राजस्थान में तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein tel kshetr kaun kaun se hain?

परिचय

राजस्थान में पेट्रोलियम अन्वेषण एवं विकास गतिविधियों को अब 2004 मंगला सबसे बड़ा बाड़मेर Sanchore बेसिन में पिछले दो दशकों में देश के तेल की खोज के बाद रफ्तार पकड़ ली है. वर्तमान में, तेल, गैस और सीबीएम के लिए अन्वेषण राजस्थान के 21 ब्लाकों में राष्ट्रीय / बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बारे में 60000 वर्ग को कवर से चल रहा है. किमी. क्षेत्र. इस प्रकार, राजस्थान अन्वेषण के तहत देश के भूमि क्षेत्र पर अधिकतम है.

अधिक पढ़ें

लैंडमार्क देवेलोपेमेंट

राजस्थान में तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein tel kshetr kaun kaun se hain?

राजस्थान 4 तेल से भरा हुआ घाटियों के तहत हाइड्रोकार्बन के महत्वपूर्ण संसाधन की क्षमता है. हाइड्रोकार्बन संभावनाओं के कारण, 3 राजस्थान के तेल से भरा हुआ घाटियों में उन्नत किया गया है

अधिक पढ़ें

निवेश के अवसर

राजस्थान में तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein tel kshetr kaun kaun se hain?

शहर गैस वितरण क्षेत्र के घरेलू और होटल के रेस्तरां, और अस्पतालों की तरह उपभोक्ता और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के शामिल हैं. प्रावधान भी वहाँ है प्राकृतिक गैस के आवंटन के लिए संभावित औद्योगिक

अधिक पढ़ें

वहां से नजदीकी रिहाइशी बस्ती करीब चार किलोमीटर दूर है. बालू के अंतहीन टीलों के बीच ग्लास फाइबर के छोटे-से केबिननुमा दफ्तर में बैठे हार्ले डेविडसन खुश दिखने की कोशिश करते हैं. इतने खुश कि दफ्तर में मशीन से निकली बेहद मीठी काफी भी मजे से गटक जाते हैं.

दुनिया भर में मशहूर मोटरसाइकिल ब्रांड जैसे नाम वाला कनाडा का यह बाशिंदा राजस्थान के थार इलाके के बाड़मेर में कुछ माह पहले सातवीं बार केर्न इंडिया के लिए खुदाई करने पहुंचा तो उसे तेल का खजाना मिल गया. डेविडसन मुस्कराते हुए कहते हैं, “हमारी मेहनत का मीठा फल मिल गया है.” वे कुएं के ऊपर महज पांच लोगों के पहुंचने के लायक एक छोटे-से प्लेटफॉर्म पर चढ़ते हैं और मॉनिटर की ओर इशारा करते हैं. नंगी आंखों से तो उस पर कुछ हरी लाइनें चमकती दिखती हैं. डेविडसन के मुताबिक, गहराई, गर्मी और दबाव का ब्योरा देने वाली ये लाइनें किसी शायरी की तरह दिलकश हैं. वे उम्मीद जताते हुए कहते हैं, “वहां हमें तेल भी मिलेगा.”

डेविडसन ने जिन सात जगहों पर ड्रिल किया, उसमें एक कुआं केर्न इंडिया के लिए है. 2016 के मध्य तक उसकी योजना ऐसे 450 ड्रिल करने की है जिसमें डेविडसन की जैसी 17 रिग यानी खुदाई मशीनें लगेंगी. सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो बाड़मेर अपने सात तेल क्षेत्रों मंगला, भाग्यम, ऐश्वर्य, रागेश्वरी, शक्ति, सरस और बाड़मेर हिल के साथ बॉम्बे हाइ से बड़ा हो जाएगा. आज बाड़मेर में 11 रिग ड्रिल कर रहे हैं. बॉम्बे हाइ 1974 के बाद 584 कुओं से तेल के प्यासे देश को कुछ राहत दे पाया था. केर्न इंडिया के सीईओ पी. इलांगो कहते हैं, “हम हर साल औसतन 150 से 200 कुएं खोदने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.” अनिल अग्रवाल की लंदन स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध धातु और खनन कंपनी वेदांता रिसोर्सेज अपने भारतीय सहयोगी सेसा स्टरलाइट के जरिए केर्न इंडिया में 59 प्रतिशत शेयर की मालिक है.

