए नियत की जाने वाली अधिकतम और न्यूनतम कीमत के बारे में सरकार को सिफारिश करना और यदि ऐसी अपेक्षा हो तो इसके प्रवर्तन में सहायता करना;

(ज) दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के और दुधारू पशुओं या सांडों के आयात और निर्यात की बाबत एक प्रणाली अभिकरण के रूप में कृत्य करना;

(झ) निम्नलिखित के लिए वित्तीय, तकनीकी, प्रशासनिक, प्रबंधकीय या अन्य सहायता उपलब्ध कराना या ऐसे अध्युपाय करना जो आवश्यक हों-

(अ) अधिक दुग्ध देने वाले पशुओं का विकास (यदि अपेक्षित हो तो क्वालिटी वीर्य का आयात करके) और परिरक्षण;

(आ) पशु प्रजनन की उन्नत पद्धतियों का अंगीकरण;

(इ) बेहतर और उन्नत पशु दानों के, जिसके अंतर्गत चारा भी है, उत्पादन और प्रदाय की वृद्धि; और

(ई) साधारणतया देश के पशुधन को बढ़ाना;

(ञ) दुग्ध और दुग्ध उत्पादों में, ऐसी रीति से जो बोर्ड ठीक समझे, उपलब्ध संस्थाओं का उपयोग करके या अन्यथा, प्रौद्योगिक, औद्योगिक या आर्थिक अनुसंधान का प्रसंस्करण, संवर्धन या वित्तपोषण करना;

(ट) सहकारी परिसंघों, सहकारी संघों या सहकारी उद्यमों को अथवा सहकारी या पब्लिक सेक्टर में की किसी ऐसी स्कीम को, जिसका आशय दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के राष्ट्रव्यापी आधार पर उत्पादन, परिरक्षण, वितरण और उपभोग को बढ़ावा देना है, ऐसी रीति से जो बोर्ड समुचित समझे, वित्तपोषण करना (जिसके अंतर्गत पूंजी का अभिदाय भी है);

(ठ) डेरी और सहबद्ध उद्योगों का विनियमन करना और उनके लिए, जैसी केंद्रीय सरकार द्वारा अपेक्षा की जाए, विनियामक प्राधिकरण के रूप में कृत्य करना;

(ड) दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के उत्पादन में लगे संगठनों के विकास और समन्वय के लिए अध्युपाय अंगीकृत करना ताकि उनके प्राथमिक उत्पादकों को डेरी और सहबद्ध उद्योगों के विकास और वृद्धि में भागीदार होने और उनका हिताधिकारी बनने के लिए समर्थ किए जा सके;

(ढ) राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड, और राष्ट्रीय दुधारू पशु के और डेरी तथा सहबद्ध उद्योगों से संबंधित किसी अन्य विषय के दक्षतापूर्ण प्रबंध के लिए आवश्यक सुसंगत आंकड़े और सांख्यिकी संगृहीत करना और उसका संकलन करना; 

(ण) डेरी और सहबद्ध उद्योगों के अनुसंधान और विकास के प्रचार का संवर्धन करना;

(त) देश के विभिन्न भागों में दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का संवर्धन करना और उनके उत्पादन, श्रेणीकरण और विपणन का विकास करना;

(थ) अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विदेशी विशेषज्ञों के साथ सहयोग करना तथा दुग्ध और दुग्ध उत्पादों और किन्हीं अन्य खाद्य पदार्थों के किसी दान को प्राप्त करने, उसका उपयोग और वितरण करने के लिए केंद्रीय सरकार के अभिकर्ता के रूप में कृत्य करना;

(द) आधारी वस्तुओं के बफर स्टाक का एक आरक्षिति तैयार करना;

(ध) जहां, बोर्ड की राय में, अपशिष्ट से बचने के लिए या अन्यथा लोकहित में ऐसा करने के लिए अपेक्षित है और साधारणतया उसके द्वारा उत्पादित, प्रसंस्कृत या प्रोन्नत किसी चीज के निर्यात के लिए दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का निर्यात बढ़ाना;

                                (न) अपने कारबार के प्रयोजनों के लिए किसी संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन करना;

                (प) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड से सहायता प्राप्त करने वाले संगठनों के संबंध में उनके संपूर्ण प्रबंधकीय, तकनीकी या अन्य कृत्यों या उनके किसी भाग का प्राप्तिकर्ता संगठन को अंतरण करना;

(फ) जंगम या स्थावर संपत्ति की प्रतिभूति पर या अन्यथा रकम उधार देना या ऋण पर देना;

(ब) ऐसी रीति से और ऐसी प्रतिभूति पर जो बोर्ड ठीक समझे, रकम उधार लेना;

