रामायण का फारसी अनुवाद क्या था? - raamaayan ka phaarasee anuvaad kya tha?

अबुलफजल बदायूंनीअब्दुल लतीफ ईसर दास

Answer : B

Solution : रामायण का फारसी अनुवाद बदायूँनी ने किया था। अकबर के समय में फारसी गद्य और कविता का चरमोत्कर्ष हुआ। अबुल फजल भी अकबर के दरबार का एक महान विद्वान और अपने समय का अग्नणी इतिहासकार था उसने गद्य-लेखन की ऐसी शैली आरम्भ की- जिसका अनुकरण अनेक पीढ़ियों तक किया जाता रहा।

रामायण का फारसी अनुवाद किसने किया था?

(A) मुल्ला शेरी
(B) अबुल फजल
(C) फैजी
(D) अब्दुल कादिर बदायूंनी

Question Asked : [UPPCS (Pre) GS 2001]

Answer : अब्दुल कादिर बदायूंनी

अकबर के शासनकाल मे बदायूंनी ने 'रामायण' का, राजा टोडरमल ने 'भागवत पुराण' का, इब्राहिम सरहिदी ने 'अर्थर्ववेद का, फैजी ने गणित की पुस्तक 'लीलावती' का, मुकम्मल खां गुजराती ने ज्योतिष शास्त्र की पुस्तक 'तजक' का, 'जहांन-ए-जफर' नाम से, अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने 'तुजुक-ए-बाबरी' का, तथा मौलाना शाह मुहम्मद शाहाबादी ने कश्मीर के इतिहास 'राजतरंगिणी' का फारसी भाषा में अनुवाद किया।....अगला सवाल पढ़े

Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत

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रामायण का फारसी अनुवाद क्या है?

रामायण का अनुवाद फारसी में किसने किया था? Solution : रामायण का फारसी अनुवाद बदायूँनी ने किया था। अकबर के समय में फारसी गद्य और कविता का चरमोत्कर्ष हुआ। अबुल फजल भी अकबर के दरबार का एक महान विद्वान और अपने समय का अग्नणी इतिहासकार था उसने गद्य-लेखन की ऐसी शैली आरम्भ की- जिसका अनुकरण अनेक पीढ़ियों तक किया जाता रहा।

अकबर के दरबार में रामायण का फारसी में अनुवाद किसने किया था?

बदायूं : ¨हदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ रामायण और महाभारत का फारसी अनुवाद भी है। यह कार्य बादशाह अकबर के हुक्म से उनके दरबार के खास विद्वान मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी ने 16वीं सदी में किया था।

महाभारत का फारसी अनुवाद क्या है?

रज़्मनामा (फ़ारसी: رزم نامہ, जंग की किताब) महाभारत का फ़ारसी अनुवाद है जो कि मुग़ल बादशाह अकबर के समय में करवाया गया था। 1574 में अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी में मकतबख़ाना (अनुवादघर) शुरू किया। इसके साथ अकबर ने राजतरंगिणी, रामायण, वग़ैरा जैसे संस्कृत ग्रंथों को फ़ारसी में अनुवाद करने के लिए हिमायत दी।

अकबर ने किन संस्कृत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद कराया?

शहंशाह अकबर ने प्रसिद्ध संस्कृत ग्रन्थों के अरबी तथा फारसी में अनुवाद करवाने हेतु अलग विभाग कायम किया। उनके पोते दाराशिकोह ने तो बावन उपनिषदों का ही फारसी अनुवाद करवा दिया। रामायण, महाभारत, अथर्वेद, भगवतगीता जैसे सुप्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थों का फारसी अनुवाद मुगल शासन में ही हुआ ।