केर्न इंडिया पिछले 15 साल में बाड़मेर में 201 कुएं सफलतापूर्वक खोद चुकी है. इनसे रोज 1,96,000 बैरल तेल निकलता है जो तीन साल में 3,00,000 बैरल रोजाना तक पहुंच सकता है, जबकि बांबे हाइ से 280,000 बैरल रोजाना निकलता है. इससे बॉम्बे हाइ की ऑपरेटर ओएनजीसी को कोई बड़ा झटका नहीं लगने वाला क्योंकि केर्न के बाड़मेर ब्लॉक में उसके 30 फीसदी शेयर हैं. केर्न की देश के सात तेल और गैस ब्लॉक में हिस्सेदारी है लेकिन राजस्थान में इसका सबसे बड़ा दांव है. केर्न के अगले कुछ वर्षों में 3 अरब डॉलर के योजनागत ऑपरेशन खर्च में करीब 80 फीसदी इन्हीं ब्लॉक्स पर खर्च होने वाला है.

राजस्थान में तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein tel kshetr kaun kaun se hain?

अग्रवाल का संकटमोचक
चार साल पहले वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तेल और गैस के कारोबार में जाने की बात शायद सोची भी नहीं थी. बताते हैं, केर्न एनर्जी प्लेसमेंट की अपने कैर्न इंडिया के कारोबार के शेयर बेचने की बात रिलायंस इंडस्ट्रीज से चल रही थी. इसी बीच वेदांता ने अगस्त 2010 में अधिकांश शेयर खरीद लिए. आज इस समूह की आमदनी का आधा हिस्सा केर्न इंडिया से आता है. और केर्न की 80 फीसदी कमाई बाड़मेर ब्लॉक से आती है. अग्रवाल ने 12 फ रवरी को फेसबुक पर अपने स्तंभ में लिखा, “(केर्न इंडिया) कंपनी में दुनिया के तेल बाजार में भारत की कामयाबी की मिसाल कायम करने की क्षमता है.”

महत्वाकांक्षी योजना
बाड़मेर का उत्पादन बढ़ाने के लिए केर्न ने पेट्रोलियम मंत्रालय से समेकित ब्लॉक विकास योजना (आइबीडीपी) की मंजूरी ले ली है. मंत्रालय ने यह नया नीतिगत फैसला लिया है ताकि कंपनियों के तेल और गैस क्षेत्र की खोज से उत्पादन के स्तर पर जल्दी जाने में सहूलियत हो. इस योजना के मुताबिक, केर्न को 450 कुएं खोदने की इजाजत मिली है जिनमें 100 में तेल की तलाश की जाएगी और 350 में क्षेत्र विकसित किया जाएगा. इलांगो ने बाड़मेर का कामकाज युवा रिजर्वायर इंजीनियर सुनीति भट्ट के जिम्मे दे रखा है.

राजस्थान में तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein tel kshetr kaun kaun se hain?
भट्ट के मुताबिक, उनकी फौरी योजना सैटेलाइट क्षेत्रों से तेल लाना है और खासकर मंगला, भाग्यम और ऐश्वर्य (एमबीए) क्षेत्रों में छोटी खोज करना है. भट्ट इसके साथ मंगला क्षेत्र में तेल निकालने के तरीके तलाश रहे हैं. यह केर्न का सबसे पुराना ब्लॉक है और यहां रोज करीब 1,51,000 बैरल तेल निकलता है लेकिन बताते हैं, यह सर्वाधिक उत्पादन के स्तर पर पहुंच चुका है. भट्ट कहते हैं, “कुएं से 100 बैरल में से 35 बैरल ही निकल रहा है. ईओआर नाम की एक तकनीक से केर्न करीब 15 प्रतिशत अधिक तेल निकालने की उम्मीद करती है यानी हर रोज करीब 22,500 बैरल कच्चा तेल अतिरिक्त. मंगला में काम शुरू हो गया है. उसके बाद भाग्यम और ऐश्वर्य में काम शुरू होगा. बाड़मेर हिल्स में ऐसे क्षेत्र हैं जहां 16.5 करोड़ बैरल तेल और पेट्रोलियम पदार्थ होने का अनुमान है. केर्न का लक्ष्य इसे निकालने का है.”