(भ) किसी ऐसी दशा में स्वयं या किन्हीं अन्य संगठनों के माध्यम से, किसी अन्य कारबार या कारबार के वर्ग को चलाना, जिसमें ऐसा कारबार या कारबार का वर्ग नियत दिन के ठीक पूर्व सोसाइटी या विघटित कंपनी द्वारा चलाया जा रहा था;

(म) दुग्ध और दुग्ध उत्पादों तथा अन्य खाद्य पदार्थों के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के मध्य सहकारी प्रयास का संवर्धन करना और प्रोत्साहन देना;

(य) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा दी गई किसी सहायता या की गई सेवाओं के लिए फीस या अन्य प्रभार उद्गृहीत करना;

(यक) कोई अन्य कारबार चलाना या कोई अन्य कार्य या बात करना जो इस अधिनियम के अधीन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के उद्देश्यों को अग्रसर करने के लिए आवश्यक, आनुषंगिक या साधक हों ।

                (3) यदि, नियत दिन के ठीक पूर्व, सोसाइटी या विघटित कंपनी, दुग्ध और दुग्ध उत्पादों या डेरी उद्योग से भिन्न, किसी वस्तु या उत्पाद के संबंध में, उत्पादन, अनुसंधान और विकास, प्रसंस्करण, विपणन, आयात, निर्यात या अन्य क्रियाकलाप में लगी हुई थी या कोई सेवा कर रही या सहायता दे रही थी, तो, इस अधिनियम या किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, उक्त वस्तु या उत्पाद के संबंध में, उत्पादन, अनुसंधान और विकास, प्रसंस्करण, विपणन, आयात, निर्यात या अन्य क्रियाकलापों में लगा रह सकेगा, या ऐसी अन्य सेवाएं कर सकेगा या सहायता दे सकेगा जो अपेक्षित हों, और उपधारा (1) और उपधारा (2) के उपबंध, जहां तक हो सके, उस वस्तु या उत्पाद के संबंध में ऐसे लागू होंगे मानो उसमें दुग्ध और दुग्ध उत्पादों या डेरी और सहबद्ध उद्योगों के प्रति कोई निर्देश उस वस्तु या उत्पाद या सेवा या क्रियाकलाप के प्रति निर्देश है ।

                (4) जहां केंद्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार यह समझती है कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की विशेष विशेषज्ञता और जनता की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक या उचित है कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को उस क्रियाकलाप से जिसको पूर्वगामी उपधाराएं लागू होती हैं, भिन्न कोई क्रियाकलाप सौंपा जाना चाहिए, वहां वह राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को ऐसा क्रियाकलाप सौंप सकेगी और तब राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ऐसे क्रियाकलाप करने के लिए सक्षम होगा ।

                (5) पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, किसी अन्य संगठन में, वित्तीय रूप से, प्रबंधकीय रूप से या किसी अन्य रीति से, साझेदार होने के लिए सक्षम होगा ।

अध्याय 5

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के निदेशकों और कर्मचारियों से संबंधित उपबंध

17. सोसाइटी के बोर्ड के सदस्यों और विघटित कंपनी के निदेशकों के संबंध में उपबंध-नियत दिन के ठीक पूर्व, सोसाइटी के बोर्ड के सदस्य या विघटित कंपनी के निदेशक के रूप में पद धारण करने वाला प्रत्येक व्यक्ति, उस दिन से ही ऐसे सदस्य या निदेशक के रूप में पद धारण नहीं करेगा ।

18. सोसाइटी और विघटित कंपनी के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों से संबंधित उपबंध-धारा 19 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सोसाइटी या विघटित कंपनी में नियत दिन के ठीक पूर्व पद धारण करने वाले प्रत्येक पूर्णकालिक अधिकारी या अन्य कर्मचारी, नियत दिन से ही, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का, यथास्थिति, अधिकारी या अन्य कर्मचारी हो जाएगा और राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में सेवा के उन्हीं निबंधनों और शर्तों पर पद धारण या सेवा करता रहेगा, जिन पर वह, यथास्थिति, सोसाइटी या विघटित कंपनी के अधीन रहा होता, और ऐसा तब तक करता रहेगा जब तक बोर्ड द्वारा सेवा के उसके निबंधनों और शर्तों में सम्यक् रूप से परिवर्तन नहीं कर दिया जाता है ।