पर केर्न के रास्ते में कुछ बाधाएं भी हैं. सरकार ने बाड़मेर घाटी में केर्न को छोड़े गए क्षेत्र फिर से देने से मना कर दिया है. करार की शर्तों के मुताबिक, केर्न ने उन क्षेत्रों को छोड़ दिया जहां उसे तेल नहीं मिला. लेकिन अब वह सरकार से उन क्षेत्रों को फि र से खोज अभियान के लिए लेना चाहती है. यह इलाका करीब 8,000 वर्ग किमी का है. इन छोड़े गए ह्नेत्रों से तैयार दो ब्लॉक्स के लिए हाल ही निविदाएं मंगाई गईं.

पेट्रोलियम मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल को बेचने के अग्रवाल के प्रस्ताव पर भी मौन है. केर्न रिलायंस इंडस्ट्रीज और एस्सार ऑयल जैसी भारतीय रिफाइनरियों को मानक कीमत से करीब 15 फ ीसदी रियायत पर कच्चा तेल बेच रही है. मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि मई में आम चुनावों के बाद ही इस पर कोई नीतिगत फैसला हो सकता है. फि लहाल भारत सिर्फ  सवंद्र्धित उत्पाद का ही निर्यात करता है, कच्चे तेल का नहीं.

राजस्थान में तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein tel kshetr kaun kaun se hain?

(बाड़मेर में एक ऑयल ड्रिलिंग क्षेत्र)

अग्रवाल के लिए एक दूसरा बड़ा सिरदर्द भी है. सरकार केर्न के बाड़मेर और रावा ब्लॉक में उत्पादन में हिस्सेदारी के प्रस्ताव पर भी कुंडली मारे बैठी है. बाड़मेर के लिए मूल करार 2020 में खत्म हो जाएगा. इलांगो कहते हैं, “चूंकि हमने रागेश्वरी डीप गैस फील्ड से गैस का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है इसलिए हम स्वतः ब्लॉक के करार के विस्तार की उम्मीद कर रहे हैं.” पेट्रोलियम मंत्रालय के मौजूदा नियमों के मुताबिक, अगर कोई ऑपरेटर गैस की तलाश कर लेता है तो उसे स्वतः अगले 10 साल का करार मिल जाएगा. तेल खोजने के मामले में करार का विस्तार करना पूरी तरह सरकार के विवेकाधीन है.

लेकिन केर्नके लिए राजस्थान ब्लॉक की अपनी रणनीति पर अमल कठिन हो सकता है. एक विशेषज्ञ की राय में, “उन्हें मंगला में उत्पादन के लिए और गहरे जाना होगा, भाग्यम को नए सिरे से दुरुस्त करना होगा और नई सैटेलाइट फील्ड में उत्पादन शुरू करना होगा. यह बेहद पेचीदा मामला है और अभी तक कंपनी ने यह नहीं किया है.” जाहिर है, कंपनी के लिए आगे बड़ी चुनौतियां हैं.

राजस्थान में पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्र कितने जिले में है?

राजस्थान में पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र 14 जिलों में फैला हुआ है।

राजस्थान का कच्चे तेल उत्पादन में कौन सा स्थान है?

कच्चा खनिज तेल उत्पादन में राजस्थान का दूसरा स्थान

भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र कौन सा है?

बाड़मेर जिले में स्थित देश के सबसे बड़े तेल भंडार मंगला के साथ भाग्यम और ऐश्वर्या आज लगभग पौने दो लाख बैरल तेल प्रतिदिन के उत्पादन के साथ देश के घरेलू तेल उत्पादन का 27 प्रतिशत थार से योगदान दे रहे हैं।

भारत के प्रमुख तेल क्षेत्र कौन कौन से हैं?

भारत में प्रमुख तेल क्षेत्र.
असम या ब्रह्मपुत्र घाटी तेल क्षेत्र इसके अंतर्गत कुल 4 तेल क्षेत्र है। डिग्बोई, नहरकाटिया, हुगरीजन मोरेन, सूरमा घाटी।.
गुजरात तट तेल क्षेत्र गुजरात में 5 तेल क्षेत्र हैं। ... .
पश्चिमी अपतटीय तेल क्षेत्र देश का सबसे समृद्ध तेल क्षेत्र। ... .
पूर्वी अपतटीय तेल क्षेत्र देश का सबसे नवीन तेल क्षेत्र।.