19. बोर्ड की राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के संगठनात्मक और कृत्यशील स्थापन की कार्यकरण में अधिकतम दक्षता सुनिश्चित करने के लिए पुनर्संरचना करने तथा सरल और कारगर बनाने की शक्ति-(1) इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ऐसे आदेश या ऐसी कार्रवाई कर सकेगा जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के संगठनात्मक और कृत्यशील स्थापन की कार्यकरण में अधिकतम दक्षता सुनिश्चित करने के लिए पुनर्संरचना करने तथा सरल और कारगर बनाने के लिए आवश्यक हो, और बोर्ड, इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी या अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों के किसी वर्ग को अनावश्यक घोषित करने के लिए सक्षम होगा, यदि वह एक ही प्रकृति के दोहरे पदों या पुनरीक्षित स्थापन में पद के लिए अपेक्षित विशेष विशेषज्ञता के न होने या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के किसी विशिष्ट कार्यालय या एकक में पदों की अनुपलब्धता के कारण, अधिशिष्ट होने के कारण या अन्यथा उन्हें अनावश्यक पाता है और यह साध्य नहीं है कि उसे विशिष्ट श्रेणी में उस प्रकार के पद पर रखा जाएं ।

                (2) यदि बोर्ड इस प्रकार उसे अंतरित अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की सेवा शर्तों को युक्तिसंगत बनाने के प्रयोजन के लिए आवश्यक समझता है तो, उसे इस अध्याय की कोई बात उनके पदनाम, उनको लागू सेवा की शर्तों या वेतनमान में परिवर्तन करने या उनके कर्तव्यों को पुनः आंबटित करने से निवारित नहीं करेगी ।

20. अनावश्यक कर्मचारियों, आदि को प्रतिकर के संबंध में स्कीमें-(1) धारा 19 के अनुसरण में अनावश्यक घोषित किए गए अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों से ऐसी स्कीम या स्कीमों के अनुसार व्यवहार किया जाएगा, जो बोर्ड, केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से इस निमित्त बनाए और अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों या प्रवर्गों के संबंध में विभिन्न स्कीमें बनाई जा सकेंगी ।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट स्कीम या स्कीमों में निम्नलिखित के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात्: -

                                (क) उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अधिकारी और कर्मचारी को संदेय प्रतिकर की मात्रा और उसके संदाय का ढंग:

                परंतु इस प्रकार संदेय प्रतिकर किसी भी दशा में उससे कम नहीं होगा जो उसे लागू सेवा शर्तों के अधीन संदेय होता यदि उसे सेवा से अभिमुक्त कर दिया जाता;

(ख) वेतन या अन्य परिलब्िधयों, भविष्य निधि, उपदान या किसी अन्य रकम की बकाया की मात्रा, जो उनको लागू सेवा शर्तों के अनुसार संदेय हों;

(ग) व्यथित अनावश्यक अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के लिए अपील और अपील प्राधिकारी के लिए, जो भारत सरकार के कृषि से संबंधित मंत्रालय में संयुक्त सचिव की पंक्ति से नीचे का अधिकारी नहीं होगा, उपबंध;

(घ) उनके अनावश्यक घोषित किए जाने के परिणामस्वरूप सेवा की समाप्ति से संबंधित कोई अन्य विषय ।

21. कर्मचारियों के अंतरण के लिए प्रतिकर का संदेय होना-सोसाइटी या विघटित कंपनी के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी की सेवाओं के राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को अंतरण से कोई ऐसा अधिकारी या अन्य कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन किसी प्रतिकर का हकदार नहीं होगा और ऐसा कोई दावा किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकरण द्वारा ग्रहण नहीं किया जाएगा ।

22. भविष्य निधि, उपदान, कल्याण और अन्य निधियां-(1) जहां सोसाइटी या विघटित कंपनी द्वारा अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों के फायदे के लिए, उनमें से किसी की बाबत भविष्य निधि स्थापित की गई है और वह किसी न्यास में निहित है, वहां प्रत्येक भविष्य निधि के खाते में बकाया धन और अन्य आस्तियां, उन्हीं उद्देश्यों सहित जो नियत दिन के पूर्व लागू थे, न्यास द्वारा धारित रहेंगी और नियत दिन के ठीक पूर्व ऐसे न्यासों के न्यासी, न्यास विलेखों के उपबंधों और संबंधित न्यासों से संबंधित नियमों के अधीन रहते हुए, संबंधित भविष्य निधि की बाबत न्यासियों के रूप में तब तक कृत्य करते रहेंगे जब तक राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा अन्यथा निदेश नहीं दिया जाता, और उक्त न्यासों से संबंधित अधिकार, नियत दिन से ही, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में निहित हो जाएंगे । 

                (2) जहां सोसाइटी या विघटित कंपनी द्वारा, अपने अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों के फायदे के लिए, कोई उपदान, कल्याण या अन्य निधि स्थापित की गई थी और वह नियत दिन के ठीक पूर्व विद्यमान है, वहां ऐसे उपदान, कल्याण या अन्य निधि के खाते में या उससे संबंधित सभी धन और अन्य आस्तियां राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में निहित हो जाएंगी ।

                (3) उपधारा (1) और उपधारा (2) में किसी बात के होते हुए भी, बोर्ड, न्यासों या निधियों के संबंध में ऐसे निदेश दे सकेगा या ऐसी अन्य कार्रवाई कर सकेगा जो वह ठीक समझे जिससे कि न्यासों या निधियों में एकरूपता या भागतः या पूर्णतः एकीकरण लाया जा सके ।

                (4) बोर्ड, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों या उनके कुटुंबों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, उनके स्वास्थ्य, शिक्षा या अन्य हितों के अभिवर्धन के लिए ऐसे उपाय कर सकेगा जो विहित किए जाएं और ऐसी संस्थाओं का सृजन कर सकेगा जो उस प्रयोजन के लिए अपेक्षित हों ।

                (5) इस धारा के पूर्वगामी उपबंधों की कोई बात, बोर्ड द्वारा अपने अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों में से किसी के लिए कोई भविष्य निधि, कल्याण निधि, उपदान निधि या अन्य निधि के स्थापन या अनुरक्षण के लिए विनियम बनाने की शक्ति को न्यून नहीं करेगी ।

अध्याय 6

वित्त, लेखा और लेखापरीक्षा

23. बोर्ड की उधार लेने की शक्तियां-बोर्ड, केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से या केंद्रीय सरकार द्वारा उसको दिए गए किसी साधारण या विशेष प्राधिकार के निबंधनों के अनुसार किसी भी स्रोत से धन उधार ले सकेगा जो वह इस अधिनियम के अधीन अपने सभी या किन्हीं कृत्यों के निर्वहन के लिए ठीक समझे ।

24. केंद्रीय सरकार द्वारा अनुदान और उधार-केंद्रीय सरकार, संसद् की इस निमित्त विधि द्वारा विनियोग के पश्चात्, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को अनुदानों या उधारों के तौर पर उतनी धनराशियां दे सकेगी जितनी केंद्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाने के लिए ठीक समझे ।

25. अनुदान, संदान, आदि-(1) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, सरकार से या भारत में या भारत के बाहर किसी अन्य स्रोत से दान, अनुदान, संदान या उपकृतियां प्राप्त कर सकेगा और उसका उपयोग बोर्ड द्वारा इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के लिए किया जाएगा ।

(2) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड किसी विदेशी सरकार या भारत के बाहर के किसी अन्य स्रोत से कोई दान, अनुदान, संदान या उपकृतियां केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना प्राप्त नहीं करेगा ।

26. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड निधि-(1) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड एक निधि रखेगा जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड निधि कहलाएगी और उसमें निम्नलिखित जमा किया जाएगा-

                (क) अध्याय 2 के अधीन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में निहित सभी धनराशियां;

                (ख) सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सभी धनराशियां;

                (ग) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा प्राप्त सभी फीसें और अन्य प्रभार;

                (घ) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा दान की वस्तुओं से प्राप्त या उसके द्वारा दानों, संदानों, उपकृतियों, वसीयत या अंतरणों के तौर पर प्राप्त सभी धनराशियां, और

                (ङ) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा किसी अन्य रीति से या किसी अन्य स्रोत से प्राप्त सभी धनराशियां ।

                (2) उक्त निधि में जमा की गई सभी धनराशियां, इस निमित्त बनाए गए विनियमों, यदि कोई हों, के अधीन रहते हुए, भारतीय स्टेट बैंक या किसी अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक के पास निक्षिप्त कर दी जाएंगी ।

                स्पष्टीकरण-इस उपधारा में राष्ट्रीयकृत बैंक" से बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970 (1970 का 5) और बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1980(1980 का 40) में यथा परिभाषित तत्स्थानी नया बैंक अभिप्रेत है ।

                (3) उक्त निधि का राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के प्रशासनिक और अन्य व्ययों की पूर्ति के लिए उपयोजन किया जाएगा, जिसके अंतर्गत धारा 16 के अधीन शक्तियों के प्रयोग और उसके कृत्यों और उत्तरदायित्वों के निर्वहन या उसमें निर्दिष्ट किसी क्रियाकलाप की बाबत या उससे संबद्ध किसी बात के लिए उपगत व्यय भी हैं ।

27. लेखा और तुलनपत्र तैयार करना-(1) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का तुलनपत्र और लेखा ऐसे प्ररूप में और ऐसी रति से तैयार किए जाएंगे जो विहित की जाए ।

                (2) बोर्ड, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की बहियों और लेखाओं को, प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को या ऐसी अन्य तारीख को, जो बोर्ड केंद्रीय सरकार की सहमति से विनिश्चित करे, बंद और संतुलित करवाएगा ।

28. लेखापरीक्षा-(1) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के लेखओं की कंपनी अधिनियम के अधीन कंपनियों के लेखा परीक्षकों के रूप में कार्य करने के लिए सम्यक् रूप से अर्हित लेखा परीक्षकों द्वारा लेखापरीक्षा की जाएगी, और लेखा परीक्षकों की नियुक्ति और उनको संदेय पारिश्रमिक केंद्रीय सरकार के अनुमोदन के अधीन होंगे ।

                (2) प्रत्येक लेखा परीक्षक की, अपने कर्तव्यों के अनुपालन में राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की बहियों, लेखाओं और अन्य दस्तावेजों तक सभी युक्तियुक्त समयों पर पहुंच होगी ।

                (3) लेखा परीक्षक अपनी रिपोर्ट बोर्ड को भेजेंगे और बोर्ड उनकी रिपोर्ट की एक प्रति केंद्रीय सरकार को भेजेगा ।

29. रिपोर्टों का संसद् के समक्ष रखा जाना-केंद्रीय सरकार, धारा 28 के अधीन लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट को, केंद्रीय सरकार द्वारा ऐसी रिपोर्ट की प्राप्ति के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के दोनों सदनों के समक्ष रखवाएगी ।

30. करार पाई गई अवधि के पूर्व प्रतिसंदाय की अपेक्षा करने की शक्ति-किसी करार में तत्प्रतिकूल किसी बात के होते हुए भी, बोर्ड, किसी ऐसे व्यक्ति से जिसे राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड या सोसाइटी या विघटित कंपनी ने कोई उधार या ऋण दिया है, लिखित रूप में सूचना द्वारा, उस दशा में यह अपेक्षा कर सकेगा कि वह तुरंत बोर्ड के प्रति अपने दायित्वों का पूर्णतः निर्वहन करे, -

(क) यदि बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि उधार या ऋण के आवेदन में किसी तात्त्विक विशिष्टि में कोई मिथ्या या भ्रामक जानकारी दी गई थी ; या 

(ख) यदि व्यक्ति, उधार या ऋण विषयक अपनी संविदा के निबंधनों का अनुपालन करने में असफल हो गया है; या

(ग) यदि ऐसी युक्तियुक्त आशंका है कि व्यक्ति अपने ऋणों का संदाय करने में असमर्थ है या उसकी बाबत समापन की कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है; या

(घ) यदि, उधार या ऋण के लिए, प्रतिभूति के रूप में, गिरवी की गई, बंधक रखी गई, आडमान की गई या समनुदिष्ट की गई संपत्ति का, बोर्ड के समाधानप्रद रूप में, बीमा नहीं हुआ है या व्यक्ति द्वारा बीमा नहीं कराया गया है (या उसके मूल्य में उस सीमा तक अवक्षयण हो गया है कि बोर्ड की राय में, बोर्ड के समाधानप्रद रूप में और प्रतिभूति दी जानी चाहिए और ऐसी प्रतिभूति मांग के पश्चात् नहीं दी गई है); या

(ङ) यदि, सम्यक् अनुज्ञा के बिना, किसी मशीनरी, संयंत्र या अन्य उपस्कर (चाहे वह प्रतिभूति का भागरूप है या नहीं) को, उसके बिना बदले संबंधित परिसर से हटा दिया जाता है; या

(च) यदि बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि माल के प्रदाय या परियोजना के कार्यान्वयन से संबंधित उधार करार में की किसी शर्त का सारभूत रूप से अतिक्रमण किया जा रहा है; या

(छ) यदि बोर्ड, किसी अन्य कारण से, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के हितों की संरक्षा करने के लिए ऐसा करना आवश्यक समझता है ।

31. राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा दावों के प्रतर्वन के लिए विशेष उपबंध-(1) जहां कोई व्यक्ति, किसी करार के भंग में, किसी उधार या ऋण या उसकी किसी किस्त के प्रतिसंदाय में (या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा दी गई प्रत्याभूति के संबंध में अपनी बाध्यताओं को पूरा करने में) कोई व्यतिक्रम करता है या बोर्ड के साथ हुए करार के निबंधनों का अनुपालन करने में अन्यथा असफल रहता है या जहां बोर्ड किसी व्यक्ति से धारा 30 के अधीन किसी उधार या ऋण के तुरंत प्रतिसंदाय की अपेक्षा करता है और वह व्यक्ति ऐसा प्रतिसंदाय करने में असफल रहता है, वहां संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4) की धारा 69 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का कोई अधिकारी, जिसे बोर्ड द्वारा इस निमित्त साधारणतया या विशेष रूप से प्राधिकृत किया गया है, निम्नलिखित एक या अधिक अनुतोषों के लिए न्यायालय को आवेदन कर सकेगा, अर्थात् :-

(क) राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को उधार या ऋण के लिए प्रतिभूति के रूप में गिरवी की गई, बंधक रखी गई, आडमान की गई या समनुदिष्ट की गई संपत्ति के विक्रय के आदेश के लिए; या

(ख) किसी संगठन के प्रबंध को राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को अंतरित करने के लिए; या

(ग) जहां संगठन के परिसर से सम्यक् अनुज्ञा के बिना मशीनरी या अन्य उपस्कर को हटाए जाने की आशंका है वहां अंतः कालीन आदेश के लिए ।

(2) उपधारा (1) के अधीन कोई आवेदन करने और उसके निपटाने की प्रक्रिया वह होगी जो विहित की जाए ।

अध्याय 7

प्रकीर्ण

32. नियुक्ति में त्रुटियों से बोर्ड के कार्यों, आदि का अविधिमान्य होना-बोर्ड का या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की किसी समिति का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी कि बोर्ड या समिति से कोई रिक्ति या उसके गठन में कोई त्रुटि थी ।

33. सद्भावपूर्वक किए गए कार्यों के लिए संरक्षण-इस अधिनियम या किसी अन्य विधि या विधि का बल रखने वाले किसी उपबंध के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात से हुई या हो सकने वाली किसी हानी या नुकसान के लिए कोई वाद या अन्य विधिक कार्यवाही, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड या बोर्ड के किसी निदेशक या किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी या इस अधिनियम के अधीन किन्हीं कृत्यों के निर्वहन के लिए बोर्ड द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध नहीं होगी ।

34. निदेशकों की क्षतिपूर्ति-प्रत्येक निदेशक की, उसके कर्तव्यों के निवर्हन में या उनके संबंध में उसके द्वारा उपगत सभी हानियों और व्ययों की बाबत, जो उसके जानबूझकर किए गए कार्य या व्यतिक्रम से न हुए हों, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा क्षतिपूर्ति की जाएगी ।

35. विश्वस्तता और गोपनीयता की बाबत बाध्यता-(1) इस अधिनियम या किसी अन्य विधि द्वारा जैसा अन्यथा अपेक्षित है उसके सिवाय, बोर्ड, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड या सोसाइटी या विघटित कंपनी के संबंध में या उनके कार्यकलापों के संबंध में कोई जानकारी तब के सिवाय प्रकट नहीं करेगा जब कि परिस्थितियां ऐसी हों जिनमें विधि या वित्तीय संस्थाओं में रूढ़िगत पद्धति और प्रथा के अनुसार बोर्ड के लिए ऐसी जानकारी प्रकट करना आवश्यक या समुचित हो ।

(2) किसी समिति का प्रत्येक निदेशक, सदस्य, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का लेखा परीक्षक या अधिकारी या अन्य कर्मचारी अपना कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व अनुसूची में दिए गए प्ररूप में विश्वस्तता और गोपनीयता की घोषणा करेगा ।

36. अतिरिक्त अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की भर्ती-अध्याय 5 में किसी बात से यह नहीं समझा जाएगा कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के, उतने अतिरिक्त पदों को सृजित करने के या उतने अतिरिक्त अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों को नियुक्त करने के, जितने वह राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कृत्यों के दक्षतापूर्ण निर्वहन के लिए आवश्यक या वांछनीय समझे, अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, और जहां किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी को नियुक्त किया जाता है, वहां सेवा के निबंधन और शर्तें भी, जिसके अंतर्गत पारस्परिक ज्येष्ठता भी है, बोर्ड द्वारा अवधारित की जाएंगी ।

37. केंद्रीय सरकार के आदेशों के अधीन ही समापन-कंपनियों या निगमों के परिसमान से संबंधित किसी विधि का कोई भी उपबंध राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को लागू नहीं होगा, और उसका समापन केंद्रीय सरकार के आदेश और ऐसी रीति के सिवाय नहीं किया जाएगा जो वह निदिष्ट करे ।

38. केंद्रीय सरकार द्वारा कतिपय शक्तियों का प्रत्यायोजन-(1) यदि केंद्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है, तो वह राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की सिफारिश पर, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड को डेरी, खाद्य पदार्थ और संबद्ध उद्योगों से संबंधित केंद्रीय सरकार के ऐसे कार्यकलाप या कृत्य, विशिष्ट रूप से राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड के विकास से संबंधित विषयों के संदर्भ में, उत्पादन, उपापन, विपणन, निर्यात-आयात, मानक के अनुसरण या इसी प्रकार के किन्हीं कार्यकलापों (जिनके अंतर्गत सांख्यिकीय और सुसंगत आंकड़ों का संग्रहण और संकलन भी है) का विनियमन करके, करने और उनका अनुपालन करने में समर्थ बनाने के प्रयोजन के लिए कोई स्कीम बना सकेगी ।

(2) उपधारा (1) के अधीन बनाई गई प्रत्येक स्कीम राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी और उसमें ऐसी शर्तें, निर्बंधन या परिसीमाएं हो सकेंगी जो केंद्रीय सरकार अधिरोपित करना ठीक समझे ।

39. लेखा परीक्षकों के लिए संक्रमणकालीन उपबंध-इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, नियत दिन के ठीक पूर्व कृत्यकारी सोसाइटी या विघटित कंपनी के संबंध में नियुक्त किसी लेखा परीक्षक को, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा ऐसी अवधि के लिए और ऐसे निबंधनों पर जो आवश्यक समझे जाएं, बनाए रखा जा सकेगा ।

40. अध्यक्ष और बोर्ड के संबंध में संक्रमणकालीन उपबंध-सोसाइटी का अध्यक्ष, जो नियत दिन के ठीक पूर्व पद धारण किए हुए है, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का तब तक अध्यक्ष होगा जब तक इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार अध्यक्ष नामनिर्दिष्ट नहीं हो जाता है और वह इस अधिनियम के अधीन बोर्ड के गठन तक बोर्ड के कृत्यों का पालन करने में सक्षम होगा ।

41. अन्य संगठनों का प्रबंध या उनकी सहायता का जारी रहना-शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि जहां, नियत दिन के पूर्व, सोसाइटी या विघटित कंपनी किसी अन्य संगठन का प्रबंध कर रही थी या किसी संगठन या व्यक्ति को कोई तकनीकी या अन्य सहायता प्रदान कर रही थी, वहां राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड उसको या वैसी ही सेवा को उस सीमा तक, ऐसी अवधि के लिए और ऐसे उपांतरणों सहित देता रहेगा जो बोर्ड ठीक समझे ।

42. मदर डेरी का राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का एक समनुषंगी एकक होना-मदर डेरी, दिल्ली, के नाम से ज्ञात उपक्रम, नियत दिन से ही, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड का समनुषंगी एकक बन जाएगी किंतु वह अपना पृथक् स्वरूप तब तक बनाए रखेगी जब तक बोर्ड अन्यथा विनिश्िचत नहीं करता ।

43. केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से कंपनियों का बनाया जाना-(1) जहां, बोर्ड अपने किन्हीं उद्देश्यों के कार्यान्वयन के लिए ऐसा करना आवश्यक समझता है, वहां वह, केंद्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन के अधीन रहते हुए, स्वयं या अपनी किसी समनुषंगी या किसी अन्य उपक्रम के साथ मिल कर एक या अधिक कंपनियां बना सकेगा ।

(2) जहां कोई कंपनी उपधारा (1) के अनुसरण में बनाई गई है, वहां, -

(क) स्वयं बोर्ड द्वारा या अपनी समनुषंगियों के साथ बनाई गई किसी कपंनी की दशा में, वह, उतनी पूंजी का अभिदाय, अपनी ऐसी आस्तियों का अंतरण या ऐसी सहायता प्रदान कर सकेगा जो अपेक्षित हो, जिससे कि इस प्रकार बनाई गई कंपनी कृत्य करने में समर्थ हो सके; और

(ख) किसी अन्य दशा में, वह ऐसी रीति से और उतने परिमाण तक पूंजी का अभिदाय, आस्तियों का अंतरण या सहायता, उस संबंध में केंद्रीय सरकार के विनिर्दिष्ट पूर्व अनुमोदन के अधीन रहते हुए, प्रदान कर सकेगा जो बोर्ड ठीक समझे ।

                 ।                             ।                              ।                              ।                              ।                              ।                              ।

45. विवरणियां-राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, केंद्रीय सरकार को समय-समय पर ऐसी विवरणियां देगा, जो केंद्रीय सरकार अपेक्षा करे ।

46. सेवा विषयक स्कीमों और विनियमों को भूतलक्षी रूप से बनाने की शक्ति-इस अधिनियम के अधीन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों की सेवा-शर्तों या वैसे ही विषयों के संबंध में बनाई गई किसी स्कीम या विनियम को किसी ऐसी तारीख से, जो नियत दिन से पूर्वतर न हो, भूतलक्षी रूप से बनाया जा सकेगा ।

47. अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव-इस अधिनियम के उपबंध कंपनी अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में या इस अधिनियम से भिन्न किसी विधि के आधार पर प्रभाव रखने वाली किसी लिखत में या किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकरण की किसी डिक्री या आदेश में उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे ।

48. विनियम बनाने की शक्ति-(1) बोर्ड, भारत के राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे सभी विषयों का उपबंध करने के लिए जिनके लिए इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने के प्रयोजनों के लिए उपबंध करना आवश्यक या समीचीन है ऐसे विनियम बना सकेगा, जो इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के उपबंधों से असंगत न हों ।

                (2) विशिष्टतया, और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विनियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध हो सकेगा, अर्थात्: -

(क) धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन बोर्ड की बैठकों में कारबार के संव्यवहार के लिए अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया और सदस्यों की वह संख्या जिससे किसी बैठक की गणपूर्ति होगी;

(ख) किसी प्रबंध समिति की बैठकों में उपस्थित होने या धारा 13 की उपधारा (1) के अधीन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के किसी अन्य कार्य को करने और उस धारा की उपधारा (2) के अधीन प्रबंध समितियों की कार्यवाहियों के संचालन से संबंधित अन्य विषयों के लिए, प्रबंध समिति के, अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों से भिन्न, सदस्यों को संदत्त किए जाने वाले भत्ते;

(ग) धारा 15 के खंड (क) के प्रयोजनों के लिए उच्चतर श्रेणी;

(घ) धारा 22 की उपधारा (4) में यथानिर्दिष्ट अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों या उनके कुटुंबों के स्वास्थ्य, शिक्षा या अन्य हितों के अभिवर्धन के लिए उपायों की विशिष्टियां;

(ङ) धारा 22 की उपधारा (5) में निर्दिष्ट निधियों के स्थापन या अनुरक्षण से संबंधित ब्यौरे के विषय;

(च) वे शर्तें जिनके अधीन धनराशियां धारा 26 की उपधारा (2) के अधीन निक्षिप्त की जानी हैं;

(छ) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे धारा 27 की उपधारा (1) के अधीन राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के तलुनपत्र और लेखे तैयार किए जाएंगे;

(ज) धारा 31 की उपधारा (1) के अधीन आवेदन करने और उस धारा की उपधारा (2) के अधीन उसके निपटाए जाने की प्रक्रिया;

(झ) अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की सेवा-शर्तें;

(ञ) कोई अन्य विषय, जिसे विहित किया जाना है या विहित किया जाए । 

49. कठिनाइयों को दूर करने के शक्ति-(1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, तो केंद्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हों और उस कठिनाई को दूर करने के लिए आवश्यक प्रतीत होते हों:

                परंतु ऐसा कोई आदेश नियत दिन से पांच वर्ष की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा ।

                (2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा ।

50. स्कीमों और विनियमों का संसद् के समक्ष रखा जाना-इस अधिनियम के अधीन बनाई गई प्रत्येक स्कीम और बनाया गया प्रत्येक विनियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन, उस स्कीम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह स्कीम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए, तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किंतु स्कीम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

अनुसूची

[धारा 35(2) देखिए]

विश्वस्तता और गोपनीयता की घोषणा

                मैं ....................................... घोषणा करता हूं कि मैं वफादारी, सच्चाई और अपनी सर्वोत्तम विवेकबुद्धि और योग्यता से उन कर्तव्यों का निष्पादन और पालन करूंगा जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के (यथास्थिति) अध्यक्ष, निदेशक, समिति के सदस्य, लेखापरीक्षक, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के रूप में मुझसे अपेक्षित हैं और जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड में या उसके संबंध में मेरे द्वारा धारित किसी पद या ओहदे से उचित रूप से संबंधित है ।

                मैं यह भी घोषणा करता हूं कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड से संव्यवहार करने वाले किसी व्यक्ति के कार्यकलाप से संबंधित कोई जानकारी किसी ऐसे व्यक्ति को संसूचित नहीं करूंगा या नहीं होने दूंगा जो वैध रूप से उसका हकदार न हो और न मैं ऐसे किसी व्यक्ति को, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की या उसके कब्जे में की और राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के कारबार से या राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड से सव्यंवहार करने वाले किसी व्यक्ति के कारबार से संबंधित किन्हीं बहियों या दस्तावेजों का निरीक्षण करने दूंगा और न उन तक उसकी पहुंच होने दूंगा ।

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भारत में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का मुख्यालय कहाँ है?

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। इसका मुख्यालय गुजरात के आनन्द शहर में है तथा क्षेत्रीय कार्यालय देश के विभिन्न नगरों में फैले हुए हैं।

एनडीडीबी का पूरा नाम क्या है?

राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की स्‍थापना इस दृढ़ विश्‍वास में निहित है कि हमारे देश की सामाजिक – आर्थिक प्रगति मुख्‍य रूप से ग्रामीण भारत के विकास पर निर्भर करती है ।

गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना कब की गई?

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) का मुख्यालय आनंद, गुजरात में स्थापित है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना 1965 में हुई थी।